College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 02:04 PM,
#93
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल पार्ट --51

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक बार फिर पार्ट-51 लेकर हाजिर हूँ

काफ़ी देर यूँही चुपचाप चलते रहने के बाद स्नेहा ने नज़रें घूमाकर विकी की और देखा.. विकी के हाव-भाव बिल्कुल बदले हुए थे.. चेहरे पर पासचताप नही गर्व था... ग्लानि नही सुकून था..

स्नेहा को समझ में ही ना आया और बात कहाँ से शुरू करे..." अब तुम्हे वो मल्टिपलेक्स कैसे मिलेगा....... विकी?"

विकी ने कोई जवाब नही दिया.. बस स्नेहा की और नज़र भर कर देखा और फिर सीधा हो गया.. कहना तो चाहता था वह.. बहुत कुच्छ.. कहना चाहता था कि मुझे अहसास हो गया है.. जिंदगी क्या होती है.. कहना चाहता था कि.. 'वो' उसके लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज़ है.. उसके लिए वो सबकुच्छ छ्चोड़ सकता है.. अगर वो उसका हाथ फिर से पकड़ ले तो.. पर विकी को जब अपनी जिंदगी में स्नेहा की ज़रूरत का अहसास हुआ तो साथ ही साथ ये भी अहसास हो गया कि वो क्या करने जा रहा था.. उसके साथ.. और यही वजह थी कि लाख कोशिश करने के बाद भी उसके मुँह से एक शब्द तक ना निकला...

"हम कहाँ जा रहे हैं?" स्नेहा ने उसको फिर टोका...

"लोहरू! मुझे लगता है वहाँ तुम खुश रह सकती हो.. मैं शमशेर और टफ से बात करूँगा.. तुम्हारे लिए.. मुझे पता है.. स्नेहा.. मैने जो कुच्छ भी किया.. वो माफी के लायक नही.. पर प्लीज़ हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.. हो सके तो!" विकी का गला भर आया... अपनी बात कहने के दौरान उसने काई बार स्नेहा के चेहरे की और देखा.. पर जब जब वा नज़रें मिलाने की कोशिश करती.. वह अपनी नज़रें हटा लेता.. उसमें अब स्नेहा की नज़रों का सामना करने की हिम्मत नही हो पा रही थी...

" कोई फ़र्क़ नही पड़ता... मुझे तुमसे कोई गिला नही है.. मेरी किस्मत ही ऐसी है!" स्नेहा के तन्हा दिल में अभी भी विकी के आगोश में समा जाने की तड़प थी.. पर विकी को भी उस'से प्यार हो...; तभी तो! वह तो ऐसा कुच्छ बोल ही नही रहा था.. जैसे बस उस पर दया करके ही उसको वापस ले आया हो...

दोनो असमन्झस में थे.. दोनो एक दूसरे के लिए तड़प रहे थे पर पहल करने से दोनो ही कतरा रहे थे.. इसी असमन्झस में वो यूँही आधी अधूरी बात करते हुए लोहरू पहुँच गये...

"अरे देखो.... शायद स्नेहा दीदी वापस आ गयी", खूबसूरत सी लड़की को गाड़ी से उतरते देख वाणी खुशी से उच्छलते हुए अंदर भागी और उसने सबको चौंका दिया," ब्लॅक कलर की गाड़ी में हैं.."

अंदर बैठे सभी के मुरझाए चेहरे उम्मीद की किरण के साथ ही अजीब ढंग से खिल उठे.. सभी भागते हुए बाहर की और भागे.. प्रिया ने खिड़की में से ही स्नेहा को गाड़ी के पास खड़ी होकर विकी की और देखते देख लिया.. वो खुशी से झूम उठी और भागती हुई जाकर स्नेहा को अपनी बाहों में भर लिया," मुझे विस्वास था; तुम ज़रूर आओगी.. थॅंक यू स्नेहा.. थॅंक यू!"

स्नेहा की आँखें छलक आई," शायद तुम्हारा विस्वास ही मुझे यहाँ तक ले आया प्रिया.. वरना.." गाड़ी के चलने की आवाज़ सुनते ही स्नेहा चौंक कर पलटी.. उसने चलते हुए विकी को कुच्छ बोलने का सोच रखा था.. पर.. वो अपने से दूर जा रही गाड़ी को तब तक विस्मित नेत्रों से ताक्ति रही जब तक की वो उसकी आँखों से औझल ना हो गयी..

"अब तो हम चलेंगे ना दीदी.. टूर पर.. अब तो स्नेहा दीदी भी आ गयी हैं.." वाणी प्रिया के हाथ से लिपट गयी.. वो थी ही ऐसी.. घंटा भर पहले ही वहाँ आई थी.. दिशा के साथ.. और वीरू से लेकर रिया तक.. सबके दिलो दिमाग़ पर छा चुकी थी.. सबको लग रहा था जैसे उसको वो वर्षों से जानते हैं.. वाणी अपना दिल खोल कर जो रख देती थी...

अब तक सभी स्नेहा के इर्द-गिर्द जमा हो चुके थे..

"ठहर जा.. नही तो कान के नीचे एक लगाउन्गा.. उसको अंदर तो आने दे पहले.." वीरेंदर ने वाणी का हाथ पकड़ कर एक और खींच लिया...

" आप इतने गुस्सैल क्यूँ हो.. ? सब आपसे डरते हैं.. ऐसे बोलॉगे तो मैं आपसे बात नही करूँगी हां.." वाणी ने अपनी कलाई सहलाते हुए बनावटी गुस्से से वीरू की और देखा और हंस पड़ी.. उसकी हँसी ही तो सबकी जान थी... वीरू बिना मुस्कुराए ना रह सका...

" अब भी तो आ गयी.. मैने कहा नही था? भाई के बिना दिल नही लगेगा तुम्हारा!" वीरू स्नेहा की और मुस्कुराते हुए बोला..

स्नेहा कुच्छ ना बोल सकी.. उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे उसका सब कुच्छ खो गया हो.. जैसे उसको विस्वास ही नही था.. विकी उसकी दुनिया में सतरंगी सपने सजाकर यूँ भाग जाएगा.. घर के अंदर आते हुए भी वह मूड कर बार बार पिछे देखती रही.....

वस्त्र भार बन, तन से निकल जाता है

निवस्त्र यौवन, कामेन्द्रियाँ विचलित कर जाता है

चुचियों का गहरा घेरा, अधरों को ललचाता है

हो व्याकुल प्रेमी, बच्चा बन जाता है

" हां! तो लिस्ट बना लो, यहाँ से कौन कौन टूर पर जा रहे हैं?" लिविंग रूम में सबको अपने चारों और लिए बैठी गौरी ने चिल्लाकर सबको चुप किया.. वीरू एक तरफ लेटा हुआ था और राज उसके पास बैठा हुआ लड़कियों की बातें सुन रहा था...

" कौन कौन क्या? सभी चलेंगे..!" वाणी ने अपनी नज़रें घूमाकर सभी के चेहरे पर झलक आई सहमति के भाव देखे...

"क्यूँ नही? पूरे गाँव को ही उठा ले चलते हैं... क्या ख़याल है?" गौरी ने वाणी की हँसी उड़ाते हुए कहा...

" मैं तो यहाँ बैठे सभी लोगों की बात कर रही थी.. गाँव की बात थोड़े ही कर रही हूँ.." वाणी ने मुँह बनाते हुए कहा...

"अरे पगली.. हम सब तो चलेंगे ही.. पर 5-7 बच्चों से टूर थोड़े ही चला जाएगा.. कुच्छ आइडिया दो.. गाँव की ओर कौन कौन लड़कियाँ चल सकती हैं... हमारे साथ.. अगले महीने एग्ज़ॅम हैं.. स्कूल से ज़्यादा चलने को तैयार नही होंगी.." गौरी ने समझाते हुए कहा..

" नेहा!" दिशा तपाक से बोली.. उसके जहाँ में सबसे पहला नाम यही आया..," वो ज़रूर चल पड़ेगी.. अगर मैं उसको कह दूँगी तो!"

"ठीक है.. लिख लिया.. और?" गौरी ने वहाँ बैठे सभी के नाम लिख कर अगली लाइन में 'नेहा' लिख दिया!

"दिव्या! वो तो पक्का चल पड़ेगी.. लिख लो!" ये वाणी की आवाज़ थी..

" ओके!"

" निशा!" गौरी ने याद करते हुए नाम लिया..

" ना! वो नही चल सकती.. उसकी तो शादी है.. अगले हफ्ते! " दिशा ने गौरी को नाम लिखने से रोक दिया...

"सच? किसके साथ?" गौरी ने चहकते हुए पूचछा.. निशा को संजय का ख़याल हो आया.. कितना बेवफा निकला वो?

"कोई बड़ा बिज़्नेसमॅन है.. हिसार से.. सुना है लव मॅरेज है.. लड़के वालों ने खुद हाथ माँगा है.."

" छ्चोड़ो ना.. और नाम याद करो!" वाणी ने दिशा के मुँह पर हाथ रखते हुए कहा..," सरिता!" वाणी को यूँही याद आ गया.. दिव्या से राकेश और उस'से सरिता!

" चल ना! किसका नाम ले रही है.. टूर का मज़ा खराब करवाएगी क्या? " दिशा ने बिगड़ते हुए कहा..

" मत ले चलो! मुझे क्या है? मैने तो नाम याद दिलाया था बस!" वाणी ने मुँह बनाया...

" लिख लेते हैं यार.. वैसे ही बच्चे कम पड़ रहे हैं.. अगर और लड़कियाँ जाने को तैयार हो गयी तो नाम काट देंगे.. इसमें क्या है!" गौरी ने समझाते हुए कहा...

"चलो.. लिख लो! वैसे मेरी कोई दुश्मन भी नही है वो.. बस.. नेचर की अच्छि नही है.." दिशा ने सफाई देते हुए कहा..

गौरी ने नाम लिख लिया..

" सीमा दीदी.. वो भी तो चल सकती हैं..?" वाणी ने एक और नाम याद दिलाया..

" नही.. वो नही चलेंगी.. वो तो प्रेग्नेंट हैं.." दिशा ने ये नाम भी नकार दिया..

" पूच्छ तो लो दीदी.. क्या पता चल पड़ें!" वाणी ने ज़ोर देकर कहा..

" मुझे पता है च्छुटकी.. वो नही चलेंगी.. तू खाम्खा.. बहस क्यूँ कर रही है..?"

" मानसी!.. हां.. मानसी.. लिख लो दीदी.. इनकी मत सुनो! ये तो 'बस' को भरने ही नही देंगी वो पक्का चलेगी.. मेरे कहते ही!" वाणी एक बार गौरी की और मुस्कुराइ और फिर दिशा की और घूरा.. कहीं वो मना ना कर दे.. दिशा मुस्कुराने लगी.. मानसी के साथ ही उसको मनु का ख़याल आ गया था...

" लिख लिया.. और बोलो.." गौरी ने नाम लिखते हुए कहा..

"कितने हो गये दीदी..?" वाणी ने कॉपी में झाँकते हुए पूचछा...

"देखो.. दिशा.. स्नेहा.. मैं.. प्रिया.. रिया.. वाणी.. राज.. वीरेंदर... नेहा.. दिव्या.. सरिता.. मानसी.. और मम्मी... जीजा जी.. वासू सर.. " गौरी ने आख़िरी तीनो नाम लिस्ट में जोड़ते हुए कहा..

" और सुनील सर?" वाणी ने याद दिलाया..

" नही.. मम्मी ने पूचछा था.. वो नही चल पाएँगे..!" गौरी ने बताया...

वाणी जाने कब से कुच्छ सोच रही थी..," लड़कियाँ 11 और लड़के सिर्फ़ 4!"

पर किसी ने बेचारी की बात पर ध्यान नही दिया.. उसने दिशा की और देखा," दीदी!"

" हूंम्म्म!" दिशा कुच्छ सोचती हुई बोली...

वाणी को कुच्छ कहते ना बना.. उसके दिल की बात तो दिशा को सोच लेनी चाहिए थी...

" बोल!" दिशा ने उसको टोका...

" कुच्छ नही!" वाणी ने मायूस होते हुए कहा...

"विकी नही चल रहा क्या?" प्रिया और रिया स्नेहा को देखते हुए अचानक एक साथ बोल पड़ी..

स्नेहा कुच्छ ना बोली.. वो ऐसे ही बैठी रही.. गुम्सुम सी...

" दीदी! एक मिनिट इधर आना...!" वाणी ने खड़ी होते हुए दिशा का हाथ खींचा..

दिशा उठकर उसके साथ बाहर आ गयी," क्या?" उसकी आँखों में शरारत सी थी.. शायद वो समझ रही थी कि वाणी क्या कहना चाहती है..

" अगर मानसी ने मना कर दिया तो..?" वाणी ने उसकी आँखों में देखते हुए पूचछा...

"पर तू ही तो कह रही थी.. वो चल पड़ेगी.. तू फोन कर ले उसको.." दिशा अंजान बनी रही..

" नही.. मतलब... आप समझती क्यूँ नही.. अगर उसने मना कर दिया तो..?" वाणी कुच्छ और भी कहना चाहती थी..

" तो क्या?"

" जैसे अगर उसके घर वालों ने अगर ये कह दिया की हम इसको अकेली नही भेजेंगे.. तो..?" वाणी ने हल्का सा इशारा दिया...

" तो क्या? हम ज़बरदस्ती थोड़े ही ले जा सकते हैं.. नही ले जाएँगे.. नाम काट देंगे.. और क्या?" अब दिशा को इसमें कोई शक नही था कि वाणी घुमाफिरा कर मनु को साथ ले चलने को कह रही है..

वाणी पैर पटकती हुई अंदर आ गयी..," मुझे नही चलना टूर पर.. मैं नही जा रही.. मेरा नाम काट दो" कहकर वाणी वीरू के बेड के पास डाले हुए सोफे पर आकर पसर गयी...

दिशा भी उसके पीछे पीछे हंसते हुए अंदर आ गयी..

" अब क्या प्राब्लम हो गयी छम्मक छलो!" वीरू ने हंसते हुए वाणी को छेड़ा...

" आप भी मत जाओ टूर पर.. मैं भी नही जा रही.. कोई मज़ा नही आएगा टूर पर.. सब बोर ही होने हैं.. मुझे पता है.." वाणी ने और भी लोगों को प्रोटेस्ट में शामिल करने की कोशिश की..

" ठीक है.. मैं भी नही जा रहा.. मुझे तो वैसे भी पैर में दर्द है.. मैं क्या करूँगा जाकर..? घूमा तो वैसे भी नही जाना है मुझसे!" वीरू ने उसके सुर में सुर मिलाया...

रिया ने पलट कर वाणी से हाथ मिला रहे वीरू को देखा.. सीने में अंजानी सी जलन हुई," तुम्हारे लिए स्ट्रेचएर ले चलेंगे.. मैं घुमाती रहूंगी.. इस टूटी हुई टाँग को.."

" पहले खुद तो ढंग से चलना सीख ले.. मुझे घुमाएगी..!" वीरू ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया..

" हाआआअ.. मुझे चलना नही आता..! किसने बोला है..?" रिया ने वीरू को घूरते हुए पूचछा..

" मैने देखा है.. मर्दों की तरह से चलती है तू.. लड़कियों वाली तो तुझमें बात ही नही है.. " कहते हुए वीरू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा...

रिया ने मुँह बनाया और उठकर अंदर चली गयी..

" क्या है ये.. हम प्लॅनिंग कर रहे हैं चलने की और तुम लोगों को लड़ाई सूझ रही है.. वाणी इधर आजा.. कुच्छ और नाम सोचते हैं..!" दिशा ने वाणी को प्यार से पुकारा..

" मैं नही चल रही.. मानसी के बगैर मैं नही जाउन्गि..." वाणी ने अपना चेहरा दूसरी और घुमा लिया...

" मतलब मानसी नही चल रही..? गौरी ने उसके नाम पर पेन रख दिया..

" चलेगी ना.. ये तो पागल है.. वाणी! मैं उसके घरवालों से बात कर लूँगी.. वो भेज देंगे उसको.. आजा तू.."

वाणी नही आई.. तभी अंजलि घर आ गयी," अरे स्नेहा.. ओह माइ गोद!" तुम आ गयी.. तुमने बताया क्यूँ नही..? मैने तो.."

" मम्मी.. हम टूर की प्लॅनिंग कर रहे हैं.. स्कूल से कितने नाम हुए?" गौरी ने अंजलि की बात पर गौर ना करते हुए पूचछा...

" पर टूर तो मैने कॅन्सल कर दिया.. 5-7 लड़कियों ने कहा था की वो घर पूच्छ कर जवाब देंगी.. पर मैने फिर उनको मना ही कर दिया.. अब तो कल ही पूच्छना पड़ेगा... मैं अजीत और शमशेर को फोन कर देती हूँ...!" अंजलि को याद आया.. वो लोग भी चिंता कर रहे होंगे...

" मैने कर दिया मा'म" स्नेहा ने अंजलि को बताया...

" ओह.. बहुत अच्च्छा किया.. पर मुझे भी बता देना चाहिए था ना.. मैं सारा दिन टेन्षन में रही..." अंजलि ने उसके पास आकर बैठते हुए प्यार से उसके गालों पर हाथ फेरा..," मेरे साथ अंदर आ एक बार..."

स्नेहा अंजलि के पिछे पिछे बेडरूम की और चल दी...

" ये क्या कर रही हो तुम?" अंजलि ज़ोर ज़ोर से हुँसने लगी.. रिया को देखकर स्नेहा भी अपनी हँसी को ना रोक पाई..

" अपनी चाल देख रही हूँ.. बाहर वो 'टूटी टाँग कह रहा है कि मुझे चलना नही आता.. मैं लड़कों की तरह चलती हूँ.. लड़कों की तरह चलती हूँ क्या मैं? और क्या अब मैं कॅट्वाक करूँ..?" रिया ने गुस्से से कहा.. वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने मादक कुल्हों को मॅटकाते हुए बार बार आगे पिछे हो रही थी...

" वो तो पागल है! कौन कह सकता है कि तुम्हे चलना नही आता.. उल्टा तुम्हारी चाल तो बहुत ही... अच्छि है.. उसने देखी ही कहाँ है.. लड़कियों की चाल आज तक.. कभी देखता भी है वो लड़कियों को.. दिया होगा तो तुम्हारी ही चाल पर दिया होगा ध्यान.. या तुम्हे जलाने के लिए कह रहा होगा.. हर लड़की तुम्हारी तरह कहाँ चल पाती है रिया!" स्नेहा ने सच में ही उसकी चाल की तारीफ की थी.. मोरनी जैसी चाल कहें तो अटिस्योक्ति ना होगी...

"पर मम्मी, टूर स्कूल की तरफ से ही जाना ज़रूरी है क्या? बेवजह भीड़ इकट्ठी करने से क्या फायडा.. अब तक कुल मिलकर 10 से ज़्यादा तो हम यहीं बैठे हो गये हैं.. जिसको चलना होगा चल पड़ेगा.. फॅमिली टूर की तरह से भी तो हो सकता है.." गौरी ने स्कूल की तरफ से टूर ले जाने में आ रही दिक्कतों का हाल अंजलि को सुझाया...

" वो तो ठीक है.. पर मैने वासू जी से डिसकस किया था.. मेरे समझने पर ही वो राज़ी हुए थे.. और जब उनका मूड बन गया तो मैने टूर कॅन्सल होने की बात कह दी.. अब अगर उनको नही ले गये तो वो बुरा नही मानेंगे क्या?" अंजलि ने जवाब दिया...

"पर हम ये थोड़े ही कह रहे हैं कि किसी को लेकर ही नही चलना.. अगर वो चलना चाहें तो हमें कोई प्राब्लम नही है.. टूर जाना चाहिए बस.. कल ही!" गौरी ने अपने कहने का मतलब खोल कर समझाया...

"फिर तो उनको अभी बोलना पड़ेगा.. कल सुबह के लिए..!"

" वो मैं बोल दूँगी मा'म! आप चिंता ना करें.. कहो तो मैं अभी जाकर बोल देती हूँ.." वाणी को छेड़'ते हुए उसको मनाने में लगी दिशा ने अंजलि से मुखातिब होते हुए कहा...

" नही! मुझे भी चलना पड़ेगा.. मैं ही उनको सम्झौन्गि.. ये वाणी को क्या हो गया है? ये क्यूँ रूठी हुई लेटी है?" अंजलि ने वाणी को बार बार दिशा का हाथ अपने शरीर से झटकते देख पूचछा...

" छ्होटी सी बात पर ज़िद लगाए पड़ी है.. कह रही है.. उम्म्मह" दिशा के मुँह पर तपाक से उठकर वाणी ने हाथ रख दिया...," कुच्छ नही है मा'म.. मैं तो बस ऐसे ही लेटी हुई हूँ..." कहते हुए वाणी दिशा का हाथ पकड़ कर बाहर खींच ले गयी...

"आप तो बहुत बुरी हैं दीदी.. क्या बताने वाली थी उनको?"

" यही की तुम अब बच्ची नही रही.. बड़ी बड़ी बातें सोचने लगी हो..!" दिशा ने हुंस्ते हुए उसको और अधिक चिड़ा दिया..

" इसमें बड़ी बात क्या है.. मैं यही तो बोल रही हूँ कि..."

" मुझे सब पता है तू क्या बोल रही है.. ला! मैं मानसी के पास फोन मिलाती हूँ.. उसका नंबर. दे.."

" क्या कहोगे आप?" वाणी ने नंबर. देकर उत्सुकता से उसकी और देखा...

" यही कि घर वाले अगर उसको अकेली हमारे पास टूर पर भेज दें तो उसको शमशेर आते हुए अपने साथ ले आएगा..." दिशा ने फोन लगा कर कान से सटा लिया...

" अगर वो मना करें तो मेरे पास एक आइडिया है दीदी..." वाणी मायूसी से उसकी और देखने लगी..

" चुप कर.. फोन लग गया.. हेलो! नमस्ते आंटी जी!" फोन मानसी की मम्मी ने उठाया था...

" नमस्ते बेटी.. कौन?" उधर से आवाज़ आई...

" जी मैं वाणी की बड़ी बेहन बोल रही हूँ.. दिशा!"

" ओहो! कहो बेटा.. तुम आए नही गाँव से.. यहाँ स्कूल की छुट्टियाँ बढ़ गयी हैं.. इसीलिए क्या?"

" क्या? छुट्टियाँ बढ़ गयी हैं.. मुझे तो पता ही नही था..." दिशा के चेहरे पर सुकून की लहर दौड़ गयी.. अब मानसी को चलने के लिए मनाना उसके लिए चुटकियों का खेल था....

" वो आज ही डिक्लेर हुई हैं ना.. गर्मी कितनी पड़ रही है.... खैर मानसी तो मनु के साथ बाजार गयी है.. मनु के नंबर. पर बात कर लो.. दूँ क्या?"

" नही आंटिजी.. नंबर. तो हमारे पास है.. पर आपसे ही बात कर लेती हूँ.."

"बोलो बेटी.. बोलो!"

" वो.. हम 5-7 दिन के टूर पर नैनीताल जा रहे हैं वाणी कह रही थी.. मानसी भी चलती तो बहुत मज़ा आता..! आप भेज दो ना उसको!"

" क्यूँ नही बेटी.. वो तो ये सुनकर बहुत ही खुश होगी.. अब छुट्टियाँ भी पड़ गयी हैं.. गर्मी से तो बची रहेगी.. कब जा रहे हो?"

" जी.. आज रात का ही विचार है.. चलने का.."

" ओहो! इतनी जल्दी.. खैर.. मुझे तो कोई प्राब्लम नही है.. तुम उनसे बात कर लो!"

" ठीक है आंटिजी.. वैसे मनु भी चलना चाहे तो? हमारे साथ लड़के भी जा रहे हैं...!"

" देख बेटा.. उसका मैं कुच्छ कह नही सकती.. वो तो यहाँ शहर में ही बाहर कम निकलता है.. जब देखो.. कंप्यूटर से चिपका रहता है.. जाने क्या मिल गया है उसको.. कहता रहता है.. मुझे एक स्टोरी को इंग्लीश में ट्रॅनस्लेट करने का कांट्रॅक्ट मिला हुआ है.. पता नही क्या स्टोरी है.. राम जाने? अँधा होकर रहेगा.. अगर मान जाए तो उसको भी साथ घसीट ले जाना.. मेरी तो सुनता नही है.."

"ठीक है आंटिजी.. मैं उसके पास ही फोन कर लेती हूँ.. नमस्ते आंटिजी.." दिशा ने फोन कटा तो वाणी वहाँ से रफूचक्कर हो गयी थी.. दिशा ने अंदर जाकर देखा तो वो शरमाई हुई सी तिर्छि आँखों से उसको ही देख रही थी.. यही तो चाहती थी वो.. मनु को साथ ले जाना.. और जब दिशा ने मनु का जिकर किया तो उस'से वहाँ खड़ी ना रहा गया.. जाने क्यूँ?

"इधर आ वाणी.. जल्दी आ!" दिशा ने दरवाजे पर आकर उसको पुकारा..

"क्या है?" वाणी की खुशी च्छुपाए ना च्छूप रही थी.. वो मुँह फेर कर हँसने लगी..

"आ तो.. जल्दी.. काम है..!" कहकर दिशा बाहर निकल गयी...

वाणी ने पिछे से आकर दिशा को अपनी बाहों में भर लिया.. दिशा ने च्छुदाने की कोशिश की पर वाणी ने ना छ्चोड़ा उसको..

" देख.. अब ज़्यादा मचल कर दिखाएगी तो मैं मनु को नही बुलौन्गि हां.." दिशा ने बंदर घुड़की दी...

"उसको बुलाने को कौन बोल रहा था.. मैने तो मानसी को बुलाया था बस.." वाणी अब भी दिशा को पकड़े हुए थी..

" तो मना कर दूं.. मनु को!"

" अब कह दिया है तो चलने दो.. या तो पहले ही नही बोलना चाहिए था..." वाणी ने उसको छ्चोड़ते हुए कहा..

"अभी कहाँ बोला है? अभी तो बोलना है.. बोलो क्या करूँ?"

" आप कितनी अच्छि हो दीदी..!" वाणी ने और कुच्छ नही बोला और अंदर भाग गयी..

" मुस्कुराती हुई दिशा ने मनु का नंबर. डाइयल किया...

वासू टूर चलने की बात सुनते ही व्याकुल हो उठा.. अब क्या करें.. वो लोग तो आज रात ही जाने वाले हैं.. वासू की मनोस्थिति अजीब सी हो गयी.. वह तो नीरू के लिए ही टूर पर जाना चाह रहा था.. वरना तो ये दुनिया उसकी देखी हुई थी.. अब नीरू को खबर करे भी तो कैसे करे.. वासू के दिल में पाप था.. इसीलिए वह चाहकर भी अंजलि को नीरू के चलने के बारे में कुच्छ बोल नही पाया.. अंतत: उसने खुद ही सारा जोखिम उठाने का फ़ैसला किया..

अंजलि के वहाँ से निकलते ही उसने एक प्रेम पाती में नैनीताल जाने देने के लिए घर वालों को मनाने का संदेश लिखा और उसको जेब में डाल कर बाहर निकल गया... जैसे तैसे वो पूछ्ता हुआ नीरू के घर के पास पहुँच गया.. वहाँ एक औरत नलके पर पानी भर रही थी.. वासू घर पूछ्ने के लिए उसके पास ही पहुँच गया," देवी जी, यहाँ आसपास एक लड़की का घर है.. नीरू का.. आप कृपा करके बता देंगी कौनसा है..?"

झुक कर पानी भर रही और तपाक से सीधी खड़ी हुई और वासू को उपर से नीचे तक घूरा," रे, कौन से तू? छ्होरी के बारे में क्यूँ पूच्छ रहा से?"

वासू उस औरत के बोलने का लहज़ा सुनकर घबरा गया," जी.. आप बात को अन्यथा ना लें.. मैं वासू हूँ.. वासू शास्त्री!"

" शास्त्री वस्त्री होगा अपने घर में.. पॅलिया ये बता काम के है तनने लड़की से? शरम नही आंदी इस तरह लड़की का घर पूछ्ति हां.." ( पहले ये बता काम क्या है लड़की से.. शरम नही आती इश्स तरह लड़की का घर पूचहते हुए ), औरत तमतमा गयी थी..

" जी.. मुझे कन्या से कोई काम नही.. कन्या की माता जी से काम है.. आप कृपा करके घर बता दें बस!" वासू विचलित होते हुए बोला...

" हाए.. मेरे ते के काम होगया तंन ओहो! मुझसे क्या काम हो गया आपको..तू है कौन भाई " औरत का मिज़ाज कुच्छ नरम पड़ा...

वासू को ना निगलते बना ना उगलते.. उसकी हालत खराब हो गयी.." त्त.. तो. क्या आप उनकी माता जी हैं..?"

" और नि तो के ? मा सू मैं नीरू की.. (और नही तो क्या? मा हूँ मैं उसकी) पर तू कौन से?" औरत ने जवाब दिया..," बता के काम था?"

" ज्जई नमस्ते.. माता जी.. मैं वासू.. उनका गणित का अद्धयापक हूँ.." आगे उसको सूझा ही नही.. जो ये बोलता कि काम क्या था..! औरत ने तो उसके मुँह पर ताला ही लगा दिया था...

" ओहो.. ते मास्टर जी.. पहलया बताना था ना.. ( ओहो.. तो मास्टर जी पहले बताना चाहिए था ना) मैं तुझे कुच्छ उल्टा सीधा तो ना कहती.. मैं जाने के के सोच गी थी.. बता बेटा.. के काम था..." औरत का लहज़ा एक्दुम बदल गया...

" ज्जई.. वो.. दूध.. नही.. मतलब दूध के बारे में पूच्छना था.. नीरू ने बताया था की आपकी भैंसे दूध देती हैं..."

" आ नीरू! बाहर आइए एक बार.." औरत ने आवाज़ लगाई...

पास के ही घर से नीरू बाहर निकली और वासू को वहाँ खड़े देखकर बुरी तरह सकपका गयी.. मन ही मन सोचा," इन्होने तो रात को आने को बोला था.. ये तो दिन में ही टपक पड़ा...," नमस्ते सर!" उसने अपने आप पर काबू में किया...

" नमस्ते की बच्ची.. तनने मास्टर को झूठ क्यूँ बोला.. कौनसी भैंस दूध देवे से आपनी.. मास्टर जी.. इसके मुँह से ग़लती ते लिकड़ (निकल) गया होगा.. म्हारे घर दूध नही होता..." औरत ने आख़िरी लाइन वासू की और से देखते हुए कही थी...

" चलो कोई बात नही.. मैं और किसी से पूच्छ लूँगा.. हां नीरू.. वो.. दिशा कह रही थी.. तुम्हे बता दूँ.. आज रात ही नैनीताल के लिए टूर जा रहा है.. तुम्हे जाना हो तो.." वासू ने जिंदगी में पहली बार इशारा करने के लिए अपनी एक आँख को मटकाया.. वो भी लड़की की तरफ..

नीरू समझ गयी.. और खुश भी हो गयी..," ठीक है सर.. मैं दिशा से मिलने जा रही हूँ.. अभी.. मम्मी.. मैं टूर पर चली जाउ ना?"

" मुझे ना पता ! ये बात अपने पापा से पूच्छ लिए..."

" उन्होने तो हां कर दी थी मम्मी.. "

" तो फेर चली जाइए... मेरे ते क्यूँ पूच्छ री से....

" आजा मास्टर जी.. घर आजा.. दूध तो नही है.. पर चाय तो पीला ही देवेंगे...

" जी.. बहुत बहुत धन्यवाद.. अभी ज़रा जल्दी में हूँ.. फिर कभी.." कहकर वासू, दिशा के घर चल दी नीरू के पिछे निकल लिया.....
Reply


Messages In This Thread
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल - by sexstories - 11-26-2017, 02:04 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,540,833 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 548,911 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,249,247 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 944,485 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,677,284 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,100,341 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,984,543 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,166,224 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,073,488 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 288,774 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)