RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
मुस्कान भी तैयार होकर मैदान में आ गयी... उसने राज की पॅंट खोली और उसको खींच कर घुटनो से नीचे कर दिया ओर...वोराज की टाँगों के नीचे कंबल पर अपने चूतड़ टीका कर बैठ गयी और राज के अंडरवेर में अपना हाथ डालकर उसका लंड नीचे निकाल लिया... लंड उपर उठने की कोशिश कर रहा था... पर ज़ोर से पकड़े हुए मुस्कान ने थोड़ा ऊँचा उठकर उसको अपने होंटो में ले लिया...लंड उसको गले से नीचे उतारना नही आता था... वह सूपदे को ही मुश्किल से मुँह में भर लिया... और उसका दूध पीने लगी.... राज की हालत बुरी होती जा रही थी... इश्स तरह का उसका भी पहला अनुभव था... और अपने दोनो हाथों में लड्डू और लंड मुस्कान के मुँह में... राज को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था... दिव्या ने अदिति की चूत को चूस्ते चूस्ते ही अपना पैर सीधा किया और मुस्कान की चूत से लगा दिया... मुस्कान ने झट उसका अंगूत्हा अपनी चूत में सेट कर लिया और उठक बैठक लगाने लगी... दिव्या साथ ही साथ राज की जांघों पर हाथ फेर रही थी.... राज अदिति की छतियो पर से हटा और मुस्कान को नीचे लिटा दिया... उसने मुस्कान की टाँगो को उपर उठा कर खोल दिया... मुस्कान तो इश्स एक्शन के लिए कब की तरस रही थी... उसने झट से अपनी चूत को अपने एक हाथ की उंगलियों से खोल कर दिखाया... मानो कह रही हो... देखिए सर... कितनी प्यारी है... सच में ही उसकी चूत की बनावट गजब की थी...
राज ने अपना पॅंट को उतार फैंका और अदिति को मुस्कान के सिर की तरफ आने को कहा... अदित और दिव्या दोनो उधर आ गयी... राज के कहने पर अदिति ने उसकी दोनो टांगे पकड़ ली और दिव्या ने उसका मुँह बंद कर लिया... अपने मुलायम हॉथो से....
"देखना एक बार दर्द होगा... फिर मज़ा ही मज़ा है.. कहते ही राज ने अपना लंड चूत की दीवारों से लगाया और ज़ोर लगा दिया.. मुस्कान ने मारे दर्द के दिव्या की हथेली को काट खाया.. दिव्या दर्द से कराह उठी. उसने तुरंत ही मुस्कान के मुँह से अपना हाथ हटा लिया.. और उसकी छतियो को मसलनने लगी... अदिति अब तक उंगली अपनी चूत में डाल चुकी थी....
बहुत अधिक दर्द होने पर भी मुस्कान ने अपने आपको काबू में रखा; ये सोचकर की कहीं राज उसको छ्चोड़ कर अदिति को ना पकड़ लें... दर्द शांत होने पर अदिति और दिव्या ने मुस्कान को छ्चोड़ दियाँ और एक दूसरी की चूत में उंगली डाल कर तेज़ी से चलाने लगी.... राज के लंड के लिए खुद को तैयार करने लगी...
मुस्कान से ज़्यादा देर नही हुआअ.. वो 3-4 मिनिट में ही ढेर हो गयी... और लंड को बाहर निकालने की ज़िद करने लगी...
राज ने लंड बाहर निकाल लिया और अदिति को कुतिया बना लिया... राज उसके उपर चढ़ बैठा...अदिति की चूत गीली होकर टपक रही थी....
राज ने अदिति की गांद को अपनी जांघों के बीच दबा लिया... उसका सिर कंबल पर झुका हुआ था... राज के कहने पर दिव्या उसके मुँह के दोनो और अपनी टांगे फैलाई और लेट कर अदिति का मुँह अपनी चूत पर रख दिया... अदिति उसकी चूत को चाटने लगी.... मुस्कान अदिति के नीचे. घुसकर उसकी चूचियों को अपने मुँह में दबा लिया... राज ने सब सेट करके दिव्या को उसका मुँह अपनी चूत पर दबाने को कहा...
"उम्म्म्मममममममम!" जैसे ही राज के लंड ने अदिति की चूत को चीर कर रास्ता बनाया.. उसने हिलने और चीखने की लाख कोशिश की पर ना वा हिल सकी और ना ही चीख सकी... लंड धीरे धीरे झटके लेता हुआ उसकी चूत में पायबस्त हो गया... अदिति मॅन ही मॅन पचछता रही थी.. पर अब पछ्ताये हॉत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत... उसकी चीखें दिव्या की चूत में ही गुम होती गयी... तब तक जब तक की उसको मज़ा नही आने लगा और वो अपनी गांद से पीच्चे ढ़हाक्के लगाने लगी.. राज के इस्शारे पर दिव्या ने अदिति का मुँह आज़ाद कर दिया... अब चीखों की जगह उसके मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थी.. मुस्कान से उसका मज़े लेना ना देखा गया.. वा बाहर निकली और बैठकर अपनी चूत में उंगली घुसाई.. गीली उंगली अदिति की कमर पर से लेजाकार उसकी गांद में घुसाने लगी... राज मुस्कान की कोशिश को समझ गया..
उसने अदिति को सीधा कर दिया.. मुस्कान की तरह ही उसकी टांगे उठाई और फिर से उसकी चूत में लंड से धक्के मारने लगा.. अब मुस्कान के लिए गांद में दर्द करना आसान था.. उसने अपनी उंगली नीचे से उसकी गांद में ठुस दी... पर इससने एक बार दर्द देकर अदिति के मज्र को और बढ़ा दिया... एक दो मिनिट के बाद ही वा भी चूत रस से नहा उठी.. राज को अभी दिव्या को भी निपटना था...
अदिति को छ्चोड़ करराज ने दिव्या को अपने नीचे दबा लिया... उसने बाकी दोनो को उठाकर दिव्या को भी पकड़ने को कहा... पर दोनों निढाल हो चुकी थी... नीचे लेटी हुई दिव्या की कमर के नीचे से हाथ निकल कर राज ने खुद ही उसको काबू में कर लिया... दूसरे हाथ से राज ने लंड को चूत के च्छेद पर सेट करके उस्स हाथ से दिव्या का मुँह दबा लिया... " बुसस्स एक बार..." अपनी बात को अधूरा ही छ्चोड़ते हुए राज ने जैसे ही अपने लंड का दबाव दिव्या की चूत पर बढ़ाया.. वह उन्न दोनो से ज़्यादा आसानी के साथ सर्र्ररर से चूत में उतरता चला गया... सिर्फ़ एक बार दिव्या की आँखें पथराई.. और वो नीचे से अपने चूतड़ उचकाने के लिए... राज समझ गया.. इसका मुँह बंद करना तो बेवकूफी है... उसने मुँह से हाथ हटाकर दिव्या की चूचियों पर रख दियाअ... और उन्हे मसल्ने लगा... दिव्या तो उन्न दोनो से भी ज़्यादा मज़े दे रही थी... हालाँकि वो अभी भी कुच्छ कुच्छ शर्मा रही थी पर उसके चूतदों की धर्कन राज के लंड के आगे पीछे होने की स्पीड से बिल्कुल मॅच कर रही थी... करीब 30 मिनिट से लगातार अलग अलग चूतो पर सवार सुनील का लंड बौखला गया था... ऐसा मज़ा तो उसको कभी मिला ही नही... आख़िरकार वा दिव्या की चूत से हार गया... और बाहर निकल कर दिव्या के पेट को अपने रस से मालामाल कर दियाअ... राज ने दिव्या के होन्ट मुँह में लेकर जैसे ही उसको ज़ोर से पकड़ा... वा भी आँखें बंद करते हुए राज से नाज़ुक बेल की भाँति लिपट गयी... आख़िरकार उसकी चूत ने भी कंबल पर अपने निशान छ्चोड़ दिए... राज का काम ख़तम होते देख वो दोनो भी उससे लिपट गयी....
कुच्छ देर ऐसे ही लेटी रहने के बाद उनको ठंड फिर से लगने लगी.. चारों ने अपने कपड़े पहने... कपड़े पहनते हुए.. तीनो राज को अपनी मादक नज़रों से धन्यवाद बोल रही थी... राज उनको अपने से चिपका कर बस की तरफ चल दियाअ... तीनो लड़कियाँ अलग अलग बस के पास गयी... राज बस से पहले ही कहीं बैठ गया.. कुच्छ देर बाद जाने के लिए... अब मुस्कान को अदिति से कोई जलन नही थी... वो हँसती हुई बस में चढ़ि तो कविता बड़े इतमीनान से पिच्छली सीट पर अपनी टाँगें फैलाए सो रही थी.....
उधर राज के जाने के बाद टफ की नज़रें सरिता को ढ़हूंढ रही थी...... करीब राज के जाने के 10 मिनिट बाद...
राज के जाने के बाद टफ प्यारी और सरिता में से किसी एक की ताक में बैठा था. पर प्यारी तो अंजलि के पास थी... मजबूरी मैं....! टफ अगर टीचर होता तो किसी भी लड़की के हाथों सरिता को बुला लेता... अचानक ही उसको एक आइडिया आया... वा अंजलि और प्यारी मेडम के पास ही जाकर खड़ा हो गया...
अंजलि ने उसको देखकर पूछा," राज जी कहाँ गये?" वा भी प्यारी को छ्चोड़ कर कब की 2 पल राज की बाहों में जाना चाहती थी....
"यहीं होंगे! शायद बस के दूसरी तरफ बैठहे हो" टफ को पता था राज किसी कबुतरि के साथ गया है... पर उसने जान बूझ कर झूठ बोला," वो भी आपको ही ढ़हूंढ रहे थे!"
टफ के मुँह से ये सुनकर अंजलि खुश हो गयी," हां मुझे भी उनसे बात करनी थी... मैं अभी आती हूँ..." कहकर वो चली गयी.
अंजलि के जाते ही टफ ने प्यारी के चूतदों पर चुटकी काट ली..," अपने ख़टमल के दुनक को भी नही पहचानती...."
प्यारी भी शाम से ही अपनी गांद की खुजली मिटाने की जुगत में थी...," ये साली प्रिन्सिपल मेरा पीचछा ही नही छ्चोड़ रही... कब का पानी टपक रहा है अंदर से, पता है तेरे को... कुच्छ हो नही सकता क्या?"
टफ ने नपे तुले शब्दों में कहा," अगर चुदवानी है तो उस्स तरफ अंधेरे में चली जाओ... मैं यहाँ सब सेट करके आता हूँ......
प्यारी देवी मुस्कुराइ और जाकर अंधेरे में खड़ी हो गयी.... जिस तरफ गौरी गयी थी...
उसके जाते ही टफ ने सरिता को ढ़हूंढा... और उसके सामने जाकर खड़ा हो गया... सरिता उसको अकेला देखते ही बस में जा चढ़ि... मरवाने के लिए...
टफ ने भी दायें बायें देखा और उसके पीच्चे बस में जा चढ़ा...," अरे बुलबुल! कहाँ उडद गयी थी... उसने जाते ही सरिता की दोनो चूचियों को पकड़ा और उनको मसालने लगा... सरिता ने दर्द के मारे अपनी एडियीया उठा ली....," क्या कर रहा है... जल्दी पीछे आअज़ा.. कर दे...
"टफ ने रहस्यमयी ंस्कान उसकी तरफ फैंकी," ऐसे नही करूँगा मेरी रानी... आज तेरे को बहुत बड़ा सर्प्राइज़ दूँगा.."
"क्या?" सरिता उत्सुक हो गयी..
टफ ने सिर खुजाते हुए कहा," तेरी मम्मी को चोदुन्गा पहले!"
"क्या?... " सरिता ने हैरानी से कहा," हाँ .. मुझे पता है वो ऐसी हैं.. पर किसी अंजान के साथ....!" नही ये नही हो सकता!"
टफ ने सरिता की जांघों में हाथ डालते हुए कहा," मैं उसकी गांद भी मार चुका हूँ... समझी... बोल तमाशा देखना है?
सरिता ने अविस्वास के साथ अपने मुँह पर हाथ रख लिया... पर तमाशा तो उसको देखना ही था... अपनी माँ को चुद्ते हुए देखने का तमाशा," हां! दिखाओ.. कहाँ है मम्मी?" सरिता ने उसके चूत को मसल रहे हाथ को हटाते हुए कहा...
"मैने उसको आगे भेज दिया है.. वो कुछ दूर जाकर खड़ी होगी.. मैं भी जा रहा हूँ.. मैं उसको पीछे नही देखने दूँगा... तुम बगैर आवाज़ किए पीछे पीछे आ जाना...."
कहकर बस से उतार कर उसी और चल दिया, जिस और उसने प्यारी को भेजा था... सरिता बस के दूसरी और से घूमकर आई और उससे दूरी बना कर चलने लगी.. अपनी मम्मी को चोद्ते हुए टफ को देखने की इच्च्छा बलवती होती गयी.....
टफ जल्द ही प्यारी के पास पहुँच गया.. उसने जाते ही प्यारी के कंधे पर अपनी बाह रख दी.. ताकि वो पीछे देखने ना पाए... ," बहुत देर लगा दी! कहाँ रह गया था?" प्यारी रोमांच से भारी हुई थी... ठंडी वादियों में चुड़ाने के रोमांच से...
टफ ने कोई जवाब नही दिया और उसको ऐसे ही दबाए आगे चलने लगा...
सरिता ने भी पीछे पीछे चलना शुरू कर दिया... चुपके चुपके...!
गौरी च्छुपति च्छूपति उस्स साए के पीछे जाती रही... साया कुच्छ दूर जाने के बाद ठिठका... उसको अहसास हुआ की उसके पीछे कोई है... जाने क्या सोचकर वो साया चलता रहा... गौरी उसके पीछे पीछे थी... वो काफ़ी दूर निकल आए.. रास्ते में राकेश ने एक की बजे दो को आते देखा... वो एक चट्टान की आड़ में खड़ा था ताकि कविता आए तो उसको धीरे से पुकार सके... पर जब उसने देखा की 2 आ रहे हैं तो उत्सुकतावास वो वहीं छिप गया और उनको अपनी बराबर से निकलते देख लिया... आअगे वाले को वो पहचान नही पाया पर पिछे वाली को देखते ही पहचान गया... उससने कंबल नही ओढ़ा हुआ था... राकेश गौरी को देखकर हैरान हो
गया.
जब वो बस से करीब आधा काइलामीटर नीचे की और आ गये तो अचानक वो साया पिछे भागा और उसने गौरी को दबोच लिया... गौरी कसमसाई... अचानक हुए इश्स हमले में वो हड़बड़ा कर कुच्छ कर नही पाई.. उसने कंबल ओढ़े उस्स शक्श की आँखों में झॅंका...
गौरी उस्स कंडक्टर के शिकंजे में अपने आपको पाकर बहुत डर गयी.. कंडक्टर भी उसको देखकर हैरान था... उसने राकेश को कविता की और इशारा करके जाते देखा था और वो इसीलिए राकेश के पीछे गया था की अगर वो दोनो कुच्छ करेंगे तो थोड़ा प्रसाद उसको भी ज़रूर मिलेगा.. रंगे हाहहों पकड़ लेने पर... पर उसको राकेश कहीं दिखाई ही नही दिया इतनी दूर आने पर.. तो वो गौरी को कविता समझ बैठा... सोच सोच कर ही उसके लंड की अकड़न बढ़ती जा रही थी... वो तय कर चुका था की पीछे आने वाली 'कविता' को वो चोद कर रहेगा... उसको विस्वास था की कविता जैसी मस्त लड़की जिसने बस में ही इतने मज़े दे दिए; वो मना क्या करेगी..
यही सोच सोच कर उसका शरीर वासना की आग में जल रहा था...
पर जब उसने कविता की जगह गौरी को देखा तो एक बार वो ठिठक गया... गौरी उसकी बाहों की क़ैद से निकलने के लिए छॅट्पाटा रही थी... कंडक्टर ने उसके चेहरे से हाथ हटा लिया...
गौरी को थोड़ी सी राहत मिली," तुम??? छ्चोड़ो मुझे..." वो डरी हुई थी... उसको अपनी जांघों पर कंडक्टर का लंड चुभता हुआ सा महसूस हो रहा थी....
उसको डर से काँपते देख कंडक्टर का हॉंसला बढ़ गया... उसने सोच लिया था... चाहे यहाँ से ही वापस भागना पड़े... इश्स हूर को चोदे बिना नही रहूँगा...," ज़्यादा चीक चीक करी तो जान से मार कर पहाड़ी से फाँक दूँगा साली... यहाँ क्या अपनी मा चुडाने आई थी मेरे पीछे... अपनी ही चूत तो मरवाने आई होगी..."
गौरी उस्स पल को कोस रही थी जब उसके दिमाग़ में राकेश और कविता का लाइव मॅच देखने की खुरापात उभरी... वो डर से काँप रही थी.. वो कंडक्टर से याचना करने लगी.. मरी सी आवाज़ में," प्लीज़ भैया मुझे छ्चोड़ दो... मैं तो कविता समझ कर आपके पीछे आई थी... मैं ऐसी लड़की नही हूँ... मुझे जाने दो प्लीज़.. मैं तुम्हारे पैर पड़ती हूँ...
"तू अपनी बकवास अपने पास ही रख... कविता को देखने आई थी... साली.. बहनचोड़.. मैं 6 फुट का तुझे कविता दिखता हूँ! अभी दिखाता हूँ तुझे अपना कविता" कंडक्टर ने अपना ताना हुआ लंड उसकी जांघों पर और ज़्यादा चुबा दिया... गौरी को वो लंड किसी पिस्टल से कम नही लग रहा था... जितना डर गन का गर्दन पर रखे जाने से लगता है... लगभग यही हाल उसकी चूत के पास जाँघ पर गाड़े हुए लंड को महसूस करके गौरी का हो रहा था...," नही! मैं मर जाउन्गि भैया! प्लीज़ मुझ पर रहम करो..."
कंडक्टर ने दूसरे रास्ते से उसको लाइन पर लाने की सोची," एक शर्त पर तुझे कुँवारी छ्चोड़ सकता हूँ.."
गौरी उसकी हर शर्त से माना करके उसके मुँह पर थूकना चाहती थी.. पर उसके पास और कोई चारा ही ना था...," क.. कैसी .. शर्त?"
गौरी उसकी बाहों में ही कसमसा रही थी.. उसकी चूचियाँ कंडक्टर की छति से लगी हुई थी.... राकेश चुपचाप खड़ा होकर आन वक़्त पर एंट्री मारने की सोच रहा था... वो यही चाहता था की किसी तरह कंडक्टर उसके कपड़े निकलवा दे एक बार... फिर वो खुद ही सब संभाल लेगा...
तुमको एक बार अपने सारे कपड़े निकालने होंगे...
कंडक्टर की शर्त सुनते ही गौरी सिहर गयी... उसके सामने कपड़े निकलना तो अपनी इज़्ज़त लुटाने जैसा ही था... माना वो थोड़ी सी ठारकि और सेक्सी टाइप की थी पर आज तक कभी उसने सोचा तक ना था की कोई यूँ उसके कपड़े निकालने को कह देगा.. वो तो हमेशा ही एक राजकुमारी की तरह सोचा करती थी... की कोई राजकुमार आएगा और उसको लेकर जाएगा... ये शर्त वो अपनी मर्ज़ी से कभी भी नही मान सकती थी," नही! मैं ऐसा नही कर सकती!" कंडक्टर के नरम पड़ जाने पर उसके जवाब में भी थोड़ी सी हिम्मत आ गयी थी..
"तो क्या कर सकती हो..? कपड़े सारे नही निकल सकती तो कम से कम कमीज़ ही निकल दो..." कंडक्टर गौरी का गड्राया जवान जिस्म देखकर पिघलता जा रहा था...
" नही प्लीज़.. मुझे जाने दो... अभी नही.. मनाली जाने के बाद.. पक्का!"
कंडक्टर को भी लग्रहा था की वो कुच्छ कर नही पाएगा... एक तो डर था... दूसरे रोड पर और तीसरा... गौरी के जिस्म की गर्मी से उसका रस निकलने के लिए तड़प रहा था...," ठीक है.. बस एक काम कर दो..."
"क्या?"
"तुम नीचे बैठ जाओ!" कंडक्टर ने अपना लंड सहलाते हुए कहा...
"क्यूँ?" गौरी ने इंग्लीश फिल्मों में गर्ल्स को लंड चूस्ते देखा था... उसका भी बहुत मॅन था ऐसा करने का.. पर अपने राजकुमार के साथ... और कंडक्टर में से तो उसको वैसे भी बदबू आ रही थी...
"अब मैने तुमको ना चोदने की बात मान ली है तो ये मत सोचो की मैं शरीफ हूँ... याद रखना अगर एक बार भी अब मैने तुम्हारे मुँह से और 'ना' या 'क्यूँ' सुना तो नीचे फैंक दूँगा साली को..." कंडक्टर फिर उफान गया...
गौरी सहम गयी... वो तो भूल ही गयी थी की वो एक गहरी खाई के पास बैठी है.. और ये कंडक्टर कुच्छ भी कर सकता है... वो कंडक्टर के चेहरे की और देखती हुई सी नीचे बैठ गयी.... कंडक्टर की पॅंट का उभार उसकी आँखों के सामने था...
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