RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—10
गतान्क से आगे……………
हम लोग सिमर के कमरे में गये वहाँ का बड़ा पलंग देख कर माँ भोंचक्की हो गयी "इतना बड़ा पलंग बेटी?"
"माँ, सब साथ सोते हैं इसपर, अब तो तुम दोनों भी आ गये हो" सिमर ने माँ की चुची दबाते हुए कहा फिर कस कर माँ को चूम लिया माँ भी उस से लिपट गयी और दोनों आपस में बुरी तरह चुम्मा चाटी करने लगीं माँ बार बार कह रही थी "मेरी बच्ची, मेरी बेटी, मैं तो तरस गयी तेरे साथ को" मैंने मज़ाक किया "उसके साथ को या उसकी बुर को?"
सिमर दीदी ने किसी तरह उसे अलग किया "रुक जा माँ, मन तो होता है कि अभी तेरी बुर में घुस जाऊ पर ये लोग मुझे मार ही डालेंगे दो दिन से सब तेरा इंतजार कर रहे हैं सबकी चूते गरम हैं और लंड फनफना रहे हैं आज रात तक रुक जाओ " कहकर सिमर चली गयी अपनी माँ बहन की चुम्मा चाटी देख कर मेरा भी खड़ा हो गया था पर मैंने किसी तरह सब्र किया
हम नहाए और सो गये देर शाम को उठे सिमर चाय ले आई उसने खूब सिंगार किया था और बड़ी मस्त साड़ी और चोली पहने थी उसने माँ को भी कहा कि ठीक से तैयार हो "अम्मा, मैं ये शिफान की साड़ी लाई हू, पहन लेना और तेरी नाप की ये काली ब्रा और पैंटी है, वो भी पहन ले तू तो अपने पुराने कपड़े साथ लाई होगी"
माँ ने मेरी ओर देखा "इसी ने कहा था कि कपड़े मत ले चल" मैंने दीदी को कारण बताया तो दीदी मुस्काराकर बोली "बात ठीक है, आज के बाद अम्मा इस कमरे के बाहर कम ही निकलेगी और यहाँ पूरी नंगी रहेगी इनके कमरे के बाहर कतार होगी इनका प्रसाद पाने वाले लोगों की पर आज सब के सामने मैं अपनी ससुराल में दिखाना चाहती हू कि अम्मा कितनी सुंदर है"
तैयार होकर हम नीचे खाने आए सभी सज धज कर बैठे थे मैंने रजत ने और जीजाजी ने तो बस सिल्क के कुर्ते पाजामे पहने थे शन्नो ज़ीने सलवार कमीज़ पहनी थी उनके मोटे बदन पर भी वह फॅब रही थी क्योंकि शायद कस के ब्रा बाँधी थी इसलिए उनकी उस तंग कमीज़ में से उनके विशाल चुचियाँ तो पहाड़ों जैसी तन कर खडी थीं तंग सलवार में से उनके मोटे चूतड उभर कर दिख रहे थे
दीदी साड़ी ब्लओज़ में बहुत खूबसूरत लग रही थी स्लीवलेस ब्लओज़ के कारण उसकी गोरी चिकनी बाहें निखर आई थीं माँ तो आज ऐसी लग रही थी कि मेरी भी नज़र नहीं हटती थी, लगता था कि क्या यही मेरी माँ है? बात यह थी कि अब माँ को कपड़ों में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी उसे तो एक बात अच्छी लगती थी कि अपने बेटे और बेटी से चिपट कर कैसे बेडरूम में टाइम बिताया जाए इसलिए वह कपड़ों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देती थी आज बहुत दिन बाद वह ठीक से सजी थी
माँ ने जूडा बाँध लिया था और उसमें वेणी गूँध ली थी दीदी के ज़िद करने पर हल्का लिपस्टिक लगा लिया था जिससे उसके होंठ गुलाब की कली जैसे मोहक लग रहे थे लो कट ब्लओज़ में से उसकी काली ब्रा उसके गोरे रंग पर मस्त जच रही थी माँ का बदन अब भी काफ़ी छरहरा था, उसकी चुचियाँ छरहरे बदन के कारण और उठ कर दिखती थीं
"आहा, हमारी समधनजी तो परी हैं एकदम सिमर, ये तेरी माँ नहीं बड़ी बहन लगती हैं अरे इनकी तो भी शादी करा दो ऐसा रूप है इनका" शन्नो जी ने चुटकी ली वे भूखी मदभरी आँखों से माँ के रूप को घूर रही थीं
"आज रात शादी भी हो जाएगी माँ, सब के साथ, और फिर सुहाग रात भी मना लेंगे"रजत ने कहा
माँ शरमाती रही पर मन में बहुत खुश थी उसका हाथ बार बार अपनी कमर के नीचे साड़ी ठीक करने पहूच जाता मैं समझ गया, चूत कुलबुला रही थी और ना रह कर माँ उसे बार बार हाथ लगा रही थी खाना खाने तक ऐसा ही हँसी मज़ाक चलता रहा खाने के बाद सब दीदी के कमरे में इकठ्ठ हुए
शन्नो जी ने अपने बेटों को कुछ इशारा किया वे दोनों जाकर दीदी के कपड़े उतारने लगे खुद शन्नो जी मेरे पास आईं और मेरे कपड़े उतार दिए फिर हम दोनों को कुर्सी में नंगा बिठा कर शन्नो जी की चार पाँच बड़ी साइज़ की ब्रेसियरों से बाँध दिया गया
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