RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
आख़िर रजत अंदर आए उनके नंगे कसे मजबूत जिस्म को देखकर आज मुझे और उत्तेजना हुई, मैं उनकी राह देख रहा था जैसे कोई औरत या मर्द अपने प्रेमी या प्रेमिका की देखते हैं उनका लंड आज इस ज़ोर से खड़ा था कि पेट से सट गया था फूल कर मूसल जैसा लग रहा था
वे मेरे पास आए और मुझे चूम कर बोले "अमित, माँ ने बहुत प्यार से तैयार किया है तुझे, जैसा मैं चाहता था अब बोल, कैसे लेगा मेरा? और कैसे देगा मुझे? वैसे तेरे इस लंड को तो मैं चुसूँगा अपना इश्क खतम होने के बाद" झुक कर वे मेरे निपल चूसने लगे उनका एक हाथ अपने लंड को मुठिया रहा था और एक मेरे लंड को मस्त कर रहा था
मैंने सिहरकर कहा "रजत जी, आपकी गान्ड मारने का मन करता है"
"उसके लिए तुझे खोलना पड़ेगा वो मैं नहीं खोलूँगा आज दिन भर तू ऐसा ही हमारा खिलौना है रात को मार लेना अभी मैं तेरी मारता हू कल जल्दी में ठीक से नहीं मार पाया आज घंटे भर चोदून्गा तुझे, बिलकुल औरत मर्द वाली स्टाइल में चल तैयार हो जा" कहकर उन्होंने मेरे पैर खोल दिए हाथ वैसे ही बँधे थे
मेरे पैर उठाकर उन्होंने मोड कर मेरे कंधे से टिका दिए कुछ कुछ वैसे जैसे औरतों के करते हैं चोदते समय पैरों को उन्होंने मेरे पीछे पलंग के सिरहाने बाँध दिया "ठीक है ना, तकलीफ़ तो नहीं हो रही है?" प्यार से उन्होंने पूछा
मुझे थोड़ी तकलीफ़ ज़रूर थी पर ऐसी नहीं कि दर्द हो मैंने सिर हिलाया मेरी गान्ड अब पूरी खुली थी, उनके सामने ऐसे पेश थी जैसे कोई दावत हो वे पलंग पर चढ कर मेरी गान्ड के पास घुटने टेक कर बैठे और मेरे गुदा पर लंड रखकर पेलने लगे बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे मैं औरत हू और वे मेरी चूत में लंड घुसेड रहे हैं
आज मुझे काफ़ी दुखा एक टीस उठी जब उनका सुपाडा अंदर गया मेरी सीतकारियों पर आज उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, बस लंड पेलते रहे उनके उस लोहे जैसे लंड के आगे मेरे चूतड क्या टिकते, जल्द ही उनकी झांतें मेरे नितंबों पर आ टकराईं, उनका लंड जड तक मेरी गान्ड में समा गया था
मेरे लंड को सहलाते हुए वे कुछ देर बैठे रहे और फिर झुक कर मुझपर लेट गये मुझे बाँहों में भरके उन्होंने मेरा गहरा चूबन लिया और बोले "आज राहत मिली है मेरे राजा, जब से तुझे देखा है, यही सोच रहा हू कि कब तू मेरे नीचे होगा! दीपक की मैं ऐसे ही मारता हू, देखना अब तुझे किस जन्नत में ले जाता हू"
क्रमशः……………..
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