RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल--13
टफ ने रहस्यमयी अंदाज में कहा," भाई साहब! पोलीस वाले बिना लिए कभी किसी की प्राब्लम दूर नही करते... तू तो जानता है"
राज ने अंजलि के आगे ही ऐसी बात कही की अंजलि भी बग्लें झाँकने लगी," बोल किसकी लेनी है.."
टफ ने मुश्किल से अपनी हँसी रोकी," अगर मुझे भी साथ ले चलो तो मेडम का इंतज़ाम में कर सकता हूँ...."
राज ने अंजलि से इजाज़त लेने की ज़रूरत ही ना समझी, नेकी और पूच्छ पूच्छ... पर मेडम कहाँ से पैदा करोगे!"
"इसी गाँव से...प्यारी मेडम!" टफ के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी...
प्यारी का नाम सुन-ते ही अंजलि को घिन सी हो गयी... सारा माहौल खर्राब कर देगी... पर वो राज के साथ इश्स हसीन सफ़र को गवाना नही चाहती थी.. टूर कॅन्सल हो सकता था... इसीलिए वा चुप रही.
राज: ये प्याई कौन है भाई
टफ: तू अभी तक प्यारी को नही जान-ता... इश्स गाँव में क्या झक मार रहा है?
अंजलि ने सुस्पेंस ख़तम किया," प्यारी पहले इसी स्कूल में मेडम थी... पर उसको तो स्कूल में जाना पड़ता है...
टफ: आप वो मुझ पर छ्चोड़ दीजिए... शमशेर सेट्टिंग करा देगा...
अंजलि: ओ.के. तो तुम बात कर लो... अगर वो चल पड़ें तो..
टफ: चल पड़े तो नही मेडम; चल पड़ी... उसने प्यारी को फोने लगाया," मेडम जी नमस्कार!"
प्यारी: रे नमस्कार छ्होरे! गाम में कद (कब) आवगा तू?
अंजलि के सामने टफ खुल कर बात नही कर पा रहा था... वो ऑफीस से बाहर निकल आया... राज भी उसके साथ ही आ गया," आंटी जी ! एक अच्च्छा मौका है... तुझे टूर पर घुमा कर लाउन्गा... देख लो!"
प्यारी: तू पागल है क्या? घर पर क्या कहूँगी... और फिर स्कूल भी...
टफ ने उसको बीच में ही टोक दिया," तू सुन लो ले पहले... गाँव के स्कूल से टूर जा रहा है... लड़कियों का... और तुम उसमें जा सकती हो! रही स्कूल की बात तो शमशेर अपने आप ही जुगाड़ करवा कर तुम्हे ऑन ड्यूटी करा देगा... अब बोलो!"
प्यारी: हाए! मज़ा आ जाएगा तेरे साथ... मैं आज ही अपनी चूत को शेव कर लूँगी... पर देख तू मुझे छ्चोड़ कर दूसरी लड़कियों पर ध्यान मत धर लेना... मैं तो जीते जी ही मार जवँगी... आइ लव यू!
टफ हँसने लगा," तो फिर तुम्हारा नाम फाइनल करवा दूं ना...
प्यारी: बिल्कुल करा दे; पर तेरे साथ वाली सीट रेजर्व करवा लियो!
टफ: तेरी सरिता को भी लेकर चल रही होगी साथ में...?
प्यारी: देख तू है ना... मैं कह देती हूँ... अपने सिवाय किसी की और झहहांकने भी नही दूँगी...
टफ: देखने में क्या हर्ज़ है आंटिजी.... अच्च्छा ओके! बाद में बात करते हैं बाइ!!!
और प्रोग्राम तय हो गया.... तौर में टफ और राज 2 मर्द तो थे ही... उसके अलावा जो बस बुक की गयी... उसका ड्राइवर और ड्राइवर का हेलपर भी रंगीन मिज़ाज के आदमी थे. 25 से 30 साल की उमर के दोनो ही हटते कत्ते और लंबे तगड़े शरीर के मालिक थे... राज ने जाने अंजाने अपनी चुदाई करवाने जा रही लड़कियों की लिस्ट पर गौर किया... सबसे पहले अंजलि और प्यारी मेडम का नाम था... लड़कियों में हमारी जान पहचान की सारी लड़कियाँ थी... गौरी, निशा, दिव्या, नेहा, कविता, सरिता और अभी तक भी अपनी चूत का रस शायद मर्द के हाथो ना निकलवा सकने वाली 38 और खूबसूरत बालायें थी.... उपर लिखे हुए नामों वाली लड़कियों का तो टूर पर जाने का एक ही मकसद था... जी भर कर अपनी चुदाई करवाना... बाकियों में से भी कुच्छ राज सर के साथ सेक्स का प्रॅक्टिकल करने को बेताब थी... हद तो तब हो गयी जब प्यारी अपने साथ... अपनी पता नही किस बाप की औलाद 'राकेश' को भी ले आई," ये भी साथ चल पड़ेगा... इसका खर्चा अलग लगा लेना...
किसी ने कुच्छ नही कहा..... और बस आ गयी...!
बस में दो दो सीटो की दो रोस थी. अंजलि अपने साथ राज को रिज़र्व रखना चाहती थी... पर प्यारी देवी ने उसको एक तरफ होने को कहा तो मजबूरन अंजलि को सीट प्यारी को देनी पड़ी. राज अभी बाहर ही खड़ा था. सरिता आकर अपनी मम्मी के पीछे वाली सीट पर बैठ गयी. टफ ने बस में चढ़ते ही प्यारी को देखा... उसके साथ तो बैठने का चान्स था ही नही... सो वो उसके पिछे वाली सीट पर सरिता के साथ जम गया.. अंजलि के साथ वाली सीट पर निशा और गौरी बैठे थे... राज आकर टफ के साथ वाली सीट पर गौरी के पिछे बैठ गया. नेहा की क्लास की ही एक लड़की मुस्कान राज के साथ वाली सीट पर जा बैठी... जबकि दिव्या और उसकी क्लास की लड़की भावना टफ और सरिता के पीछे वाली सीट पर जाकर बैठ गयी...नेहा राज और मुस्कान के पीछे एक और लड़की अदिति के साथ बैठ गयी. लगभग सभी लड़कियाँ बस में चढ़ चुकी थी... तभी राकेश बस में चढ़ा और गौरी को घूर्ने लगा.... वो उसके पास ही जमना चाहता था पर कोई चान्स ना देखकर उसके सामने आगे जाकर ड्राइवर के बरबेर वाली लुंबी सीट पर बैठ गया... कंडक्टर भी वहीं बैठा था... बस भर गयी... राज ने बस चलाने को कहा तो तभी कविता भागती हुई आई," रूको! रूको! मैं रह गयी... वो हमेशा ही लेट लतीफ थी.. बस में चढ़कर वो अंजलि से बोली..." मेडम मैं अकेली सबसे पीछे वाली सीट पर नही बैठूँगी... मुझे आगे ही जगह दिलवा दो ना कहीं!"
राकेश ने मौका ताड़ कर अंजलि मेडम को कहा," मेडम! यहाँ मेरे पास जगह है.. कहकर वो खिड़की वाली साइड में सरक गया...
अंजलि: देखो कविता! ऐसे तो अब किसी को उठाया नही जा सकता... या तो किसी से पूच्छ लो कोई पीछे अकेला जाकर बैठ सके... या फिर ये आगे वाली सीट ही खाली है बस... !
कविता भी चालू लड़की थी... कम से कम लड़के के साथ बैठने को तो मिलेगा... पर किस्मत ने उसको दो लड़कों के बीच में बिठा दिया... कंडक्टर और राकेश के बीच में... पर वा खुश थी.. एक से भले दो... कोई तो कुच्छ करेगा!
बस चल पड़ी. कोई भी अपनी सीट पाकर खुश नही था... टफ प्यारी के साथ बैठना चाहता था... अंजलि राज के साथ बैठना चाहती थी...राज गौरी के साथ बैठना चाहता था और गौरी अंजलि और राज के साथ... वो टूर पर ही लाईव मॅच देखने का प्लान बना रही थी... राकेश गौरी के साथ बैठना चाहता था... पर उसको भागते चोर की लंगोटी... कविता ही पकड़नी पड़ी... निशा सोच रही थी... काश उसका भाई संजय साथ होता... कुल मिलकर सबको अपने सपने टूट-ते दिखाई दे रहे थे.. टूर पर सुरूर पूरा करने के सपने... हां बाकी लड़कियाँ जो अभी फ्रेम में नही आई हैं.. वो भी सोच रही थी की कस्स राज के पास बैठने को मिल जाता....
ड्राइवर ने भी आँखों आँखों में कंडक्टर को इस्शरा किया," सारे मज़े तुझे नही लेने दूँगा लड़की के... आधे रास्ते तू बस चलना... और मैं वहाँ बैठूँगा... कविता के पास....
बस अपने गंतव्या के लिए रवाना हो चुकी थी... पर जैसे सबका चेहरा उतरा हुआ था... रास्ते भर मज़े लेते जाने का सपना जो टूट गया था... राकेश तो सामने से ही गौरी को ऐसे घूर रहा था जैसे उसको तो उसकी गोद में ही बैठना चाहिए था.. उसके लंड के उपर... निशा ने बार बार राकेश को गौरी की और देखता पाकर धीरे से गौरी के कान में कहा," यही है ना वो लड़का... जिसके बारे में तुम बता रही थी.... तेरे पीcछे पड़ा रहता है.."
गौरी ने भी उसी की टोने में उत्तर दिया," हां! पर मेरा अब इसमें कोई इंटेरेस्ट नही है... मैं तुम्हारे भाई से दोस्ती करने को तैयार हूँ!"
निशा ने मॅन ही मॅन सोचा...," उसका भाई अब उसका अपना हो चुका है... और वो अपने रहते उसको कहीं जाने नही देगी....
अचानक प्यारी देवी की ज़ोर से चीख निकली," ऊईीईई माआआं!" उसने झट से पलट कर पिछे देखा.... टफ ने उसके चूतदों पर ज़ोर से चुटकी काट ली थी... प्यारी ने समझते ही बात पलट दी...," लगता है बस में भी ख़टमल पैदा हो गये हैं.."
सरिता ने टफ को हाथ पीछे करते देख लिया था... पर उसको सिर्फ़ शक था... यकीन नही... बस कंडक्टर रह रह कर कविता की बगल में अपनी कोहनी घिसा देती.. पर जैसा कविता भी यही चाहती हो... उसने कंडक्टर को रोकने की कोशिश नही की...
गौरी को राकेश का एकटक उसकी और देखना सहन नही हो रहा था... उसने अपनी टांगे घुमा कर प्यारी मेडम की और कर ली और साथ ही उसका चेहरा घूम गया... इश्स स्थिति में उसकी जाँघ राज के घुटनो से टकरा रही थी... पर गौरी को इश्स बात से कोई दिक्कत नही थी...
नेहा ने उठ कर मुस्कान के कान के पास होन्ट ले जाकर फुसफुसा कर कहा," ंस्कान! सर के साथ प्रॅक्टिकल करने का मौका है... कर ले..!" मुस्कान ने उँची आवाज़ में ही कह दिया... " मेरी ऐसी किस्मत कहाँ है.. तू ही कर ले प्रॅक्टिकल"
राज सब समझ गया," उसने खुद ही तो ह्यूमन सेक्स ऑर्गन्स पढ़ते हुए लड़कियों को कहा था की जो प्रॅक्टिकल करना चाहती हो... कर सकती है... ज़रूर नेहा उसी प्रॅक्टिकल की बात कर रही होगी... मतलब मुस्कान प्रॅक्टिकल के लिए तैयार है..! उसने अपना हाथ धीरे से अपनी जाँघ से उठा कर उसकी जाँघ पर रख दिया...
कंडक्टर अपनी कोहनी को लगातार मोड्टा जा रहा था... अब उसकी कोहनी के दबाव से कविता की बाई चूची उपर उठी हुई थी... कविता ने शाल निकल कर औध ली ताकि अंदर की बात बाहर ना दिखाई दे सकें... वो इश्स टचिंग का पूरा मज़ा ले रही थी... उधर राकेश भी गौरी द्वारा रास्पोन्से ना दिए जाने से आहिस्ता आहिस्ता कविता की तरफ ही सरक रहा था.. अब दोनों की जांघें एक दूसरे की जांघों से चिपकी हुई थी....
टफ कहाँ मान-ने वाला था.... वो तो था ही ख़तरों का खिलाड़ी. उसका हाथ फिर से प्यारी की जांघों पर रंगे रहा था.. हौले हौले.... उसकी बराबर में बैठा राज मुश्किल से अपनी हँसी रोक पा रहा था; टफ को इतनी जल्दबाज़ी दिखाते देखकर... राज की नज़र सरिता पर गयी... वो रह रहकर टफ के हाथ को देख रही थी... पर उसको ये नही दिखाई दे पा रहा था की आख़िर आगे जाकर हाथ कर क्या रहा है... उसकी मम्मी तो नॉर्मल ही बैठी थी.. अगर टफ उसकी मम्मी के साथ कुच्छ हरकत कर रहा होता तो वो बोलती नही क्या...
गौरी को उल्तियाँ आ सकने का अहसास हुआ.. वो खुद खिड़की की और चली गयी और निशा को दूसरी तरफ भेज दिया... अब निशा की जाँघ राज के घुटनो के पास थी... वो तो चाहती भी यही थी...
मुस्कान को अपनी जाँघ पर रखे राज के हाथ की वजह से कुच्छ कुच्छ होने लगा था.. वो बार बार नेहा की और पीछे देखकर मुस्कुरा रही थी... पर राज को इससे कोई फराक नही पड़ा... निशा क जांघों का दबाव राज पर बढ़ता ही जा रहा था... और टफ के हाथ प्यारी की जांघों के बीचों बीच जाते जा रहे थे.... सारे- आम.
कविता ने अपनी चूची के उपर आ चुकी कोहनी को अपने हाथ से दबा लिया... अब कंडक्टर की कोहनी वहाँ पार्मेनेट सेट हो गयी... कंडक्टर को अहसास हो चुका था की ये लड़की कुच्छ नही बोलेगी...
बस भिवानी पहुच गयी... हँसी गेट के पास ड्राइवर ने बस रोकी और पेशाब करने के लिए उतर गया. अपनी बारी के अहसास से उसका लंड अकड़ता जा रहा था.. उसने देख लिया था कंडक्टर को मज़े लेते... करीब 7:30 बाज गये थे.. कुच्छ कुच्छ ठंड लगने लगी थी... सभी ने अपनी अपनी खिड़कियाँ बंद कर दी.. तीसरी सीट से पिच्चे की लड़कियाँ अपनी अपनी बातों में मस्त थी... उनके पास और टाइम पास करने को था ही क्या...?
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