RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
अदिति तो राज के साथ दिव्या की पार्ट्नर रह चुकी थी... वो सीधी उसके कमरे में पहुँची.. वहाँ पर 7-8 लड़कियाँ बैठी थी... अदिति उनको कॉन्विएनसे करने की कोशिश कर रही थी... ," बाकी तुम्हारी मर्ज़ी! पर सर ने मुझे बताया था... जो भी गेम खेलेगी... उसको अलग से फाइनल में नंबर. दिए जाएँगे... " राज की सेक्सी स्काउट्स अपने आप ही अलग अलग तरह के प्लान बना बना कर बता रही थी...
नीरू वही बैठी थी," जा तू ले लेना अलग से नंबर... बड़ी आई सर की चमची... अरे हम क्या कोई बछियाँ हैं जो ऐसे झूठे लोलीपोप के लालच में आ जाएँगी.. "
पर सुरसुरी उसके बदन में भी होने लगी थी... पर गाँव में उसकी इमेज एक शरीफ लड़की की थी.. और वा उसको तोड़ना नही चाहती थी... पर उसके बोलने का लड़कियों पर असर हो रहा था...
जो खेलना चाहती थी... वो भी पीछे हट रही थी... नीरू की वजह से...
दिव्या ने अदिति को बाहर बुलाया... उसकी छोटी बहन स्वाती उसको एक तरफ ले जाकर बोली," "दीदी! क्या करना है..."
"चल तू अपने कमरे में... अपने आप पता चल जाएगा..." अदिति ने स्वाती के सिर पर हाथ फेरा....
" पर आप मम्मी को तो नही बताओगे ना?" स्वाती को बस इसी बात का डर था...
"मैने कहा ना तू जा... अगर बाकी खेलेंगे तो तू भी खेल लेना....
अदिति ने अपनी रिपोर्ट जाकर राज को दी," सर एक दो लड़कियाँ तैयार हो भी रही हैं तो उनको वो नीरू भड़का रही है....
राज ने नीरू को उसके पास भेजने को कहा.. उसस्पर से नशे का शुरूर अभी तक उतरा नही था...........
राज ने टफ को दूसरे कमरे में भेज दिया... कुछ देर बाद नीरू आई... ," यस सर!" वो नज़रें चुरा रही थी!"
काफ़ी देर बाद तक भी जब राज कुछ ना बोला तो उसने राज की तरफ देखा... वो उसकी चूचियों को घूर रहा था... नीरू ने तुरंत अपनी चुननी ठीक की....
राज ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा," मेरी तरफ देखो नीरू!"
बार बार कहने पर नीरू ने राज से नज़रें मिलाई..," तो तुम गेम में पार्टिसिपेट नही करना चाहती!"
"नही सर!" नीरू का जवाब सटीक था...!"
"क्यूँ?"
"सर! ये ग़लत चीज़ होती है...!" उसने काँपते अधरों से शर्मा कर जवाब दिया..
"अच्छा! तुम्हे किसने बताया?"
"मुझे पता है सर....!" सर के सामने उसके विरोध में वो बात नही थी जो वो लड़कियों के सामने कर रही थी...
"अच्छा! तुम्हे पता है... तो ये बताओ... अगर मैं अभी तुम्हे छू लूं तो तुहे कैसा लगेगा और क्यूँ लगेगा?"
नीरू की ज़ुबान अटक गयी...सर के छू लेने का मतलब वो समझ रही थी..," पता नही सर!" उसकी आवाज़ गले से बाहर मुश्किल से आ पाई...
"इधर आओ! मैं बताता हूँ..."
नीरू हिली तक नही.. बल्कि थोड़ा सा पीछे हट गयी... राज उसके पास चला गया... वो डर के मारे काँप रही थी... जैसे ही राज ने उसका हाथ पकड़ा... वो सिहर गयी...," नही सर!"
राज उसका हाथ छोड़ कर बेड पर चला गया," क्या अभी तक ऐसे तुम्हारा हाथ किसी ने नही पकड़ा है...?"
"पकड़ा है सर!"
"तो क्या तुम हमेशा ऐसे ही काँप जाती हो..!"
नीरू ने ना में गर्दन हिला दी!
"तो अभी ऐसा क्यूँ किया...?"
नीरू के पास कोई जवाब नही था....
"दट'स व्हाट वी आर ट्राइयिंग टू मेक यू लर्न, डर्टी बिच!" वॉट डू यू हेल थिंक ऑफ उर्सेलफ" राज नशे में था... वा कुछ भी बके जा रहा था... नीरू डर के मारे काँप रही थी...
"सॉरी सर!"
"वॉट सॉरी? आंड वॉट डू यू वॉंट टू बी... आर यू नोट ए गर्ल?"
"यस सर!" नीरू को लगा जैसे वो बहुत ही ग़लत कर रही थी लड़कियों को भड़का कर..," सर, मैं अब ऐसा नही करूँगी!"
राज रास्ते पर आया देख नरम पड़ गया," तो क्या तुम खेलोगी?"
उस्स वक़्त तो हां करने के सिवा कोई रास्ता ही नही था..," यस सर!"
"ठीक है, तो कपड़े उतारो!"
"सर क्या?"
"तो अब तुमको मेरी आवाज़ भी नही सुनाई दे रही.."
नीरू ने राज की आँखों में एक वाहसी पन सा देखा... उसने अपनी चुननी उतार दी!
"अपनी कमीज़ उतारो!"
नीरू अपनी कमीज़ उतारते हुए रो रही थी... उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे...
अब उपर उसकी ब्रा के सिवाय कुछ नही था... वो बुरो तरह अपना मुँह अपने हाथों से ढके रो रही थी...
राज फिर से उसके पास गया... वो पिछे हट-ती हुई एक कोने से जाकर चिपक गयी... ये उसकी हद थी... पीछे हट-ने की!
राज ने उसके हाथ हटाकर गालों पर हाथ रख दिया.. फिर उसके होंटो पर... उसके नरम पतले गुलाबी होन्ट भी आँसू में भीगे हुए थे... पर अब उसकी आँखें बंद होकर 'जो होना है; वो तो होगा ही' के अंदाज में निस्चल हो गयी... उसका सुबकना बंद हो गया...
जैसे ही राज का हाथ उसकी गर्दन से नीचे आया.. उसने राज का हाथ पकड़ लिया... पर हटाया नही...
राज ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की पर नीरू ने हाथ कस कर पकड़ लिया... उसके भाव बदल चुके थे...
राज ने दोबारा कोशिश की तो नीरू ने हाथ.. और भी कसकर पकड़ लिया, और अपनी छाती की और खींचने लगी... ," सॉरी सर!"
"मेरा हाथ छोड़ो! राज ने गुस्सा दिखाते हुए कहा..."
नीरू ने हाथ छोड़ दिया और अपनी छतियो को हाथों से ढके, आँखें बंद किए... दीवार से सटी रही...
"मैं ये सिखाना चाहता था तुमको! अगर ग़लत होता है तो भगवान ने इसमें इतना मज़ा क्यूँ दिया है... इसीलिए हम इंडियन आज तक उभर नही पाए... चलो निकलों यहाँ से.... नीरू ने अपना कमीज़ पहना और बे-आबरू सी होकर निकल गयी..... कमरे से...
दोस्तो मैं तो कहता हूँ आदमी के देखने नज़रिए पर निर्भर करता है की क्या सही है क्या ग़लत है चलिए
इसी बात पर एक शेर अर्ज़ करता हूँ
अर्ज़ किया है ...
निगाहों से निगाहें मिला कर तो देखो ...
कभी किसी लड़की को पटा कर तो देखो ....
हसरतें दिल में दबाने से क्या होगा ....
अपने हाथों से "बॉल" दबा कर तो देखो ....
आसमान सिमट जाएगा तुम्हारे आगोश में....
लड़की की टाँगें फैला कर तो देखो ...
ये ना कर सके ...तो हारना नहीं ....
दो बूँदें ज़रूर गीरेंगी ....
अपने लॅंड को हिला कर तो देखो
तो भाई लोगो कहानी अभी बाकी है
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