RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
मैंने एक हाथ में जीजाजी का लंड लिया और एक में जेठजी का, और खेलने लगा जेठजी का अब मस्त खड़ा हो गया था वे मेरे पीछे लेट गये और उसे मेरे नितंबों पर रगडने लगे मैं दुविधा में था कि ये ना जाने क्या करें पर वे बस उसे मेरी जांघों और चूतड पर रगडते रहे और पीछे से मेरी पीठ चूमने लगे
काफ़ी मज़ा आ रहा था मैंने जीजाजी का लंड अपने गालों और होंठों पर रगडा और और सुपाडा मुँह में लेकर चूसने लगा मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी ऐसा करूँगा पर दो दिन की इस कामुक चुदाई के बाद समाँ ही कुछ ऐसा बन गया था की हर काम में मज़ा आ रहा था
जीजाजी अब मेरे लंड को चूस रहे थे और एक उंगली से मेरी गुदा को टटोल रहे थे उनकी उंगली धीरे धीरे अंदर हो गयी मैंने भी उनके लंड को मुँह में लिया आराम से पूरा मेरे मुँह में समा गया उसे चूसते हुए मैंने भी उनके चिकने चूतड रगडे और एक उंगली उनकी गान्ड में डाल दी
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होंने मेरा लंड मुँहसे निकाला और रजत को बोले "भैया, अब तुम चख लो, अमित का बड़ा जानदार लंड है, मुझे अपना लंड दे दो, हफ़्ता हो गया उसे मुँह में लिए"
"हफ़्ता तो बहुत चीज़ों को हो गया छोटे, तूने उसे अपनी गान्ड में भी नहीं लिया है बहुत दिन से, चल चूस ले" कहकर वे हमारे पास लेट गये "अमित, ज़रा खिसक यार, अब ज़रा एक बड़ा त्रिकोण बनाना पड़ेगा"
मैं खिसका रजत ने मेरा लंड मुँह में लिया और खुद अपना लंड अपने छोटे भाई के मुँह में दे दिया हम एक दूसरे के लंड चूसने लगे रजत तो लगता है मेरे चूतडो पर फिदा हो गये थे उन्हें दबा और मसल रहे थे और मेरे लंड को गले तक निगलाकर जीभ से रगड रगडकर चूस रहे थे मेरे मुँह में घुसा जीजाजी का लंड अब तक पूरा तन गया था और मेरे हलक तक उतर गया था, मुँह पूरा भर गया था लंड अब मुँह में ज़िंदा जानवर जैसा थिरक रहा था अब मुझे समझ में आया कि क्यों औरतें लंड चूसने के लिए तैयार रहती हैं
जेठजी मेरी गान्ड में अब ज़ोर से उंगली कर रहे थे, अंदर बाहर करके घूमा भी रहे थे मेरी वासना ऐसे भडकी कि मैंने जीजाजी का लंड ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया उन्होंने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया और धक्के मारने लगे मुँह चुदवाने में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने ऐसा चूसा कि दो मिनिट में वे झड गये उनका वीर्य मेरे मुँह में भर गया पहले भी मैंने उसे चखा था पर अब सीधा मुँह में लेकर मुझे वह और स्वादिष्ट लगा मेरा लंड भी अब कस के तनतना रहा था इसलिए जीजाजी की मलाई पीने में और मज़ा आ रहा था
मैंने रजत का सिर पकडकर उनके मुँह में लंड पेलना शुरू कर दिया एक बार लगा कि पता नहीं वे नाराज़ ना हो जाएँ, पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने उस बात पर ख़याल नहीं किया रजत भी मज़े से मेरे लंड को मुँह में पिलावाते रहे मेरे झडने पर लंड को और कस के मुँह में दबा कर उन्होंने पूरा वीर्य चूस डाला अब तक वे भी शायद अपने भाई के मुँह में झड गये थे
पड़े पड़े हम हाँफटे हुए आराम करने लगे अब झडने के बाद मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था अभी अभी मैंने दो जवान मर्दों के साथ समलिंगी संभोग किया था पर आनंद बहुत आया था जीजाजी बोले "क्यों साले, मज़ा आया?"
मैंने बस मूंडी हिलाई फिर जेठजी से माफी माँगी "रजत, सॉरी, मैं ज़रा बहक गया था इसलिए आपके मुँह में लंड पेलने लगा"
वे मेरे पास आए और मुझे बाँहों में भरके सीधे चूम लिया अच्छा गहरा लंबा चूम्मा लिया, मेरी आँखों में देखते हुए उनके मुँह में अब भी मेरे वीर्य की खुशबू थी "तू मेरे साथ कुछ भी करा सकता है अमित, तेरे साथ हर चीज़ करने में मुझे मज़ा आएगा वैसे आज हमने किया ही क्या है? अगली बार आना, माँ के साथ तब दिखाएँगे की लंडों के साथ कैसे मज़ा करते हैं" उनकी उंगली फॉरन मेरी गुदा में घुस गयी थी मैं उनका मतलब समझ गया, अजीब सी गुदगुदी दिल में होने लगी
क्रमशः………………
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