College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 12:58 PM,
#35
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
निशा को विस्वास नही हो रहा था की कोई चूत देखकर ये बता भी सकता है की चूत चुड चुकी है या नही....," ठीक है... मैं तैयार हूँ... पहले तुमको बात बतानी पड़ेगी..."

"ऐसा नही होगा; तुम बाद में मुकर सकती हो" नेहा ने अंदेशा प्रकट किया..

"ये तो मैं भी कह सकती हूँ की तुम भी बाद में मुकर सकती हो..." निशा ने जवाब दिया.

कविता बताने को राज़ी हो गयी," सुनो! वो शमशेर सर हैं ना... उन्होने हमको भी चोद दिया..."
"च्चीी ! कैसी भासा बोल रही हो...? और क्या सच में..? दोनो को?" निशा को अचरज हुआ की एक आदमी किस किस को चोदेगा..."

"नही... शमशेर ने सिर्फ़ नेहा को चोदा था... मेरे सामने ही..." कविता ने बताया..

"तुम वहाँ का कर रही थी..?" निशा को अब भी विस्वास नही हो रहा था...
"मुझे कोई और चोद रहा था"
"कौन?"
" ये जो सामने सरिता के साथ कुच्छ कुच्छ कर रहा है अभी... ये शमशेर सर का भी दोस्त है...

निशा की आँखें फटी रह गयी.. उसने कभी भी नही सोचा था की सेक्स का ये खेल ऐसे भी हो सकता है... 2 लड़के... 2 लड़की..," तुम्हे शर्म नही आई साथ साथ"

कविता ने सपस्ट किया," वो सूब तो यूँही हो गया था... हम कुछ कर ही नही सके... पर मैं चाहती हूँ की कम से कम एक बार और वैसे ही काई लड़कियाँ और काई लड़के होने चाहियें... टूर पर... सच में इतना मज़ा आता है..."

नेहा ने भी अपना सिर खुश होकर हिलाया..," अब आप दीदी की बात पूरी करो.. आपकी सलवार उतार कर दिकजाओ; आप कुँवारी हैं या नही...

बस ने पंचकुला से आगे पहाड़ी रास्तों पर बढ़ना शुरू किया था... ठंड बढ़ने लगी............ करीब 12:00 बाज गये थे... आधी रात के......

टफ अब सरिता की आग बुझाने की कोशिश कर रहा था... उसी तरीके से; जिस-से तहोड़ी देर पहले मुस्कान शांत हुई थी... उंगली से.. अब मुस्कान राज के लंड की गर्मी को अपनी जीभ से चट चट कर शांत कर रही थी... कंबल के अंदर...

निशा ने अपना वाडा निभाया... उसने झिझकते हुए अपन सलवार उतार दी... कविता उसकी पनटी को देखते ही बोली," कहाँ से ली.. बड़ी सुंदर है" ... वही लड़कियों वाली बात...

निशा को दर सता रहा था की कहीं कविता को सच में ही कुँवारी और चूड़ी हुई चूत में फ़र्क करना ना आता हो! अगर उसने उसकी चूत के चुड़े होने की बात कह दी तो वो किसका नाम लेगी...अपने सगे भाई का तो ले नही सकती...

कविता ने निशा की चूत पर से पनटी की दीवार को साइड में किया... निशा की चूत एक दूं उसके रंग की तरह से ही गोरी सी थी... कविता ने निशा के चेहरे की और देखा और उसकी चूत के च्छेद पर उंगली टीका दी... निशा एकद्ूम से उत्तेजित हो गयी... 2 दिन पहले उसके भाई का लंड वहीं रखा था.. उसकी चूत के मुँह पर... और उसकी चूत उसके भाई के लंड को ही निगल गयी थी... पूरा..!

कविता ने एकद्ूम से उंगली उसकी चूत में थॉंस दी... सर्ररर से उंगली पूरी अंदर चली गयी.....

बस का ड्राइवर बेकाबू हो रहा था... कितने सपने संजोए तहे उससने आधी दूर मज़े लेने के... कितनी मस्त मोटी मोटी चूचिया थी.. उस्स लड़की की... कंडक्टर सला अकेले ही मज़े ले गया... अब क्या करूँ... ये सोचते सोचते उसके मॅन में एक आइडिया आया...

उसने अचानक ही रेस ओर क्लच एक साथ दबा कर गाड़ी रोक दी... जो जाग रहे थे अचानक ही सब चौंके... जल्दबाज़ी में अपने आपको ठीक किया. टफ ने पूचछा..., "क्या हुआ भाई...?"

"शायद कलुतचप्लते उडद गयी साहब!" चढ़ाई को झेल नही पाई.. पुरानी हो चुकी तही....

टफ ने रहट की साँस ली, बाकियों ने भी.... अब अपना अपना काम करने... और करवाने के लिए सुबह का इंतज़ार नही करना पड़ेगा.. एक बार तो टफ के मॅन में आई की स्टार्ट करके देखे... पर उसको लगा जो हुआ तहीएक ही हुआ है...

राज और टफ ने बाहर निकल कर देखा... चारों और अंधेरा था... एक तरफ पहाड़ी थी तो दूसरी तरफ घाटी....," अब क्या करें?" राज ने टफ की राई लेनी चाही....

सबसे पहले तो एक एक बार चोदुन्गा दोनों मा बेटी को... उसके बेगैर तो मेरा दिमाग़ काम करेगा ही नही....

राज के पास तो तीन तीन विकल्प तहे; अंजलि, गौरी, और मुस्कान...

पर ऊए उसकी सोच वो... टूर की सब लड़कियाँ प्रॅक्टिकल करना चाहती थी.....

बस के रुकते ही धीरे धीरे करके सभी उठ गये. सभी ने इधर उधर देखा... अंजलि ने राज से मुखातिब होकर अपनी आँखें मलते हुए कहा," क्या हुआ?? बस क्यूँ रोक दी...?"

"बस खराब हो गयी है.. मेडम... अब ये सुबह ही चलेगी....! अभी तो मिस्त्री मिलेगा नही....." ड्राइवर ने आगे आ चुकी कविता को घूरते हुए कहा... तकरीबन सभी लड़कियाँ जो पहली बार मनाली के टूर पर आई थी... उदास हो गयी... वो जल्दी से जल्दी मनाली जाना चाहती थी... पर कूम से कूम एक लड़की ऐसी थी... जो इश्स मौके का फयडा उतहाना चाहती तही...'कविता!' उसने कातिल निगाहों से राकेश को देखा... पर राकेश का ध्यान अब निशा को कुच्छ कहकर खिलखिला रही गौरी पर था... राज और टफ आस पास का जयजा लेने नीचे उतरे... उनके साथ ही अंजलि और प्यारी मेडम भी उतर गयी... कविता ने राकेश को कोहनी मारी और नीचे उतार गयी... राकेश इशारा समझ गया... वो भी नीचे उतार गया... धीरे धीरे सभी लड़कियाँ और ड्राइवर कंडक्टर भी बस से उतार गये... और दूर तारों की तरह टिमटिमा रहे छोटी छोटी बस्तियों के बल्बस को देखने लगे... कहीं दूर गाँव में दीवाली सी दिख रही थी... जगह जगह टोलियों में लड़कियों समेत कंबल औधे सभी बाहर ही बैठह गये... अब ये तय हो गया था की बस सुबह ठीक होकर ही चलेगी.... गौरी बार बार राकेश की और देख रही थी... अब तक उसको दीवानो की तरह घूर रहे राकेश का ध्यान अब उस्स पर ना था... थोड़ी देर पहले तक राकेश को अपनी और देखते पाकर निशा के कान में उसको जाने क्या क्या कह कर हँसने वाली गौरी अब विचलित हो गयी... लड़कियों की यही तो आदत होती है.... जो उसको देखे वो लफंगा... और जो ना देखे वो मानो नही होता बंदा(मर्द).... अब गौरी लगातार उसकी और देख रही थी... पर राकेश का ध्यान तो कुच्छ लेने देने को तैयार बैठी कविता पर था... गौरी ने देखा; राकेश ने कविता को हाथ से कुच्छ इशारा किया और नीचे की और चल पड़ा... धीरे धीरे... सब से चूपते हुए... गौरी की नज़र कविता पर पड़ी... उसके मान में कुच्छ ना कुच्छ ज़रूर चल रहा था... अपनी टोली में बैठकर भी वा किसी की बातों पर ध्यान नही दे रही थी.... वा बार बार पिच्चे मुड़कर अंधेरे में गायब हो चुके राकेश को देखने की कोशिश कर रही तही..... आख़िरकार वो आराम से उठी और सहेलियों से बोली...," मैं तो बस में जा रही हूँ सोने..."
गौरी साथ ही उठ गयी," चलो मैं भी चलती हूँ!"

"तो तूही चली जा..." कविता गुस्से से बोली थी...

गौरी को विस्वास हो गया की ज़रूर कविता राकेश के पिछे जाएगी... ," अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी..!"

कविता को अब उठते हुए शरम आ रही थी... पर चूत की ठनक ने उसको थोड़ी सी बेशर्मी दिखाने को वीवाज़ कर दिया... वो अंगड़ाई सी लेकर उठी और रोड के दूसरी तरफ... बस के दरवाजे की और चली गयी.... गौरी का ध्यान उसी पर था.... सड़क पर काफ़ी अंधेरा था... पर क्यूंकी गौरी ने बस के पीछे अपनी आँखें गाड़ा रखी थी... उसको कंबल औधे एक साया सड़क पर जाता दिखाई दिया.... गौरी को यकीन था वो कविता ही थी...

गौरी भी धीरे से उठी और वहाँ से सरक कर बस में जा चढ़ि.... कविता वहाँ नही थी..... उसको पूरा यकीन हो गया था की कविता और राकेश अब ज़रूर ग़मे खेलेंगे.... गौरी राज और अंजलि का लाइव मॅच तो देख ना सकी थी... पर लाइव मॅच देखने का चान्स उसका यही पूरा हो सकता था... उसने दोनो को रंगे हाथो पकड़ कर अपनी हसरत पूरी करने की योजना बनाई... और उधर ही चल दी.... जिधर उसको वो साया जाता दिखाई दिया था.....

उधर उनसे दूसरी दिशा में ड्राइवर थोड़ी ही दूरी पर कविता का मुँह बंद करके उसको घसीट-ता सा ले जा रहा था... वैसे तो कविता को उससे चुदाई करवाने में भी कोई समस्या नही तही.... पर एक तो अंजान जगह उस्स पर आदमी भी अंजान... वो डरी हुई थी....

जिधर गौरी साया देखकर गयी थी... उससे बिल्कुल दूसरी दिशा में काफ़ी दूर ले जाकर ड्राइवर ने उसके मुँह से हाथ हटा लिया... लेकिन वो उसको एक हाथ से मजबूती से पकड़े हुए था...

कविता कसमसाई...," छोड़ दो मुझे... यहाँ क्यूँ ले आए हो?" पर उसकी आवाज़ में विरोध उतना भी ना था जितना एक कुँवारी लड़की को अपने हो सकने वाले बलात्कार से पहले होता है...

ड्राइवर ने लगभग गिड़गिदा कर कहा," हा य! मेरी रानी! एक बार बस दबा कर देख लेने दो... मैं तुम्हे जाने दूँगा.."

"नही.. मुझे अभी छोड़ो...!" मुझे जाने दो"... ड्राइवर को गिड़गिदते देख कविता में थोड़ी सी हिम्मत आ गयी और नखरे दिखाने लगी... वैसे उसके लिए तो राकेश और ड्राइवर में कोई फ़र्क नही था... आख़िर लौदा तो दोनो के ही पास था.....

ड्राइवर को कविता की इजाज़त नही चाहिए थी... वो तो बस इतना चाहता था की पूरा काम वो आसानी से करवा ले... वरना बस में उसकी शराफ़त वो देख ही चुका था... कैसे दो दो के मज़े एक साथ ले रही थी...
"तेरी चूची कितनी मोटी मोटी हैं... गांद भी मस्त है... फिर चूत भी... कसम से तू मुझे एक बार हाथ लगा लेने दे... जैसे 'शिव' से डबवा रही थी.... हाए क्या चीज़ है तू! " ड्राइवर रह रह कर उसको यहक़्न वहाँ से दबा रहा था... उसका एक हाथ अपने लंड को थोड़ा इंतज़ार करने की तस्सली दे रहा था.... पर कविता थी की उसके नखरे बढ़ते ही जा रहे थे," मैं तुमको हाथ लगाने भी देती... पर तुम मुझे ऐसे क्यूँ... आ... उठा कर लाए... मैं कुच्छ नही करने दूँगी"

उसका वोरोध सरासर दिखावा था... ड्राइवर तो कर ही रहा था... सब कुच्छ... पर बाहर से... उसने कविता का एक चूतड़ अपने हाथ में पकड़ रखा तहा और चूतदों के बीच की खाई को उंगलियों से कुरेड रहा था.... मानो उसकी गांद को जगा रहा हो....," करने दे ना चोरी.. बड़ी मस्त है तू..."

"नही... मैं कुछ नही करने दूँगी" कविता ने गुस्सा दिखाते हुए कहा... जैसे ड्राइवर अभी तक उससे हाथ ही मिला रहा हो...

ड्राइवर उसको धीरे धीरे सरकता सरकाता सड़क के एक मोड़ पर नीचे की और जा रहे छ्होटे से रास्ते की और ले गया... शायद वो रास्ता नीचे गाँव में जाता था... मनाली के रोड से दूर.....

"देख तो ले एक बार! ड्राइवर ने पॅंट में से अपना लंबा, मोटा एर काला सा लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया... लंड बिल्कुल तैयार था... उसकी चूत की सुरंग को और खोल देने के लिए...

"नही, मुझे कुच्छ नही देखना! " कविता ने मुँह फेर लिया.. पर ऐसे शानदार लंड को अपने हाथ से अलग ना कर पाई... ऐसा लंड रोज़ रोज़ कहाँ मिलता है... पर उपर से वो यही दिखा रही थी की उसको कुच्छ भी नही करना है.... कुच्छ भी......

ड्राइवर के लंड को सहलाते सहलाते कविता इतनी गरम हो गयी थी की उसने अपने दूसरे हाथ को भी वहीं पहुँचा दिया... पर नखरे तो देखो लड़की के," तुम बहुत गंदे हो.... तुम्हे शरम नही आती क्या...?"

ड्राइवर बातों का खिलाड़ी नही था.... ना ही उससे कविता की बात का जवाब देने में इंटेरेस्ट था... वो तो बस एक ही रट लगाए हुए था... ," एक बार दे देगी तो तेरा क्या घिस जाएगा?"
कविता ने फिर वही राग अलापा," नही मुझे कुच्छ देना वेना नही है..." उसका ध्यान अब भी ड्राइवर के लंड की धिराक रही टोपी पर था....

ड्राइवर ने अपना हाथ सलवार के अंदर से पीछे उसकी गांद की दरारों में घुसा दिया तहा... वो एक हाथ से ही दोनो चूतदों को अलग अलग करने की कोशिश कर रहा था.. पर मोटी कसी हुई गांद फिर भी बार बार चिपकी जा रही थी... ड्राइवर क एक उंगली गांद के प्रवेश द्वार तक पहुँच ही गयी... उसने उंगली गांद के च्छेद में ही घुसा दी... कविता को रात के तारे दिखाई देने बंद हो गये तहे.... क्यूंकी उसकी आँखें मारे आनंद के बंद हो गयी थी... वो आगे होकर ड्राइवर की छति से चिपक गयी और उसके होंटो पर अपने नरम होंटो से चूमने लगी...

ड्राइवर तो सीधे ही सिक्सर लगाने वाला आदमी था... ये होन्ट वोंट उसकी समझ के बाहर थे... उसने झट से कविता का पहले ही उतारा कंबल ज़मीन पर बिच्छा दिया और उसको ज़बरदस्ती उसस्पर लिटने की कोशिश करने लगा...

"रुक जाओ ना! ईडियट... चूत मरने का मज़ा भी लेना नही आता...." कविता अब सीधे क्षकशकश मूड में आ गयी थी...

ड्राइवर उसकी बात सुनकर ठिठक कर खड़ा हो गया.. जैसे सच में ही वो नादान हो... जैसे कविता ही उसको ज़बरदस्ती वहाँ उठा लाई हो....
वो चुप चाप कविता की और देखने लगा; जैसे पूच्छ रहा हो... फिर कैसे मारनी है... चूत!

कविता ने ड्राइवर को सीधा खड़ा हो जाने को कहा.... वो बच्चे की तरह अपनी नूनी पकड़ कर खड़ा हो गया... कविता कंबल पर घुटनो के बाल बैठी और इसका सूपड़ा अपना पूरा मुँह खोल कर अंदर फिट कर लिया... ड्राइवर मारे आनद के मार गया... उसने तो आज तक अपनी बाहू की टाँग उतहकर ढ़हाक्के मार मार कर यूँही पागल किया था... हन अँग्रेज़ी फ़िल्मो में उसने देखा ज़रूर था ये सब... पर उनको तो वा कमेरे की सफाई मानता था... इतना आनंद तो उसको कभी चूत में भी नही आया... जो ये छ्होटी सी लड़की उसको दे रही थी.. वो तो उसका चेला बन गया.. अपने आप वो हिला भी नही... अब जो कर रही तही.. वो कविता ही कर रही थी...

कविता उसके गरम लंड के सुपादे पर अपनी जीभ घिमाने लगी... ड्राइवर मारे आनंद के उच्छल रहा था...."इसस्स्सस्स.... चूऊऊऊओस लीई! कसाआअँ से चहोरि.. तेरे जैसेईईइ लड़की... अया गुदगुदी हो रही है...

कविता ने अपने दोनो हाथों से ड्राइवर के चूतड़ पकड़ रखे थे और... लंड को पकड़ने की ज़रूरत ही नही ठीक... वो तो कविता के होंटो ने जाकड़ रखा तहा.. बुरी तरह...

कविता ने लंड को और ज़्यादा दबोचने की कोशिश करी... पर लंड का सूपड़ा इतना मोटा था की उसके गले से आगे ही ना बढ़ा... वो सूपदे को ही आगे पीच्चे होन्ट करके चोदने लगिइइई...... ऐसा करते हुए वो ड्राइवर के चेहरे के पल पल बदल रहे भाव देखकर और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी.......
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RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल - by sexstories - 11-26-2017, 12:58 PM

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