RE: Sex Porn Story पंजाबी मालकिन और नौकर
बीजी छुडा कर फिर भाग गयी.............मैं भी उनके पीछे भागा.......जहा रंग रखे
थे मैंने उन्हे वहाँ जा के पीछे से पकड़ लिया.......पीछे से एक हाथ उनके पेट पे रखा
और पीछे से ही एक हाथ से उनके गालो पे गुलाल मलने लगा.....
मैं : ओ..बीजी....होली है.........
बीजी : हट शैतान.......एम्म्म
हम लोग फ्रंट की दीवार से काफ़ी दूर थे....इसलिए हमे कोई देख नही सकता था.................................क्योकि रंग और
गुब्बारे बिल्कुल पास मे ही पड़े थे, मैंने उनके गाल से हाथ हटा कर एक गुब्बारा हाथ मे
लिया.....और अपने हाथ मे ही रख के बीजी के पेट पे मारा.......
मैं : होली है...........
बीजी : ओह्ह्ह...पुतर....मैंनु वी गुब्बारे मारदा है......
मेरा एक हाथ अभी बीजी के पेट पर कस के रखा था जिससे बीजी भाग ना जाए.....................
मैंने डिब्बा (जार) रंग की बाल्टी मे डाला........और डिब्बा बीजी के सिर पे उलट दिया...........
बीजी : ओह्ह्ह.....तू ते मैंनु पूरा गीला कर दित्ता है...छोड़ मैंनु...
मैं : बीजी.....हाली ते होली शुरू ही किटी है.......
मैंने एक डिब्बा और डाल दिया बीजी के सिर पे.........................बीजी ने रात वाला
सलवार कमीज़ पहना था जो की बहुत पतले कपड़े का था....बीजी की कमीज़ गीली हो गयीथी...
.उनके बदन से चिपक गयी थी...उनका काला ब्रा सॉफ दिख रहा था...और हल्की हल्की पूरी स्किन....
अब मैंने हाथ मे थोड़ा गुलाल और लिया और
बीजी के गले पे मलने लगा..........जो हाथ मेरा उनके पेट पे था मैं उससे उनका पेट हल्का
हल्का दबाने लगा तो बीजी हसने लगी...
बीजी : हहाा..हाय........मत कर..हाआ...मैंनु गुदगुदी होंदी ए..
अब मैं उनके पेट पे गुलाल मलने लगा.....मैंने दूसरे हाथ मे भी गुलाल ले लिया और पीछे से
ही दोनो हाथो से उनके पेट पे कस कस के गुलाल मलने लगा.........
बीजी : ओह्ह्ह..हाया...तू ते मेरी कमीज़ वी खराब करेगा...
मैं : ते होली विच कपड़े कहाँ बचते है बीजी...........
अब बीजी ने झुक कर थोड़ा गुलाल उठाया और मुड कर मेरे मूँह पर मलने लगी...
बीजी : तू मेरे ही लगान्दा रहेगा.क्या....मैं तेरे वी ते लगावान्गि.......
बीजी मेरे मूँह पे गुलाल लगा रही थी....मेरा हाथ उनके पेट पे था....मैंने भी थोड़ा गुलाल
और लिया..और हाथ उनकी पीठ के पीछे ले जाके
उनकी पीठ पे गुलाल रगडने लगा......उनकी कमीज़ उनकी स्किन से चिपकी हुई थी इसलिए मेरे
हाथ उनकी स्किन के बिल्कुल पास थे...
बीजी ने रंग का डिब्बा उठा के मेरे सिर पे डाल दिया........मेरे हाथ उनकी पीठ पे थे....मैंने
एक हाथ उनके पेट पे रखा और फिर दबाने लगा.............................बीजी फिर हँसने लगी
बीजी : हा हा हाआआआआअ......ईईई.......
बीजी थोड़ा छूडाने की कोशिश करने लगी तो मैं फिर उनके पीछे आ गया......बीजी हँस रही थी............मैंने एक हाथ मे गुब्बारा लिया और हाथ मे रखते हुए ही बीजी की धुन्नी (नेवल) पे दे मारा...
बीजी : आह.......
मैं बीजी के गुदगुदी अब भी कर रहा था और बीजी हंस रही थी..
मैंने एक गुब्बारा और लिया हाथ मे और बीजी के राईट मम्मे पे दे फोड़ा....
बीजी : आह.....धर्मा...कित्थे मारदा पया ए...
मैंने गुब्बारा मारते ही मम्मे से हाथ हटा लिया
मैं : बीजी तुस्सी वी ते देखो इस जगह गुब्बारा लगदा ए ते कैसा लगदा ए.....
मैंने एक गुब्बारा और लिया और हाथ मे ही रखते हुए बीजी के लेफ्ट मम्मे पे दे फोड़ा..
बीजी : आह.....होली ए.....
इस बार मैंने गुब्बारा फटने के बाद बीजी के मम्मे को हल्का सा दबा दिया...
बीजी : आह...
बीजी की कमीज़ उनके मम्मो से चिपकी हुई थी....
मैंने रंगो के पास ही छुपा कर भांग रखी थी...लेकिन मैंने उस मे थोड़ा सा रूह आफज़ा
मिक्स कर दिया था................मैंने भांग का एक गिलास उठाया और बीजी को दिया...मैं बीजी
के पीछे था और बीजी के पेट और पीठ पे गुलाल लगा रहा था.......मैंने पीछे से ही
गिलास आगे किया....
मैं : ए लो बीजी.......थोड़ा नाश्ता वी कारलो...
बीजी : ए की है...
मैं : कुछ नही बीजी...रूह आफज़ा ए.....मैं पहले ही बना के ले आया सी..
किसी ने बहुत तेज़ वोल्यूम पे गाने चला दिए......."अंग से अंग लगाना, साजन हमे ऐसे रंग लगाना"..
बीजी भांग दा सारा गिलास इक झट्के विच पी गयी..
मैं : अच्छा लगा बीजी...
बीजी : आ हो.....तू पहली वार इतना अच्छा रूह आफज़ा बनाया ए..
मैं : बीजी....तुस्सी भांग पीती ए.......
बीजी : की!........भांग.....
मैं : आ हो बीजी...होली ते भांग पीती जांदी ए........त्वानु टेस्ट ते अच्छा लगा..
बीजी : टेस्ट ते ठीक ए....पर ए पीना ठीक नही...
मैं : बीजी साल विच इक बार पीने नाल कुछ नही होन्दा..........और लोगे..
बीजी : चल...थोडि दे दे...
मैं : पहले थोड़ा और गीला हो लो..
मैंने रंग का डिब्बा उठा के उनके सिर पे डाल दिया.........वो मुझसे डिब्बा छीनने
लगी.....छीना झपटी मे हम दोनो का बैलंस बिगड़ गया और हम दोनो नीचे गिर गये.....खड़े
खड़े थोड़ा थक भी गये थे इसलिए फिर से खड़ा होने की कोशिश ही नही की..........बीजी लेट गयी...
.उन्होने ने मुझसे डिब्बा ले लिया और लेटे लेटे ही मुझ पर रंग गेरा.....मैंने अब की बार पक्का वाला रंग
निकाला..और बीजी के लगाने लगा ..
बीजी : ए नही धर्मा....ए पक्का रंग लगदा ए....ए नही
मैं : बीजी अगर पक्का रंग नही लगाया ते याद कैसे रहेगा कि हम होली खेले
थे.....लगवालो बीजी वरना त्वानु पता ए मैं ते लगा ही दूँगा......
बीजी : ये रंग आसानी से नही सॉफ होगा....और अगर इस बीच तेरे साहब आ गये तो
उन्हे पता चल जाएगा कि मैं होली खेली ए........फिर ओ मेनू पुच्छान्गे कि केडे नाल होली
खेली ए..ते मैं की कवान्गी.........नही मैं नही...
ये कह के बीजी खडी हो कर मुझसे भागने लगी....
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