College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 02:00 PM,
#80
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--42

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट 42 लेकर हाजिर हूँ अब आप कहानी का मज़ा लीजिए

विकी ने फोन काट-ते ही शमशेर को फोन लगाया," कहाँ हो भाई? कितने दिन से आपका फोन नही लग रहा..." विकी की आवाज़ में बेचैनी सी थी...

"मैं आउट ऑफ स्टेट हूँ यार.. और मेरा सेल गुम हो गया था.. आज ही नंबर. चालू करवाया है.. दूसरा सेल लेकर.. क्या बात है..?"

"मुझे तुझसे मिलना था यार.. कब तक आ रहे हो वापस..?"

"मुझे तो अभी कम से कम 8-10 दिन और लग जाएँगे.. तू बात तो बता..!" शमशेर ने कहा..

"बात ऐसे बताने की नही है.. मिलकर ही बतानी थी.. बहुत टाइम लग जाएगा... तू बता ना.. कहाँ है? मैं वहीं आ जाता हूँ..."

"ऊटी!... आजा!" शमशेर ने मुस्कुराते हुए कहा....

"भाभी जी साथ ही हैं क्या?"

"ना.. वो तो गाँव में है.. !"

"चल छ्चोड़.. मैं कुच्छ और देखता हूँ... अच्च्छा!"

"अरे तू बता तो सही.. मैं फिलहाल बिल्कुल फ्री हूँ..." शमशेर ने गाड़ी सड़क किनारे रोक ली... उस वक़्त वो अकेला ही था..

"अच्च्छा सुन.. पर लेक्चर मत देना.. बस कुच्छ मदद कर सको तो..."

"अबे तू बोल ना यार.. बोल!"

विकी ने शुरू से आख़िर तक की सारी रामायण सुना दी.. इस दौरान शमशेर कयि बार चौंका.. केयी बार मुस्कुराया और केयी बार कहीं और ही खो जाता.. जब विकी की बात बंद हो गयी तो शमशेर बोला," तू भी ना यार.. पूरा घंचक्कर है.. वो तो तेरी किस्मत साथ देती चली गयी.. वरना.. खैर अब प्राब्लम क्या है?"

"प्राब्लम ये है कि उसको मुझसे प्यार हो गया है.. मुझसे अलग होने को तैयार ही नही है.. कह रही है मर जाएगी..." विकी ने बेचारा सा मुँह बनाया..

विकी की इश्स बात पर शमशेर ज़ोर से हंसा.. ," आख़िर फँस ही गया तू भी..!"

"तुझे पता है यार.. ये 'प्यार व्यार' मेरी समझ से बाहर की बात है.. पर जब तक मुरारी से सौदा नही होता.. तब तक तो इसको ढोना ही पड़ेगा...." विकी ने अपने दिल की बात कही..

"तो उसके बाद क्या करेगा?" शमशेर ने लंबी साँस ली..

"उसके बाद मैने क्या करना है.. वो मुझे मोहन के नाम से जानती है.. एक बार मल्टिपलेक्स मिल गया तो दोनो बाप बेटी कितना ही रो लें.. मेरी सेहत पर कोई असर नही पड़ेगा.. मेरे पास इश्स बात का सॉलिड प्रूफ है की उस दौरान में आउट ऑफ कंट्री था....."

शमशेर ने उसको बीच में ही टोक दिया..," वो सब तो सही है.. मैं पूच्छ रहा हूँ स्नेहा का... उसका क्या करेगा?"

"वो मेरी टेन्षन नही है यार... उसके बाद वो भाड़ में जाए.. तब तक बता ना.. क्या करूँ?"

"देख मुझे पता है.. तू किसी की सुनेगा तो है नही.. पर सब ग़लत है.. किसी के दिल पर चोट नही करनी चाहिए.. तूने वादा किया है उसको..!" शमशेर उसकी बात से आहत था..

"यार.. तू सिर्फ़ मुझे ये बता की तब तक मैं इसका क्या करूँ?" विकी ने सारी बातें गोलमोल कर दी...

"घुमा ला कहीं.. ऊटी लेकर आजा.. फिर साथ ही चल पड़ेंगे.." शमशेर ने राई दी..

"यही तो नही हो सकता यार.. आगे का सारा काम मुझे ही करना है अब ... किसी तरह इस-से पीछा छुड़ाओ यार.."

"मैं क्या बताऊं..? या फिर लोहरू छ्चोड़ दे.. वाणी उसको अपने आप सेट कर लेगी.. पर बाद में लोचा हो सकता है.. अगर तूने उसको छ्चोड़ दिया तो.. उसके बाप के पास!"

"ग्रेट आइडिया बॉस.. गाँव में तो कोई शक करेगा ही नही... और उसका दिल भी लग जाएगा.. वाणी और दिशा के पास... तू बाद की फिकर छ्चोड़ दे.. मुझे पता है मुझे क्या करना है... वो कभी वापस नही जाएगी.. मैं एक तीर से दो शिकार करूँगा...!" विकी स्नेहा का भी शिकार ही करना चाहता था.. काम पूरा होने के बाद...

"ठीक है.. जैसा तू ठीक समझे. मैं दिशा को समझा दूँगा.. तू बेशक आज ही उसको वहाँ छ्चोड़ दे...."

"थॅंक यू बॉस! मुझे यकीन है.. स्नेहा वहाँ से वापस मेरे साथ आने की ज़िद नही करेगी.. मैं उसको समझा दूँगा.. और हां.. टफ से तुझे ही बात करनी पड़ेगी.. ये पोलीस वालों का कुच्छ भरोसा नही होता..."

"ओके, मैं कर लूँगा...." शमशेर हँसने लगा और फोन काट दिया....

"रिया.. यार अब मैं क्या करूँ? तूने तो मेरी ऐसी की तैसी करा दी..!" प्रिया ने राज के ना आने का सारा दोष रिया पर मढ़ दिया..

"क्यूँ? मैने ऐसा क्या किया?" रिया ने हैरान होते हुए पूछा... दोनो पहली मंज़िल पर पिछे की और बने अपने कमरे में पढ़ रही थी..

"मैने ऐसा क्या कर दिया..!" प्रिया ने मुँह बनाकर रिया की नकल की..," तूने ही तो उस ईडियट को फाइल दी थी.. लेते वक़्त तो इतना शरीफ बन रहा था... अब कल 'सर' को क्या तेरा तोबड़ा (फेस) दिखाउन्गि कल..."

"दिखा देना! क्या कमी है... सर दिल दे बैठेंगे.. बुढ़ापे में.. जान दे बैठेंगे अपनी" रिया ने चुलबुलेपन से कहा..

"तू है ना.. बिगड़ती जा रही है... मम्मी को बोलना पड़ेगा.." प्रिया ने रिया को प्यार से झिड़का..

" बोल दे.. वो भी तो कहती हैं.. 'कितनी क्यूट है तू!' रिया ने स्टाइल से अपने लूंबे बलों को पिछे की और झटका दिया...

"ज़्यादा मत बन.. शकल देखी है आईने में कभी...?" प्रिया अपनी किताब को बंद करते हुए बोली....

"हां.. देखी है.. बिल्कुल तेरे जैसी है.. अब बोल" रिया ने भी अपनी किताब बंद कर दी और हँसने लगी...

"तू यार.. ज़्यादा फालतू बातें मत कर... बता ना.. अब मैं क्या करूँ?" प्रिया ने मतलब की बात पर आते हुए बोला...

"यहीं.. खिड़की के पास चिपका बैठा होगा... छत से माँग ले..." रिया ने शरारती मुस्कान फैंकते हुए कहा..

" तू जाकर माँग ले ना.. बड़ी हिम्मत वाली बन'ती है.. छत से माँग लून.. वो भी रात के 9:00 बजे.. पिच्छली बात भूल गयी क्या..?"

रिया एक पल को अतीत में चली गयी...," मुझे उस लड़के की बड़ी दया आई थी.. पापा ने सही नही किया प्रिया..."

"सही नही किया तो कुच्छ खास ग़लत भी नही था.. दिन में हमारे घर के इतने चक्कर लगाता था.. पागल था वो..." प्रिया ने अपना नज़रिया उसको बताया..

" गली में ही घूमता था ना.. हमें कुच्छ कहा तो नही था.. इतना मारने की क्या ज़रूरत तही.. वैसे समझा देते.. देख भाई.. मुझे तो बहुत बुरा लगा था.. उस रात खाना भी नही खा सकी थी.. बेचारे के चेहरे पर कैसे निशान पड़ गये थे..." रिया का मूड ही ऑफ हो गया...

उस दिन को याद करके प्रिया भी सिहर उठी... कोई काला सा लड़का था.. उनकी ही उम्र का.. गली में लगभग हर एक को यकीन हो गया था कि इसका थानेदार की बेटियों के साथ कुच्छ ना कुच्छ चक्कर तो ज़रूर है.. इन्न दोनो की भी आदत सी हो गयी थी.. उसको खिड़की से आते जाते उनकी और चेहरा उठाकर देखते हुए देखना और फिर उसका मज़ाक बना कर खूब हँसना... उस दिन पापा ने उस्स्को खिड़की में से झाँकते देख लिया था.. लड़का मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया.. पर उसकी किस्मत खराब थी.. पापा लगभग भागते हुए उसके पिछे गये थे और उसको घसीट'ते हुए घर के सामने ला पटका... सारी कॉलोनी के लोग बाहर निकल आए.. पर कोई कुच्छ नही बोला तहा.. सब चुपचाप खड़े तमाशा देखते रहे.. उनके पापा ने उसको मार मार कर अधमरा कर दिया था.. बाद में पोलीस जीप उसको ले गयी थी.. दोनो लड़कियाँ अपने दिल पर हाथ रखकर खिड़की से सब कुच्छ देख रही थी... वो दिन था और आज का दिन.. लड़कियाँ कभी भी पैदल स्कूल नही गयी... पोलीस की जीप ही उनको लाती ले जाती थी.....

"कहाँ खो गयी प्रिया...!" रिया ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाया...

"कहीं नही यार.. सच में; पापा ने सही नही किया था.. मारना नही चाहिए था उसको..." प्रिया ने चेर से उठहते हुए कहा...

"कहाँ जा रही हो..?" रिया ने कमरे से बाहर निकल रही प्रिया को आवाज़ लगाई....

"अभी आती हूँ.. ठंडा पानी ले आऊँ.. नीचे से..." प्रिया ने अगले रूम में जाकर खिड़की से बाहर की और झाँका.. राज खिड़की के सामने ही बेड पर बैठा हुआ पढ़ रहा था.. उसको देखकर प्रिया को जाने क्यूँ.. शांति सी मिली! कुच्छ देर वह यूँही खड़ी रही.. करीब 1 मिनिट बाद ही राज ने चेहरा खिड़की की और उपर उठाया.. और खिड़की में खड़ी प्रिया को देखकर खिल सा गया.. प्रिया उसके बाद वहाँ एक पल के लिए भी ना रुकी.. नीचे भाग गयी.. पता नही क्यूँ?

"ए... रिया.. वो तो खिड़की के पास ही बैठा हुआ है..!"

"अच्च्छा.. उसको ही देखने गयी थी.. मैं सब समझती हूँ डार्लिंग.." रिया खिलखिलाकर हंस पड़ी...

" नही यार.. बाइ गॉड.. मैं पानी लेने ही गयी थी.. वो तो बस ऐसे ही दिख गया...." फिर कुच्छ हिचकिचाते हुए बोली," इधर ही देख रहा था..."

"ये कोई नयी बात है.. मुझे तो वो हमेशा इधर ही सिर उठाए मिलता है..." रिया ने बत्तीसी निकालते हुए कहा...

"तो इसका मतलब तू भी उसको देखती रहती होगी.. है ना.." प्रिया ने उसकी और उत्सुकता से देखा.. राज के बारे में बात करते हुए उसके दिल को अजीब सी तसल्ली मिल रही थी...

"मैं क्यूँ देखूं.. भला उस बंदर को.. मुझे भी ऐसे ही दिख जाता है.. जैसे आज तुझे दिख गया..." रिया बेड पर आकर पालती मारकर बैठ गयी...

"हूंम्म.. बंदर.. तुझे वो बंदर दिखता है.. कितना स्मार्ट तो है.. और कितना इंटेलिजेंट भी.." प्रिया अपने आपको रोक ना पाई..

"देखा.. मैं कह रही थी.. ना.. कुच्छ तो बात ज़रूर है.. मैने तुम्हारे मॅन की बात जान'ने के लिए ही ऐसा कहा था.."

प्रिया ने तकिया उठाकर उसके सिर पर दे मारा..," ज़्यादा डीटेक्टिव मत बन.. मुझे उस'से क्या मतलब.. पर सच तो कहना ही पड़ेगा ना.."

" सबके बाय्फरेंड्स हैं प्रिया.. हमारा क्यूँ नही... कितना मज़ा आता ना अगर कोई होता तो..?" रिया ने ये बात पुर दिल से कही थी.. इसमें कोई शरारत नही थी.. प्रिया भी समझ गयी...

" आचार डालना है क्या?... बाय्फ्रेंड का.. मुझे तो कोई अच्च्छा नही लगता.. सब के सब एक जैसे होते हैं... श्रुति का पता है तुझे.. उसको उसका बाय्फ्रेंड बहलाकर अपने कमरे पर ले गया...." दरवाजा बंद करके वापस आई प्रिया अचानक चुप हो गयी...

"फिर क्या हुआ... बता ना..?" रिया आँखें फाड़ कर उसको देखने लगी... पहली बार प्रिया ने उसके सामने इस तरह की बात की थी...

"होना क्या था... बेचारी रोती हुई वापस आई थी..." प्रिया बीच की बात खा गयी.....

"क्यूँ... तुझे कैसे पता..... बता ना प्लीज़..." रिया उसका हाथ पकड़ कर सहलाने लगी....

"उसी ने बताया था... क्यूँ का मुझे नही पता... अब इश्स टॉपिक को बंद कर... पढ़ ले..." कहकर प्रिया ने किताब उठा ली...

कुच्छ देर दोनो में कोई बात नही हुई.. फिर अचानक खुद प्रिया ही बोल पड़ी.. जाने उस पर आज कैसी मस्ती च्छाई हुई थी," किसी को बताएगी नही ना...?"

"प्रोमिस.. बिल्कुल नही बताउन्गि.." रिया का चेहरा खिल उठा... उस उमर में ऐसी बातें किस को अच्छि नही लगती...

"उसने उसके साथ ज़बरदस्ती.. 'वो' कर दिया..." प्रिया ने बोल ही दिया.. रिया को भी यही सुन'ने की उम्मीद थी...

" वो क्या? मैं समझी नही..." रिया कुरेदने लगी....

" अच्च्छा.. इतना भी नही समझती.. जो शादी के बाद करते हैं..." इतनी सी बात कहने से ही प्रिया का चेहरा लाल हो गया था..

"ऊऊऊऊऊ.." रिया ने अपने चेहरे पर आई लालिमा को अपने हाथ से ढक लिया...,"रेप कर दिया?"

"श्ष.... पापा आ गये होंगे.. धीरे बोल.." प्रिया ने अपने मुँह पर उंगली रखकर उसको धीरे बोलने का इशारा किया....

"पर.. वो रोती हुई क्यूँ आई.. मैने तो सुना है की बड़े मज़े आते हैं... पायल बता रही थी... उसने भी किया था... एक बार!" रिया ने धीरे धीरे बोलते हुए कहा...

अंजाने में ही पालती मारकर बैठी प्रिया का हाथ उसके जांघों के बीच पहुँच गया.. और 'वहाँ' दबाव सा बनाने लगा... उसको ऐसा लगा जैसे उसका पेशाब निकलने वाला है...," सुना तो मैने भी है.. पर उसने ज़बरदस्ती की थी.. शायद इसीलिए... मैं बाथरूम जाकर आती हूँ..." कहकर प्रिया उठकर बाथरूम में चली गयी..

वापस आई तो उसके माथे पर पसीना झलक रहा था.. तृप्त होकर भी वह और 'प्यासी' होकर आई थी.. रिया ने अंदाज़ा लगा लिया.. पर बोली कुच्छ नही...

"एक बात बताऊं प्रिया.. अगर किसी से ना कहो तो..?"

" हां बोलो..." प्रिया आज पूरे सुरूर में थी..

" नही.. पहले प्रोमिसे करो...!"

"प्रोमिस किया ना.. बोल तो सही..." प्रिया ने जान'ने के लिए दबाव बनाया...

"मुझे..... वीरेंदर बहुत अच्च्छा लगता है...?" एक बात कहने के लिए रिया को दो बार साँस लेनी पड़ी...

"व्हाट..? और तूने आज तक नही बताया.. कभी बात भी हुई है क्या?" प्रिया को सुनकर बड़ी खुशी हुई.. अब वह भी अपने दिल का राज बता सकती थी...

" कहाँ यार.. बात क्या खाक होंगी.. वो तो सिर उठाकर भी नही देखता किसी की और.. और लड़कियों से तो वो बात ही तभी करता है जब उसको लड़ाई करनी हो....... इसीलिए तो अच्च्छा लगता है.." रिया अपने दिल में करीब एक साल से छिपाइ हुई बात को अपनी बेहन के साथ शेअर करके राहत महसूस कर रही थी.. उसके चेहरे पर सुकून सा था...

"हां यार.. ये तो सच है.. सभी लड़कियाँ उस'से बात करते हुए डरती हैं... बाइ दा वे.. तुम्हारी चाय्स बहुत अच्छि है.. पर इश्स खावहिस को दिल में ही रखना.. पापा का पता है ना...." प्रिया ने बिन माँगे सलाह दे डाली...

रिया मायूस सी हो गयी...," तुम बताओ ना.. क्या तुम्हे कोई अच्च्छा नही लगता..? सच बताना..."

"पता नही...." कहते हुए प्रिया लजा सी गयी.. उसके गुलाबी होंठ अपने आप तर हो गये.. और आँखों में एक अजीब सी चमक उभर आई.....

"ये तो चीटिंग है.. पता नही का क्या मतलब है.. बताओ ना...!" रिया ने उसके कंधे पकड़कर उसको ज़ोर से हिला दिया...

"अब दो दिन में मुझे क्या पता.. आगे क्या होगा.. अगर इसी तरह फाइल माँग माँग कर गायब होता रहा तो मेरी नही बन'ने वाली.." प्रिया ने मुस्कुराते हुए रिया को अपनी बाहों में भर लिया.. छातियो के आपस में टकराने से दिल के अरमान जाग उठे...

"ओह माइ गॉड! इट्स राज.. मैं जानती थी.. वो बिल्कुल तुम्हारे टाइप का है प्रिया.. झेंपू सा.. हे हे हे..!" रिया उस'से अलग होते हुए बोली...," अगर तुम्हारी फाइल अभी मिल जाए.. तो तुम उस'से नाराज़ नही होवॉगी ना...!"

"अभी?.... कैसे...?" वो मेरा काम है.. पर शर्त ये है की कल स्कूल में तुम खुद उस'से बात करोगी... बोलो मंजूर है.." प्रिया की हन से ही तो रिया के रास्ते खुलने तहे.. राज के मद्धयम से वह वीरेंदर के दिल तक जा सकती थी...

"पर बताओ तो कैसे..? आज फाइल कैसे मिल सकती है...?"

"वो मुझ पर छ्चोड़ दो.. तुम सिर्फ़ हां बोलो"

"हां" प्रिया ने बिना सोचे समझे तपाक से हां बोल दिया... आख़िर उसको भी तो बहाना मिल रहा था... 'शर्त' के बहाने तीर चलाने का...

"बस एक मिनिट..!" रिया एक दम से उठकर गयी और एक कॉपी और पेन उठा लाई..

"इसका क्या करोगी...?" प्रिया ने हैरान होते हुए पूचछा..

"तुम अब बोलो मत.. मेरा कमाल देखो.." और रिया लिखने लगी...

"हाई राज!

आप जो फाइल लेकर गये थे.. मुझे उसकी सख़्त ज़रूरत है... वो मुझे चाहिए.. तुम आज स्कूल भी नही आए.. सारा दिन तुम्हारी राह देखती रही... प्लीज़ उसको गेट के नीचे से अंदर सरका देना.. मैं उठा लूँगी...

आज स्कूल क्यूँ नही आए.. कल तो आओगे ना...

तुम्हारी दोस्त,

प्रिया!"

"हे.. तुमने मेरा नाम क्यूँ लिखा.. अपना लिखो ना.. और इसका करोगी क्या अब..?" प्रिया का दिल जोरों से धक धक कर रहा था.. किसी अनहोनी की आशंका से...

"डोंट वरी डार्लिंग.. बस मेरा कमाल देखती जाओ... एक बार पापा को देख आओ.. सो गये या नही......

प्रिया नीचे जाकर आई...," पापा तो आज आए ही नही.. मम्मी कह रही थी.. आज थाने में ही रहेंगे.. वो मुरारी पकड़ा गया है ना..."

"श.. थॅंक्स मुरारी जी! अब कोई डर नही.." रिया खुशी से उच्छल पड़ी....," तुम भी आ रही हो क्या? खिड़की तक..."

"ना.. मुझे तो डर लग रहा है.. तुम्ही जाओ..." प्रिया का दिल गदगद हो उठा था.. कम से कम बेहन से तो अब वो दिल की बात कर सकती है...

रिया करीब 2 मिनिट खिड़की के पास खड़ी रही.. जैसे ही राज ने उसकी और देखा.. रिया ने अपना हाथ हिला दिया..

राज का तो बंद ही बज गया.. उसको अपनी आँखों पर विस्वास ही नही हुआ.. आँखें फाड़ कर खिड़की की और देखने लगा...

रिया वापस छत पर गयी.. एक पत्थर ढूँढा और कागज को उसपर लपेट दिया.. राज को सिर्फ़ रिया दिखाई दे रही थी जिसको वो प्रिया समझ रहा था.. उसके हाथ में पकड़ी चीज़ उसको नज़र नही आई...

रिया ने खिड़की से हाथ बाहर निकाला और निशाना लगाकर दे मारा.. इसके साथ ही वो पिछे हट गयी..

किस्मत का ही खेल कहेंगे.. हवा में फैंकने के साथ ही पत्थर पर लिपटा कागज हवा में ही रह गया और पत्थर जाकर राज वाली खिड़की से जा टकराया...

रिया उपर भाग गयी....

"ओये वीरू.. देख.. प्रिया ने पत्थर फैंका..." राज खुशी से नाच उठा..

"क्यूँ? तेरा सिर फोड़ना चाहती है क्या वो..? तू पागल हो गया है बेटा.. ये तुझे कहीं का नही छ्चोड़ेंगी.. पिच्छली बार टॉप किया है ना.. लगता है अगली बार ड्रॉप करेगा.. चुप चाप पढ़ ले.. तुझे लड़कियों की फ़ितरत का नही पता.. बहुत भोला है..!" वीरू ने फिर से किताब में ध्यान लगा लिया...

"यार, तू तो हमेशा ऐसी बात करता है जैसे दिल पर बहुत से जखम खाए बैठा हो.. इतना भी नही समझता.. वो मुझे परेशान कर रही है.. मतलब वो भी....." राज को वीरेंदर ने बीच में ही टोक दिया," हां हां.. वो भी.. और तू भी.. दिल के जखम तुम्हे ही मुबारक हों बेटा.. ऐसी कोई लड़की बनी ही नही जो मुझे जखम दे सके.. तुम जैसे आशिकों की हालत देखकर ही संभाल गया हूँ.. मैं तो...

राज और वीरेंदर में बहस जारी थी.. उधर प्रिया रिया को 2 बार नीचे भेज चुकी थी.. फाइल देखकर आने के लिए.. एक बार खुद भी आई थी.. पर हर बार राज उन्हे वहीं बैठा मिला.. उसका ध्यान अब भी बार बार खिड़की पर लगा हुआ था..

"ओहो यार.. एक ग़लती हो गयी.. हमने ये लिख दिया की कल तो आओगे ना.. कहीं उसने ये तो नही समझा की अगर कल ना आए तो रखनी है..." रिया ने आइडिया लगाया..

"हां.. मुझे भी यही लगता है.. नही तो अब तक तो रख ही देता.." प्रिया ने भी सुर में सुर मिलाया...

"ठहर.. एक और कागज खराब करना पड़ेगा.. डोंट वरी.. मोहब्बत और जुंग में सब जायज़ है.. हे हे.." और रिया उठकर एक बार फिर से कॉपी और पेन उठा लाई... आज उसकी आँखों में नींद थी ही नही... नही तो कब की लुढ़क चुकी होती...

"राज!

यार मुझे बहुत...."

"आ.. यार काट दे.. दोबारा लिख..." प्रिया ने कहा...

"ओक.. नो प्राब्लम.." रिया ने फिर से लिखना शुरू किया...

"राज!

अभी आ जाओ ना प्लीज़.. बहुत ज़रूरी है.. मैं रिया को नीचे भेज रही हूँ.....

आइ आम वेटिंग

तुम्हारी दोस्त

प्रिया

"पर यार.. तू समझता क्यूँ नही है.. वो ऐसी नही है.. बाकी लड़कियों की तरह... कितनी प्यारी है..!" राज वीरेंदर को किसी भी तरह से सहमत कर लेना चाहता था.. इश्स तनका झाँकी को दोस्ती के रास्ते पर ले जाने के लिए.. ," कुच्छ भी हो जाए.. मैं कल उस'से बात करके रहूँगा.. देख लेना!"

"उस दिन तो तेरी फट रही थी.. फाइल माँगते हुए.. कल कौनसा तीर मारेगा..? फिर कह रहा हूँ.. ये ......"

"ओये.. फिर आ गयी.. लगता है अब फिर पत्थर उठा कर लाई है... आज तो मेरा काम करके रहेगी.." अब की बार राज ने भी खिड़की की ओर हाथ हिला दिया.. बहुत ही खुस था वो...

अब की बार पत्थर सीधा उनके कमरे के अंदर आया.. शुक्रा था राज चौकन्ना था.. वरना सिर पर ही लगता..," अरे.. इससपर तो कागज लिपटा हुआ है.."

"उठा ले.. आ गया लव लेटर.. तेरे लिए... हो गयी तमन्ना पूरी.. अब तू गया काम से...." वीरू ने पत्थर पर लिपटे कागज को गौर से देखा...

तब तक राज कागज को पत्थर समेत लपक चुका था.. जैसे ही उसने कागज को खोला.. उसका दिल धड़क उठा... ये तो कमाल ही हो गया.. उसने तो सीधे सीधे घर पर ही बुला लिया था.. वो भी अभी.. रात को.. ओह माइ गॉड! मुझे नही पता था की 'वो' ऐसी लड़की है.. राज मॅन ही मॅन सोच रहा था...

"क्या हुआ..? ऐसा क्या लिखा है उसने..? कहाँ खो गया?" वीरेंदर ने उत्सुकता से पूचछा...

"क्कुच्छ नही.. ऐसे ही.. ये तो वैसे ही है.. कुच्छ पुराना लिखा हुआ है..!" राज उसको उलट पुलट कर देखने का नाटक करते हुए बोला...

"फिर उसको बीमारी क्या है..? कल स्कूल में देखता हूँ..." वीरेंदर को उसकी बात पर विस्वास हो गया था..

"क्यूँ तुझे क्या प्राब्लम है..? मदद नही कर स्सकता तो कम से कम रोड़ा तो मत बन.." राज ने वीरेंदर को बोला...

"ठीक है बेटा.. ये गधे के दिन सबके आते हैं.. तेरे भी आ गये.. पर रोड़ा मैं नही.. वो रोड़ा फैंकने वाली बन रही है... 2 घंटे से देख रहा हूँ.. तू किताब के उसी पेज को खोले बैठा है....

"तू तो बुरा मान गया यार.. मेरा ये मतलब नही था.. चल ठीक है.. मैं थोड़ा बाहर घूम आता हूँ.. माइंड फ्रेश हो जाएगा.. उसके बाद पढ़ता हूँ..." राज ने बेड से उठहते हुए कहा...

"माइंड फ्रेश तो ठीक है.. पर ये रात को कंघी.. ये क्या चक्कर है..?" वीरू ने उसको घूरते हुए पूचछा....

"थोडा आगे तक जाकर अवँगा.. कोल्डद्रिंक्स भी ले आता हूँ.." शर्ट डालते हुए राज वीरेंदर की और मुस्कुराया....

"चल ठीक है.. दूध भी ले आना.. जल्दी आना.." वीरेंदर को उसकी बात से तसल्ली हो गयी...

"तू कितना प्यारा है यार..? दिल करता है तेरी चुम्मि ले लूँ.. हे हे हे.." राज ने मज़ाक में कहा तो वीरेंदर खिल खिलाकर हंस पड़ा," अब मक्खानबाज़ी मत कर.. जल्दी आना.. सच में यार.. तूने तो पढ़ना ही छ्चोड़ दिया है..."

"डोंट वरी भाई.. मैं सब संभाल लूँगा.." कहकर राज कमरे से बाहर निकल गया...

"ए प्रिया.. वो अब वहाँ नही है.. तेरी फाइल आने ही वाली है.. कल के लिए तैयार हो जाना.. याद है ना.. क्या शर्त थी..." रिया उपर जाकर चहकते हुए प्रिया से बोली...

"हाँ हाँ.. सब याद है.. खाँमखा प्रोमिस कर दिया.. छ्होटी सी बात के लिए.. ये तो मैं ही ना कर देती..." प्रिया मुस्कुराइ... वो बहुत खुश लग रही थी....

रूम से बाहर निकल कर राज ने 'वो' कागज निकाल लिया जिसमें प्रिया ने उसको अपने पास आने का निमंत्रण भेजा था.. वो भी अभी.. रात को... राज के लिए सब कुच्छ सपने जैसा था.. ऐसा सपना जिसमें कोई ना कोई तो 'कड़ी' थी ही.. जो बीच से टूटी हुई थी.. और वहीं पर राज का दिमाग़ अटका हुआ था..

'अगर वो शरीफ लड़की है तो मुझे क्या किसी को भी यूँ बुला नही सकती.. और फिर मेरी और उसकी जान पहचान ही क्या है.. सिर्फ़ 'फाइल' ही तो माँगी थी..' उधेड़बुन में फँसे राज ने वो कागज का टुकड़ा.. एक बार फिर निकाल लिया और दोबारा पढ़ने लगा...

"राज!

अभी आ जाओ ना प्लीज़.. बहुत ज़रूरी है.. मैं रिया को नीचे भेज रही हूँ.....

आइ आम वेटिंग

तुम्हारी दोस्त

प्रिया

'कमाल है.. इसमें ना तो कोई काम ही लिखा हुआ है.. और ना ही कोई वजह बताई गयी है.. फिर वो मेरा इंतजार कर किसलिए रही है.. क्या उसको किसी ने बता दिया है की मैं उसपर मरता हूँ... नही! ये कैसे हो सकता है..? वीरेंदर के अलावा कोई ये बात जानता ही नही.. फिर?????' राज का दिमाग़ चकरा रहा था पर दिल उच्छल रहा था.. दिमाग़ उसको धैर्या रखने को कह रहा था तो दिल कुच्छ कर गुजरने को बावला हुआ जा रहा था...

'क्या किया जाए?' अपने मकान के दरवाजे पर खड़ा होकर राज प्रिया के घर की छत को निहारने लगा... वहाँ काफ़ी अंधेरा था.. इसीलिए वह किसी को भी खड़ा दिखाई नही दे सकता था... प्रिया के घर दरवाजे से अंदर घुसना तो लगभग असंभव ही था.. पर साथ सटे हुए घर की सीढ़हियाँ उसके आँगन से शुरू होकर छत तक जाती थी.. पर उस घर के आँगन में लाइट जल रही थी.. दीवार फांदकर घुसना ख़तरनाक हो सकता था.. 'नही.. नही जा सकता' ऐसा सोचकर राज ने कागज के टुकड़े टुकड़े करके वही फैंक दिया और कोल्डद्रिंक लाने के लिए चल दिया.. एक लंबी गहरी साँस छ्चोड़कर....

हालाँकि राज ने ना जाने का पूरा मॅन बना लिया था.. पर फिर भी जाने क्यूँ वा बार बार पिछे मुड़कर देख रहा था.. छत तक जाने का रास्ता...

कहते हैं.. 'जहाँ चाह; वहाँ राह..' और राह मिल गयी.. थोड़ा सा रिस्क ज़रूर था.. पर मोहब्बत में रिस्क कहाँ नही होता...

साथ वाले घर से आगे निकलते हुए राज को उस घर की चारदीवारी के साथ खाली प्लॉट में एक भैंसा दिखाई दिया.. वो बैठा हुआ मस्ती से जुगली कर रहा था.. उसको क्या पता था की वो आज रात को दो प्यार करने वालों के बीच की 'दीवार' लाँघने का साधन बन'ने वाला है.. उसके उपर बैठ कर राज सीधा 'ज़ीने' में कूद सकता था.. और प्रिया के साथ वाले घर की छत तक बिना किसी रुकावट के पहुँचा जा सकता था... यानी आधी प्राब्लम सॉल्व हो जाने थी...

"चल बेटा.. खड़ा हो जा.." राज ने उसको एक लात मारी.. और बेचारा भैंसा.. बिना किसी लाग-लपेट के खड़ा होकर दीवार के साथ लग गया...

"शाबाश.. आ हैईन्शा.." और राज उसके उपर जा बैठा...

अब तक बिल्कुल शांत खड़े भैंसे को राज की ये हरकत गंवारा नही हुई.. और लहराती हुई उसकी पूंच्छ.. राज के चेहरे पर आ टकराई..

"अफ.. साले.. गोबर चिपका दिया.. क्या जाता है तेरा.. एक मिनिट में.." और फिर एक पल भी ना गँवाए राज ने उच्छल कर अपने हाथो से 'ज़ीने' की दीवार थाम ली.. फिर लटकते हुए उसने ज़ोर लगाया और अगले ही पल वो 'ज़ीने' में था...," श..! राज का दिल कूदने के साथ ही धक धक करने लगा.. यहाँ से अब अगर वो किसी को भी दिख जाता तो बड़ी मुसीबत आ जानी थी...

साथ वाले घर में उपर कोई कमरा वग़ैरह नही था.. राज बिना देर किए फटाफट छत पार करके प्रिया के घर के साथ जा चिपका.. उसकी साँसे बुरी तरह उखड़ गयी थी.. जिस तरह और जिस हालत में वो यहाँ था.. ऐसा होना लाजिमी ही था.. अपनी धड़कनो पर काबू पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था...

यहाँ से उसको प्रिया और रिया के धीरे धीरे बोलने की आवाज़ें आ रही थी.. वहाँ से आगे करीब 6 फीट ऊँची दीवार को लाँघना 6 फीट के ही राज के लिए कोई मुश्किल काम ना था... राज ने कुच्छ देर ऐसे ही खड़ा रहकर अपनी साँसों को काबू में किया.. और आख़िरी दीवार भी लाँघ गया.. वहाँ से साथ वाले कमरे में ही प्रिया और रिया उसकी ही बातों में व्यस्त थी...

पर बातें सुन'ने का टाइम किसके पास था.. उसका तो 'बुलावा' आया था ना; फिर वो क्यूँ और किस बात का इंतज़ार करता.. बिना एक भी पल गँवायें राज तपाक से कमरे में घुस गया...

अपने सामने यूँ अचानक 'लुटेरों' की शकल बनाए राज को देखकर प्रिया सहम गयी.. डर के मारे उसकी तो साँस ही गले में अटक गयी.. रिया की तो चीख निकल गयी... हंगामा हो जाना था.. अगर प्रिया समय से पहले ही स्थिति भाँप कर उसके मुँह को अपने हाथ से ना दबा देती तो..

"तूमम.. यहाँ.... यहाँ क्या करने आए हो?" सहमी हुई प्रिया के गले से अटक अटक कर बात निकल रही थी...

"तुमने ही तो बुलाया था..." राज गले का थ्हूक गटक कर अपनी शर्ट की आस्तीन नीचे करते हुए बोला.. डरा हुआ वह भी था..

"भाग जाओ जल्दी.. सब मारे जाएँगे.. मम्मी जाग रही है.." प्रिया धीरे से हड़बड़ाहट में बोली...

"अजीब लोग हो तुम भी.. पहले बुलाते हो.. फिर बेइज़्ज़ती करते हो.. पता है कितना जोखिम उठा के आया था.." राज खिसिया सा गया था.." अजीब मज़ाक किया तुम दोनो ने आज मेरे साथ.." कहकर वो वापस पलटा तो अब तक चुपचाप खड़ी रिया बोल पड़ी...," नही, रूको राज... एक मिनिट.. तुम यहीं ठहरो.. मैं मम्मी को देखकर आती हूँ..." कहकर रिया कमरे से बाहर निकली और तुरंत ही वापिस पलटी," इस बेचारे का चेहरा तो धुल्वा दो..!" कहकर अपनी बत्तीसी निकाली और नीचे भाग गयी...

"क्यूँ? मेरे चेहरे को क्या हुआ.." कहते हुए राज ने अपने चेहरे को हाथ लगाया तो चिपका हुआ गोबर उसके हाथो को लग गया..," ओह्ह... वो.. भैंसे की पूंच्छ..." फिर रुक-कर अचानक इधर उधर देखने लगा....

"बाथरूम इधर है.. प्रिया उसकी शकल देखकर मुश्किल से अपनी हँसी रोक पा रही थी.. इश्स कोशिश में उसने अपने निचले होंठ को ही काट खाया था.."

"ओह्ह.. थॅंक्स.." कहकर वह बाथरूम में घुस गया....

बाहर आते ही उसने सीधा सा सवाल किया..," मुझे क्यूँ बुलाया था यहाँ..?"

"हमने?... हमने कब बुलाया था.." सामान्य होने के बाद भी प्रिया की आवाज़ नही निकल पा रही थी.. वह अभी तक एक तरफ खड़ी थी.. अपने हाथ बाँधे हुए.. और लगातार राज से नज़रें चुरा रही थी.. कभी इधर देखती.. कभी उधर.. ना खुद बैठही और ना ही राज को बैठने को कहा...

"तो?.. वो पत्थर क्यूँ मार रहे थे.. तुम.. मेरा सिर फोड़ने के लिए..?" प्रिया को हिचकिचाते देख राज 'शेर' हो गया.. खैर उसका गुस्सा जायज़ भी था.. बेचारा कितने बॉर्डर पार करके जो आया था..

"वो.. वो तो.. हमने फाइल माँगी थी.... गेट के नीचे से डालने को बोला था.. ले आए फाइल..?" प्रिया ने आख़िरी शब्द बोलते हुए एक बार राज को नज़र उठाकर देखा.. पर उसको अपनी ही और देखते पाकर तुरंत ही नज़र फिर से झुका ली...

"कब बोला था.. फाइल के लिए...? मुझे तो यहाँ आने के लिए बोला था... और वो भी अभी!" वैसे तुम रिया हो या प्रिया..?" राज तो प्रिया के लिए ही आया था........

"प्रिया..... तुम्हे कौन चाहिए..?" जाने कितनी हिम्मत जोड़ कर प्रिया ने ये व्यंग्य कर ही दिया...

"मुझे कुच्छ नही चाहिए.. बस ये बताओ.. यहाँ बुलाया क्यूँ?" राज भी अब तक सामान्य हो गया था..

"कहा नाअ..." प्रिया ने अब की बार सीधा उसकी नज़रों में झाँका था.. इसीलिए आगे बोल नही पाई...

[color=#8000bf][size=large]राज भी अपने मंन की बात कह ही देना चाहता था.. और आज मौका भी था.. और मौसम भी..," एक बात बोलूं.. प्रिया.. मैने आज तक किसी लड़की से बात तक नही की है.. पर.. तुमने बुलाया तो खुद को रोक ही नही पाया.. तुम मुझे बहुत अच्छि लगती हो.. मेरा तो पढ़ना लिखना ही छ्छूट गया है.. जब से तुम्हे देखा है... कहते हुए राज
Reply


Messages In This Thread
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल - by sexstories - 11-26-2017, 02:00 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,543,932 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,269 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,250,558 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 945,447 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,679,030 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,101,875 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,986,919 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,174,828 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,076,169 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,049 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)