RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
अगले आधे घंटे हम दोनों बँधे भाई बहन के आगे उन तीनों ने माँ को पटक पटक कर तीनों तरफ से चोदा बीच में वे छेद बदल लेते माँ पर वे ऐसे चढे थे जैसे शैतान बच्चे गुडिया को तोड़ने मरोडने में लगे हों पीछे से माँ को चिपट कर गान्ड मारते हुए जेठजी माँ के स्तनों को कस के दबा और कुचल रहे थे जैसे भोम्पू हों शन्नो जी ने माँ का सिर इस तरह से जांघों में दबा लिया था जैसे दबा कर कुचल देना चाहती हों
मेरी लंड माँ की होती ठुकाई देखकर सनसना रहा था दीदी भी भयानक उत्तेजना में गालियाँ दे रही थी "अरे भोसडीवालो, माँ को छोडो, मेरी ओर ध्यान दो, साले जेठजी, आज तुझे अपनी बुर में ना घुसा लिया तो कहना और मेरी चुदैल सासूमा, आज तेरी बुर को चूस कर मैं आम जैसा पिलपिला कर दूँगी सब चुदाई भूल जाएगी"
उसकी बात अनसुनी करके तीनों माँ को चोदते रहे आख़िर जब वे झडे और अपने अपने लंड और चूत माँ के बदन से अलग करके उठे तो माँ थकी हुई पलंग पर पडी रही कुछ बोली नहीं पर जब उसने हमारी ओर देखा तो उसके चेहरे पर एक गहरी तृप्ति थी माँ के चेहरे पर मैंने बहुत दिनों में यह सुख देखा था मैंने दीदी को कहा "देख दीदी, माँ को क्या खलास किया है तेरे ससुराल वालों ने मिलकर"
शन्नो जी मेरे पास आईं और बोलीं "अब तुम दोनों माँ के पास जाओ, उसकी सेवा करो उसके छेद से जो रस बह रहा है वह पाओ तब तक हम आराम करते हैं"
जीजाजी उठकर मेरे पास आए और अपना झडा लंड मेरे मुँह में देते हुए बोले "पहले ये चख लो अमित, तेरे पसंद का है, तेरी दीदी को चोदने वाले उसके पति का और तेरी माँ का" मैंने मन लगाकर उनका झडा लंड चूसा उधर जेठजी दीदी को लंड चुसवा रहे थे
हमारे हाथ पैर खुलते ही हम भाग कर माँ के पास गये दीदी माँ की चूत में घुस गयी और मैंने उसे पलट कर माँ के चूतडो के बीच अपना मुँह डाल दिया दोनों छेदों से रस बह रहा था माँ सीत्कारी भरते हुए मुझे और दीदी को अपने बदन से चिपटाकर बोली "मेरे बच्चों, आज मैं निहाल हो गयी, बहुत प्यार से चोदा मुझे समधन और उनके दो बेटों ने तेरी ससुराल याने स्वर्ग है बेटी, तू बड़ी भाग्यवान है जो ऐसा घर तुझे मिला"
माँ की गान्ड खाली करके मैं माँ को पलटाकर चढ गया और उसकी गान्ड में लंड डाल दिया फिर उसपर लेट कर उसकी गान्ड मारने लगा मेरा कस के खड़ा था और मैं बहुत उत्तेजित था लगता था कि माँ की इतनी मारूं की फाड़ डालूं दीदी भी माँ से सिक्सटी नाइन करने में जुट गयी थी बेचारी बहुत देर से गरम थी, माँ की जीभ चूत में जाते ही झड गयी
कुछ देर बाद शन्नो जी, रजत और जीजाजी उठाकर पलंग पर आ गये शन्नो जी बोलीं "आज की रात बहू की माँ के लिए है बेटो इन्हें खूब चोदो, इनका कोई छेद, इनके शरीर का कोई भाग अनछुआ ना रहे एक मिनिट के लिए भी रजत चल तू आजा और चूत में लंड डाल, दीपक बेटे, अपनी सास को लंड चुसवाओ बहू, चल अपन दोनों मिलकर इनके जोबन को गूंधते हैं" उन्होंने और दीदी ने माँ की एक एक चुची मुँह में ली और उसे चूसते हुए मसलने लगीं
हम सब माँ के शरीर को घेरकर उसे भोगने लगे ऐसा लग रहा था जैसे कई शिकारी मिलकर एक शिकार पर झपट पड़े हों पर माँ के लिए यह बहुत मीठा शिकार था जिस तरह से वह तडप रही थी और हाथ पैर फेक रही थी, उससे जाहिर था कि उससे यह सुख गवारा नहीं हो रहा था हमारे धक्कों से माँ का शरीर इधर उधर हो रहा था पलंग हिल रहा था जैसे तूफान आ गया हो
माँ को हमने एक पल नहीं छोड़ा ना उसके मुँह को खुलने दिया कि वह कुछ कह सके लंड झडते ही शन्नो जी या दीदी माँ का मुँह चूसने लगतीं या उसमें चूत लगा देतीं फिर जब किसीका लंड खड़ा हो जाता तो वह माँ के मुँह में घुसेड देता वैसे ही जब माँ की गान्ड या चूत लम्ड निकलने से खाली होती तो सब उन छेदों पर टूट पड़ते, चूस कर सॉफ करते और फिर कोई अपना लंड खाली छेद में डाल देता
आख़िर हम सब जब पूरी तरह से निढाल हो गये तब हमने माँ को छोड़ा कोई कहीं लुढक गया कोई कहीं माँ अब चुद चुद कर बेहोश हो गयी थी उसके मम्मे मसले कुचले जाने से लाल हो गये थे, पूरे गोरे बदन पर चुदाई और मसलने के निशान पड गये थे
क्रमशः……………..
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