RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—11
गतान्क से आगे……………
जीजाजी अब माँ के चुंबन ले रहे थे, उसके रसीले मुँह को चूसते हुए माँ के मम्मे मसल रहे थे "मांजी, लौडा कहाँ लेंगी मेरा? मुँह में या चूत में? आपका यहा दामाद आज आपको खुश कर देगा"
"मुझे चोद डालो बेटे, अब ना तडपाओ तुम्हारी माँ जो जुलम कर रही है वो मैं सह ना पाऊन्गि" माँ हाथ में जीजाजी का लंड पकडकर बोली अब उसकी पूरी शरम खतम हो गयी थी
रजत माँ के पेट पर हाथ फेरते हुए दूसरे हाथ से उसके चूतड सहला रहे थे "मैंने तो अपनी जगह बुक कर ली मांजी आपके इन मतवाले गद्दों के बीच"
माँ थोड़ी घबराई रजत के लंड को टटोल कर बोली "बेटा, ऐसा मत करना, मैं सह नहीं पाऊन्गि, तेरा तो मेरे बेटे से भी बड़ा है लगता है"
रजत माँ के चूतडो को मसलते हुए बोले "अरे नहीं मांजी, आपके बेटे का लंड बहुत मस्त है, पर मैंने सुना है कि ये आप की बहुत मारता है, तो मेरे लंड से आप को कोई तकलीफ़ नहीं होगी"
माँ फिर बोली "मुझे दुखेगा मेरे बेटे, आओ मैं चूस देती हू"
मैंने रजत को आँख मारी कि परवाह मत करो दीदी अब गरम होकर अपने चूतड कुर्सी पर रगड रही थी
उधर जीजाजी ने माँ का सिर अपनी गोद में लिया और उसके मुँह में लंड डाल दिया माँ आँखें बंद करके चूसने लगी शन्नो जी अब माँ की जांघें पकडकर उसकी बुर चूस रही थी माँ को झडाकर उन्होंने उसके रस को चाटा और फिर उठ कर रजत को कहा कि अब वह चख ले तीनों ने मिलकर बारी बारी से माँ की चूत चुसी इस बीच लगातार माँ की चुचियाँ वे दबा रहे थे बीच बीच में कोई उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगता
फिर दोनों भाई माँ को उठाकर हमारे पास लाए माँ अब तक दो तीन बार झडकर मस्त हो गयी थी उसकी बहती बुर से पता चल रहा था माँ को वैसे ही उठाए हुए पहले वी दीदी के पास गये और दीदी का मुँह माँ की चूत पर लगा दिया "ले सिमर, देवी माँ का प्रसाद ले ले, जल्दी चख, फिर तेरे भाई को चखाना है"
दीदी और मुझे माँ की बुर का स्वाद देकर वे माँ को फिर पलंग पर ले गये "चलो अब चोदो साली को" शन्नो जी ने कहा माँ उनकी ओर देखने लगी फिर उसे याद आया कि मैंने बताया था कैसे ये लोग गाली गलौज करते हैं
जीजाजी माँ पर चढ गये और उसकी बुर में लंड डाल दिया फिर वे नीचे हुए और रजत ने चढ कर माँ की गान्ड में लंड पेलना शुरू किया माँ कराह उठी "नहीं बेटे, दुखता है, सच में दुखता है, अमित को मैं हमेशा कहती हू पर ये नहीं मानता, तू रुक ना, दामाद जी के बाद मुझे चोद लेना, मेरी गान्ड मत मारो"
शन्नो जी ने अपनी टाँगें फैलाकर माँ के मुँह को बुर से लगा लिया और कस कर टाँगों में उसका सिर दबा लिया फिर माँ के मुँहे पर धक्के मारते हुए बोलीं "तू पेल रजत इसकी बात मत सुन आख़िर ससुराल में पूरी आवभगत करनी है, ऐसे थोड़े एक छेद छोड़ देंगे"
रजत ने माँ के चूतड पकडकर अपना लंड उसके गुदा के अंदर उतार दिया माँ छटपटाई पर उसका मुँह शन्नो जी की बुर में दबा होने से बस गों गों करके रह गयी लंड अंदर उतार कर रजत ने उसकी गान्ड मारना शुरू कर दी
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