RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
सभी के ग्रूप घोसित कर दिए गये... निशा सरिता के ग्रूप में आई थी... गौरी.. और नीरू का दूसरा ग्रूप था... कोमल, अदिति, तीसरे ग्रूप में थी... स्वाती, और मुस्कान और नेहा का नंबर चौथे ग्रूप में पड़ा था... हर ग्रूप में 11 लड़कियाँ थी... हर लड़की का चेहरा लाल हो चुका था.. और तकरीबन सभी.. जीतना चाहती थी...
पहले ग्रूप को बुलाया गया... सभी 11 लड़कियाँ स्टेज पर पहुँच गयी... निशा ही कुछ हिचकिचा रही थी.. बाकी सब मस्त थी...
सबने अपने अपने क्वेस्चन लिखे थे... उनकी पर्चियों को मिला कर राज ने एक पर्ची को उठाया... सरिता का नाम आया..
प्यारी खुश हो गयी.. पर सरिता उदास थी... इश्स बार वो कपड़े नही उतार पाएगी...
राज बाकी लड़कियों की और मुड़ा और उनको अपना एक वस्त्रा उतारने को कहा... सबने अपनी सलवार उतार दी... सबसे कम नगी होने के लिए सलवार ही सबको ठीक लगी...
निशा की मांसल गोले जांघों पर सबकी नज़र पड़ी... टफ के साथ पीछे की और बैठे राकेश ने अपना लंड संभाल लिया... दूसरी लड़कियाँ भी घुटनो से कुछ उपर तक नंगी हो चुकी थी... नशे में भी सलवार उतारते ही उनकी जांघों के बीच सीटी बाज गयी... राज ने सब लड़कियों को उपर से नीचे तक देखा... लड़कियाँ अब भी कुछ शर्मा रही थी...
कुर्सियों पर अपने अपने ग्रूप में बैठी लड़कियाँ.. उनकी हालत देखकर सकपका गयी.. वो अपने आपको उनकी जगह देख कर....सोचने लगी.. मिस्रित सी भावना अब उनकी आँखो में थी.. शर्म की भी, बेशर्मी की भी....
राज ने सरिता से उसका सवाल पूचछा... सरिता ने बेहिचक कहा," सर, प्यार क्यूँ होता है?
राज ने सवाल लिख लिया...
लड़कियाँ जाकर वापस बैठ गयी...
2न्ड ग्रूप का नंबर आया..... गौरी और नीरू इश्स ग्रूप में एक दूसरे से मुकाबला कर रही थी...
पर्ची कीर्ति की निकली... वो बच गयी....
नीरू और गौरी ने एक दूसरी की और देखा... गौरी ने झुक कर अपनी लोवेड उतार दी.. वो सूट और लोवर में थी... उसके सलवार निकलते ही हर जगह सीटी बाज गयी... लड़कियों की और से... वो थी ही इतनी सुन्दर की लड़कियाँ भी उस्स पर जान छिडकती थी.......
नीरू ने अपने हाथ उपर उठाए और अपना कमीज़ निकल दिया... राज तो जैसे पीछे गिरते गिरते बचा... नीरू ने अपनी ब्रा नही पहनी हुई थी.......
राज ने मुश्किल से अपने को गिरने से बचाया........... उसने देखा... टफ अभी भी सो रहा है.... उसने टफ को उठाया... अभी भी वो शानदार सपने के जाल से निकला नही था...तो भाई लोग आप समझ गये होंगे ये सब एक सपना था जो राज देख रहा था
टफ ने उठकर टाइम देखा," सुबह के 10 बाज चुके थे...
राज ने उससे पूचछा," क्या बात है.. घर नही चलना क्या? हमें तो रात को ही निकलना था ना! राज ने ज़ोर की जमहाई लेते हुए कहा...
"कोई सपना देख है क्या भाई.. अभी 5-6 घंटे पहले तो पहुँचे हैं... तू वापसी की बात कर रहा है....
राज का ध्यान अपने कच्चे पर गया... वो पूरी तरह उसके रस से चिपका सा हुआ था... शायद रात को काई बार नाइटफॉल हो गया...
राज ने उठकर परदा हटाया... दूर चोटियों पर जमी बर्फ सूर्या की रोशनी से चमक रही थी... वो बाथरूम में घुसकर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा....
करीब 12 बजे तक सभी नहा धोकर तैयार हो चुके थे... बाहर मस्ती करके आने के लिए...
दिन भर सबने खूब मज़ा लिया... मनाली में घूमने का और मार्केट में खरीदारी करने का....
रात को टफ और अंजलि ने रूम चेंज कर लिया... जैसे राज के सपने में हुआ था... बस गौरी, सरिता और कामना गायब थी...
अगले दिन वो रोहतांग दर्रे पर घूम कर आए... सबने खूब मज़ा लिया... रास्ते भर तीनो माले मस्ती करते गये लड़कियों के साथ... अपने अपने तरीक़ो से....
रात को राकेश ने दिव्या से अपने कमरे में ले जाकर प्यार किया और टफ ने सरिता को बुलाकर उसकी मा के सामने ही चोदा... और मा को फिर सरिता के सामने...
अगले दिनभर जिसका जो दिल चाहा किया... घूमे फिरे थकान उतरी और शाम को घर वापसी की तैयारी की...
करीब 7:00 बजे वो घर के लिए निकल पड़े..... ये वही रात थी जिस दिन शिवानी के साथ वो हादसा हुआ....
पर राज इश्स बात से बेख़बर था...........निसचिंत......
हर एक के चेहरे पर तौर से कुछ ना कुछ मिलने की खुशी थी..........
बस में आते हुए राज का ध्यान बड़ी शालीनता के साथ बैठी हुई नीरू पर था... आज उसने उसके सपने में अपनी कमीज़ उतार दी थी और बिना शरमायें सबको अपनी उभरती जवानियों का दीदार करा दिया था...
राज का ध्यान बार बार उसकी तरफ जा रहा था... क्या ऐसा कभी असलियत में हो सकता है?....
नीरू अपनी सॉफ सुथरी इमेज के लिए पुर गाँव में प्रसिद्ध थी... कोई लड़का उसकी तिरछी नज़रों से भी कभी देखता नही पाया गया था... फिर उसकी मस्कराहट किसी पर मेहरबान हुई हो... ये तो कभी किसी ने उसके 16 पर के बाद देखा ही नही था.. दिशा की तरह... अपनी नाक पर मक्खी तक को ना बैठने देने वाली...
स्कूल की सभी लड़कियाँ उसको अपना निर्विवाद नेता मानती थी... जब भी कभी किसी बात पर दो राय हो जाती... नीरू से ही पूछा जाता...
नीरू थी भी इश्स सम्मान के लायक... एक ग़रीब घर में पैदा होने के बावजूद.. उसने अपन पहचान बनाई थी... अपनी समझदारी, बेबाकी और बेदाग चरित्रा से...
हालाँकि वा इतनी हॅस्ट पुस्त नही थी... पर उसकी इमेज उसको उससे कही ज़्यादा सुंदर लड़कियों से भी सेक्सी बनती थी... गरमा-गरम... पर फिर भी बिना पका हुआ... बिना 'फुक्कका' हुआ...
राज को अपनी और देखता पाकर नीरू उसकी सीट के पास गयी," सर! कुछ कह रहे थे क्या?"
राज हड़बड़ा गया, यह सिर्फ़ वही जानता था की उसके सपने में वो आई थी... बिना ढके... ," आअ..नही कुछ नही"
ऐसी लड़की से दर होना लाजमी था.. किसी की आज तक उसको प्रपोज़ करने की हिम्मत ना हुई थी..
नीरू वापस अपनी सीट पर कोमल के साथ बैठ गयी... सुबह के 3:00 बजे वो भिवानी जा पहुँचे...
उधर शिवानी की लाश को भिवानी हाँसी रोड पर लेकर चल रहे शिव और ओम का नशा काफूर हो चुका था... अब उनकी समझ नही आ रहा था की क्या करें..
ओम ने कार चला रहे शिव को देखकर कहा," यार तूने तो अपने साथ मुझे भी फंस्वा दिया... कम से कम ये जिंदा होती तो बलात्कार का ही इल्ज़ाम लगता, वो भी तुझपर... मर्डर में तो मैं भी साथ ही जवँगा!" यार तुझे जान लेने की क्या ज़रूरत थी...
"आबे! मैं कोई गधआ हूँ क्या.. जो जान बूझ कर जान लूँगा..! वो चिल्ला रही थी.. मैने उसका मुँह दबा लिया... नशे में ये होश ही नही रहा की उसकी साँस भी बंद हो सकती है..."
"तो फिर इसका करना क्या है अब?"
शिव चलता रहा...," इसको बहुत दूर जाकर फैंकना पड़ेगा.. ताकि कोई इसको आसानी से पहचान ना सके...!"
"मेरे पास एक आइडिया है... ये साँस बंद होने से मारी है... अगर हम इसको नदी में फैंक दे तो?"
शिव को आइडिया बेहद पसंद आया.. , उसने गाड़ी वापस घुमाई और करीब 5 किलो मीटर पीछे रह चुकी नहर की और चलने लगा....
नहर के पुल पर जाकर शिव ने गाड़ी पटरी पर दौड़ा दी... रात का समय था... बंदे की जात भी नज़र नही आ रही थी... थोड़ी दूर जाकर शिव ने गाड़ी नहर के साथ लगा दी...
"ओम! इसको पानी में फैंक दो...!"शिव ने ओम से कहा..
ओम पागल नही था..," बहुत अच्छे... करम करो तुम! भुगतें हम! ये काम में नही करूँगा... खुद उतरो.. और जो करना है करो..."
" तो तुम नीचे नही उतरोगे...! तुम भी बराबर के दोषी हो मत भूलो! मैं तुम्हारे ही पास था... तुमने ही मुझे शराब पिलाई.. और ना ही त्मने मुझे कुछ करने से रोका... और तो और तुमने ही इसके हाथ पैर पकड़े और इससे बलात्कार भी किया..!"
"क्या बक रहे हो?" ओम ने उसको हैरानी से देखा... ," ऐसा कब हुआ था..?"
"पर अगर कुछ गड़बड़ हुई तो पोलीस को मैं यही बतावँगा...!" शिव ने धूर्त-ता से कहा...
ओम मुनु बनाकर उतार गया... खिड़की खोलकर उसने शिवानी को बाहर की और खिछा..," वो आसचर्या और ख़ुसी से उछाल पड़ा..," ओह! तेरे की, ये तो जिंदा है...!"
"कयय्य्ाआआआअ?" शिव को भरोसा ना हुआ... वा तेज़ी से पिछे पलटा...," का बकवास कर रहे हो?...
"हां भाई... देख हाथ लगाकर देख..."
शिव ने उसका कलाई पकड़ी.. नब्ज़ चल रही थी... पर शिवानी में कोई गति ना थी... वा शायद बेहोशी या सदमें में थी...," अब क्या करें... मर गये!.. अब तो इसको मारना ही पड़ेगा..! चल इसको पानी में फैंक दे... अपने आप मर जाएगी!"
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