RE: Kamukta Stories ससुराल सिमर का
गतान्क से आगे……………
थोडि देर से दीदी के जेठ, जीजाजी के बड़े भाई रजत नीचे आए अठ्ठाईस उनतीस के आसपास उमर होगी अच्छा कसा हुआ शरीर था उन्होंने शादी नहीं की थी, खुद का बिज़ीनेस करते थे अभी थोड़ा पसीना पसीना थे, हांफ रहे थे मुझसे हाथ मिलाया और बोले कि उपर वर्ज़िश कर रहा था शाम को ही समय मिलता है, एक्सरसाइज़ करने का शन्नो जी उनकी ओर देखकर मुस्करा रही थीं
कुछ देर बाद दीदी नीचे आई मैं देखता रह गया क्या सुंदर लग रही थी थोड़ी मोटी हो गयी थी, नहीं तो हमारी दीदी एकदम छरहरी है, माँ जैसी बस मम्मे मोटे हैं, माँ से थोड़े बड़े मेरी तो अच्छी पहचान के हैं उसके मम्मे, कितनी बार चूसा और दबाया है उनको
दीदी भी थकी लग रही थी लगता नहीं था कि सो कर आई है, पर एकदम खुश थी मैंने सोचा कि घर का पूरा काम करना पड़ता होगा अब क्या करें, ससुराल में सब औरतें करती हैं पर खुश तो है, कम से कम कोई तकलीफ़ नहीं देता यहाँ सॉफ है मैंने शिकायत की कि इतनी भी क्या रम गयी ससुराल में कि भाई और माँ को भूल गयी थोड़ी देर की नोक झोक और हँसी मज़ाक के बाद शन्नो जी ने कहा "सिमर बेटी, अमित को उपर ले जा, वो पास वाला कमरा दे दे"
मैं सामान उठा कर दीदी के साथ उपर गया आलीशान घर था चार पाँच बड़े बड़े कमरे थे दीदी ने मेरा कमरा दिखाया और जाने लगी तो मैंने हाथ पकडकर बिठा लिया "क्या दीदी, बैठो, ज़रा हाल चाल सुनाओ" उसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था लगता था सिमर दीदी की अभी मार लूँ, उसका अधिकतर वजन जो बढ़ा था वहाँ छाती पर और कूल्हो पर बढ़ा था इसलिए उसकी गान्ड साड़ी में भी मतवाली लग रही थी
दीदी बैठ गयी बातें करने लगी मैंने उलाहना दिया कि घर क्यों नहीं आई, कम से कम फ़ोन तो किया होता तो बोली "अरे अमित, यहाँ इतनी उलझी हू कि घर आने का समय ही नहीं मिला पर चिंता ना कर, बहुत खुश हू"
मेरा लंड खड़ा हो गया था, पैंट में तम्बू बना रहा था दीदी को दिखाकर धीरे से बोला "देख दीदी क्या हालत है तुझे देख कर माँ की भी बुर पसीज जाती है तुझे याद करके तेरी चुदाई कैसे चल रही है?"
वह आँख मार कर इशारे से बोली बहुत मस्त मैंने हाथ बढ़ाकर उसकी चूचि दबा दी "दीदी मेरे साथ चलो हफ्ते के लिए, नहीं तो यहाँ कुछ चांस दो, तुम्हारी बुर का स्वाद याद आता है तो मुँह में पानी भर आता है"
वो हँसकर बात टालकर बाहर चली गयी "देखूँगी, अभी जाने दो, नीचे मांजी इंतजार कर रही होंगी, खाना बनाना है"
रात को खाना खाते समय सब गप्पें मार रहे थे जीजाजी भी आ गये थे अच्छे हैम्डसम पचीस साल के नौजवान हैं, काफ़ी छरहरा नाज़ुक किस्मा का बदन है, लगता नहीं कि रजत, उनके बड़े भाई होंगे, उनका शरीर तो एकदमा कसा हुआ गठा हुआ है
सब गप्पें मारते हुए एक दूसरे की ओर देखकर बीच बीच में मुस्करा रहे थे ख़ास कर शन्नो जी तो एकदम प्रसन्न लग रही थीं मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था माना कि उनकी बहू का भाई आया है पर इसमें इतना खुश होने की क्या बात है! मेरे चेहरे के भाव देखकर वे बोलीं "बेटे, आज सब खुश हैं क्योंकि तेरी दीदी इतनी खुश है, आख़िर उसका छोटा भाई आया है मैके से" दीदी को देखा तो वह आँखें नीचे करके शरारत से मुस्करा रही थी
रात को दस बजे ही सब सोने चले गये मैं भी अपने कमरे में आ गया जिस तरह से जीजाजी दीदी को देख रहे थे, ज़रूर चुदाई के लिए आतुर थे मेरा खड़ा था माँ की याद आ रही थी यहा भी कल्पना कर रहा था कि जीजाजी कैसे दीदी पर चढे होंगे सिर्फ़ चोदते हैं कि गान्ड भी मारते हैं?
तरह तरह की कल्पना करते हुए मैं बीस पचीस मिनिट लंड से खेला और मज़ा लिया, फिर सहन ना होने पर मुठ्ठ मारने वाला था तभी पास के दीदी के कमरे से हँसने खिलखिलाने की आवाज़ आई तो मन ना माना चुपचाप बाहर आ गया दीदी के कमरे के अंदर बत्ती जल रही थी मैं झुक कर कीहोल से देखने लगा धक्के से दरवाजा ज़रा सा खुल गया, दीदी ने अंदर से ठीक से बंद भी नहीं किया था इसीलिए आवाज़ बाहर आ रही थी मैं अंधेरे में खड़ा होकर अंदर देखने लगा जो देखा तो हक्का बक्का हो गया
अंदर जीजाजी और उनके भाई रजत दीदी पर एक साथ चढे थे रजत दीदी को चोद रहे थे उनका लंड सपासप दीदी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था जीजाजी दीदी की चुचियाँ मसलते हुए उसे चूम रहे थे और गुदगुदी कर रहे थे दीदी हँस रही थी, बीच में जीजाजी ज़ोर से उसकी चूम्ची मसल देते तो दीदी सीत्कार उठती "अरे कैसे बेदर्दी हो जी, जेठजी देखो मुझे कैसे प्यार से चोद रहे हैं, तुम भी ज़रा प्यार से नहीं दबा सकते मेरी चुची?"
जीजाजी बोले "ठहर हरामन, अभी मज़ा ले रही है, अब थोड़ी देर में जब रजत गान्ड मारेगा तो रो पडेगी साली, भैया आज इसकी गान्ड फाड़ ही देना"
रजत बोले "सिमर रानी, बोल, निकाल लूँ लौडा और डाल दूँ गान्ड में?"
दीदी बोली "अरे नहीं मेरे भडवे जेठजी, पूरा चोद कर निकालना साले, नहीं तो कल से चोदने नहीं दूँगी और आप क्या मेरी गान्ड फाडोगे, आप को तो पूरा मैं गान्ड में घुसेड लूँ, किसी को नज़र नहीं आओगे और तुम मेरे चोदू राजा, क्या सूखे सूखे चूचि दबा रहे हो, ज़रा लंड चुसवाओ तो मज़ा आए!"
जीजाजीने लंड दीदी के मुँह में पेल दिया और उसका सिर पकडकर मुँह में ही चोदने लगे उधर जेठजी ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी जीजाजी की झांतें शेव की हुई थीं, एकदम बच्चे जैसा चिकना पेट था जेठजी की अच्छी घनी थीं, मेरी तरह
मेरा बुरा हाल था लंड ऐसा फनफना रहा था कि लगता था कि मुठ्ठ मार लूँ उन तीन नंगे बदनों की चुदाई देखकर मन आपे से बाहर हो रहा था दो जवान हैम्डसम मर्द और मेरी चुदैल खूबसूरत बहन और क्या गाली गलौज कर रहे थे! उनकी बातों का मज़ा ही और था माँ और मैं चोदते समय कभी गाली नहीं देते थे!
अब दीदी मस्ती में मछली जैसी छटपटा रही थी रजत ने अचानक लंड चूत से बाहर खींच लिया "छोटे, तेरी ये चुदैल रंडी आज बहुत कीकिया रही है, शायद भाई के आने से खुश है चल साली का कचूमर बना दें आज, मैं गान्ड मारता हु, तू चोद, देखना कैसे मस्ती उतरती है इस भोसडीवाली की, कल भाई के सामने लंगड़ा लंगड़ा कर चलेगी तो समझ में आएगा"
जीजाजी ने लंड दीदी के मुँह से निकाला और उसकी चूत में पेल दिया दीदी झल्ला उठी "साले मादरचोद, चूसने भी नहीं दिया, ओ जेठ जी, आप ही लंड चुसवा लो कि अब भी मेरी गान्ड में घुसाना चाहते हो माल की तलाश में? और भोसडीवाली होगी तेरी अम्मा, मेरी तो जवान टाइट चूत है!"
जीजाजी पलट कर नीचे हो गये और दीदी को उपर कर लिया दीदी की चूत में उनका लंड घुसा हुआ था दीदी की भारी भरकम गान्ड भी अब मुझे सॉफ दिखी पहले जैसी ही गोरी थी पर और मोटी हो गयी थी रजत ने तुरंत लंड अंदर डाल दिया, एक धक्के में आधा गाढ दिया "अरे मार डाला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रे , फाड़ दोगे क्या साले हरामी? तेल भी नहीं लगाया" दीदी ने गाली दी
बिना उसकी बात की परवाहा किए रजत ने लंड पूरा अंदर पेल दिया, फिर दीदी के उपर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगे "भैया, इसकी चुचियाँ पकड़ कर गान्ड मारो, साली के मम्मे मसल दो, पिलपिले कर दो, बहुत नाटक करती है ये आजकल" जीजाजी ने कहा और रजत ने दीदी की चुचियाँ ऐसे मसालीं कि वो चीख उठी "अरे मर गयी हाईईइ रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , ये दोनों मादरचोद की औलाद आज मुझे मार डालेंगे, कोई बचाओ मर गैिईईईईईईईईईईईईईईईईई रीईईईई"
जीजाजी ने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया और फिर दोनों भाई उछल उछल कर मेरी बहन को आगे पीछे से चोदने लगे उसके शरीर को वो ऐसे मसल रहे थे जैसे कोई खेल की गुडिया हो पलंग पर लोट पोट होते हुए वे दीदी को चोद रहे थे कभी जीजाजी उपर होते कभी जेठजी
दीदी की दबी दबी चीखें सुनकर मुझे बीच में लगा कि बेचारी दीदी की सच में हालत खराब है, बचाया जाए क्या अंदर जा कर, पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्या चुद रही थी दीदी, किसी रंडी जैसी आगे पीछे से! एक बार जब जीजाजी का मुँह दीदी के मुँह से हटा तो वह मस्ती में चिल्लाने लगी "चोदो सालो, गान्डुओ चोद डालो, मेरी गान्ड का भूरता बना दो, माँ कसम क्या मज़ा आ रहा है"
क्रमशः………………
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