RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
टफ की आँखें लगातार राज को हैरत से देख रही थी... ये क्या बोलने लग गया... ! ऐसा तो उसने कुछ नही कहा था...उसने राज शर्मा का ऐसा रूप पहली बार देखा था
सारी लड़कियाँ इश्स तरह से राज को बोलते हुए ध्यान से सुन रही थी की जैसे ये कोई सेक्स क्लास नही बल्कि किसी साधु महात्मा का प्रवचन चल रहा है... और उनसे बड़ा भगत उस्स का कोई नही है...
शराब में टन साधु महात्मायानी अपने राज शर्मा का प्रवचन जारी था......
तुमने महसूस किया होगा... तुम्हारी उमर बढ़ने के साथ ही तुम्हारी छातियों में मिठास सी भरने लगी होगी! और ये मिठास तुम्हारी गली के भंवरों को तुम्हारे आते जाते, उठते बैठते, पानी लाते और गाँव के बाहर तालाब पर कपड़े ढोते अपनी और खींचती होगी... तुम्हे महसूस किया होगा... तुम्हे भी ये सब अच्छा लगने लगा होगा... कभी गाँव के लड़के ने तुम्हारे रास्ते में पर्ची फैंकी होगी... तुमने इधर उधर देखकर पर्चो उठाकर पढ़ा होगा... किसी को मत बताना... आइ लव यू... ! और जब तुम पढ़कर मटकती हुई आगे चली गयी होगी तो उसने सीटी बजकर तुम्हे थॅंक्स बोला होगा... फिर अगले दिन उसी जगह उसने पर्ची में समय और स्थान लिख दिया होगा... मिलने का... वो क्यूँ मिलना चाहता है... अलबत्ता तो बापू के डर से तुम गयी ही नही होगी... और चली गयी होगी तो तुम्हे पता लग चुका होगा... उसने क्यूँ बुलाया था...
जाने ऐसे कितने ही 'क्यूँ' हैं जो तुम्हे टेन्षन में डाले रखते हैं...जाने ऐसे कितने ही क्यूँ हैं जिनका जवाब तुम चाह कर भी नही ले पाती... बस घुट-ती रहती हो... मान ही मान में... पढ़ भी नही पति... और बच भी नही पति और.... पूच भी नही पाती....
सरकार को पता है.. तुम घर वालों से नही पूछ सकती.... सरकार को पता है... इन सबसे ग़ुजरकर देखे बिना तुम पढ़ भी नही पाती... सरकार को पता है.... ये एजुकेशन तुम्हारे लिए कितनी ज़रूरी है... सरकार को सब पता है.....
अब खुल कर बात बिना झिझक दूर किए नही हो सकती... और झिझक दूर करने के लिए ही सरकार ने तुम्हे यहाँ घूमने आने के लिए आधा खर्चा दिया है... और ये जिम्मा हमारा है की हम तुम्हारी झिझक तोड़ कर तुम्हे उन्न सब सवालों के खुल कर जवाब दें... सरकार ऐसा चाहती है... सरकार पागल नही है... सरकार बहुत समझदार है... तुमको सेक्स एजुकेशन देना चाहती है.....
सरकार बहुत अच्छी है....
सारा समा बँधा हुआ था... लड़कियों को ये अहसास होने लगा था की सरकार बहुत अच्छी .... उनके भले के लिए ही उनको यहाँ इतनी दूर भेजा है... सीखने के लिए... घरवालों से दूर... उनको लगने लगा था की 'जिस सेक्स एजुकेशन पर आजकल बवाल मचा हुआ है .. वो यही है जो रात को राज और टफ मॅडमो और उन लड़कियों को दे रहे थे... पर जैसे ही कपड़े निकालने वाले गेम का ध्यान उनको आता.. वो शर्मा कर सिमट जाती... ऐसा कैसे हो सकता है....?
राज का बोलना बिना रुके जारी था.......
चलो मैं तुम सबको एक चुटकुला सुनता हूँ
1--दो दोस्त कार से जा रहे थे.
अचानक कार के सामने एक बिल्ली आई.
कार चलाने वाले ने जम के गली दी........."तेरी मा की चूत"
दूसरा तुरंत बोला..."अरे चूत से याद आया भाभिजी कैसे हैं.?
अब ये बताओ गाली दी किसको ओर याद आई किसको
2-दो रंडी सहेली होती है।
एक बार छोटी रंडी के पास एक आदमी आता है और उसकी गांड मारता है।
खुब ज़ोर से याहन तक कि उसकी गांड फट जाती है।
छोटी रंडी : लाओ 5000 रुपये।
आदमी : तुमहारा रेट तो 2500 है।
छोटी रंडी : 2500 चुदवाने का और 2500 सिलवाने का।
रात को वो बडी रंडी को ये बात बताती है। मगर बडी रंडी की गांड पहले से फटी थीं। तो वो अपनी गांड मैं बम रख लेती है।
एक पठान उसकी गांड मारने आता है। गांड मारने के दोरान बम फट जाता है।
वो खुश होकर बोलती है : लाओ 5000 - 2500 गांड मारने के और 2500 सिलवाने के।
पठान उसकी शकल देखता है और कहता है : खोशि हम तुम को 10,000 देगी - पहले ये तो बताओ हमारा लौडा कहाँ गिया।
टफ ने राज को ट्रॅक से उतरते देख उसके पिच्छवाड़े पर लात मारी... लात खाते ही राज ट्रॅक पर वापस आ गया....
पर ये एजुकेशन लेना सब के बस की बात नही... जो पढ़ना चाहती हैं और आगे बढ़ाना चाहती हैं उनको हमारे साथ एक गेम खेलना होगा... सभी लड़कियाँ गेम में हिस्सा लेंगी... जैसा की हमारी स्काउट्स ने आपको बताया होगा, गेम में कपड़े उतारने पड़ेंगे... ज़रूरी नही है की गेम में हिस्सा लेने पर सबको ही कपड़े उतारने पड़ेंगे... जो ना चाहे.. वो आउट हो सकती है... और जो सीखना चाहे पूछना चाहे वो अपना एक वस्त्रा उतार कर अपनी झिझक दूर होने का सबूत दे सकती है... आगे तुम्हारी मर्ज़ी... पर सरकार का नारा है.... अगर एक भी लड़की छूट गयी; समझो छतरी टूट गयी!
लड़कियाँ हैरान थी; उन्होने ये तो सुना था की "एक भी बच्चा छूट गया.. सुरक्षा चकरा टूट गया.." अमिताभ बच्चन के मुँह से, पोलीयो प्रचार की आड में... पर ये नारा तो उन्होने पहली बार सुना... अपने सर के मुँह से... कुच्छ लड़कियों ने सोचा...," सरकार का गुप्त अभियान होगा... मम्मी पापा से बचाकर लड़कियों को सिखाने का.... इसीलिए तो टी.वी. पर नही आता.....
राज ने गेम के रूल बताने शुरू किए...
"गेम रात को 10 बजे के बाद खेला जाएगा... सभी लड़कियों को यहीं आना है... डाइनिंग हाल में... उसके बाद लकी ड्रॉ से सभी लड़कियों के 4 ग्रूप बनाए जाएँगे... चारों ग्रूप अलग अलग बैठेंगे... हर ग्रूप में ग्यारह लड़कियाँ होंगी... एक बार एक ग्रूप हमारे पास आएगा... सभी ग्यारह लड़कियाँ अपना अपना सवाल लेकर आएँगी... ग्रूप में से जो लड़की ना आना चाहे वो अपने स्थान पर ही बैठी रहेगी... बाकी ग्रूप की लड़कियाँ अपना अपना सवाल एक पर्ची पर लिख कर लाएँगी... उन्न पर्चोयोँ में से मैं बिना देखे एक पर्ची उठवँगा... जिसकी पर्ची निकली... उसको छोड़ कर बाकी लड़कियों को अपना एक कपड़ा शरीर से उतारना होगा... और जिस लड़की की पर्ची निकलेगी, उसके सवाल का जवाब दिया जाएगा... जो लड़की ग्रूप में बाकी सभी लड़कियों के नंगी होने पर ज़रा सी भी ढाकी बची रहेगी... उसको इनाम दिया जाएगा... हर ग्रूप का इनाम अलग अलग होगा.... लास्ट की चार लड़कियों को उनकी मनपसंद ड्रेस खरीद कर दी जाएगी... तभी कोमल ने राज को टोक दिया," मगर सर... प्यारी मेडम ने तो कहा था.. जो सबसे पहले... मतलब.. वो हो जाएगी... उसको इनाम देंगे!"
"देखा! कितनी शरमाती हो.. ये 'वो' क्या होता है?" राज ने कोमल से पूछा... पर कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया... पास बैठी नीरू ने उसका सूट पकड़ कर नीचे खींच लिया..
"ऐसा है साली साहिबाओ! पहले वही प्लान था... पर भाई... हाफ हार्टेड ने उसको सेन्सर कर दिया... इसीलिए... प्लान हमने चेंज कर दिया...
बाकी तुम्हारी मर्ज़ी... सब 10 बजे यहाँ आ जाना... अब जाकर सोचो... आगे बढ़ाना चाहती हो या... घुट घुट कर मरना...
कहकर राज डाइनिंग हाल से बाहर निकल गया.. जाते ही टफ ने राज की पीठ थपथपाई.. "आबे! तू तो पूरा गुरु घन्टाल निकला! ये प्लान तूने कब बनाया...
"पता नही! पर नशा उतरने पर मुझे समझा देना, की गेम कैसे खेलना है.. और उसके क्या क्या रूल हैं...
राज जाते ही गद्दे पर गिर पड़ा... टफ उसको अचरज से देख रहा था...!
लड़कियों का दिमाग़ चक्राया हुआ था... उन्हे दिल्चस्पि सेक्स एजुकेशन में नही थी... बड़ी लड़कियों में से तो काइयों को राज के हर 'क्यूँ' का जवाब 'प्रॅक्टिकली' पता था.... पर वो भी सेक्स एजुकेशन के इश्स गेम के बहाने अपनी 'मस्त हसरत' पूरी करें या नही... इश्स असमन्झस में थी... और छोटी अनचुई कलियाँ उनकी ही और देख रही थी... यहाँ अगर कोई उनको नंगे नाच से रोक सकता था तो सिर्फ़ समझदार लड़कियाँ.. जिन्होने दुनिया देख रखी थी.. और जो उन्न छोटियों को यादा कदा छोटी मोटी सेक्सी बात बता कर मस्ती से भर दिया करती थी... पर यहाँ तो वो ही खुद असमंजस में थी.. दूसरों को क्या समझायें... सभी एक दूसरी से उसकी राय पूच्छ रही थी.. पर जवाब कोई नही दे रहा था...
छोटी लड़कियों की लीडर दिव्या थी... वो उनको बुर्गला रही थी," मज़े बहुत आते हैं... मुझे पता है... मैने अपने मामा के स्कूल में ये गेम खेला था एक बार..!
" पर दिव्या! इन्होने घर बता दिया तो?"
"कोई नही बताएगी, जो नही खेलेगी, सर उसको फैल कर देंगे! और फिर सोच! इनाम में ड्रेस भी तो मिलेगी..."
"हूंम्म... मैं अदिति दी से पूछ आऊँ...."
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