RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--16
सुबह उठे तो सभी लड़कियों में एक अजीब तरह की खलबली मची हुई थी... सभी कानाफूसी में बात कर रही थी... खुल कर नही... लड़कियों ने उनको जिस गेम के बारे में रात को बताया था... हर तरफ उसी का चर्चा था.. एक लड़की कोमल ने अपनी सहेली नीरू को अलग ले जाकर पूछा... यार ये गेम का फंडा क्या है... तू खेलेगी...?
"पागल है क्या?" नीरू ने उसको झिड़कते हुए कहा..." तेरे में अकल है की नही... भला सबके सामने तू कपड़े निकल देगी अपने... मेरे ख्याल में तो वो हमारा ध्यान हटाना चाहते हैं... कल रात हमने जो कुछ भी देखा.. वो कोई खेल था... मुझे तो इतनी शर्म आ रही थी.. देखते हुए भी... कैसे बेशार्मों की तरह 'लोग लुगाई' (हज़्बेंड वाइफ) के जैसे नंगे पड़े हुए थे... ये भी कोई खेल है?
कोमल ने लंबी आ भरते हुए कहा," हां तू ठीक कह रही है... पर क्या तू किसी को गाँव में जाकर कुच्छ बताएगी... यहाँ के बारे में.."
वो बाथरूम में जा चुकी थी. नीरू अपनी सलवार खोल कर पेशाब करने को बैठ गयी... कोमल की नज़र उसकी गोरी जांघों पर पड़ी," तेरी ये कितनी सुंदर हैं..."
"चुप बेशर्म! उधर मुँह कर ले..."
वो दोनो 11थ की लड़कियाँ थी... दोनो सहेलियाँ थी पर कोमल का नज़रिया दूसरा था... वो गेम खेल लेना चाहती थी... पर नीरू के जवाब के बाद उसने अपनी छाती पर पत्थर रख लिया..
उधर सुबह उठते ही टफ ने लड़कियों को बताए जाने वाले खेल का खाका बना कर दे दिया... जिसको राज को अपने शब्दों में लड़कियों को बताना था...," यार ये सब कुछ कहने से लड़कियाँ मान तो जाएँगी ना!"
टफ ने उसके चेहरे के उड़े रंग को देखा और बोला," चल बाहर घुमा कर लता हूँ!"
वो दोनो सुबह सुबह ही होटेल से बाहर चले गये... टफ उसको वाइन शॉप पर ले गया...," टू सिगनेचर्स प्लीज़!"
टफ के हाथ में दारू की बोतल देखकर राज बोला," यार तू ऐसे मौके पर शराब पिएगा?"
टफ ने उसके कंधे पर हाथ रखा," मैं नही तू पिएगा..! चिंता मत कर.. इससे तेरा कॉन्फिडॅन्स बढ़ जाएगा और तू गेम के रूल सबको अच्छी तरह समझा पाएगा...! चल आ...
अपने रूम में बैठकर दोनों ने मिलकर 1 बोतल खींच ली... टफ अक्सर पीता था.. इसीलिए उस्स पर खास असर नही था.. पर बोतल में से क्वॉर्टर पीकर ही राज के रंग देखने लायक थे... तभी कमरे में अंजलि आई... ," य्ये... क्या कर रहे हो तुम...? प्लान का क्या हुआअ?"
राज ने डगमगाती आवाज़ से अंजलि को अपने पास बैठने को बोला... अंजलि कुर्सी को दूर खींच कर बैठ गयी...
" पिलान ये है.. प्लान तो बदल गया है जान... मैं... सोचता हू! ... की हम दोनो अभी यहाँ से... दूर भाग जाएँगे... मैं!.... तुमसे... शादी कर लूँगा... दुनिया... को बकने दो... प्रोमिस!"
इश्स गंभीर हालत में भी अंजलि राज की हालत देखकर ज़ोर से हंस पड़ी...," क्याअ.. .. क्या बक रहे हो?"
"प्रोमिसे जान! आइ लव यू..."
टफ ने अंजलि को वापस भेज दिया...," अबे तुझे ऐसा होने के लिए नही बोला था.." तेरी समझ में आ रही है ना बात!"
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"आ रही है... कमिशनर साहब!.. मैं तो ऐसे ... ही लाइन... मार कर... चेक कर रा था.. अभी ओ.के. है या नही... शादी! शिवानी.. मेरी गांद मार लेगी..!"
टफ को विस्वास हो गया ये अपने आपे में नही है... मामला बिगड़ सकता था.. उसने राज को नाश्ता करके सोने को कह दिया!
राज ने वैसा ही किया...
प्यारी ने 11 बजे लड़कियों को डाइनिंग हाल में आने का टाइम दे दिया.. सुबह के.. उसने बताया की आज कोई ट्रिप नही होगी... आज उनसे कुछ ज़रूरी बातें करनी है... ज़रूरी बात सब लड़कियों को पता थी...
करीब 10:45 पर ही डाइनिंग हाल में सभी लड़कियाँ आ चुकी थी.. सभी एक दूसरे से पीछे बैठने की जुगत में थी... ताकि छुप कर खेल देख सकें... कोई भी उनको खेल का आनंद उठाते ना देख सके... आलम ये था की करीब 100 सीटो में से आगे की आधी खाली थी... और सबसे आगे ये 'खेल' खेल चुकी लड़कियाँ ही बैठी थी... सिर्फ़ निशा को छोड़ कर... निशा को ज़बरदस्ती गौरी ने अपने साथ बिठा लिया... हालाँकि उसने ये खेल खेलने से सॉफ माना कर दिया था...
बीच की चार पंक्तियाँ बिल्कुल खाली थी...
नहा धोकर कुछ हद तक अपने नशे को कंट्रोल कर चुके राज ने दरवाजे से प्रवेश किया... टफ उसके पीछे था और प्यारी उसके पीछे... अंजलि ने आने से मना कर दिया... वो लड़कियों का सामना करने से घबरा रही थी... सभा में सन्नाटा छा गया... राज ने आकर अपनी 'मुख्या वक्ता' की कुर्सी संभाली... टफ उसके पीछे कुर्सी डाल कर बैठ गया... प्यारी दूसरी पंक्ति में जाकर कुर्सी पर बैठ गयी.....
टफ के कहने पर राज बोलने के लिए खड़ा हुआ... अजीब सा माहौल था... इतनी चुप्पी तो राज ने कभी क्लास में पढ़ते हुए भी नही देखी थी...
टफ को किसी भी लड़की के चेहरे से नही लग रहा था की वो खेलने को तैयार होगी... सभी अपना चेहरा छिपाने में लगी थी... कहीं सर उसको पहचान ना लें!
आख़िरकार राज ने बोलना शुरू किया....
"प्यारी सालियो.. अब ये मत पूछना मैं तुम्हे इतने प्यार से साली क्यों पुकार रहा हूँ.... मेरा तुम सब से बड़ा ही गहरा नाता है... तुम्हारी उन्नति के लिए मैं समाज से टक्कर लेने को तैयार हूँ... आख़िर हमारी सरकार पागल नही है जो 'तुम सबको' सेक्स एजुकेशन' देना चाहती है...
अरे मैं तो कहता हूँ
पारो और चंद्र मुखी का नूर आप पे बरसे, हर कोई आपके साथ सोने को तरसे,
आपके जीवन मे आए इतने लड़के,
की अप चड्डी पहेन ने को तरसे..
बिना 'सेक्स एजुकेशन' के तुम्हारा पढ़ना लिखना बेकार है... ऐसा सरकार मानती है... कभी कभी गलियों में से गुज़रते हुए कोई शरारती लड़का तुमको छेड़ देता होगा.. और तुम गुस्सा हो जाती होगी... या फिर घर वालों से उसकी शिकायत कर देती होगी... पर तुमने ध्यान दिया होगा... ना चाहने पर भी तुम नीचे से गीली हो जाती होगी.... ऐसा क्यूँ होता है?
तुमने देखा होता... बचपन में मम्मी पापा तुम्हे भरी दुपहरी में खेलने भेज देते होंगे.. या फिर 1 रुपय्या देकर पप्पू बानिए के पास भेज देते होंगे... और जब तुम कभी जल्दी वापस आ गयी होगी तो दरवाजा बंद मिला होगा... या कभी वो ग़लती से दरवाजा बंद करना भूल गये होंगे तो अचानक तुम्हारी मम्मी ने पापा को अपने उपर से फैंक कर कहा होगा," देखो मुनिया! बाहर मामा आया है.... वो क्या है?
तुम्हारे रात को सोने के बाद कभी कभी नींद खुल जाने पर मम्मी पापा को तुमने लड़ते देखा होगा. मम्मी कहती होगी," अब तुझमें वो बात नही रही!" और पापा गुस्से में पूरा ज़ोर लगाकर कहते होंगे," साली ! तुझे तो छोटे में बात नज़र आती है.." ऐसा क्यूँ होता है...
थोड़ा और बड़ा होने पर तुमने देखा होगा... तुम्हे काका की गोदी में बैठने में मज़ा आता है... तुम्हे साइकल की गद्दी पर बैठने में मज़ा आता है... तुम्हे पेशाब करते वक़्त नीचे देखने में मज़ा आता है... तुम्हे लड़कों से अपनी चोटी पकड़ कर अपनी और खेल खेल में ही खीँचवा लेने में मज़ा आता है... ऐसा क्यूँ है...?
तुमने देखा होगा.... और बड़ा होने पर जब तुम्हारी छातियाँ तुम्हारे कमीज़ में से उभरने लगी होंगी तो मम्मी ने कहा होगा," बेशर्म चुननी ले लिया कर... ... लड़कों को तुमने तुम्हारी छातियों में कुछ ढूंढते पाकर तुमको शर्म आई होगी... और हां! लूका छिपी खेलने के बहाने जब तुम जान बुझ कर ठिंकू की गोद में 'ग़लती से बैठ जाया करती होगी... और वो 'ठिंकू' फिर तुम्हे आसानी से उठने नही देता होगा... तुमने महसूस किया होगा.. हर लड़का तुम्हे ही क्यूँ इतने अंधेरे में ढूँढ लेता है.. और दूर से 'आइ स्पाइ' कहकर तुम्हे आउट करने की बजे तुमसे हाथ लगवाकर दोबारा बारी देने चला जाता होगा... ऐसा क्यूँ है?
थोडा और बड़ा होने पर अचानक एक दिन साइकल चलाते हुए तुम बिना चोट लगे ही नीचे से घायल हो गयी होगी... और मम्मी ने कारण बताने की बजाय एक कपड़ा वाहा थूस कर कह दिया होगा," अब तू बड़ी हो गयी है...!" पापा ने तुम्हे तुम्हारे साथ साथ ही आँख मिचौनी खेल खेल कर बड़े हुए ठिंकू से ज़्यादा बात ना करने को कहा होगा... ऐसा क्यूँ है.....?
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