RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--18
आधे बेड पर लेट राज को आज शिवानी कुछ ज़्यादा ही याद आ रही थी.... मनाली के सपने ने उसको बहुत ज़्यादा उत्तेजित कर दिया था. उसकी पतिवर्ता पत्नी अगर आज उसके पास होती तो वो उसको जी भर कर प्यार करता... उसने घड़ी में समय देखा.. लगभग 4:30 बाज चुके थे. उसने सुबह उठाते ही शिवानी को फोन करके उसी दिन बुलाने का निस्चय किया और उस्स तकिये को, जिसको अक्सर वो प्यार करते हुए शिवानी को नीचे से उपर उठाने के काम लाता था, अपनी छाती से लगाया और सो गया..
निशा गौरी को लेते लेते ध्यान से देख रही थी... गौरी किसी भी तरह से निशा से कम नही थी... उसका भाई गौरी से प्यार करता था और निशा अपने भाई को खोना नही चाहती थी... किसी भी कीमत पर... वह मन ही मन में भुन सी गयी... उसने उल्टी लेट कर सोई हुई गौरी के मस्त पुत्तों को देखा... यहाँ निशा गौरी से थोडा सा पिछड़ रही थी.. निशा ने अपनो जांघों को सहला कर देखा... 'क्या मेरा भाई मुझे छोड़ देगा?' उसने मन ही मन गौरी को संजय के दिल से निकालने का निस्चय किया और संजय को गौरी के दिल में ना बसने देने का...
अंजलि ने ओम की और देखा, वैसे तो वह सेक्स के प्रति इतना उत्सुक कभी नही रहता था... पर आज तो उसने उससे बात तक नही की... पहले के दीनो में ओम कम से कम उसकी छाती पर हाथ रखकर तो सोता था... पर आज तो उसने पीठ ही अंजलि की और कर रखी थी देखने के लिए.. अंजलि ने भी दूसरी और करवट बदल ली और सो गयी.......
शिव की गाड़ी करीब 6:30 बजे फार्म हाउस पहुँची... गेट्कीप ने दरवाजा खोला और शिव गाड़ी को सीधा ग़ैराज ले गया... वहाँ उसकी पालतू.. लड़कियाँ आधे अधूरे कपड़ों में लिपटी उसका इंतज़ार कर रही थी...
शिवानी होश में आ चुकी थी.. पर सदमें की वजह से कुछ बोल नही पा रही थी... बोलने का फ़ायदा ही क्या होता...
"इसको अंडरग्राउंड बेडरूम में ले आओ!" शिव ने कहा और आगे बढ़ गया.........
सुबह उठने से पहले अचानक राज ने पलटी मारी, पर जल्दी ही उसको ग़लती का अहसास हो गया... सुबह सुबह शिवानी से पहले उठकर नींद में ही पलटी मार कर शिवानी के उपर चढ़ जाना, और उसको तब तक तंग करना जब तक की वह जाग कर, उसके गले में बाहें डाल कर उसके 'आइ लव यू' ना बोल दे... उसके बाद शिवानी पलट कर उसके उपर आ जाती और उठ जाती... फ्रेश होकर वा राज को उठा देती और चाय बनाने चली जाती... ये उनकी दिनचर्या का एक ज़रूरी हिस्सा बन चुकी थी...
पर आज पलटी मारते ही जब एक मर्दाना शरीर से टकराया तो उसको याद आया की शिवानी
तो आई ही नही है... वा बाथरूम में घुस गया...
फ्रेश होने के बाद वा किचन में जाने के लिए जैसे ही लिविंग रूम में आया उसकी नज़र नींद में अपनी अपनी मस्तियों का दीदार करा रही गौरी और निशा पर पड़ी.. दोनो का सिर राज की तरफ था... गौरी उल्टी लेती पड़ी थी. उसके हरमन प्यारे जबरदस्त कसाव लिए हुए नितंब अपनी गोलाई और उनके बीच की गहराई का सबूत उसके लोवर के अंदर से ही दे रहे थे...
दोनो निसचिंत हुई सोई पड़ी थी... निशा गौरी की अपेक्षा सीधी लेती हुई थी.. उसके चौड़े गोले गले वाले कमीज़ में ब्रा के अंदर से टपक रहा उसकी चूचियो का सौंदर्या राज को कुछ शरारत करने के लिए उकसाने लगा...
निशा दीवार वाली साइड में थी, जबकि गौरी बेड के दूसरे किनारे पर थी.. राज उसके चूतदों के पास गया और हौले से उनपर हाथ रख दिया... कोई हुलचल नही हुई.. उसके चूतड़ उसकी छातियों की वजह से उपर उठी उसकी कमर से भी ऊँचे थे... राज को उन्हे छूने से ऐसा अहसास हुआ मानो किसी ठोस फुटबॉल के उपर रेशम का लबादा लपेटा गया हो..
राज ने अपने हाथों का दबाव हूल्का सा बढ़ा दिया.. गौरी एक दम से उचक कर बैठ गयी... अपनी आँखें मलते हुए बोली," उन्न्न... क्या है सर?... अभी तो आए हैं...!
"चाय बना दोगि मेरे लिए!" राज ने बड़ी प्यारी आवाज़ में कहा..
"गौरी ने नींद में होने की वजह से थोड़ा सा मुँह बनाया और उठकर किचन में घुस गयी... राज हंसकर सोफे पर बैठ गया...
तभी उनकी आवाज़ सुनकर अंजलि बाहर निकल आई... राज को देखकर मुश्कुरई और पूचछा.. इतनी जल्दी कैसे उठ गये...?
"मैं तो रोज ही जल्दी उठता हूँ मेडम, आप सुनाइए!" राज ने सोफे पर बैठ चुकी अंजलि का हाथ दबाते हुए पूछा...
"अरे मैं अभी कहाँ उठाने वाली थी... वो तो उन्होने उठा दिया... उनको जल्दी जाना था सो 6:00 बजे ही उठा दिया....."
राज ने उसकी और आँख मारते हुए कहा," मिस्टर. ओमपारकश जी गये क्या. ?"
"हां! कह रहे थे कुछ ज़रूरी काम है...2-3 दिन लग जाएँगे आने में" वह खुस लग रही थी......
राज ने सोचा.. चलो एक आध दिन और ऐश कर लेते हैं... पीछे का मज़ा ले लेते हैं... बेगम को बाद में ही बुलाएँगे... और उसकी सुबह उठकर शिवानी को फोन करने की योजना बदल गयी......
फार्म हाउस पर करीब 23 और 26 साल की छरहरे बदन वाली 2 लड़कियों या यूँ कहें 2 औरतों ने शिवानी को गाड़ी से उतारा और उसको दोनो तरफ से पकड़ कर ले जाने लगी... लुंबी बेहोशी और सदमें से गरस्त शिवानी में विरोध करने की हिम्मत ना के बराबर ही बची थी.. वा उनके साथ साथ लगभग सरक्ति हुई सी चल पड़ी... उसकी आँखों में रात को उसके साथ हुए हादसे का भय सॉफ झलक रहा था...
दोनों लड़कियाँ उसको 3 कमरों और एक लुंबी गॅलरी से गुजर कर नीचे सीढ़ियाँ उतरते हुए एक आलीशान बेडरूम में ले गयी...
वहाँ पहले से ही शिव खड़ा था और बेडरूम के बीचों बीच एक गोलाकार बेड पर एक करीब 19 साल की लड़की बिना कपड़ों के अपने उपर एक पतली सी चादर डाले लेती थी... शिव के इशारा करते ही वो बिस्तेर से उठी और चादर से अपने आपको ढकने का दिखावा करती हुई दूसरे दरवाजे से बाहर निकल गयी...
शिव के कहने पर उन्न लड़कियों ने शिवानी को बेड पर बिठा दिया. शिव ने लड़कियों की तरफ घूमते हुए कहा," अनार का जूस!
और लड़कियाँ अदब से" यस सर!" कहकर वापस चली गयी...
शिवानी उस्स राक्षस की और फटी आँखों से देख रही थी.. जिस ख़ूँख़ार जानवर ने उसके ही घर में उसकी इज़्ज़त को तार तार कर दिया, उससे कुछ कहने या पूछने की हिम्मत शिवानी की ना हुई... शिव उसके सामने दीवार के साथ डाले सोफे पर बैठ गया. और उसको घूर्ने लगा...
तभी लड़कियाँ एक शीशे का जग और 2 ग्लास ले आई... शिव का इशारा पाकर उन्होने जग और ग्लास टेबल पर रखे और वापस चली गयी...
शिव ने एक ग्लास में जूस डाला और खड़ा होकर शिवानी के पास गया," लो!"
उसके हावभाव आवभगत करने वाले नही बल्कि आदेशात्मक थे.. शिवानी का हाथ उठ ही ना पाया...
"एक बात ध्यान से सुन लो! मुझे कुछ भी दोबारा कहने की आदत नही है... यहाँ मेरा हूकम चला है, सिर्फ़ मेरा!.. मैं 5 मिनिट में आ रहा हूँ... अगर ये ग्लास खाली नही मिला तो नंगा करके अपने आदमियों को सॉन्प दूँगा... फिर मुझे मत कहना... उसने ग्लास वापस टेबल पर रखा और बाहर निकल गया...
शिवानी उसकी बात सुनकर काँप उठी... रात का हादसा और यहाँ का माहौल देखकर शिवानी को उसकी एक एक बात पर यकीन हो गया.. वह तुरंत उठी और एक ही साँस में सारा जूस पी गयी...
शिवानी ने अपने चारों और नज़र घुमा कर कमरे का जयजा लिया.. करीब 18'-24' का वो आलीशान बेडरूम शिव के अइयाश चरित्रा का जीता जागता सबूत था.. चारों और की दीवारें अश्लील चित्रों से सजी हुई थी... सामने दीवार पर प्लास्मा टी.वी. टंगा हुआ था.. कमरे के चारों कोनो में कैमरे लगे हुए थे जिनका फोकस बेड पर ही था...
उसका ध्यान अपनी अस्त व्यस्त नाइटी पर गया. ब्रा के हुक पीछे से खुले हुए थे.. और बस जैसे तैसे अटकी हुई थी... उसने नाइटी में हाथ डालकर अपनी पनटी को दुरुस्त किया. ब्रा के हुक बँधकर वा धम्म से बेड पर गिर पड़ी... उसकी आँखों से आँसू बहने लगे........
करीब 6-7 मिनिट के बाद शिव उसी लड़की के साथ बेडरूम में दाखिल हुआ.. जो शिवानी को बेडरूम में आते ही बेड पर लेटी मिली थी.. वा अभी भी उस्स पतली सी चादर में थी. उसका यौवन छलक छलक कर बाहर से ही दिखाई दे रहा था. शिवानी को वो गौरी की उमर की लगी. पर जैसे ही उस्स लड़की ने शिवानी की तरफ देखा. शिवानी ने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया..शिव ने आते ही खाली हो चुके गिलास को देखा," वेरी गुड! लगता है तुम्हारी समझ में आ गया है.. प्राची!... इसका खास
ध्यान रखना.. जब भी तुम्हे लगे की इसको किसी चीज़ की ज़रूरत है इसको दे देना... अगर मना करे तो मुझे फोन कर देना; समझी! प्राची शिवानी को देख कर मुस्कुराइ...," ओक सर! मैं इसका ख़ास ध्यान रखूँगी...!" उसकी मुस्कान में एक अलग ही तरह की धमकी थी.....!
शिव ने उसके शरीर से लिपटी वो चादर खींच ली, प्राची के चेहरे पर शिकन तक ना पड़ी... वो घूम गयी और चादर को अपने शरीर से अलग होने दिया... बिल्कुल नंगी प्राची के चूतड़ अब शिव की आँखों के सामने थे.. शिवानी ने ग्लानि से अपनी आँखें बंद कर ली... सोफे पर ही प्राची को झुका कर शिव उस्स पर सवार हो गया... पागल कुत्ते की तरह... दोनो की वासना से भारी आवाज़ें शिवानी के कानो में शीशे की तरह उतरने लगी.......
गौरी चाय बनाकर ले आई... अंजलि और राज चाय पीने लगे... गौरी ने निशा को उठा दिया और बाथरूम में चली गयी...
निशा इश्स हालत में खुद को सर के सामने देखकर झेंप गयी... वह उठी और अंजलि के बेडरूम में भाग गयी... अंजलि ने राज से पूचछा," कब आ रही हैं आपकी श्रीमती जी?"
"क्यूँ? मेरी आज़ादी देखकर जलन हो रही है क्या?" राज ने ठहाका लगाया...
"जैसे तुम्हे बाँध कर रखती है... बड़े आए आज़ादी के दीवाने...!"
तभी टफ की अंदर से आवाज़ आई," अरे भाई ये मेरे सिर के नीचे फोन क्यूँ रख दिया... कब से घरर घाररर कर रहा है...?"
"आबे तेरा ही होगा!... मेरा फोने तो दो दिन से ऑफ है....!" राज ने टफ की बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया... और फिर से अंजलि से बात करने लगा...
टफ उठ कर बाहर आया," ऐसे सस्ते फोन मास्टर ही रख सकते हैं.." उसने फोने टेबल पर पटक दिया...
फोने देखते ही राज की आँखें मारे अचरज के फट गयी... ," अरे! शिवानी अपना फोन यहीं भूल गयी...!" तभी मोबाइल पर फिर से घंटी बज गयी... राज ने फोने उठाया.. डिसप्ले पर 'मम्मी जी कॉलिंग' आ रहा
था... राज ने फोने उठा लिया..," हेलो!"
उधर से किसी की आवाज़ ना आई...
"हेलो..... शिवानी! .... हेलो!"
फोने कट गया!" ये शिवानी भी ना...
उसने देखा फोने पर करीब 45 मिस कॉल थी... सारी 'मम्मी जी' के फोने से...
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