RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
ससुराल सिमर का—4
गतान्क से आगे……………
मैंने उन्हें मन भर के चोदा कभी उनका मुँह चूसता तो कभी चुची मुँह में ले लेता माँ को भी खूब देर चुदाने का शौक था इसलिए मुझे बिना झडे घंटों चोदने की आदत थी जब पहली बार शन्नो जी झडी तो सिहरकर मुझे चिपटा लिया "हाय राजा, मार डाला रे, तू तो बड़ा जुल्मी है बेटे"
मैंने और कस के धक्के लगाते हुए कहा "ठहर जाओ रंडी सासूजी, अभी क्या हुआ है, आज आपके भोसडे को इतना चौड़ा कर दूँगा कि आपके दोनों बेटे फिर उसमें घुस जाएँगे"
आधे घंटे चोदने के बाद मैं झडा तब तक चोद चोद कर शन्नो जी की हवा टाइट कर दी थी बाद बाद में तो वे रीरियाने लगी थीं "अब छोड़ दे रे बेटे, रुक जा ओ गान्डू, अब नहीं रहा जाता, कितना चोदेगा? आदमी है या घोडा?" पर मैंने उनका मुँह दबोच कर चोदना चालू रखा
बाद में सुसताने के बाद वे बोलीं "तू तो हीरा है रे हीरा, अब यहीं रह मेरी चूत में घर ना जा, तेरी अम्मा ने बहुत चुदा लिया, अब हमारी सेवा कर इतनी भयानक चुदाई बहुत दिनों में नसीब हुई है"
मैं भी उनकी चुची मुँह में लिए पड़ा था, उनके खजूर जैसे निपल को चूस रहा था क्या औरत थी! एकदम माल था! तभी पीछे से आवाज़ आई "लो अम्मा, तुम शुरू हो गयीं? मुझे मालूम था, ऐसे चिकने छोकरे को तुम क्या छोडोगी" पीछे देखा तो जेठजी खड़े थे मुझे अटपटा लगा और मैं उठने लगा तो बोले "अरे लेटा रहा यार, मज़ा कर, हमारी अम्मा भी चीज़ है, सब को नसीब नहीं होती"
शन्नो जी ने उनसे पूछा "हो गया तुम लोगों का? बहू सोई या नहीं? तुम लोग आ रहे हो यहाँ?"
"अरे वो रांड़ क्या सोएगी इतनी जल्दी! अभी अभी लंड चुसवा कर आ रहा हू अब रजत चुसवा रहा है इसके बाद एक बार और चोदेम्गे तब सोएगी साली आज अम्मा तुम आमित को निचोड़ लो रात भर, नया नया लौंडा है, तुम मज़ा कर लो अकेले में, मैं चलता हू, वहाँ वो साली रंडी फिर तडप रही होगी" रजत चले गये
मैंने अंमाजी की ओर देखा "तो अंमाजी, यहाँ भी "
मेरी बात काटकर वी बोलीं "तो क्या, तुझे लगता है कि तू ही एक मादरचोद है? अरे मेरे बेटों को तो मैं बचपन से साथ सुलाती हू रजत तो शादी नहीं कर रहा था, बोलता था क्या फ़ायदा, अम्मा से बढ़िया चुदैल कहाँ मिलेगी पर तेरी बहन का रिश्ता आया तो मैंने मना लिया सिमर को देखकर ही मैं समझ गयी थी कि हरामी छोकरी है, बहुत चुदवायेगी अब देख सब कैसे खुश हैं"
मैंने फिर पूछा "तो अब आप लोग क्या करते हो साथ साथ दीदी के आने के बाद?"
वी बोलीं "सब समझ जाएगा अब इधर आ, मैं लंड चूस कर खड़ा कर देती हू, आज तो रात भर चुदवाऊन्गि तुझसे"
उस रात मैंने मांजी को दो बार और चोदा सोने में रात के तीन बाज गये एक बार शन्नो जी ने मुझपर चढ कर चोदा और एक बार मैंने पीछे से कुतिया स्टाइल में उनकी ली जब वे मुझपर चढ कर उचक रही थीं तो उनकी उछलती चूचिया देखते ही बनती थीं कुतिया स्टाइल में भी उनके मम्मे लटक कर ऐसे डोल रहे थे जैसे हवा में पपीते पीछे से उनकी चौडी मुलायम गान्ड को देखकर मेरा मन हुआ था कि गान्ड मार लूँ पर उन्होंने मना कर दिया
सुबह सब देर से उठे रविवार था इसलिए छुट्टी थी नाश्ते के टेबल पर सब ऐसे बोल रहे थे जैसे कुछ हुआ ही ना हो मैं ही कुछ शरमा रहा था सोच रहा था कि रात की बातें सपना तो नहीं थे वे मेरी परेशानी देख कर हँस रहे थे जीजाजी ने प्यार से समझाया "अमित, अब दोपहर को देखना, कल का तो कुछ भी नहीं था"
दीदी हँस रही थी "सम्हल कर रहना आमित भैया, यहाँ तो सब एक से एक हैं अम्माजी को ही देखो, जब से तेरे बारे में बताया, यहीं बोलती थीं कि अरे बुला लो उस छोरे को अच्छा हुआ तू कल आ गया नहीं तो कोई तुझे लेने आ जाता"
नाश्ते के बाद सब फिर दो घंटे को सो लिए रात भर की थकान जो थी दोपहर के खाने के बाद जब घर के नौकर चले गये तो सब दीदी के बेडरूम में जमा हुए मैंने देखा कि वहाँ का पलंग दो डबल बेड के बराबर का था सात आठ लोग सो जाएँ इतना बड़ा
कमरे में आकर सब ने कपड़े उतारना शुरू कर दिए सब से पहले अम्माजी और दीदी नंगी हो गयीं दीदी की जवान मादक जवानी और शन्नो जी का मोटा गोरा पके फल सा बदन देख कर मेरा तन्ना गया था पर मैं कपड़े निकालने में सकुचा रहा था उधर जीजाजी और जेठजी भी नंगे हो गये अच्छा ख़ासे हैम्डसम थे दोनों, रजत का कसरत किया हुआ शरीर था और दीपक जीजाजी का शरीर अच्छा चिकना छरहरा नाज़ुक सा था! दोनों के लंड खड़े थे, जीजाजी का करीब छह इंच का होगा रजत का करीब मेरे जितना, याने साढ़े सात आठ इंच का होगा पहली बार पास से मैं नंगे जवान लंडों को देख रहा था, एक अजीब सा रोमांच मुझे होने लगा
कपड़े निकालने की मेरी हिचकिचाहट देखकर शन्नो जी बोलीं "अरे बहू, शरमा रहा है तेरा भाई, तू ही निकाल दे इसके कपड़े"
दीदी लचकते हुए मेरे पास आई "क्या शरमाते हो भैया लड़कियों जैसे, चलो निकालो" उसने मुझे नंगा कर दिया
जीजाजी ने सीटी बजाई "साले, तेरा लंड तो एकदमा जोरदार है, तभी अम्मा कल हमारे कमरे में नहीं आईं, मज़ा ले रही थी अकेले अकेले"
शन्नो जी ने मुझे पकडकर एक कुर्सी पर बिठा दिया "रस्सी लाओ बहू या रूको, रस्सी नहीं, दो तीन ब्रा ले आ, तेरी और मेरी" दीदी जाकर अलमारी से ब्रा निकाल लाई घर में तो वे दोनों शायद पहनती ही नहीं थीं
दीदी और उसकी सास ने मिलकर ब्रा से मेरे हाथ और पाँव कुर्सी के पैरों से बाँध दिए बड़ा मज़ा आ रहा था, उन रेशमी मुलायम ब्रा का स्पर्श ही मुझे मदहोश कर रहा था शन्नो जी मुझे छूआ कर बोलीं "घबरा मत बेटे, ज़रा तरसाना चाहते हैं तुझे अब बैठ और हमारा खेल देख देख कैसे हमारा परिवार आपस में प्यार करता है ज़रा मज़ा ले, फिर तुझे भी परिवार में शामिल कर लेंगे" दीदी ने मुझे देखा और मुँह बना कर चिढाने लगी कि ले भुगत
अम्माजी ने उसे पकडकर पलंग पर खींचते हुए कहा "आजा बहू, यहाँ लेट जा रजत, दीपक, आओ, साले राजा को दिखाओ कि हम उसकी बहन को कितना प्यार करते हैं, ससुराल में उसका कितना ख़याल रखते हैं"
दीदी को पलंग पर लिटा के शन्नो जी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगीं "मेरी बेटी, मेरी दुलारी, तेरे कारण इस घर में रौनक आ गयी है, आ मुझे अपना चूमा दे एक मीठा सा"
सिमर दीदी ने अपनी सास के गले में बाँहें डाल दीं और उनका मुँह चूमने लगीं जीजाजी और जेठजी उनके पास में बैठ कर दीदी के शरीर को सहलाने लगे दोनों ने एक एक मम्मा मुँह में लिया और दबाते हुए चूसने लगे रजत ने दो उंगलियाँ दीदी की चूत में डाल दीं दीदी अब अपना मुँह खोल कर शन्नो जी की जीभ चूस रही थी
मन भर के दीदी को अपनी जीभ चुसवाकर अम्माजी उठीं मुझे बोलीं "देख, कैसे तेरी बहन कैसी प्यासी है मेरे चूबनों की, अब इसे अपनी बुर का प्रसाद देती हू तेरे सामने, बड़ी भाग्यवान है तेरी बहन जो अपनी सास की बुर से प्रसाद पाती है रोज दीपक तू बहू की बुर चूस, गरम कर, देख झडाना नहीं, उसका पानी बाद के लिए रख, तू लेटी रह बेटी, मैं आती हू तुझे तेरा मन पसंद रस चखाने को"
दीदी के सिर को तकिये पर रख कर शन्नो जी उसके दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गयीं और अपनी चूत को दीदी के मुँह में दे दिया दीदी उसे ऐसे चूसने लगी जैसे जनम जनम की प्यासी हो मुझे अब शन्नो जी के महाकाय गोरे चूतड दिख रहे थे जो धीरे धीर उपर नीचे हो रहे थे वे दीदी के मुँह को चोद रही थीं "अरी ओ रांड़, भूल गयी मैंने जो सिखाया था, जीभ डाल मेरी चूत में और चोद, ज़रा मुझे भी तो तेरी जीभ को चोदने का मौका मिले"
रजत जीजाजी सिमर दीदी के मम्मों को दबाते और चूसते रहे रजत खिसककर दीदी की टाँगों के बीच आ गये और उसकी बुर पर जीभ चलाने लगे शन्नो जी ने दीदी की जीभ को पाँच मिनिट चोदा और फिर सिसककर उठ बैठीं "हट रजत, अब तू बहू के मम्मे दबा, दीपक, अपनी पत्नी को अपना लंड दे चूसने को" और खुद रजत की जगह लेकर दीदी की बुर को चाटने लगीं "आमित बेटे, बड़ी मीठी है रे तेरी बहन, तुझे तो मालूम है, अरे हम तीनों को इसकी बुर का ऐसा चसका लगा है कि स्वाद लिए बिना मज़ा ही नहीं आता"
क्रमशः………………
|