RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—5
गतान्क से आगे……………
दीदी की यहाँ मीठी हालत देखकर मैं पागल सा हो गया था लंड लोहे जैसा हो गया था उधर वे चारों भी अब फनफना रहे थे अम्माजी ने जेठजी का लंड मुँह में ले लिया और दीदी की बुर में अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगीं जीजाजी अब दीदी को लंड चुसाते हुए अपनी माँ की बुर चूस रहे थे चारों शरीर ऐसे आपस में उलझे थे कि पता ही नहीं चल रहा था कि कौन क्या कर रहा है
शन्नो जी बोलीं "अब नहीं रहा जाता चलो शुरू करो ठीक से तुम दोनों नालायको, चलो आओ और ठीक से हम दोनों औरतों की सेवा शुरू करो" जीजाजी ने लंड दीदी के मुँह से निकाला और अपनी माँ से चिपट कर उनकी चुचियाँ चूसने लगे और रजत दीदी पर चढ कर उसके मम्मे दबाते हुए उसे चूमने लगे
जल्द ही फिर लंड और बुर चूसाई शुरू हो गयी रजत अपनी माँ की बुर चूस रहे थे दीदी उनका लंड चूस रही थी और जीजाजी दीदी की बुर में मुँह डाले पड़े थे बार बार वे जगह बदल लेते, बस चुदाई नहीं कर रहे थे
शन्नो जी ने दीदी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी ओर खींचा "बहू, अब अपनी बुर का पानी पिला दे तरीके से, परसों चुसी थी, तरस गयी तेरे जवान रस को, और रजत, तू आजा, मेरी चूत चूस ले, आज बहुत पानी पिलाऊन्गि तुझे और दीपक बेटे, आ अपना लंड दे दे मेरे मुँह में"
आधे घंटे यही कार्यक्रमा चलता रहा मांजी ने मन भर कर दीदी की बुर चुसी दीदी उनके सिर को जांघों में जकड कर धक्के मार रही थी "चूसो सासूमा, अरे तेरी यह बहू तेरे को इतना अमृत पिलाएगी कि तीरथ जाने की ज़रूरत नहीं पडेगी चल छिनाल, जीभ डाल अंदर, जीभ से चोद मुझे रांड़"
रजत जीजाजी अपनी माँ के सिर को अपने पेट से चिपटाकर चोद रहे थे "तेरा मुँह चोदू मेरी छिनाल माँ, क्या साली का गला है नरम नरम, अभी तेरे को मलाई खिलाता हू अपने लौडे की"
रजत जीजाजी जल्द ही झड गये उनका लंड खाली करके शन्नो जी बोलीं "इतने से क्या होगा बेटे, दीपक तू उपर आ जा, काफ़ी बुर का शरबत पी लिया मेरा, अब मुझे मलाई खिला बहू तू अब अपनी सासूमा का और प्रसाद ले ले, जल्द कर छिनाल, मेरे सिर को कैसे अपनी टाँगों में दबा रही थी, अब तेरा मैं क्या हाल करती हू देख रंडी की औलाद रजत, तूने मज़ा ले लिया ना, अब अपनी बीबी की चूत चूसकर ज़रा विटामिन पा ले"
रजत का लंड उन्होंने मुँह में लिया और अपनी टाँगें फैलाकर दीदी का मुँह अपनी बुर से सटा दिया फिर कस के उसे अपनी मोटी मोटी जांघों में भींचकर पैर चलाने लगीं दीदी के मुँह से गों गों की आवाज़ निकलने लगी वह अम्माजी के पैरों को अलग करके अपना सिर छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर शन्नो जी की मोटी मोटी जांघों की ताक़त का उसे अंदाज़ा नहीं था आख़िर उसने हार मान ली और चुपचाप शन्नो जी की बुर में मुँह दिए पडी रही रजत को अपनी बुर चुसवाते हुए उसने अम्माजी के चूतडो को बाँहों में भर लिया
आख़िर शन्नो जी ने सब को रुकने को कहा जब वे चारों अलग हुए तो मैं पागल होने को था शन्नो जी को पुकार कर मैंने मिन्नत की "अम्माजी, मैं मर जाऊन्गा, मुझे छोडो, अब चोदने दो, किसी को भी चोदने दो"
सब उठकर मेरे पास आए वे सब भी बुरी तरह मस्त थे रजत जेठजी और दीपक जीजाजी अपने अपने लौडे हाथ में लेकर मुठिया रहे थे दीदी की साँस तेज चल रही थी, वह अपने ही मम्मे दबा रही थी मांजी अपनी बुर में उंगली कर रही थीं मेरे पास आईं और बोलीं "चलो सब तैयार हैं मैच खेलने को, अब इस लौम्डे का क्या करें? ये भी पूरा तैयार है, लंड देख, घोड़े जैसा हो गया है"
सब बारी बारी से मेरे लंड को हाथ में लेकर देखने लगे ख़ास कर रजत और दीपक ने तो बड़ी देर तक उसे हाथ में लेकर मुठियाया "क्या जानदार जानवर है सिमर! अम्मा, इसे किसके किस छेद में डालें, जहाँ भी जाएगा, तकलीफ़ भी देगा और मज़ा भी देगा" रजत बोले
शन्नो जी बोलीं "इसी से पूछते हैं, अमित, पहले एक वायदा कर तब छोड़ूँगी तुझे"
मैंने मचल कर कहा "कुछ भी करा लो मुझसे अम्माजी, आपकी गुलामी करूँगा जनम भर, बस रहम करो, ये लंड मार डालेगा अब"
शन्नो जी बोलीं "अपनी माँ को यहाँ ले आना अगले हफ्ते, बेचारी मेरी समधन ही अकेली है उधर फिर जुडेगा पूरा कुनबा, तीन मर्द, तीन औरतें मुझे भी समधन से ठीक से गले मिलना है, शादी में तो कुछ भी बातें नहीं कर पाई"
सिमर दीदी अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली "हाँ भैया, ले आओ अम्मा को, तीन महने हो गये उसका प्रसाद पाए इन लोगों को भी माँ का प्रसाद मिल जाए तो मुझे अच्छा लगेगा" फिर आँख मार कर हँसने लगी
दीपक जीजाजी बोले "अरे हाँ भाई, हमें भी तो अपनी सास की सेवा करने दो, दोनों भाई मिलकर उनकी खूब सेवा करेंगे, है ना भैया?"
रजत बोले "बिलकुल, शादी में देखा था, बड़ी सुंदर हैं बहू की माताजी, मैं तो अपनी अम्मा मान लूँगा उनको"
मेरा हाल और बुरा हो गया कल्पना की कि ये सब मिलके माँ के साथ क्या करेंगे, तो ऐसा लगा कि लंड सूज कर फट जाएगा
"तो बोल माँ को ले आएगा?" अंमाजी ने पूछा मैंने मूंडी हिलाकर हाँ कहा दीदी ने सब ब्रा खोल दीं मैं उठा और लंड हाथ में लेकर खड़ा हो गया शन्नो जी की ओर देखने लगा कि कौन मुझे गले लगाएगा?
वे दीदी को बोलीं "इतने दिनों से भाई मिला है, तू भाई के साथ मज़ा कर बहू दीपक को भी साथ ले ले, जीजा साले को भी आपस में मिलने दे मैं रजत बेटे को कहती हू कि ज़रा माँ की सेवा करे आ रजत"
रजत ने शन्नो जी की कमर में हाथ डाल कर उठा लिया और चूमते हुए पलंग पर ले गये मैं देखता ही रह गया, इतनी आसानी से उनका अस्सी किलो का बदन रजत ने उठाया था कि जैसे नई नवेली दुल्हन हो शन्नो जी मेरे इस अचरज पर हँस कर बोलीं "अरे बचपन से ये दोनों उठाते हैं मुझे ऐसे ही पहले मैं दुबली थी अब मोटी हो गयी हू पर रजत अब भी अपनी अम्मा को उठा लेता है हाँ बेचारा दीपक ज़रा नाज़ुक है, अब उठाने में थक जाता है"
रजत ने अपनी माँ को पलंग पर पटका और चढ बैठा सीधे लंड चूत में डाला और शुरू हो गया "अरे मादरचोद, सीधे चोदने लग गया, माँ की बुर नहीं चूसेगा आज?" अम्माजी ने उलाहना दिया
"अम्मा, बाद में दीपक या आमित से चुसवा लेना या फिर तेरी बहू से, वो तो हमेशा तैयार रहती है, आज तो मैं तुझे घंटे भर बस चोदून्गा कल रात अमित तुझे चोद रहा था, वो देखकर मुझे ख़याल आया की मैंने तुझे तीन चार दिन से नहीं चोदा" कहकर रजत ने मुँह में माँ के होंठ लिए और हचक हचक कर चुदाई शुरू कर दी
दीदी मेरा हाथ पकडकर पलंग पर ले गयी "तू चूत चूस ले रे मेरे राजा पहले, बहुत दिन से बुर का पानी नहीं पिलाया तुझे पहले चूस ले, अभी सॉफ माल है मेरी चूत में, बाद में चुद कर स्वाद बदल जागेगा" वो पलंग के छोर पर पैर फैला कर बैठ गयी और मैंने सामने नीचे बैठ कर उसकी बुर में मुँह डाल दिया इतने दिनों बाद दीदी की बुर का रस मिला, मैं निहाल हो गया
जीजाजी मेरे साथ नीचे बैठ गये और एक हाथ मेरी पीठ पर फिराने लगे "आराम से चाट साले, मज़ा ले अपनी बहन की चूत के पानी का लंड तेरा बहुत मस्त है, इतना मस्त लंड नहीं देखा" उनका दूसरा हाथ मेरे लंड को पकडकर मुठिया रहा था इतने प्यार से वे कर रहे थे कि मैं झडने को आ गया "अरे हरामी, साले को झडा मत अभी, मुझे चुदवाना है" दीदी ने उन्हें मीठी गाली दी
क्रमशः………………
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