RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
गतान्क से आगे……………
याने मेरी दीदी भी उतनी ही चुदैल थी जितने ये दोनों चोदू! मैं जोश में ना जाने क्या करता, मुठ्ठ तो ज़रूर मार लेता पर पीछे से किसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया चौंक कर मैंने मुड कर देखा तो मांजी थीं अंधेरे में ना जाने मेरे पीछे कब आकर खडी हो गयी थीं मैं सकते में आ गया समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहू, क्या सफाई दूँ, पर उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया और हाथ पकडकर एक कमरे में ले गयीं दरवाजा बंद किया वो उन्हीं का बेडरूम था
"तो अमित बेटा, पसंद आया मेरे बेटों का खेल?" उन्होंने पूछा वे एक गाउन पहने थीं गाउन में से उनकी मोटी मोटी लटकती चूचियो का आकार दिख रहा था पेट भी कुछ निकला हुआ था आख़िर इस उमर में औरतों का होता ही है, माँ का भी थोड़ा बहुत है हाँ माँ का बाकी बदन वैसे काफ़ी छरहरा है, शन्नो जी की तुलना में तो वह बच्ची लगेगी
मेरा कस कर खड़ा था कुछ कुछ समझ में आ रहा था दीदी के घर ना आने का राज़ शन्नो जी ने मेरा हाथ पकडकर पलंग पर बिठा दिया, आगे बोलीं "अरे शामा को तू जब आया था तो असल में रजत तेरी दीदी को चोद रहा था क्या छिनाल लड़की है, दिन रात चुदवाती है फिर भी मन नहीं भरता उसका सुबह दीपक चोद कर जाता है, दिन में उसका बड़ा भाई रजत चोदता है, रात को दोनों से चुदवाती है तब सो पाती है, वैसे मायके में भी वो खुश थी, मुझे बता रही थी कि उसके माँ और भाई उसे कितना प्यार करते हैं"
मैं थोड़ा शरमा गया कि घर की बात यहाँ पता चल गयी! "अरे शरमाता क्यों है, तू भी तो अच्छा ख़ासा चोदू है, सोलह साल का है फिर भी माहिर है, तेरी दीदी तो तेरी बहुत तारीफ़ करती है"
मैं चुप रहा शन्नो जी ने अपना गाउन उतार दिया "अब तू मेहमान है, तेरी खातिर करना मेरा फ़र्ज़ है तेरी दीदी तो वहाँ व्यस्त है, मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वैसे पता नहीं मैं तुझे अच्छी लगती हू या नहीं, तेरी माँ तो अच्छी खूबसूरत है, फिगर भी मस्त है, मैं उनके सामने क्या हू"
शन्नो जी अब नंगी मेरे सामने खडी थीं पुरी सेठानि थीं, एकदम गोरा पके पपीते जैसा गोल मटोल बदन, पके पिलपिले पपीते सी बड़ी बड़ी लटकी चुचियाँ, मुलायम तोंद, नीचे शेव की हुई गोरी पाव रोटी जैसी बुर और झाड के तने जैसे मोटे पैर जब मुडी तो उनकी पहाड सी गोरी गान्ड देखकर मुँह में पानी आ गया कुछ कुछ समझ में भी आ गया वहाँ दीदी के साथ जो हो रहा था, वहाँ शन्नो जी की सहमति से ही हो रहा था
"आप तो बहुत खूबसूरत हैं अम्माजी, अब मैं क्या कहू!" मैंने जवाब दिया शन्नो जी ने आकर मेरे कपड़े उतार दिए "तो चलो शुरू हो जाओ, छप्पन भोग तेरे सामने हैं, जो भोग लगाना हो लगा लो"
मेरा लंड देख कर उनका चेहरा खिल उठा "अरे अमित बेटे, क्या लंड है तेरा? सिमर बेटी ने बताया था पर विश्वास नहीं होता था, कितना लंबा है? दस इंच?"
"नहीं मांजी, आठ इंच है पर काफ़ी मोटा है, आप को देख कर और खड़ा हो गया है इसलिए आपको दस इंच का लगता है" मैंने जवाब दिया वैसे मेरा लंड है एकदम जानदार, तभी तो माँ और दीदी मेरी दीवानी हैं दीदी की चुदाई के समय देखा था, जीजाजी का बहुत प्यारा लंड था पर मुझसे दो इंच छोटा था जेठजी का अच्छा ख़ासा था, मुझसे बस ज़रा सा छोटा
"अब आजा मेरे बेटे, तंग मत कर मैं तो चूसून्गि पहले, इतना मस्त लंड है तो मलाई भी गाढी होगी" कहकर मांजी ने मुझे पलंग पर लिटा दिया फिर मेरा लंड चूसने लगीं लगता है बहुत तजुर्बा था, एक बार में पूरा निगल लिया
मुझे मज़ा आ गया पर अब मुझसे नहीं रहा जा रहा था "मांजी, ज़रा ऐसे घूमिएे, मैं भी तो आपकी बुर का मज़ा लूँ"
बिना लंड मुँह से निकाले शन्नो जी घूम कर उलटी मेरे उपर लेट गयीं उनका भारीभरकम अस्सी किलो का वजन मेरे उपर था पर मुझे फूल जैसा लग रहा था मैंने उनकी टाँगें अलग कीं और उंगली से वो गोरी चिकनी बुर खोली फिर उसमें मुँह डाल दिया बुर से सफेद चिपचिपा पानी बह रहा था मैं उसपर ताव मारने लगा
माँ की बुर का पानी अब थोडा पतला हो गया है, कम भी आता है, दीदी का बड़ा गाढा है और खूब निकलता है पर शन्नो जी का इस उमर में भी शहद था और जम के बह रहा था जाने क्या खाती हैं जो इस उमर में भी ऐसी रसीली चूत है- मैं सोचने लगा लंड चूसते हुए मांजी ने मेरी कमर को बाँहों में जकड लिया था और मेरे चूतड प्यार से सहला रही थी बीच बीच में उनकी उंगली मेरे गान्ड के छेद को रगडने लगती थी
दो बार शन्नो जी झडी और मुझे ढेर सा शहद चखाया मैंने झड कर उन्हें पाव कटोरी मलाई पिला दी, हिसाब बराबर हो गया
उठकर शन्नो ज़ीने मुझे गोद में ले लिया एक मोटी चुची मेरे मुँह में दे दी मुझे चुसाते हुए बोलीं "बड़ा प्यारा है तू बेटे, मलाई तो जानदार है ही, बुर भी अच्छी चूसता है अब हफ्ते भर यहीं रह मज़ा करेंगे"
मैंने चुची मुँह से निकाल कर कहा "मांजी, आप इतनी गरम हैं, कैसे आपका काम चलता है? मैं तो आज ही आया हू, जब मैं नहीं था तो आप क्या करती थीं?"
"अरे सब जान जाएगा, रुक तो सही यहाँ रहेगा तो बहुत सीखेगा और मज़ा भी लेगा ये बता, माँ को तू कब से चोदता है? पहले दीदी को चोदा या माँ को?"
मैंने सब बता दिया कि दीदी ने मुझे पहले चोदना शुरू किया, बचपन में हम एक कमरे में सोते थे इसलिए चुदाई शुरू करने में कोई तकलीफ़ नहीं हुई जब दीदी को पता चला कि मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया है, तब से वह मुझसे चुदवाने लगी उसके पहले भी वह मुझसे चूत चुसवाती थी और अपनी चुचियाँ मसलवाती थी पहले पहले तो उसने ज़बरदस्ती की थी, बड़ी बहन का हक जता कर बाद में किशोरावस्था शुरू होने पर मुझे भी मज़ा आने लगा जब मेरा लंड खड़ा होने लगा तो उसके बाद तो मज़ा ही मज़ा था
ना जाने माँ को कैसे पता चला गया कि मेरा लंड खड़ा होने लगा है तब उसने तुरंत मुझे अपने पास सुलाना शुरू कर दिया और पहली ही रात मुझसे चुदवा लिया बाद में पता चला कि दीदी ने उसे बताया था कि उसका बेटा जवान हो गया है दीदी और माँ का चक्कर बहुत पहले से ही था, जब मैं छोटा था तब दोपहर को और रात को मेरे सोने के बाद दोनों लिपट जाती थीं
जब एक दिन मुझे पता चल गया तो दोनों मिल कर मुझसे सेवा कराने लगीं हम साथ साथ माँ के कमरे में सोने लगे सेक्स की ये भूख हमारे खून में ही है ऐसा माँ ने बाद में मुझे बताया था
मेरी कहानी सुन कर शन्नो जी बोलीं "अरे ये ही हाल हमारे यहाँ है, चलो अच्छा हुआ हमारे खानदान मिल गये मैं तो मना रही थी कि किसी ऐसे ही चुदैल खानदान की चुदैल बहू मुझे मिले"
फिर मेरा कान पकडकर बोलीं "तो मादरचोद कैसा लगा मेरी बुर का रस, मज़ा आया? अरे साले, ऐसे आँखें फाड़ कर क्या देखता है हरामी?"
उनकी गाली सुनी तो पहले मैं सुन्न हो गया फिर उनको हँसते देखा तो तसल्ली हुई मज़ा भी आया वी बोलीं "अरे चोदते समय खुल कर गाली गलौज करना चाहिए, मज़ा आता है तेरी दीदी कैसे अपने पति और जेठ को गाली दे रही थी, सुना नहीं?" मेरे लंड को पकडकर बोलीं "देख, इसे तो मज़ा आया, फिर खड़ा हो गया है"
मैं भी इस मीठी नोक झोंक में शामिल हो गया "और क्या, आप जैसी चुदैल औरत का ये पका पका रूप दिखेगा तो साला लंड उठेगा ही, मेरे जैसे जवान लौंदों पर डोरे डालती हैं आप छिनाल कहीं की, अब ये बताइए कि आप को चोदू या गान्ड मारूं, माँ की चूत की कसम, आप की फाड़ दूँगा आज रंडी मांजी"
"बहुत अच्छे आमित, बस ऐसे ही बोला कर और गान्ड तो मैं नहीं मराऊन्गि, फडवानी है क्या! पर आ जा मेरी चूत में आ जा, हाय तेरे जैसे हसीन छोकरे को तो मैं पूरा अंदर घुसेड लूँ" और पलंग पर चूत खोल कर पाँव फैला कर लेट गयीं मैं चढ गया और लंड पेल दिया पुक्क से पूरा अंदर समा गया जैसे चूत नहीं, कुआँ हो "साली चूत है या भोसडा?" मैंने कहा "और इतनी चिकनी, बच्ची जैसी! आप शेव करती हो ना रोज?"
"हाँ बेटे, चिकनी चूत ज़्यादा अच्छे से चुसती है, मैं तो चूत चुसवाने की शौकीन हू, अब बातें ना कर और चोद साले मादरचोद मुझे, देखू कुछ दम है या ऐसे ही बोलता है? देखू तेरी माँ बहन ने कितना सिखाया है तुझे, भोसडीवाले!" और मुझे पकडकर वे चूतड उछालने लगीं
मैं शुरू हो गया उनके भोसडे में लंड आराम से सटक रहा था दो मिनिट बाद अम्माजीने चूत सिकोड ली और मुझे लगा जैसे किसी कुँवारी चूत को चोद रहा हू मेरे चेहरे को देख वे हँसने लगीं "अरे तूने देखे नहीं है मेरी चूत के कारनामे, चल चल अपना काम कर हरामी की औलाद, तेरी दीदी की सास को खुश कर"
क्रमशः………………
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