College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 12:57 PM,
#30
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गौरी के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी," यार ऐसा कौन है जो मुझसे प्यार नही करता... एक और लड़का मेरे पिछे पड़ा है आजकल." निशा: कौन? गौरी: पता नही... लूंबा सा लड़का है.. हल्की हल्की दाढ़ी है उसकी... निशा: स्मार्ट सा है क्या? गौरी: हूंम्म... स्मार्ट तो बाहुत है... निशा: वो ज़रूर राकेश होगा... पहले मेरे पिछे लगा रहता था.. मैने तो उसको भाव दिए नही... थ्होडी सी भी ढील देते ही नीचे जाने की सोचता है... उसस्से बच के रहना... केयी लड़कियों की ले चुका है.. गौरी: अरे मुझे हाथ लगाने की हिम्मत किसी मे नही है. हां दूर से देखकर तड़प्ते रहने की खुली छ्छूट है.... निशा: वो तो तहीक है... पर मैं संजय को क्या कहूँ... गौरी: कहोगी क्या... बस, सुबह शाम दरबार में आए और दर्शन कर जाए... निशा: नही.... वो ऐसा नही है... वो तेरे लिए सीरीयस है... गौरी: फिर तो देखना पड़ेगा.... कहकर वो हँसने लगी!

उधर राज ने अंजलि को अकेला पाकर उस्स पर जैसे ब्रह्मास्त्रा से वॉर किया," मेडम! आपकी शादी... ? अंजलि: क्या...? राज: नही; बस पूछज रहा था लव मॅरेज है क्या?

अंजलि को उसका सवाल अपने दिल पर घाव जैसा लगा और अपने लिए निमंत्रण भी. उसने अपनी चेर सुनील के पास खींच ली," तुम्हे ऐसा कैसे लगा?"

राज: नही लगा तभी तो पूच्छ रहा हून. उनकी तो बेटी भी तुमसे कुचज ही छ्होटी है. ऐसा लगता है उनसे शादी करना तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी!" अंजलि की टीस उसके चेहरे से सॉफ झलक रही थी," मेरी छ्चोड़ो! आप सूनाओ. शिवानी तो हॉट है ना... राज: हां बहुत हॉट है... पर.... अंजलि को अपने लिइए राज के दरवाजे खुलते महसूस हुए," पर क्या..?" राज ने जो क्कुच्छ कहा उससे कोई भी लड़की अपने लिए सिग्नल समझ सकती थी... अगर वो समझदार हो तो," हॉट तो है मेडम; पर भगवान सभी को सब कुच्छ कहाँ देता है... सबकुच्छ पाने के लिए तो.... दो नौकाओं पर सवार होना ही पड़ता है."

अंजलि समझदार थी; वो नौका का मतलब समझ रही थी... उसने अपना चेहरा राज की और बढ़ा दिया," आप मुझे मेडम क्यूँ कहते हैं राज जी, मेरा नाम अंजलि है... और फिर एक ही घर में....." उसकी आवाज़ ज़रा सी बहकति हुई लग रही थी.

राज का चेहरा भी उसकी और खींचा चला आया," आप भी तो मुझे राज जी कहती हैं... एक ही घर में..." वा दूसरी नौका पर चढ़ने की सोच ही रहा था... वो एक दूसरे को अपने होंटो से 'सॉरी' कहने ही वाले थे की निशा और गौरी बेडरूम से बाहर निकल आई... गनीमत हुई की उन्होने अंजलि और राज पर ध्यान नही दिया..

अंजलि दूर हटकर अपने चेहरे पा छलक आया पसीना पोंच्छने लगी... राज नीचे झुक कर कोई चीज़ उठाने की कोशिश करने लगा.... और जब उसने अपना चेहरा उपर उठाया, तो निशा उसके सामने बैठी थी. उसको देखते ही राज अंजलि को भूल गया," इश्स गाँव के पानी में ज़रूर कोई बात है..." निशा ने हल्का नीले रंग का पॅरलेल पहना हुआ था. अपनी जांघों को एक दूसरे पर चढ़ाए बैठी अंजलि की मस्त गोल जांघों को देखकर ही उसकी गंद की 'एक्सपोर्ट क्वालिटी' का अंदाज़ा लगाया जा सकता था... चूचिय्या तो उसकी थी ही खड़ी खड़ी... कातिल," क्यूँ सर?" उसने सुनील को अपनी जांघों पर नज़र गड़ाए देखते हुए पूचछा.

राज: अरे यहाँ लड़कियाँ एक से बढ़कर एक हैं... अगर मेरी शादी नही हुई होती तो मैं भी यहीं शादी करता; शमशेर भाई की तरह." वो नज़रों से ही निशा को तार तार कर देना चाहता था.

निशा खिल खिला कर हंस पड़ी... उसको अपनी जवानी पर नाज़ था... पर अंजलि शमशेर का नाम सुनकर तड़प सी गयी... उसने टॉपिक को बदलते हुए कहा," निशा! हम 3 दिन का टूर अरेंज कर रहे हैं, मनाली के लिए... चलॉगी क्या? निशा: मैं तो ज़रूर चलूंगी मा'दम... पर शायद ज़्यादातर लड़कियो के घरवाले तैयार ना हों!

अंजलि: कल देखते हैं... वो उठकर जाने लगी तो निशा ने कहा," मेडम! मैं गौरी को अपने घर ले जाऊ? अंजलि: क्या करेगी? पर तुम गौरी से ही पूच्छ लो...( अंदर ही अंदर वा राज के साथ अकेले होने की बात को सोचकर रोमांचित हो उठी थी...)

गौरी: मैं तो तैयार भी हो गयी दीदी! जाऊं क्या? अंजलि: चली जाओ, पर जल्दी आ जाना. वह बोलना तो इसके उलट चाहती थी.

गौरी और निशा बाहर निकल गये... अब फिर अंजलि और राज अकेले रह गये....

अंजलि और राज दोनों ही एक दूसरे के लिए तरस रहे थे. दोनों रह रह कर एक दूसरे की और देख लेते.. पर जैसे शुरुआत दोनो ही सामने वाले से चाहते हों... शुरुआत तो कब की हो चुकी होती अगर निशा और गौरी बीच में ना टपकती तो... पर अब दोनो के लिए ही नये सिरे से वही बाते उठाना मुश्किल सा हो रहा था.... पहल तो आदमी को ही करनी चाहिए सो राज ने ही पहल करने की कोशिश की," मैं आपको सिर्फ़ 'अंजलि' बुलाऊं तो आपको बुरा तो नही लगेगा..."

अंजलि की जैसे जान में जान आई. वो तो कब की सोच रही थी राज बात शुरू करे," मैं कब से यही तो कह रही हूँ... और आप भी मत कहो...' तुम' कहो! राज फिर से उसकी और खिसक आया...," तुम अपनी शादी से खुश हो क्या?"

अंजलि ने भी उसकी और झुक कर कहा," तुम्हे क्या लगता लगता है... राज" राज को जो भी लगता था पर इश्स वक़्त वो इसका जवाब बोलकर नही देना चाहता था... उसने अंजलि के उसकी जांघों पर रखे हाथ पर अपना हाथ रख दिया... अंजलि ने दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया... और राज की आँखों में देखकर ही जैसे थॅंक्स बोलना चाहा.

राज उसका हाथ पकड़ कर खड़ा हो गया और बेडरूम की और चलने लगा... अंजलि पतंग से बँधी डोरे की भाँति उसके साथ बँधी चली गयी....

उधर निशा गौरी को साथ लेकर अपने घर पहुँची. गौरी को अपने घर में आए देखकर संजय तो जैसे अपने होश ही भूल गया... जबसे उसने गौरी को पहली बार देखा था, उसका दीवाना हो गया. पर वा थोड़ा संकोची था. आख़िरकार अपनी तड़प को उसने अपनी बेहन के सामने जाहिर कर दी थी. और उसकी ब्बेहन आज उसकी मोहब्बत को अपने साथ ले आई... उसके घर में... घर पर निशा के मम्मी पापा भी थे... संजय अपने कमरे में चला गया... और निशा और गौरी निशा के कमरे में....

गौरी ने संजय को नज़र भर कर देखा था.. संजय बहुत ही सुंदर था... अपनी छ्होटी बेहन की तरह. शराफ़त उसके चेहरे से टपकती थी.. गौरी को वो पहली नज़र में ही पसंद आ गया........


अंजलि और राज के पास बेडरूम में जाने के बाद कहने को कुच्छ नही बचा था... दोनों एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले एक दूसरे को देख रहे थे.. अब भी उनमें झिझक थी; आगे बढ़ने की... पर तड़प दोनों की ही आँखों में बराबर थी.. आगे बढ़ने की.. राज ने उसका हाथ दबाते हुए कहा," अंजलि क्या.... क्या मैं तुमको छ्छू सकता हूँ... कहने भर की देर थी. अंजलि उससे लिपट गयी.. उसकी चूचियाँ राज की छति से मिल कर कसमसा उठी. राज ने उसका चेहरा चूम लिया.... अंजलि को मुश्किल से अपने से अलग किया और फिर पूचछा," क्या मैं तुम्हे छ्छू सकता हूँ.... तुम्हारा सारा बदन..." अंजलि के पास शब्द नही थे उसस्की कसक को व्यक्त करने के लिए... उसने फिर से राज से चिपकने की कोशिश करी पर राज ने उसको अपने से थोड़ी दूर ही पकड़े रखा.. अंजलि झल्ला गयी.... उसने राज के हाथो को झटका और रूठह कर बेड पर उल्टी लेट गयी... मानो उसने बिस्तेर को ही अपनी चूचियों की प्यास बुझाने का एकमत्रा रास्ता मान लिया हो. राज ने जी भर कर उसके बदन को देखा. उसके बदन का एक एक हिस्सा खिला हुआ था... उल्टी लेटी होने की वजह से उसके मोटे गोल चूतड़ एक पठार की तरह उपर उठे हुए थे...... उसकी जांघों ने एक दूसरी को अपने साथ चिपकाया हुआ था मानो चूत की तड़प को बुझाना चाहती हों. उसकी पतली सी कमर तो मानो सोने पर सुहागा थी. राज उसके पास बैठ गया और उसकी कमर पर हाथ रख दिया; सहलाने लगा... अंजलि मारे तड़प के दोहरी सी हुई जा रही थी... उसने अपने चूतदों को हल्का सा उभर दिया... वा कहना चाह रही थी की दर्द यहाँ है... उसकी कमर में नही.

राज ने हलके से अंजलि के चूतदों पर हाथ फिराया. अंजलि सिसक उठी, पर बोली नही कुच्छ भी.. उसकी खामोशी चीख चीख कर कह रही थी.. छ्छू लो मुझे, जहाँ चाहो... और चढ़ जाओ उसकी नौका में... और ये वासना का सागर पार कर डालो... उसके मुँह से अचानक निकला," प्लीज़! राज" राज ने अपना हाथ उसके चूतदों पर से उठा लिया," सॉरी मेडम! मैं बहक रहा हूँ... अंजलि ने तो जैसे हद ही कर दी... उल्टे लेटी लेटी ही उसने राज का हाथ पकड़ा और अपनी गांद की डराओं में फँसा दिया," बहक जाओ राज... पागल हो जाओ.. और मुझे भी कर दो... प्लीज़! राज को बस उसके मुँह से यही सुन-ना था.. वह अंजलि के साथ लेट गया और उसके होंटो को अपने होंटो से चुप करा कर उसकी गांद को सहलाने लगा... अंदर तक... अंजलि मारे ख़ुसी के सीत्कार कर उठी. वो अपने चूतदों को और उठाकर अपनी चूत को खोलती गयी... अब राज का हाथ उसकी चूत की फांकों पर था... कपड़ों की दीवार हालाँकि बीच में बढ़ा बनी हुई थी.

अंजलि अपनी फांकों पर राज का खुरदारा हाथ महसूस कर रही थी.. राज के हाथों से फैली मिहहास पूरी तरह से उसको मदहोश कर रही थी.. उसकी बंद होती आँखें पीच्चे मूड कर देख रही थी... राज के चेहरे को... राज अंजलि के दिल में शमशेर की जगह आया था. ओमपारकश के लिए तो उसने कभी वो दरवाजा खोला ही नही.... दिल का!

राज ने नीचे हाथ ले जाकर अंजलि की इज़्ज़त को बाँध कर रखने वाला नाडा खोल दिया और उसकी सलवार को खींच कर घुटनों तक उतार दिया. उसकी चूत बिफर सी पड़ी राज की नज़रों के समनने आते ही.. उसकी चूत फूल कर पाव बन चुकी थी... और चूत की पत्तियाँ बाहर मुँह निकले अपने को चूसे जाने का इंतज़ार कर रही थी.

राज ने उनका इंतज़ार लंबा नही खींचा. उनको देखते ही उसने अपने होंटो के बीच लपक लिया... अंजलि इतनी मदहोश हो चुकी थी की उसको पता ही नही चला कब उसकी सलवार उसके पैरों का साथ छ्चोड़ चुकी थी. वा बार बार अपनी गंद को इधर उधर हिला रही थी... किस्मत से दौबारा मिला इतना अनद उससे सहन नही हो रहा था.. राज ने उसके छूतदों को उठाकर अपने उपर गिरा लिया और ज़ोर से उस्स प्यासी चूत को अपने थ्हूक से छकने लगा.

अंजलि ने देखा; लेट हुए सुनील का लंड उसकी पहुच में है... ऐसा लग रहा था की पॅंट में वो मचल रहा है... अंजलि ने जीप खोलकर उसको इश्स तरह से चूसा की राज के तो होश ही गायब होने लगे... शिवानी ऐसा कभी नही करती थी.. इसीलिए अब इससे रुक पाना मुश्किल लग रहा था... वा घुटनो के बाल बैठ कर ज़ोर ज़ोर से उसके मुँह के अंदर बाहर करने लगा... अंजलि भी अपनी जीभ से उसको बार बार आनंदित कर रही थी..

राज को लगा जैसे अब निकल जाएगा... उसने अपना लंड बाहर खींच लिया... अंजलि ने राज को इश्स तरह देखा मानो किसी बच्चे से उसकी फॅवुरेट आइस्क्रीम छ्चीन ली हो.

पर ज़्यादा देर तक उसकी नाराज़गी कायम ना रही. राज ने फिर से उसको 'शमशेर वाली कुतिया' बनाया और लंड को एक ही झहहातके में सरराटा हुआ अंदर भेज दिया... अंजलि की चूत इश्स तरह फड़फदा उठी जैसे बरसों का प्यासा चटक बादल गरजने पर फड़फदता है... राज उसके पिछे से ज़ोर ज़ोर धक्के लगा रहा था... अंजलि अफ अफ करती रही...

राज ने उसके कमीज़ के उपर से ही उसकी झटकों के साथ हिल रही उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया... और अंजलि के कान के पास मुँह ले जाकर हाँफते हुए बोला, मेडम... पिच्चे करूँ क्या?"

सुनते ही अंजलि पहले तो शरमाई फिर अपनी कमर को और उपर उठा लिया ताकि वो समझ जाए की पिच्चे करवाने की तड़प ने ही तो अंजलि को भटकने पर मजबूर कर दिया है.. राज ने अपना लंड निकाल लिया और उसकी गंद के बाहर चूत की चिकनाई लगाकर गांद के च्छेद को चिकना कर दिया और अंजलि की पुरानी हसरत पूरी करने को तैयार हो गया......

अपनी गंद के च्छेद से लंड की टोपी लगते ही मारे आनंद के अंजलि जैसे चीख ही पड़ी. राज ने अंजलि की कमर को अपने हाथ से दबा लिया ताकि उसका च्छेद और थोड़ा सा उपर को हो जाए. इश्स पोज़िशन में अंजलि का चेहरा और एक बाजू बेड पर टीके हुए थे. दूसरी बाजू कोहनी का सहारा लेकर बेड पर टिकी हुई थी. राज ने अपने लंड का दबाव देना शुरू किया. एक बार थोड़ा सा दबाव दिया और सूपड़ा उसकी गांद में फँस गया.. अंजलि ने मुश्किल से अपनी आवाज़ निकले से रोकी. वा खुशी और दर्द के मारे मरी जा रही थी...

जैसे ही राज ने और कोशिश की, अंजलि उत्तेजनवश उठ गयी और अपने घुटनो के बाल खड़ी सी हो गयी. लंड अब भी थोड़ा सा उसकी गंद में फँसा हुया था. राज ने दोनों हाथ आगे निकल कर उसकी चूचियाँ कस कर पकड़ ली और अंजलि के कानो को खाने लगा... राज की हर हरकत अंजलि को बदहवासी के आलम में पहुँचा रही थी.. अंजलि ने मुँह दाई और घुमा दिया और अपने होन्ट खोल दिए.. राज भी थोड़ा और आगे को हुआ और उसके होंटो को अपनी जीभ निकल कर चाटने लगा. अंजलि ने भी अपनी जीभ बाहर निकल दी... इश्स रस्सा कसी माएईन लंड धीरे धीरे अंदर सरकने लगा... अब राज थोड़ा थोड़ा आगे पीच्चे हो रहा तहा.. अंजलि को मज़ा आना शुरू हुआ तो उसमें जैसे ताक़त ही ना बची हो इश्स तरह से आगे झुक गयी... धक्के लगाता लगाता राज अंजलि को पहले वाली पोज़िशन पर ले आया. अब लंड आराम से उसकी गंद की जड़ को तहोकर मार कर आ रहा था... अंजलि का तो हाल बहाल था... वा जो कुच्छ भी बड़बड़ा रही थी; राज की समझ के बाहर था... पर इश्स बड़बड़ के बढ़ने के साथ ही राज के धक्कों में तेज़ी आती गयी... अंजलि अपने नीचे से हाथ निकल कर अपनी चूत की पट्टियों को और दाने को नोच रही थी... धक्कों की बढ़ती रफ़्तार के साथ ही अंजलि पागल सी होकर 'शमशेर' का नाम बार बार ले रही थी.. जो राज को अच्च्ची तरह समझ में आ रहा था... राज ने अपने लंड के रस की पिचकारी किस्तों में छ्चोड़नी शुरू कर दी. अंजलि इश्स रस को गंद में भर कर जैसे दूसरी ही दुनिया में पहुँच गयी हो, सेक्स की आखरी सांस लेते हुए उसने आइ लव यू शमशेर बोला और बेड पर लुढ़क गयी... राज भी उसके उपर आ गिरा.

राज ने दूसरी नौका पर बैठ कर एक समुंदर पार कर लिया और साथ ही नौका को भी समुंदर पार ले गया...

अंजलि ने सीधी होकर राज को अपनी छतियोन से लगा लिया....

गौरी ने निशा से कमरे में जाते ही सवाल किया," यही है क्या तुम्हारा भाई?" निशा: हां... देख लिया? गौरी: देख तो लिया... पर ये गूंगा है क्या? निशा हँसने लगी," अरे गूंगा नही है पर ये लड़कियों से शरमाता बहुत है.... और फिर तू तो उसका पहला प्यार है! गौरी ने पलटते हुए धीरे से वार किया," पहला प्यार तो ठीक है; पर जब इतना ही शर्मीला है तो 'प्यार' कैसे करेगा. निशा ने अपने भाई का बचाव किया," अरे वो हुम्से शर्मा रहा था... तुमसे नही... अभी बुलाकर लाती हूँ....!

निशा संजय के पास गयी और बोली," मेरे कमरे में आना भैया!" संजय: क्या करना है....? निशा: आपकी आरती उतारनी है..... अब चलो भी!

निशा उसको लगभग खींचते हुए अपने साथ ले गयी..," अगर आप गौरी से नही बोले तो आइन्दा मैं बीच में नही आऊँगी.

सनज़े ने जाते ही गौरी को 'हेलो' कहा. जवाब में गौरी ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया," ही, मे... गौरी!"

अपना हाथ आगे बढ़ते हुए संजय के हाथ काँप रहे थे... उसको अपनी किस्मत पर विस्वास नही हो रहा था... गौरी ने उससे हाथ मिलकर उसकी हतहेली पर उंगली से खुजा दिया," अपना नाम नही बताओगे.... निशा के भैया!" और वो हँसने लगी...

गौरी की हँसी मानो संजय के दिल पर कहर ढा रही थी. पर वा कुच्छ बोला नही. निशा चाय बनाने चली गयी...

उसके जाने के बाद भी गौरी का ही पलड़ा भारी रहा," तुम करते क्या हो... मिस्टर. संजय जी!" संजय ने उसकी आँखों में झहहांक कर कहा," जी मैं इम चंडीगढ से होटेल मॅनेज्मेंट आंड केटरिंग में डिग्री कर रहा हूँ."

गौरी: फिर तो तुम शर्मीले हो ही नही सकते. वहाँ के लड़के तो एक नांबेर. के चालू होते हैं... और लड़कियाँ भी कम नही होती... ये आक्टिंग छ्चोड़ो अब शरमाने की.

संजय को पता था वो इम के बारे में सही कह रही है पर अपने बारे में उसने कहा," मैं तो ऐसा ही हूँ जी!"

गौरी: मेरा नाम गौरी है... कितनी बार बताऊं.. और हां मुझसे दोस्ती करोगे?

संजय को तो जैसे मुँह माँगी मुराद मिल गयी... उसने गौरी की आँखों में झाँका ही था की तभी निशा आ गयी," लो भाई! आप दोनो की गुफ्तगू पूरी हो गयी ही तो चाय पी लो!

चाय पीकर निशा रानी को घर छ्चोड़ने चली गयी... जाते हुए लगभग सारे रास्ते गौरी संजय के बारे में ही पूचहति रही...


घर जाकर उन्होने बेल बजाई... अंजलि और राज एक बार और जी भर कर प्यार करने के बाद ऐसे ही सो गये थे... बेल सुनते ही अंजलि के होश उडद गये," राज... जल्दी करो! मैं बाथरूम में घुसती हूँ... कपड़े पहन कर जल्दी दरवाजा खोलो... और वो अपनी सलवार उठा कर बाथरूम में घुस गयी...

राज ने लगभग 2 मिनिट बाद दरवाजा खोला... गौरी के मॅन में शक की घंटी बाज रही थी... पर वो बोली कुच्छ नही...

अंदर आकर गौरी ने देखा... अंजलि की पनटी बेड के साथ ही पड़ी थी .....गीली सी!

गौरी ने उसको अपने पैर से अंदर खिसका दिया ताकि निशा ना देख ले.... राज बाहर ही रह गया....

कुच्छ देर बाद निशा चली गयी और अंजलि बाथरूम से बाहर आई.... नाहकार!

गौरी को दोनो के चेहरो को देखकर यकीन हो चला था की कुच्छ ना कुच्छ हुआ ज़रूर है... एक लड़की होने के नाते वो समझ सकती थी की उसकी 'छ्होटी मा' की हसरतें उसका 'बूढ़ा होता जा रहा बाप' पूरा नही कर सकता. इसीलिए उसको ज़्यादा दुख नही हुआ थी... पर इश्स राज की राजदार बनकर वा भी कुच्छ फ़ायडा उठाना चाहती थी.... जैसे ही अंजलि बेडरूम में उसके साथ बैठी... उसने बेड के नीचे हाथ देकर अंजलि की ' प्यार के रस से सनी पनटी' निकल कर अंजलि की आँखों के सामने कर दी. अंजलि की नज़रें उसी को ढूँढ रही थी. अंजलि के हाथों में पनटी देखकर वा सुन्न रह गयी," गौरी... य...ये क्या मज़ाक है."

गौरी: मज़ाक नही कर रही दीदी! मैं सीरीयस हूं...

अंजलि की नज़रें झुक गयी... उससे आगे कुच्छ बोला नही जा रहा था... वो सफाई देने की कोशिश करने लगी," गौरी! ... ये... वो.. कमरे में कैसे गिर गयी... पता नही... मैं...

गौरी: दीदी... मैने सर को आपके बेडरूम से निकलते देखा था... और.. पर.... आप चिंता ना करें... मैं समझ सकती हूँ... पापा तो अक्सर बाहर ही रहते हैं... काम से... मैं किसी को नही बोलूँगी... हां! ..... सर को भी मेरा एक सीक्रेट मालूम है... आप उनसे कह दें वो किसी को ना बतायें...."

अंजलि को सुनकर तसल्ली सी हुई... अब वो सफाई देने की ज़रूरत महसूस नही कर रही थी," कौनसा सीक्रेट?" उसने गौरी से नज़रें मिला ही ली.

गौरी: छ्चोड़िए ना आप... बस उनको बोल देना! अंजलि उसके पास आ गयी और उसके गालों पर हाथ रखते हुए बोली," बताओ ना प्लीज़.. मुझसे भी क्या च्छुपाना" वो भी उसका एक राज अपने पास रख लेना चाहती थी.

गौरी को उससे शरमाने की कोई वजह दिखाई नही दी," दीदी वो... उन्होने मेरे हाथ में ब्लू सी.डी. देख ली थी!" "उसने कुच्छ नही कहा?" "नही दीदी!" अंजलि ने उसको पकड़कर बेड पर बिठा लिया," गौरी! तू मुझे इतनी प्यारी लगती है की मैं तुझे बता नही सकती." गौरी: मक्खन लगाना छ्चोड़िए दीदी.... मेरी एक और शर्त है... आपके राज को राज रखने के लिए...

अंजलि डर सी गयी...," क्क्या?"

गौरी: कुच्छ खास नही दीदी... मैं टी.वी. पर मॅच देखकर बोर हो गयी हूँ... अब मैं स्टेडियम में बैठकर मॅच देखना चाहती हूँ... आपका और सर का!"

अंजलि उसकी शर्त सुनकर हक्की बक्की रह गयी," ये क्या कह रही है तू? ऐसा कैसे हो सकता है?"

गौरी: हो सकता है दीदी... अगर आप चाहें तो.. पर मेरी ये शर्त नही बदलेगी... और ये आपकी बेटी की रिक्वेस्ट ही मान लीजिए.

अंजलि को ये कताई मंजूर नही था पर उसके पास कोई और चारा भी नही था," ठीक है तू पर्दे के पीच्चे च्छूप जाना डिन्नर के बाद.... देख लेना..!"

गौरी के पास तो उनके सीक्रेट की टिकेट थी; वो च्छूप कर क्यूँ देखती," नही दीदी! मैं बिल्कुल सामने बैठूँगी... मंजूर है तो बोल दो" अंजलि: ऐसा कैसे होगा पगली.. और क्या राज मान जाएगा... नही नही! तू च्चिप कर देख लेना... प्लीज़. गौरी टस से मास ना हुई... उसको तो सामने बैठकर ही मॅच देखना था," सर को मनाना आपका काम है दीदी... और सामने बैठकर देखने मैं मुझे भी तो उतनी ही शर्म आएगी... जितनी आप दोनो को... जब मैं तैयार हूँ तो आपको क्या दिक्कत है...

अंजलि ने उसको राज से बात करके बताने का वाडा किया... और लिविंग रूम में चली गयी...

राज बाहर टी.वी. देख रहा था.. अंजलि और गौरी के बाहर आने पर भी वा टी.वी. में ही ध्यान होने का नाटक करता रहा... जबकि उसके दिमाग़ में तो ये चल रहा था की किस्मत से जाने कैसे वो बच गये..... पर उसका वहाँ जल्दी ही दूर हो गया..

अंजलि आकर उसके पास बैठ गयी... गौरी इशारा पाकर वापस बेडरूम में चली गयी और वहाँ से दोनो की बातें सुन-ने लगी. अंजलि ने ढहीरे से कहा," वो... अंजलि को सब पता चल गया...!" "वॅट? राज को जैसे झटका सा लगा... "क्या पता चल गया" दूसरी लाइन बोलते हुए वो बहुत अधिक बेचैन हो गया.

अंजलि: ववो... उसने मेरी पनटी देख ली.. बेड के पास गिरी हुई..."

राज: तो क्या हुआ; कुच्छ भी बोल दो... कह दो की रात को चेंज की थी... वहीं गिर गयी होगी... वग़ैरा....

अंजलि का माथा थनाका... उसको ये बात पहले ध्यान क्यूँ नही आई... पर अब क्या हो सकता था," मुझे उस्स वक़्त कुच्छ बोला ही नही गया... और अब तो मैने स्वीकार भी कर लिया है की मैने तुम्हारे साथ....

राज: हे भगवान.... तुमने तो मुझे मरवा ही दिया.. अंजलि! मेरी बीवी को पता चल गया तो खुद तो मार ही जाएगी... मुझे भी उपर ले जाएगी साथ में....

अंजलि: नही! वो किसी को पता नही लगने देगी... पर उसकी 2 शर्तें हैं....! राज: दो शर्तें...? वो क्या? अंजलि: पहली तो ये की जो सी.डी. तुमने उसके हाथ में देखी थी... उसके बारे में किसी को नही बताओगे...

राज ने राहत की साँस ली. पागल गौरी सी.डी. वाली बात को ही सीक्रेट समझ रही है... वो तो उस्स बात को सुबह ही भूल चुका था. पर उसने ऐसा अहसास अंजलि को नही होने दिया," ठीक है... अगर वो हमारे राज को राज रखेगी तो मैं भी किसी तरह अपने दिल पर काबू कर लूँगा... वैसे ये शर्त मामूली नही है... बड़ा मुश्किल काम है इश्स बात को मॅन में ही दबाए रखना... और दूसरी...?"

अंजलि: दूसरी तो बहुत ही मुश्किल है.. मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है... राज: बताओ भी; अब मुझसे क्या शरमाना.

अंजलि: वो... गौरी चाहती है... की..... वो चाहती है की हम उसके सामने सेक्स करें... राज का तो खुशी के मारे दिल उच्छल रहा था... शर्त रखी भी तो जैसे राज को इनाम दे रही हो.... इसके बहांस वो खुद भी राज के लंड पर आने की तैयारी कर रही थी.... अंजाने में.... पर राज अपनी सारी ख़ुसी अंदर ही पी गया," ऐसा कैसे हो सकता है अंजलि?"

" मैं भी यही सोच रही हून... मैं उसको बोलकर देखती हून एक बार और... मेरे पास एक और आइडिया है." अंजलि ने कहा. राज को डर था कहीं गौरी को अंजलि का प्लान पसंद ना आ जाए...," नही अंजलि! तुम उसको अब कुच्छ भी मत कहो... उसकी ही मर्ज़ी चलने दो... कहीं नाराज़ हो गयी... तो मुझे तो स्यूयिसाइड ही करनी पड़ेगी... शिवानी के कहर से बचने के लिए.. तुम उसकी शर्त मान लो... हुमको ऐसा करना ही पड़ेगा... पर उसको कह देना... प्ल्स बाद में कभी ब्लॅकमेल ना करे." राज तो ऐसा ब्लॅकमेल जिंदगी भर होना चाहता था...

गौरी ये सुनकर खिल सी गयी... अब उसको लिव और वो भी आँखों के सामने.... मॅच देखने को मिलेगा....

गौरी को घर छ्चोड़ कर निशा अपने घर गयी और जाते ही संजय पर बरस पड़ी," आप भी ना भैया... पता है कितनी मुश्किल से बुला कर लाई थी... तुमने बात तक ढंग से नही की... संजय को भी मॅन ही मॅन गौरी से जान पहचान ना बढ़ा पाने का अफ़सोस था पर निशा के सामने उसने अपनी ग़लती स्वीकार नही की...," तो निशा मैं और क्या बात करता... वो तो जैसे मेरा बकरा बना कर चली गयी.... ये बता उसको मैं पसंद आया या नही."

"अरे वो तो तुझ पर लट्तू हकर गयी है... तेरी शराफ़त पर...! तू बता तुझे कैसी लगी..... तभी उनकी मम्मी ने निशा को आवाज़ दी और उनका टॉपिक ख़तम हो गया..." मैं नहा कर आती हूँ, फिर बात करेंगे" और निशा नहाने के लिए चली गयी.....

नाहकार निशा आई तो जन्नत की कोई हूर लग रही थी.. उसने शायद अपने खुले कमीज़ के नीचे ब्रा नही पहनी थी, रात के लिए.. इसकी वजह से उसकी मस्तानी गोल चुचियाँ तनी हुई हिल रही थी... इधर उधर...

वा आकर संजय के पास बेड पर बैठ गयी...," हां अब बताओ, तुम्हे गौरी कैसी लगी...?"


संजय ने आ भरते हुए कहा," वा तो कुद्रट का कमाल है निशा! उसकी तारीफ़ मैं क्या करूँ." निशा के नारितवा को ये बात सुनकर तहेस लगी... आख़िर दिशा के जाने के बाद गाँव के लड़कों ने उसी से उम्मीद बाँध रखी थी... तो वा सुंदरता में खुद को किसी से कूम कैसे मान सकती थी. और लड़की के सामने किसी दूसरी लड़की की प्रशसा कोई करे; बेशक वा उसका भाई ही क्यूँ ना हो; चुभनी तो थी ही...

निशा ने संजय से कहा," तुम्हे उसमें सबसे सुंदर क्या लगा?"

संजय अब तक नही सनझ पा रहा था की निशा में धुआँ उतने लगा था," निशा उसमें तो हर बात ज़ज्बात जगाने वाली है... उसमें कौनसी बात बताओन जो मुझे दीवाना ना करती हो.." निशा से अब सहन नही हो रहा था.. उसने संजय को अपनी हसियत दिखाने की सोची... उसको लगा संजय उसको 'घर की मुर्गी... दल' समझ रहा है.. नारी सुलभ जलन से वो समझ ही ना पाई की सुंदरता भी दो तरह की होती है, शारीरिक और मानसिक... अब संजय का ध्यान अपनी बेहन की शारीरिक सुंदरता पर कैसे जाता... भले ही वो गौरी से भी सुंदर होती...

वा नारी सुलभ ईर्ष्या से ग्रस्त होकर संजय के सामने कोहनी टीका कर लाते गयी... इश्स तरह के उसके 'अफ़गानी आम' लटक कर अपनी मादक छपलता और उनके बीच की दूरी अपनी गहराई का अहसास करा सके," क्या वो मुझसे भी सुंदर है भैया?"

संजय का ध्यान अचानक ही उसके लटकते आमों पर चला गया, उसका दिमाग़ अचानक ही काम करना छ्चोड़ गया.. पर जल्द ही उसने खुद को संभाल लिया और नज़रें घुमा कर कहा," मैं तुम्हे उस्स नज़र से तहोड़े ही देखता हून निशा!"

"एक बार देख कर बताओ ना भैया... हम-मे ज़्यादा सुंदर कौन है? निशा ने अपनी कमर को तहोड़ा झटका दिया, जिससे उसके आमों का तमाव फिर से गतिमान हो गया.

संजय की नज़रें बार बार ना चाहते हुए निशा की गोलाइयों और गहराई को चख रही थी...," तुम बिल्कुल पागल हो निशा!" जब नज़रों ने उसके दिमाग़ की ना मानी तो वो वाहा से उतह्कर अपनी किताबों में कुच्छ ढ़हूँढने का नाटक करने लगा... पर उसकी आँखों के सामने निशा की चूचियाँ ही जैसे लटक रही थी... हिलती हुई..!

निशा कुच्छ बोलने ही वाली थी की उसकी मम्मी ने कमरे में प्रवेश किया," क्या बात है निशा? आज पढ़ना नही है क्या..?" निशा ने मम्मी को टाल दिया," मम्मी; मुझे भैया से कुच्छ सीखना है... मैं लेट तक अवँगी" संजय के मॅन में एक बार आया की वो मम्मी को कह दे की वा झूठ बोल रही है... पर वो एक बार और... कूम से कूम एक बार और उन्न मस्तियों को देखने का लालच ना छ्चोड़ पाया... और कुच्छ ना बोला. उनकी मम्मी निशा को कहने लगी," तहीक है निशा, तेरे पापा सो चुके हैं.. मैं भी अब सोने ही जा रही थी.. संजय का दूध रसोई में रखा है.. तहंदा होने पर उसको दे देना. और हन सोने से पहले अपना काम पूरा कर लेना... तू आजकल पढ़ाई कूम कर रही है." और वो चली गयी...
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RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल - by sexstories - 11-26-2017, 12:57 PM

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