RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ज़बरदस्ती मैंने शन्नो जी की पहाड सी गान्ड में लंड घुसेडा उनके दोनों बेटे पहले ही उनकी चूत और मुँह में जगह बना चुके थे इसलिए बेचारी गों गों के सिवाय कुछ कर भी नहीं पाईं लगता है उन्हें दुखा होगा क्योंकि जब भी मैं लंड उनकी गान्ड में पेलता, उनका शरीर ऐंठ सा जाता पर मज़ा भी उन्होंने लिया, खूब चूतड उछाल उछाल कर चुदवाया और गान्ड मराई
इस मस्तानी रात की निरंतर चुदाई से सब इतने थक गये थे कि सो कर सब देर से उठे शन्नो जी ने दूसरे दिन और रात का सेक्स बंद कर दिया बोलीं कि बहुत हो गया, अब ज़रा एक दिन आराम करके दूसरे दिन से ज़रा मन लगाकर चुदाई करेंगे, ऐसे जानवरों जैसे नहीं
चौबीस घंटे के आराम से हम फिर ताजे तवाने हो गये थे सुबह उठने के बाद नहा धो कर जब मैं और माँ वापस आए तो हमे पकडकर अलग अलग कमरे में ले जाया गया दीदी और जीजाजी ने मुझे पकड़ा था और शन्नो जी और जेठजी ने माँ को
माँ बोली "अरे ये क्या कर रहे हो? और मेरे बेटे और मुझे ऐसे अलग अलग कमरे में क्यों ले जा रहे हो?"
जेठजी बोले "वो इसलिए मांजी कि गाय को दुहने के पहले खूटे से बाँध दिया जाता है वैसे ही आज आप को बाँध कर दूहा जाएगा" और वे कमरे के अंदर माँ को ले गये
मुझे दूसरे कमरे में ले जाकर जीजाजी ने पलंग पर लिटा दिया दीदी ने मुझे नंगा करके मेरे हाथ पैर पलंग के चारों कोने में बाँध दिए मैं अब थोड़ा घबरा गया था पर दीदी जिस तरह से शैतानी से हँस रही थी, मैं समझ गया कि ये लोगे कोई कामुक खेल खेलने वाले होंगे मेरे और माँ के साथ मैंने फिर दीदी से पूछा
दीदी बोली "अरे ये यहाँ की प्रथा है, मैं जब आई थी नई घर में तब ऐसा ही हुआ था असल में ये लोग तुम्हें और माँ को मन भर कर हर तरह से भोगना चाहते हैं, वो भी एक एक करके अकेले में अब सब अलग अलग काम में होते हैं, कोई आफ़िस, कोई घर का काम इसलिए तुम दोनों को ऐसे तैयार करके बाँध दिया है जब जिसका जी चाहेगा और जिसके पास जैसा समय होगा, तुम लोगों को चोद जाया करेगा"
जीजाजी मेरे शरीर को प्यार से सहलाते हुए बोले "तेरी दीदी को हमने ऐसे ही हफ्ते भर कमरे में बंद रखा था खाना पीना भी वहीं होता था
क्रमशः……………..
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