RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—8
गतान्क से आगे……………
जब चुदाई खतम हुई तो शन्नो जी बोलीं "बहुत दिन के बाद ऐसे चुदाया है मैंने पहले जवान थी तो रोज बेटों से आगे पीछे से एक साथ चुदाती थी अब सहन नहीं होता, ख़ास कर गान्ड दुखती है तुम तीनों मिलकर अब मेरी बहू को हफ्ते में एक दो बार ऐसे ही चाँप दिया करो रोज मत करना नहीं तो टें बोल जाएगी"
कुछ आराम करने के बाद सब सोचने लगे कि अब क्या किया जाए कोई बोला जोड़ियाँ बना लेते हैं, बचा हुआ मेंबर बारी बारी से हर जोड़ी में शामिल हो जाएगा कोई बोला सब मिलकर करते हैं
मांजी मुझे प्यार से चूम रही थीं मेरे लंड को वे दोनों हथेलियों में लेकर बेलन सा घूमा रही थीं बोलीं "झगड़ा मत करो, अब मैं बताती हू क्या करना है अमित को कल जाना है, अब सोना चाहिए उससे पहले आमित के साथ और मस्ती कर लो मैं और बहू बहुत चुदवा चुके, कोई छेद नहीं बचा, लंडों ने घिस घिस के हमारे छेद छिल दिए हैं, अब ऐसा करते हैं कि मैं और बहू ज़रा आपस में इश्क कर लड़ाते हैं, दो औरतें ही जानती हैं कि एक दूसरे को कैसे मज़ा दिया जाता है और तुम तीनों बच्चे आपस में खेल लो, जान पहचान बढ़ा लो"
मेरा दिल धडकने लगा दीदी वहाँ एक हाथ में जीजाजी का और एक हाथ में रजत का लंड लेकर उपर नीचे कर रही थी बोली "हाँ भैया, यही अच्छा रहेगा आज जान पहचान हो जाएगी तो आगे आसानी रहेगी" जीजाजी और रजत भी मेरी ओर देख रहे थे, और मंद मंद मुस्करा रहे थे
मेरा लंड खड़ा होने लगा था "अम्मा, तू जा और सिमर का मन बहला, मैं देखता हू अमित को" कहकर जीजाजी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया रजत भी खिसककर मेरे पास आ गये और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया "देख ले अमित, तेरे जितना बड़ा तो नहीं है पर तेरी दीदी को बहुत पसंद है" उनका लंड भी आधा खड़ा था एकदमा गोरा और सटीक
जीजाजी मेरे पीछे बैठ गये और मेरे लंड को सहलाते हुए पीछे से मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे रजत मेरे सामने बैठे थे उन्होंने मेरे शरीर को सामने से सहलाना शुरू कर दिया "अमित, तेरी जवानी जोरदार है, बदन भी अच्छा चिकना है, कोई ताज्जुब नहीं कि तेरी माँ और दीदी तुझपर मरती हैं"
मैं पहले झिझक रहा था थोड़ा अजीब सा लग रहा था पर जीजाजी मेरे लंड को बहुत प्यार से सहला रहे थे उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के आसपास लिपटी थीं और अंगूठे से वे सुपाडे के नीचे के हिस्से को घिस रहे थे इस कला में वे माहिर लगते थे जल्द ही मेरा तन्नाने लगा
झेंप मिटाने को मैंने दीदी की ओर देखा दीदी को शन्नो जी ने अपनी गोद में बिठा लिया था और उसके मुँह को खोल कर उसे मिठाई जैसे चूस रही थीं हमारी ओर उनका ध्यान नहीं था दोनों एक दूसरे की बुर अपनी उंगलियों से खोद रही थीं कई बार माँ भी दीदी को ऐसे ही गोद में लेकर प्यार किया करती थी मेरा और जम कर खड़ा हो गया
अब जीजाजी और जेठजी की हरकतों में मुझे मज़ा आने लगा मैंने पीछे घूम कर जीजाजी को कहा "आप मस्त मुठियाते हो लंड को जीजाजी, कला है आपके हाथ में" वे मेरे पीछे से उठकर मेरे बाजू में बैठ गये "और कला देखनी है मेरी साले राजा?" और झुक कर मेरे लंड को चूसने लगे एक ही बार में उन्होंने पूरा लंड गले में उतार लिया
मैं अचंभे में था रजत मुस्करा कर बोले "अरे ये माहिर है इसमें, हम दोनों को ही ये अच्छे से आता है, आख़िर माँ के साथ बचपन से प्यार करते हुए आपस में भी मज़ा करना हमने बहुत पहले सीख लिया है, कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो हमने ना आज़माई हो"
जीजाजी पलंग पर लेट गये और मुझे भी नीचे खींच लिया "आरामा से लेट जा अमित, ज़रा मज़ा करेंगे" और फिर मेरा लौडा चूसने लगे उनका आधा खड़ा आधा नरम लंड मेरे ठीक सामने था अच्छा ख़ासा गोरा चिकना लंड था, भले ही बहुत बड़ा ना हो उनके चिकने पेट पर वह ऐसा फॅब रहा था जैसे किसी किशोर का लंड हो जिसकी झांतें भी ना उगी हों
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