RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--15
करीब 9:30 बजे थे, टफ प्यारी मेडम के कमरे में गया," अंजलि जी, आपको राज भाई बुला रहे हैं..."
अंजलि को पता था.. राज क्यों बुला रहा है... वा शरमाती हुई सी उठी," वा नही आ सकते थे.. " कहकर कमरे से बाहर निकल गयी...
अंजलि के बाहर जाते ही टफ ने दरवाजा बंद कर दिया... प्यारी यह देखकर घबरा सी गयी," ये क्या कर रहे हो? वो अभी आ जाएगी..."
टफ ने प्यारी की बाँह पकड़ कर अपनी और खींच लिया," आंटी जी! कोई नही आएगा अब! समझो मैने रूम शिफ्ट कर लिया है... अब तीनो दिन ऐश होगी!"
"क्या सच में! वो राज के पास रहेगी?"
टफ ने प्यारी को पलट कर उसकी गांद पर अपने दाँत गाड़ा दिए...," और क्या तुम ही मज़े ले सकती हो...! अंजलि की चूत में खुजली नही हो सकती"
प्यारी अपनी गांद पर भरे गये टफ के जोरदार 'बुड़के' से तिलमिला सी गयी..," आाआईयईई अपनी मा की..... तुझे दर्द देने में मज़ा आता है क्या... ... मैं तो अंजलि से यूँही डरती थी... अगर मुझे पता होता की वो भी... तो मैं बस में ही ना खा लेती तेरा......"
टफ उसको गरम करने मैं लग गया... वो सरिता का वेट कर रहा था...
उधर जैसे ही अंजलि राज के कमरे में गयी.. वो दरवाजा बंद करना ही भूल गयी... कब से अपने नये यार से मज़े लेने को उसका बदन तैयार हो चुका था... वा भागती हुई सी बेड पर लेटी राज के उपर गिर पड़ी...," कितना तदपि हूँ में तुम्हारे लिए.... उसने राज के होंटो को अपनी जीभ से तर कर दिया और फिर उनको चूसने लगी... राज ने अपने हाथ उसकी गांद के मस्त उभारों पर चलाने शुरू कर दिए... अंजलि ने उपर चढ़े चढ़े ही अपनी टांगे मोड़ कर अपनी गांद को उभर लिया... ताकि राज और अंदर तक उसको छू सके.....
टफ के दरवाजे पर दस्तक हुई... प्यारी चौंक कर अपने आपको समेटने लगी... वो अपना कमीज़ और ब्रा निकल चुकी थी... उसकी मोटी मोटी कसी हुई चूचियाँ टफ के थूक से गीली हो रखी थी...," कौन है.. जल्दी हटो! मैं बाथरूम नें जाती हूँ!"
टफ ने खींच कर उसको बेड पर ही गिरा दिया.. यहीं लेटी रहो मेरी जान... तेरी ही औलाद है.. मैने बुलाया था.."
प्यारी शर्म से लाल हो गयी," तो क्या तू मुझे मेरी बेटी के सामने ही चोदेगा?" वो बेड पर ही बेशर्म होकर पड़ी रही..."
टफ दरवाजे की चितकनी खोलते ही प्यारी की और घूम गया," अरे नही.. तू तो आधी बात कह रही है... तेरी बेटी को भी चोदुन्गा तेरे सामने!" उसने प्यारी के चेहरे की और देखा... उसकी आँखें जाम गयी थी दरवाजे पर... टफ अचानक पिछे घूमा... दरवाजे पर कामना खड़ी थी... बला की सेक्सी लड़की...," सॉरी मेडम, मैं तो ये कहने आयो थी की सरिता दिखाई नही दे रही... कहीं आपके साथ तो नही!"
टफ एक बार तो हिचका, फिर उसको अंदर खींच कर दरवाजा बंद कर लिया...," हां! सभी आइटम यहीं पर मिलते हैं... कुछ चाहिए क्या?"
प्यारी देवी की हलाक में साँस अटक गयी... अब तो बात गाँव में फैल जाएगी," बेटी इधर आ किसी से कुछ कहना नही.. तू चाहे तो तू भी.... बहुत मज़े आते हैं... इश्स छ्होरे के साथ... "
कामना कुछ ना बोली, पर उसके गालों की लाली इश्स बात का सबूत थी की वो क्या चाहती है.. वो टफ के छ्चोड़ने पर भी वहीं खड़ी रही, नज़रें झुकाए!
उधर गौरी अपने कमरे से छुप कर बाहर निकली ही थी की जाने कब से उसकी ताक में बैठे राकेश ने उसका हाथ पकड़ लिया...," गौरी.. तुमने कहा था की मनाली जाने के बाद.. मेरा कमरा खाली है..." गौरी ने अपना हाथ झटका और तुनक्ते हुए जवाब दिया," तुमने क्या मुझे ," फॉर सेल' समझ रखा है... वो रंग बदल गयी....
राकेश पछता रहा था.. इससे अच्छा तो वो रात को ही उसको.... उसने तो ये सोचा था की उसको छ्चोड़ कर वो उसकी नज़र में हीरो बन जाएगा... पर.. वो उसको जाते देखता रहा... उसने देखा.. ये तो राज और टफ के कमरे में गयी है.... "वा वा... अब मैं बनावँगा इसको 'आइटम फॉर सेल..! बेहन की लौदी.." राकेश उसके अंदर घुसते ही कमरे की और गया.... लगभग बाकी सभी सो चुके थे... होटेल में सारे कमरे वो बुक कर चुके थे... चोवकिदार नीचे लेटा हुआ था... "नो रूम्स अवेलबल" का बोर्ड होटेल के बाहर लटक रहा था...
सरिता ने कामना को बता तो दिया था पर वा नही चाहती थी की उसकी मा और उसके मज़े में कोई बाधा पहुचाए.. कामना बात का पता चलते ही उससे चिपकी सी रहने लगी.. किसी भी तरह से वो उसका पीछा छ्चोड़ने का नाम नही ले रही थी... किसी तरह वो उससे बचकर राकेश के कमरे में भाग गयी थी और अब जाकर वहाँ से निकली थी... उसने देखा राकेश टफ के कमरे के आसपास मॅड्रा रहा है," भैया तुम्हे कोई बुला रहा है, तुम्हारे कमरे मैं...!"
"कौन!"
"जाकर खुद ही देख लो" सरिता ने शैतानी के साथ मुस्किरते हुए कहा.
राकेश को लगा ज़रूर कोई लड़की होगी.वा जल्दी से अपने कमरे की और गया.. उम्मीदें बांधें...
उसके जाते ही सरिता ने दरवाजा खटखटाया... कामना ने दरवाजा खोला.. उसको देखते ही सरिता भौचक्की रह गयी,... तत्तूमम्म?"
कामना कुच्छ ना बोली.. सरिता अंदर घुस कर बोली," ये क्या है?"
"चिंता मत करो प्रिय! सबको सबका हिस्सा मिलेगा... कूल डाउन बेबी!" टफ ने प्यारी को अपनी गोद में बिठा रखा था... प्यारी भी अब खुल कर हंस रही थी.. शरम को खूँटि पर टाँग कर..!
दरवाजा बंद हो गया..
जब गौरी कमरे में अचानक घुसी तो राज और अंजलि एक दूसरे को चूम रहे थे बुरी तरह... अंजलि एक दम चौंकी.. पर राज ने उसको अपने उपर से उठने ना दिया..," ये अंदर कैसे आई?"
"तुमने ही दरवाजा खुला छ्चोड़ दिया" राज उसके शरमाये हुऊए चेहरे को अपने हाथो में पकड़े बोला... गौरी दरवाजा बंद कर चुकी थी... अपनी जिंदगी का पहला लाइव मॅच देखने के लिए... शायद खेलने के लिए नही...
राकेश अपने कमरे की और गया.. पर कोई दिखाई ना दिया... कौन हो सकता है.. शायद दिव्या ना हो..!" वा एक एक कमरे को खुलवा कर दिव्या को ढ़हूँढने लगा... एक कमरे में उसको दिव्या मिल गयी... ," तुम्हे अंजलि मेडम बुला रही हैं.. दिव्या... !"
दिव्या उठकर उसके साथ बाहर निकल गयी.. एक कोने में जाते ही राकेश ने उसको पकड़ लिया," मैं ही बुला रहा था दिव्या! चल ना खेल खेलते हैं... मेरे कमरे में.."
"पर मेरे कमरे वाली मुझे ढोँढते हुए आ गयी तो... मैं अपनी एक और सहेली को बुला लूँ!" फिर कोई नही आएगा.. बाकी तो सो चुकी हैं.."
"वो तैयार हो जाएगी..?" राकेश खुस हो गया.. एक से भली दो!"
"हां! मैने उसको बताया था.. वो कह रही थी.. कास मैं भी खेल पाती..."
"ठीक है तुम उसको मेरे कमरे में ले आओ... जल्दी..." कहकर राकेश अपने कमरे मैं चला गया....!
सरिता के अंदर आने के बाद कामना ने दरवाजा बंद कर दिया था... चारों में वही ऐसी थी... जो शर्मा रही थी.. कामना तिरछि निगाहों से ही टफ और प्यारी का हरकतें देख रही थी.. अभी तक टफ ने अपना कुछ नही निकाला था. वो सरिता के आने की ही वेट कर रहा था... सरिता के आने के बाद वो प्यारी से अलग हो गया.. प्यारी दोनो हाथों से अपनी चूचियाँ ढकने की कोशिश कर रही थी.. पर इतनी बड़ी चूचियाँ दयाएं बायें से निकल कर उसके प्रयासों का मज़ाक बना रही थी...
सरिता ने कामना को देखा," तुझे भी फंस्वाना है क्या..? देख ले बहुत दर्द होगा!" उसने कामना को डराने की कोशिश की..
पर कामना दर्द पहले ही झेल चुकी थी अपने ता उ के लड़के से... अब तो बस मज़ा ही मज़ा लेती थी वो.. उसने टफ के 'लोवर' की और दखा... वहाँ 90* का एंगल बना हुआ था.. ," हां! तुम करोगी, तो मैं भी करूँगी..." उसने कहा और शर्मा गयी... टफ ने उसके मस्त शरीर को देखा... ऐसे उँचे नीचे रास्ते देखकर वो भगवान को धन्नयवाद देने लगा... ," हे भगवान! मेरे किए गये पापों की ऐसी मस्त सज़ा! हेल टू यू, डियर गॉड!" वा उठा और कामना को अपनी बाहों में उठा लिया... उसका एक हाथ कामना की जांघों के नीचे और दूसरा उसकी कमर के नीचे से उसकी छतियो को छू रहा था... कामना ने अपनी आँखें मूंद ली... टफ ने उसको और उपर उठाया और उसके होंठो पर 'थॅंक्स' रसीद कर दिया... अपने होंटो से... कामना ने सिसक कर टफ को मजबूती से पकड़ लिया...
सरिता को अपने हिस्से का प्यार कामना पर लूट-ते देख सहन नही हुआ.. वा टफ के सामने आई और उसको घहूरने लगी," अच्च्छा! अब ऐसे बदल जाओगे... रात को तो मेरी चूत फाड़ने का वादा कर रहे थे" उसको अपनी नंगी मम्मी से शरमाने की कोई वजह दिखाई नही दी...
टफ ने कामना को आराम से बेड के नरम गद्दे पर डाल दिया... उसकी आँखें अभी भी बंद थी..
सरिता उच्छल कर टफ की गोद में जा चढ़ि.. उसकी बाहें टफ के गले में थी और उसकी टांगे टफ के दोनों और से उसके पिच्छवाड़े पर कैंची मारे लिपटी हुई थी.. सरिता को अपनी गांद के बीचों बीच टफ के लंड की सपोर्ट मिल रही तही.. सरिता ने वासना के आवाग में टफ के दाँतों पर काट लिया.. टफ चिल्ला पड़ा," रुक तो जा.. शांति कर ले.. अभी पता चल जाएगा.. दर्द कहते किसको हैं....
प्यारी को लगा जैसे 2 हसीनाओं के बीच उसका बुढ़ापा टफ को लुभा नही पा रहा.. उसने कंप्टिशन में रहने के लिए अपनी सलवार और पनटी भी उतार फैंकी...," इधर तो नज़र डाल ले मेरे राजा...," मैं भी बूढ़ी नही हुई" वो अपनी चूत को फैला कर टफ को उसकी चूत की लाली दिखा रही थी...
टफ की समझ में ही नही आ रहा था.. की शुरू कहाँ से करूँ...," अरे एक ही तो लंड है. किस किस की चूत में डालूं एक साथ... थोड़ा वेट नही होता क्या. ?"
कामना की चूत मे टफ के मुँह से लंड और चूत सुनकर गुदगुदी सी होने लगी... चीटियाँ सी चलने लगी.. उसका हाथ अपने आप ही उन्न चीटियों को मसालने लगा... सलवार के उपर से ही...
"ठीक है बड़ी से शुरू करता हूँ...तुम दोनो अभी वेट करो... इसकी आग बूझकर ही तुम्हारा हाल पूछुन्गा........
टफ बेड पर जाकर प्यारी देवी की जांघों के बीच बैठ गया वैसे तो उस्स-से कभी कंट्रोल होता ही नही था... पर उन्न दोनो लड़कियों को जी भर कर गरम करने के इरादे से उसने सबर करने की सोच ली... वो लड़किया तो पहले ही जल बिन मछ्ली की भाँति तड़प रही थी...
कामना टफ और प्यारी के बीच में कूदना चाहती थी पर हिम्मत उसका साथ नही दे रही थी.. वो अनानद के अतिरके में सरिता से लिपट गयी ताकि उसकी तड़प रही चूचियों को कुछ देर के लिए शांत किया जा सके... दोनों की छातियाँ एक दूसरी से चिपकी हुई थी, सरिता ने अपना हाथ कामना की सलवार में डाल दिया, ताकि वो भी बदले में उसकी चूत को छू कर थोड़ी राहत पहुँचा सके!
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