RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—6
गतान्क से आगे……………
दीदी ने झडकर अपना पानी मेरे मुँह में फेका और उसे फटाफट पी के मैं उठ कर खड़ा हो गया "चल दीदी, अब गान्ड मरा ले आज मैं तुझे चोदून्गा नहीं, गान्ड मारूँगा कल मांजी को बहुत चोदा है, अब गान्ड की भूख है मुझे"
"गांडे तुझे बहुत मिलेंगी साले, हाँ चूते दो ही हैं आज अपनी बहन को चोद ले, तू इधर आ रंडी" कहकर जीजाजी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गये सिमर के बाल पकडकर उसका सिर अपनी गोद में खींचा और लंड उसके मुँह मे ठूस दिया "अमित, पीछे से चढ जा साली पर"
मैंने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उठाया और उसे घुटनों और हाथों पर कर दिया उसके पीछे घुटने टेक कर एक बार प्यार से उसकी चूत को चूमा, बहुत दिन बाद मेरी प्यारी को पास से देखा था फिर लंड अंदर उतार दिया दीदी की मखमली म्यान ने मेरे लंड को दबोच लिया, जैसे कह रही हो, आजा प्यारे, बहुत दिन में मिले हैं दीदी के कूल्हे पकडकर मैं चोदने लगा
जीजाजी बोले "अरे चढ जा यार उसपर, जवान है, तेरा वजन सह लेगी मैं और रजत अक्सर चढते हैं, बड़ी मस्त घोडी है माँ की बात अलग है, उसकी उमर अब हो गयी है इसलिए वजन नहीं झेल पाती, नहीं तो जवानी में तो मुझे और रजत को खूब सवारी कराती थी
मैंने झुक कर अपना वजन दीदी पर डाल दिया और पैर उठाकर उसकी कमर के इर्द गिर्द जकड लिए दीदी आराम से मेरे वजन को संभालती हुए चुदवाती रही, चू तक नहीं की, वैसे उसका मुँह जीजाजी के लंड से भरा था मैं उसके मम्मे पकडकर दबाते हुए कस के चोदने लगा क्या आनंद आ रहा था जीजाजी की मन ही मन दाद दी क्या आसन सिखाया था मेरी बहन को
अब जीजाजी का सिर मेरे सामने था, एक फुट दूर उनकी आँखों में अजब खूआरी थी बोले "उधर देख, माँ बेटे की क्या जोरदार चल रही है" देखा तो पलंग के दूसरे छोर पर रजत अपनी माँ को कस कर चोद रहे थे शन्नो जी ने अपनी मोटी टाँगें उनके चूतडो के इर्द गिर्द समेट ली थीं और चूतड उछाल उछाल कर चुदवा रही थीं
तभी जीजाजी ने मेरा गाल चूम लिया फिर मेरे सिर को हथेलियों में ले कर मेरे होंठ चूमने लगे मैं सिहर उठा पहला मौका था कि किसी मर्द ने चूमा था पर अब मैं इतना मस्ती में था कि मुझे ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई आँख बंद करके मैं उनके चूमने का जवाब देने लगा जीजाजी के मुँह और गालों से बड़ी प्यारी खुशबू आ रही थी, लगता है इत्र या आफ्टर शेव की थी अब मैं झडने को था इतना मज़ा आया कि मैंने जीजाजी के होंठ दाँतों में पकड़ लिए फिर कसमसा कर झड गया
मेरे लस्त हुए बदन को सहारा देते हुए जीजाजी ने अपनी जीभ से मेरा मुँह खोला और मेरी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगे साथ ही अपने चूतड उछालने लगे वे भी झडने को आ गये थे एक आख़िरी धक्के के साथ वे सिमर दीदी के मुँह में झड गये
कुछ देर बाद मैंने जीजाजी के मुँहसे अपना मुँह हटाया और उठ कर बाजू में बैठ गया दीदी को नीचे लिटा कर जीजाजी ने उसकी बुर में मुँह डाल दिया जीभ निकाल कर उसे चाटने लगे मैं देखने लगा मेरा सफेद वीर्य दीदी की चूत में से बह रहा था जीजाजी ने उसे पहले चाटा और फिर बुर चूसने लगे
उधर दीदी ने मुझे इशारा किया कि पास आऊ और उसे चूम्मा दू उसका मुँह बंद था मैंने जैसे ही उसके मुँह पर अपने होंठ रखे, उसने मुँह खोल कर जीजाजी का थोड़ा वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया मैं थूक ना दूं इसलिए मेरे मुँह को वो अपने मुँह से जकडे रही आँखों से मुझे इशारा किया कि निगल जाऊ बहुत बदमाश थी, हँस रही थी कि कैसा उल्लू बनाया मैंने मन कड़ा किया और निगल गया चिपचिपा खारा स्वाद था मुझे बुरा नहीं लगा आख़िर ऐसी धुआँधार चुदाई में कुछ भी जायज़ है ऐसा मैंने सोचा
उधर रजत भी अब झड गये थे मांजी टाँगें पसार कर पडी थीं बोलीं "इधर आओ अमित बेटे" मैं उठ कर पास गया रजत ने अचानक झुक कर मेरा झडा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगे सॉफ करने के बाद बोले "अमित, तेरी दीदी का माल लगा था इसपर, कौन छोडेगा इस खजाने को? वैसे थोड़ी मलाई तेरी भी थी, बहू की बुर के शहद में मिलकर बहुत मस्त लग रही थी" फिर उठकर सरककर दीदी के पास पहूच गये "लो रानी, मलाई तो गयी माँ की बुर में, तू लंड चूस कर संतोष कर ले"
उनका झडा लंड मुँह में लेकर दीदी चूसने लगी जीजाजी अब भी उसकी बुर जीभ से टटोल रहे थे रजत बोले "अरे छोटे, अपने साले की मलाई इतनी अच्छा लगी कि अब चूत में गहराई से घुस कर कतरे ढूढ रहा है"
मैं मांजी के पास पहूचा तो उन्होंने मेरी गर्दन पकडकर अपनी टाँगों के बीच मेरा सिर दबा दिया "चल, चाट ले, बहुत पानी बहाया है आज मैंने" उनकी बुर से गाढी सफेद मलाई टपक रही थी रजत का वीर्य था! मैं हिचकिचाया तो मेरा कान पकडकर बोलीं "अरे मेरा गुलाम बनकर रहने वाला था ना तू भोसडीवाले, चल, अपनी मालकिन का हुकुम मान सॉफ कर चुपचाप, और कोई बेकार चीज़ नहीं चखा रही हू, मस्त मर्दाना मलाई चखा रही हू तुझे"
मैंने जीभ निकाली और चाटने लगा बुर का और वीर्य का मिला जुला स्वाद था खराब नहीं था पास से उस बुरी तरह चुदी हुई लाल लाल बुर का नज़ारा भी ऐसा था कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और चाटने लगा
पूरी बुर चटवाने पर शन्नो जी ने उंगलियों से चूत चौडी की और बोली "अभी और है, जीभ डाल" लाल लाल भोसडे के अंदर सफेद सफेद कतरे फँसे थे मैं जीभ डाल डाल कर चूसने लगा मांजी अब भी गरम थीं मेरा सिर पकडकर मेरे मुँह को अपनी चूत पर घिसने लगीं एक बार फिर झड कर ही मुझे छोड़ा मुझे अपनी गोद में खींच लिया और चूमते हुए पूछा "मज़ा आया?"
मैंने हामी भरी फिर मन ना माना तो धीमे स्वर में पूछा "अम्माजी, ये जीजाजी ने मेरा चूम्मा लिया फिर दीदी ने उनका वीर्य पूर निगले बिना ही मुझे चूम लिया रजत ने मेरा लंड चूस लिया, दीदी के बुर के पानी के लिए आप ने भी अपनी बुर चुसवाई जब की उसमें रजत का वीर्य था मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ भी होता है"
मांजी हँसने लगीं "अरे तू भोला है रजत असल में तेरे लंड का स्वाद लेना चाहता था, बहू की चूत के पानी का तो बहाना था तेरी बहन ने भी जान बुझ कर तुझे अपने पति की मलाई चखाई, तुझे बता रही थी कि कितनी जायकेदार है इसीलिए तो रोज पीती है मैं भी तुझे अपने बड़े बेटे की मलाई चखाना चाहती थी, बुर चुसवाने का तो बहाना था और दीपक ने तुझे चूमा, उसमें क्या बात है, तू अच्छा खूबसूरत लौंडा है, उसका मन नहीं माना"
मैं चुप रहा शन्नो जी आगे बोलीं "तुझे भी अच्छा लगा ना? झूट मत बोल, देख तेरा लंड कैसे सिर उठाने लगा है अरे बेटे, जब पाँच पाँच नंगे बदन मिलेंगे तो किसे फरक पड़ता है कि कौन मर्द है कौन औरत और बुर की चासनी और लंड की मलाई का चस्का एक बार लग गया तो और कुछ अच्छा नहीं लगता"
क्रमशः………………
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