RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--21
अंदर शमशेर तैयार हो चुका था.. दिशा अंदर गयी तो वह सिर्फ़ अंडरवेर में बेड पर बैठा था... "बहुत जल्दबाज़ी करते हो.. मैं अगर ना आती तो.." "उठा लाता तुम्हे.. ज़बरदस्ती.. आज नही रुकता; किसी भी कीमत पर.. दिशा अपनी नाइटी निकाल कर शमशेर के उपर जा गिरी... और उसके छाती के बालों को सहलाने लगी...," तुम जब यूँ ज़बरदस्ती सी करते हो तो मज़ा और बढ़ जाता है.." "इसका मतलब तुम्हारा रेप करना पड़ेगा.." शमशेर ने दाई और पलट कर उसको अपने नीचे ले आया.. और उसकी छातियों को मसालने लगा.. उसके होंटो से खेलने लगा.. 5 मिनिट में ही सब कुछ दिशा की बर्दास्त के बाहर था.. वह अपनी चूत पर हाथ फिरा रहे शमशेर के लंड को अपनी मुति में भींच कर बोली..," अब और मत तद्पाओ जान अंदर कर दो... मुझसे सहन नही हो रहा.. उसने आँखें बंद कर ली.. शमशेर ने सीधा लेट कर दिशा की दोनो टाँगों को अपनी कमर के गिर्द करके उपर बिठा लिया.. दिशा की चूत का मुँह शमशेर के लंड के ठीक उपर रखा था.. शमशेर ने उसकी चूचियों को दोनो हाथों से संभाला हुआ था.. "ऐसे मज़ा नही आता जान.. आ.. मुझे नीचे लिटा लो ना..!" दिशा लंड की मोटाई अपनी चूत के मुहाने पर महसूस करती हुई बोली... "मेरी जान.. प्यार आसन बदल बदल कर करना चाहिए.. " कहते हुए शमशेर ने दिशा को थोड़ा उपर उठाया और अपना सूपड़ा सही जगह पर रख दिया...
दिशा अपने आपको उसमें फाँसती चली गयी," आआअहहााआहहाा..आइ लव यू जाआआआआन!" उसने शमशेर की छाती से चिपकने की कोशिश की.. पर शमशेर उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलता; दबाता.. उसको धीरे धीरे उपर नेचे करने लगा..... दोनो सबकुछ भूल चुके थे.. वाणी को बाहर ढेरे धीरे आ रही उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी.. उसका मन पढ़ाई में नही लगा.. वा अपने बेडरूम में गयी और बेड पर लेट कर स्कर्ट ऊँचा उठा कर अपनी गीली हो चुकी चूत से खेलने लगी... जाने कब शमशेर दिशा की बेस्ट पोज़िशन.. में उसको ले आया था.. दिशा टाँगें उठाए सिसक रही थी.. शमशेर दनादन धक्के मार रहा था...... दिशा के 2 बार झड़ने पर भी शमशेर ने उसको नही छ्चोड़ा.. वह सारी कसर निकाल लेना चाह रहा था... जब तीसरी बार भी दिशा ने जवाब दे दिया तो शमशेर ने अपना लंड बाहर निकाला और अपने हाथ से ही स्ट्रोक चालू कर दिए... दिशा आँखें बंद किए... उसकी गोलियों को सहला रही थी... अचानक एक तेज झटकेदार धार ने दिशा की छाती को प्यार के रस से बुआर दिया.. दोनो निहाल हो उठे........ दिशा जब अपने आपको सॉफ करके बाहर आई तो वाणी सो चुकी थी... अपनी भूख अपने हाथों से शांत करके... दिशा वापस शमशेर के पास गयी और बेड पर उससे लिपट गयी... "का बात है..? पढ़ाई नही करनी क्या?" शमशेर ने उससे मज़ाक किया..! "हुम्म... इतना तक जाने के बाद पढ़ाई हो सकती है भला... दिशा ने शमशेर की छाती पर सिर रखा और अपनी आँखें बंद कर ली...... अगले दिन टफ ने सदर थाने ले जाकर शिवानी की स्टेट्मेंट रेकॉर्ड की और फिर कोर्ट ले जाकर अंडर सेक्षन 64 के तहत सी जे एम कोर्ट में पेश कर दिया... शिवानी ने अपनी स्टेट्मेंट में शिव के साथ ही ओम पर भी आरोप लगाए.. शिव को शाह देने और उकसाने के लिए.. जज साहब ने दफ़ा 363, 366, 373 और 506 की धारायें शिव पर लगाई और शिव और ओम की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया.... इंक्वाइरी ऑफीसर ए.एस.आइ. अभिषेक ने उन्हे 3 दिन के अंदर गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया जहाँ से दोनो को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जैल भेज दिया गया...... अंजलि को सुनकर धक्का सा लगा.. पर उसने ये सोचकर संतोष कर लिया की करनी का फल तो उसको भुगतना ही पड़ेगा... और फिर राज तो साथ था ही... उसकी तन की आग शांत करने के लिए... गौरी यह सब जान कर उद्वेलित सी हो गयी और मन ही मन शिवानी और राज से खार खाने लगी... आख़िर जैसा भी था.. उसका बाप था... फिर उसने कुछ किया भी तो नही था....!
पूरा दिन ना तो सीमा का फोन आया था और ना ही उसने उठाया.. टफ बेचैन हो गया.. सुबह से करीब 50वा फोन था जो अब जाकर सीमा ने उठाया..," हेलो!" सीमा की आवाज़ सुनकर टफ की जान में जान आई.. ," कहाँ थी आप.. सारा दिन?" "मैं लाइब्ररी में थी.. एग्ज़ॅम की तैयारी घर पर नही होती.. कोई ना कोई आया ही रहता है दुकान पर... " "पर कम से कम फोने उठा कर बता तो देती.. मैं कितना परेशान रहा सारा दिन..!" "सच में.." सीमा के चेहरे पर उसके प्यार में पागल आशिक की तड़प की चमक तेर उठी.." लगता है आपको किसी से प्यार हो गया है.." सीमा ने इठलाते हुए कहा.. "प्यार की तो... बताओ ना क्यूँ नही उठाया फोन?" टफ के मुँह से कुछ उल्टा पुल्टा निकालने वाला था... "अरे ये साइलेंट पर रखा हुआ था... टेबल पर.. मैने देखा ही नही.. अब घर फोन करने के लिए निकाला तो आपकी कॉल आती हुई देखी... "कब से हैं आपके एग्ज़ॅम?" "तीन तो अभी हैं इसी हफ्ते में.. एक 28 एप्रिल को है..." सीमा ने पूरी डटे शीट ही बता डाली... " क्या हम नेक्स्ट सनडे मिल सकते हैं..?" टफ उसको देखने के लिए बेचैन हो उठा था... " नेक्स्ट सनडे क्यूँ.. कभी भी मिल लो घर आकर..! तुम्हे तो वैसे भी कोई नही रोक सकता.. पोलीस इनस्पेक्टर हो!" सीमा ने कहा!"
"सीमा जी प्लीज़.. मुझे बार बार शर्मिंदा ना करें.. और मैं घर की बात नही कर रहा.. कहीं बाहर...?" "कभी नही...!" सीमा हँसने लगी.. "क्या कभी भी नही...?" टफ को झटका लगा.. "अच्छा जी.. सॉरी! अभी नही.. बस!" सीमा ने अपना वाक़्या सुधारा.. "अभी नही तो कब? देख लो मैं सीधा घर आ जवँगा..!" "क्यूँ.. उठाकर थाने ले जाने..!" सीमा ने फिर चोट की.. "आप क्यूँ बार बार मेरे जले पर नमक छिड़क रही हैं.... उठाकर तो अब मैं आआपको डॉली में ही लेकर अवँगा.." "देखते हैं.." खुद की शादी की सोच कर सीमा चाहक पड़ी... तभी टफ के फोन पर शमशेर की कॉल वेटिंग आने लगी..," अच्छा! शमशेर का फोन है.... मैं बाद में करता हूँ..बाइ!" बाइ कहकर सीमा ने फोन काट दिया... टफ ने शमशेर की कॉल रिसीव की," हां भाई!" "अबे कितनी देर से फोन कर रहा हूँ.. तेरे लिए एक इन्विटेशन आया है..!" "कैसा इन्विटेशन भाई?" "वो मेरे एक पुराने यार का फोन आया था.. कोई चिड़िया फँसाई है.. कह रहा था मस्त आइटम है... साथ एंजाय करेंगे... अब मैने तो; तुझे पता ही है.... मस्ती छोड़ दी है.. सो सोचा तुझे बता दूं...!" शमशेर ने टफ को इन्विटेशन के बारे में बताया.. टफ का माइंड 50-50 हो गया.. कभी उसको सीमा का चेहरा याद आता कभी नयी चिड़िया के साथ हो सकने वाली मस्ती... "अबे कुछ बोल.. क्या कहता है.." "ठीक है भाई.. एक पाप और सही.. बोल किधर आना है.... पर ये आखरी; हां!" "उसके बाद क्या सन्यासी बन'ने का इरादा है..?" शमशेर ने उसके मन को टटोला.. "सन्यासी नही भाई.... घरवासी.. सीमा का पति.. और पत्निवर्ता पति...!" "छोड़ साले! इस जानम में तो तू सुधार नही सकता.. लिख कर ले ले.." "बता ना भाई.. किधर आना है..?" "आना नही है.. जाना है.. रोहतक!" शमशेर ने बताया.. "अरे वाह.. एक तीर से दो शिकार.. सुबह सीमा से भी मिलता आउन्गा..... थॅंक यू बिग ब्रदर.. थॅंक यू.." टफ उछल पड़ा.. "जा ऐश कर साले!" शमशेर ने मज़ाक किया.... "भाई तूने गाली देनी सीख ली..?" टफ ने 'साले' पर ऐतराज किया.. "गाली नही है साले.. अपना रिश्ता बता रहा हूँ.. तूने वाणी को बेहन बोला था की नही...!" "आब्बी यार! तू तो मेरा फालूदा करवा कर मानेगा... चल ठीक है जीजा जी.. अब उस्स दोस्त का नंबर. तो लिखवाओ!" शमशेर ने टफ को उस्स दोस्त का नंबर बताया..," और हां तुम एक दूसरे को जानते हो!" "कौन है मदारचोड़!" टफ के दिल में उतार आई रंगीनियत उसके बोल में झलकने लगी... "शरद..!" "शरद कौन?" "अरे शरद ओला यार... कॉलेज में जो मुझसे जूनियर था.. प्रेसीडेंट बनवाया था जिसको हुमने...." शमशेर ने "अरे शरद यार! कॉलेज में जो मुझसे जूनियर था और हमने जिसको प्रेसीडेंट का एलेक्षन लॅड्वेया था.." शमशेर ने टफ को याद दिलाने की कोशिश की... "अर्रे शरद... भाई, वो मेरा दोस्त था पहले... अब आपका कोई अहसान नही है.... आपने तो हद कर दी यार... उसको कहाँ से ढूँढ निकाला.. क्या जिगर वाला लड़का था.." टफ शरद को याद करके खुश हो गया... "चल ठीक है..... कल शाम का प्रोग्राम कह रहा था.. तू उससे बात कर लेना..." "पर भाई उसको बताना नही की अजीत आ रहा है... मैं सर्प्राइज़ दूँगा.. तो उससे फोन करके पूछ लेना, वो कहाँ वेट करेगा... मैं अचानक एंट्री मारूँगा..." "ठीक है... ! ओक, बाइ..." "बाइ भाई... थॅंक युउउउउउउउउउउउ....." टफ बहुत खुश था अपने दोस्त को दोबारा पाकर... पर वो उस'से कयि साल बड़ा था.. करीब 4 साल.... टफ बेशबरी से अगले दिन का वेट करने लगा..
अगले दिन स्कूल से छुट्टी के वक़्त वाणी ने अपनी सहेली को कहा," मानसी! तुम आज भी मेरी बुक लेकर नही आई ना... कल से एग्ज़ॅम शुरू हैं.. अब क्या करूँ.." मानसी अपने माथे पर हाथ लगाकर बोली," ओहो! यार.. तू फोन पर याद दिला देती!" "अरे मुझे भी तो अब्भी याद आई है... चलो मैं तुम्हारे घर होते हुए निकल लेती हूँ." वाणी ने अपना बॅग उठाते हुए कहा... "व्हाट ए ग्रेट आइडिया! इसी बहाने तुम मेरा घर भी देख लॉगी... चलो!" मानसी खुस हो गयी... जल्दी ही दोनो घर पहुँच गयी.. दरवाजा मानसी के भाई ने खोला..," इनसे मिलो! ये हैं मेरे भैया, मनु! और भैया ये हैं मेरी प्यारी सहेली, वाणी! जिसके बारे में घर में हमेशा बात करती हूँ.. मनु वाणी को गौर से देखने लगा... वाणी तो थी ही गौर से देखने लायक... आँखों में चमक, होंटो पर अंत हीन मुस्कान और शरीर में कमसिन लचक.... मनु वाणी को देखता ही रह गया... अचानक वाणी अपने मुँह पर हाथ रखकर ठहाका लगा कर हंस पड़ी.. वो लगातार मनु की और देखे जा रही थी... और हंस रही थी.. बुरी तरह... "क्या हुआ वाणी?" मानसी ने वाणी को इश्स तरह बिना वजह ज़ोर ज़ोर से हुंस्ते देखकर पूछा... मनु की हालत खराब होने लगी...," अंदर आ जाओ.. बाहर क्यूँ खड़े हो..?" वाणी ने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी," मानी! सच में यही तुम्हारा भाई है..?" "हां क्यूँ?" मानसी को सहन नही हो रहा था.. "वाणी अपना बॅग टेबल पर रखते हुए सोफे पर बैठ गयी और फिर हंसते हंसते लोटपोट हो गयी...! "बात क्या है वाणी.. बताओ भी.." मानसी ने रूखे स्वर में कहा... "मानी! तुम तो कहती थी.. तुम्हारा भाई बहुत इंटेलिजेंट है..आइ आइ टी की तैयारी कर रहा है... इसकी शर्ट तो देखो.." कहते हुए वाणी फिर खिलखिला पड़ी.. अब दोनो का ध्यान शर्ट पर गया.. मनु ने शर्ट उल्टी पहन रखी थी.. मनु देखते ही झेंप गया.. वो झट से अंदर चला गया... जिस वाणी के बारे में अपनी बेहन से सुनसून कर उससे एक बार मिलवा देने की भगवान से दुआ करता था... उसने आते ही उसको 'बकरा' साबित कर दिया..... "तो क्या हो गया वाणी.. तुम भी ना.. मौका मिलते ही इज़्ज़त उतार लेती हो बस... ये भोला ही इतना है... इसको पढ़ाई के अलावा कुछ नही आता...! हां पढ़ाई में इसका कोई मुकाबला कर नही सकता... वाणी अब तक बात को भुला चुकी थी," अच्छा मानी! अब बुक दे दो! मैं चलती हूँ... इतने में मनु एक ट्रे में चाय और नमकीन ले आया... बकायडा शर्ट सीधी पहन कर..," चाय लेती जाओ.." मानसी मनु का ये रूप देखलार चौंक पड़ी..," अरे भैया! आज कहीं सूरज पस्चिम से तो नही निकला था... क्या बात है.. इतनी सेवा! चिंता मत करो.. मेरी बेस्ट फ्रेंड है.. शर्ट वाली बात स्कूल में लीक नही होगी.. है ना वाणी.." "चाय पीकर बतावुँगी... क्या पता इसमें भी कुछ!" कहकर वाणी फिर हँसने लगी.. उसने चाय का कप उठा लिया.... मनु वाणी को चाय पीते एकटक देखता रहा.. हालाँकि जब वा देखती तो नज़रें हटा लेता... पहली नज़र में ही वा उसको अपना दिल दे बैठा था... चाय पीकर वाणी जाने लगी तो मनु को लगा.. दिन ढाल गया! पता नही यह कयामत फिर कक़्ब दर्शन देगी.
उधर टफ शमशेर के बताए ठिकाने पर ठीक 6 बजे पहुँच गया.. उसको वाइट सिविक गाड़ी की पहचान बताई गयी थी.. टफ को गाड़ी डोर से ही दिखाई दे गयी.. टफ जान बूझ कर वर्दी में आया था.. उसने गाड़ी काफ़ी दूर पार्क की.. और उतर कर वाइट सिविक की और चल दिया.. गाड़ी के शीशे ज़्-ब्लॅक थे.. पर अगला शीशा खुला होने की वजह से उसको शरद बैठा दिखाई दे गया.. वो शमशेर की राह देख रहा था... टफ ने उसको देखते ही पहचान लिया पर शरद के द्वारा टफ को पहचान'ना मुश्किल काम था.. एक तो उस्स वक़्त और अब में डील डौल में काफ़ी फ़र्क आ गया था.. दूसरे शरद को अहसास भी नही था की कभी उसका खास दोस्त रहा अजीत अब उसको टोकने ही वाला है... "आए मिसटर... नीचे उतरो और कागज दिखाओ!" टफ ने उसके कंधे पर हाथ मार कर कहा... "कौन है बे तू? दिखाओ क्या कागज? चल मूड ऑफ मत कर... अपना रास्ता नाप.. नही तो अभी बेल्ट ढीली कर दूँगा.." शरद शुरू से ही दिलेर था.. और अब तो उसने पॉलिटिक्स में भी पैर जमा लिए थे.. उसकी पार्टी की ही हरयाणा में सरकार थी और नेक्स्ट एलेक्षन में उसका टिकेट भी पक्का था... टफ भी मान गया उसकी दिलेरी को.. पर उसने अपना रुख़ कड़क बने रखा....," नीचे उतार कर चुप चाप कागज दिखा वरना घुसेड दूँगा अंदर.... सफेद कपड़े पहन कर ये मत समझ की नेता बन गया है... नेता गीली कर देते हैं यहाँ....." शरद को सब सहन नही हुआ," तेरी तो..." उसने गाड़ी से उतरते ही अपना हाथ सीधा टफ के चेहरे की और किया... पर बिना एक पल गँवाए.. टफ ने उसका हाथ हवा में ही रोक लिया...," अबबे साले! शरद होगा अपने घर में... तेरे को बॉडी नही दिखती क्या सामने वाले की... रहम कर अपनी हड्डियों पर वरना भाभी जी....!" शरद अचंभे में पड़ गया," कौन है बे तू?... यानी तू मुझको जानता है... शरद गाड़ी के आगे जाकर खड़ा हो गया और उसको गौर से देखने लगा...," चल बता ना यार तू है कौन... बता दे चल..!" "साले तेरी 'कुतिया' वाली बात आज तक पेट में दबाए बैठा हूँ.. और तू है .... "आब्बी.. तेरी तो... अजीत... सुकड़े.. साले... तू इतना तगड़ा हो गया बे.." शरद ने भागकर टफ को अपनी छाती से लगा लिया.. उसकी आँखों में आँसू आ गये...," यार कितना प्यारा दिन है...,"अपने शमशेर भाई साहब भी आने वाले हैं... उनसे मिला है क्या तू.. कॉलेज के बाद!" "उन्होने ही तो भेजा है तेरे पास... झटका देने को... वो नही आ रहे... वो सुधर गये हैं ना..." "चलो अच्छा है.. चल आ बैठ गाड़ी में... आज तेरा अहसान चुका दूँगा.. कुतिया वाली बात पाते में रखने का.." दोनो ठहाका लगाकर हंस पड़े.. गाड़ी में बैठे और गाड़ी चल दी. टफ ने गाड़ी में बैठते ही पीछे की और देखा, 21-22 साल की लगने वाली दो हसीन लौंडिया पिछली सीट पर आराम से बैठी थी... ," इनमें से चिड़िया कौनसी है शरद...?" "अरे दोनो ही चिड़िया हैं मेरी जान... जा पीछे बैठ जा.. जी भर कर देख परख ले.. साली मस्त लड़कियाँ हैं दोनो.. किसी को हाथ तक नही लगाने देती थी... मैं रास्ते पर लेकर आया हूँ... दोनो की सील तोड़नी है आज! जा पीछे जा.." "क्या जल्दी है शरद.. पूरी रात ही अपने पास है..." "जैसी तेरी मर्ज़ी भाई...!" शरद ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी... सेक्टर वन में एक आलीशान कोठी के सामने गाड़ी रुकी.. गेट कीपर ने दरवाजा खोल दिया और गाड़ी सीधी अंदर चली गयी.... "यार! ये तेरा ही घर है क्या?" टफ ने आसचर्या से पूछा... "नही भाई! एक मंत्री का है... पर इसको यूज़ में ही करता हूँ... दिन में ये पार्टी का ऑफीस हो जाता है और रात को अयाशी का अड्डा.." शरद हंसते हुए बोला... "सही है बॉस! क्या अंदाज है; जनता की सेवा करने का.." टफ ने कॉमेंट किया.. "अरे आजकल तो पॉलिटिक्स ऐसे ही चलती है... अगर बिना घोड़े (रिवाल्वेर) और घोड़ी ( लड़की) के पॉलिटिक्स करने निकलोगे तो कोई वोट मिलना तो दूर की बात है.. टिकेट ही नही मिलेगा...." बात करते करते दोनो एक बड़े हॉल में पहुँच गये... उनके जाते ही सर्वेंट जॉनी वॉकर की 2 बोतलें और कुछ खाने पीने का सामान रखकर जाने लगा.. "जब तक कोई ना बुलाए, अपनी तशरीफ़ मत लाना..बहादुर!" "ठीक है शाब! वेटर ने बोला और चला गया.. "अरे मेरी अनारकलियो! अंदर आ जाओ.. काहे शर्मा रही हो... वो दोनो अंदर आकर उनके सामने सोफे पर बैठह गयी... "पैग बनाने आते हैं क्या?" शरद ने उनसे पूछा.. दोनो ने नज़रें झुका कर ना में सिर हिला दिया... "यार शरीफ लड़कियाँ चोदने का यही मज़ा है.. शरमाने की हद करती हैं... आखरी साँस तक.. अंदर डलवाकर भी शरमाती रहेंगी. ज़रा करीब आ जाओ मेरी तितलियो.. तुम्हे भी पीनी पड़ेगी.. हमारे साथ.. तभी तो महफ़िल का रंग जमेगा.." एक ने बोलने का साहस किया," नही सर! हम पी नही सकते.. हमें आदत नही है.." "अरे हम सीखा देंगे पीना भाई! ये कौनसी बड़ी बात है... और भूलो मत... आज की रात तुमपर मेरा हक़ है.. यही डील हुई थी ना! अगर जाना चाहो तो जा सकती हो... आइ हेट रेप!" और शरद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा... बातों बातों में वो पहला पैग ले चुके थे.. पर टफ खामोश था... दोनो लड़कियों ने एक दूसरी को देखा और दोनो आकर शरद और टफ के बीच में बैठ गयी..... "ये लो! जल्दी खाली करो.. और पैग भी बनाने हैं..." शरदने दोनो को पैग थमा दिए.. दोनो जैसे तैसे कड़वी दवाई समझ कर पहले पैग को अपने गले से नीचे उतार गयी... एक बार झुरजुरी सी आई.. और फिर नॉर्मल हो गयी.. शरद ने अपने सहारे बैठी लड़की की जांघों पर हाथ मार कर कहा..," देख भाई.. मुझे तो वो तेरी तरफ बैठी पतली जांघों वाली ज़्यादा पसंद है.. वैसे तेरी इच्छा..." शरद ने दूसरे पैग तैयार कर दिए थे.. टफ ने दोनो को उपर से नीचे तक देखा.. उसकी तरफ वाली हद से जाड़ा पतली थी.. हां छातियाँ देखकर उसकी उमर का अंदाज़ा हो जाता था.. पर बाकी तो वो सोलह से उपर की ही नही दिखती थी... दूसरी उसकी बजाय.. सारी गदराई हुई अच्छे जिस्म वाली थी.. जैसी टफ को पसंद होती हैं... रंग दोनो का सॉफ था और जीन्स टॉप में कमाल की सेक्सी लग रही थी.. एक से बढ़कर एक..... "टफ ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ दूसरा पैग भी गले से नीचे उतार लिया.. दोनो लड़कियाँ अब भी अपने हाथ में लिए गिलासों को देख रही थी... शरद के कहते ही उन्होने गिलास खाली कर दिए... दोनो लड़कियों पर शराब का असर सॉफ दिख रहा था.. अभी तक चुपचाप और चिंतित दिखाई दे रही दोनो अब कभी कभार एक दूसरी को देखकर मुश्कुरा जाती... अरे प्रिया.. ज़रा म्यूज़िक तो ऑन कर दे... वहाँ गेट की तरफ से दूसरा स्विच है... पतले वाली लड़की उठी और म्यूज़िक चल पड़ा... "शाम को दारू... रात को लड़की.... आए गनपत...."
तीसरा पैग लेते लेते लड़कियाँ बैठी बैठी ही गानो की धुन पर थिरकने सी लगी थी.... वो पूरी तरह अपने आपको भुला चुकी थी.. और शरद की बातो. पर ज़ोर ज़ोर से हुँसने लग जाती..... "चलो भाई.. एक मुज़रा हो जाए.. चलो दिखाओ अपनी नृत्या प्रतिभा.... मुझे पता है तुम दोनो ने यूनिवर्सिटी के यौथ फेस्टिवल में इनाम जीता था... मैं सी.एम. साहब के साथ वहीं था... तभी से तो मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था....." लड़कियाँ अपना आपा खो चुकी थी.. और उनमें भी पतले वाली... अपने प्राइज़ की याद करके वो दोनो अपने आपको ना रोक सकी और गाना बदल कर थिरकने लगी....... टफ दोनो लड़कियों के लहराते, बलखते बदन को गौर से देख रहा था.. वास्तव में ही उनके डॅन्स में क्वालिटी थी.. शरीर की लचक तारीफ़ के लायक थी.. टफ का ध्यान निरंतर उनके नितंबों की ताल पर ही थिरक रहा था.. कभी इश्स पर; कभी उस्स पर... नाचने की वजह से दोनो लड़कियों के खून का प्रवाह ज्यों ज्यो तेज होता जा रहा था.. वैसे वैसे उन पर शराब हावी होती जा रही थी.. अब उनके चेहरे से मजबूरी नही बुल्की उनकी अपनी इच्छा झलक रही थी.. समय बीतने के साथ दोनो के डॅन्स में कला कम और वासना अधिक होती गयी.. तभी शरद ने एक का नाम लेकर बोला और दोनो ने अपना टॉप उतार कर हवा में उछाल दिया.. अब उनकी चूचियाँ मस्ती से लरज रही थी, उछाल रही थी और बहक रही थी.. ब्रा से बाहर आने को... शरद ने काम आसान कर दिया.. वो सोफे से उठा और एक एक करके दोनो को अपने सीने से दबोच कर उनकी ब्रा के हुक खोल दिया.. एक बार दोनो हिचकी.. अपनी ब्रा संभालने की कोशिश की. पर हुक ना डाल पाने पर पतले वाली ने अपनी ब्रा निकाल कर फैंक दी... मोटी कहाँ पीछे रहती.. टफ का कलेजा मुँह को आने लगा.. उसका तो जैसे नशा ही उतर गया.. उसने एक पैग और बनाया और तुरंत खाली कर दिया... दोनो की छातियों में अद्भुत रूप से एक जैसी ही गति थी.. नशे में भी शर्म के चलते उनके निप्पल कड़क हो गये.. उनकी छातियाँ अचानक ही भारी और सख़्त लगने लगी... पेट दोनो का ही पतला और अंदर को धंसा हुआ था.. नाभि से नीचे जांघों के बीच जा रही हड्डियाँ इशारा कर रही थी.. अंदर क्या माल है... बहुत हो गया था... शरद ने टफ को कहा..," तू कुछ सीरीयस लग रहा है यार... एंजाय नही कर रहा महफ़िल को... तू मूड में भी है या मुझे ही दोनो उसे करनी पड़ेंगी..." "बेडरूम किधर है?" टफ ने शरद से पूछा.. "अरे हम दोनो में कैसी शरम यार.. यहीं चोद डालते हैं ना दोनो को बारी बारी... वैसे अगर तुझे एकांत चाहिए तो वो रहा बेडरूम का दरवाजा.. पतले वाली मेरी फॅवुरेट है.. वैसे जो तू चाहे ले जा.. ऐश कर... टफ ने मोटी को अपने कंधे पर उठाया और बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया...... उधर शरद ने इशारे से पतले वाली को अपने पास बुलाया.. उसका सिर चकरा रहा था.. वह आई और सोफे पर बैठ गयी.. उसकी छातियों से पसीना चू रहा था.. जम कर नाची थी वो... शरद ने बारी बारी से उसकी दोनो चूचियों को हाथों में लेकर देखा," हाए! क्या चीज़ है तू जाने-मन!" और एक चूची को ज़ोर से दबा दिया.. "ऊई मा.." लड़की के मुँह से निकला.. "कितनी प्यारी चूचियाँ है तेरी.. जानेमन..!" लड़की शर्मा कर उसकी छाती से लग गयी.. "ज़रा मेरे भी तो बटन खोल दे..." शरद ने उसके निप्पल पर उंगली घूमाते हुए कहा.. चल आजा मेरी गोद में बैठ जा.. शरद ने अपनी पॅंट निकालते हुए कहा.. लड़की बेहिचक उसके अंडरवेर के उभार पर बैठ गयी.. उसको अजीब सा अहसास हुआ... उसने अपनी कमर शरद के सीने से लगा ली और हाथ पीछे लेजकर उसका सिर पकड़ लिया.. शरद ने अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी जीन्स का बटन खोल दिया.. चैन नएचए सर्कायि और लड़की ने अपनी कमर उचका ली.. जीन्स निकलवाने के लिए...
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