RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल -11
अंजलि वापस आ गयी गाँव में... अपने 42 साल के बुड्ढे (उसकी तुलना में) पिया के साथ... बुद्धा अपने साथ एक कयामत लेकर आया था... गौरी ....
गौरी ने सारे गाँव के मनचलों की नींद उड़ा दी... जल्द ही दिशा के आशिक़ दिशा की जुदाई का गुम भूल कर गौरी से आँखें सेक सेक कर अपने जखम भरने लगे... शाम होते ही... सुबह होते ही.... स्कूल का टाइम होते ही... छुट्टी का टाइम होते ही; जैसे सारे मनचले आकर उसकी हाजरी लगाने लगे... दूर से ही!
गौरी को देखकर कहीं से भी ये नही कहा जा सकता तहा की ये अपने इसी बाप की औलाद है जिसने अभी अभी अंजलि को उसकी दूसरी माँ बना दिया है.... या तो गौरी की पहली मा गजब की सुंदर रही होगी ... या फिर अंजलि का कोई दूसरा बाप होगा... अंधेरों का मेहरबान!
गौरी 11थ में पढ़ती थी... उपर से नीचे तक उसका उसका रूप- यौवन किसी साँचे में ढाला गया लगता था... किसी पेप्सी की बोतल जैसे लंबे; बड़े ढाँचे में... 36"- 26"- 38" के ढ़हंचे में... गर्दन लंबी सुराही दार होने की वजह से वो जितनी लंबी थी; उससे कुच्छ ज़्यादा ही दिखाई देती थी... 5'4" की लंबाई वाली गौरी जब चलती थी तो उसका हर अंग मटकता था.. यूँ.. यूँ... और यूँ!
ऐसा नही था की उसको अपने कातिल हद तक सेक्सी होने का अंदाज़ा नही था... था और इसको उसने संभाल कर रखा था... शहर में रहने की वजह से वो कपड़े भी हमेशा इश्स तरह के पहनती थी की उसकी जवानी और ज़्यादा भड़के... उसके अन्ग और ज़्यादा दिखें... गाँव में तो उसने जैसे हुलचल ही मचा दी!
अंजलि शमशेर को बहुत याद करती थी ... सपनो में भी और अकेले होने पर भी... उसने शमशेर के दोस्त; उस्स ठरकी नये साइन्स मास्टर राज को अपने ही बेडरूम के साथ वाला एक रूम दे दिया था... क्यूंकी वो शादी शुदा था; शमशेर की तरह कुँवारा नही! उसकी बीवी और वो साथ ही रहते थे!
नये साइन्स मास्टर का नाम राज था. करीब 31 साल की उमर; ना ज़्यादा सेहतमंद और ना ज़्यादा कमजोर; बस ठीक ठाक था... उसकी शादी 6 महीने पहले हुई थी; शिवानी के साथ... उसकी उमर करीब 22 साल की थी!
शिवानी में उमर और जवानी के लिहाज से कोई ऐसी कमी ना थी की राज को बाहर ताक झाँक करनी पड़े! पर... निगोडे मर्दों का... कहाँ जी भरता है.... राज कभी भी एक लड़की पर अपने को रोक नही पाया... कॉलेज में भी वो हर हफ्ते एक नयी गर्लफ्रेंड बनाता था... इतनी हसीन बीवी मिलने पर भी वो एक्सट्रा क्लास से नही चूकता था ... और अब गर्ल'स स्कूल में आने पर तो जैसे उसकी पाँचो उंगलियाँ घी में और सिर कढ़ाई में था . उसके पास एक ही कमरा होने की वजह से अंजलि और उसने लिविंग रूम शेर कर रखा था... दिन में अक्सर पाँचों साथ ही रहते.....
अंजलि काम निपटा कर बुढहे सैया के पास आई... ओमप्रकाश के बिस्तेर में........
अंदर आते ही ओमप्रकाश ने उसको अपनी बाहों में खींच लिया," क्या बात है, डार्लिंग?" तुम शादी से खुश नही हो क्या?"
"नही तो! आपको ऐसा क्यूँ लगा!" अंजलि को शमशेर के सीने से लगाई हुई अपनी कामुकता याद आ रही थी.
"तुम सुहाग रात से आज तक कभी मेरे पास आकर खुश नही दिखाई दी!" ओमपारकश को अहसास था की उसकी उमर अब अंजलि जैसी शानदार औरत को काबू में करने लायक नही है.
"आप तो बस यूँ ही पता नही... क्या क्या सोचते रहे हो" अंजलि ने शमशेर को याद किया और सैया की शर्ट के बटन खोलने लगी.
राज अंजलि के बेडरूम में जाते ही दोनों बेडरूम से अटॅच बातरूम में घुस कर उनकी इश्स प्रेम वार्तालाप को दरवाजे से कान लगाकर बड़े मज़े से सुन रहा था.
अंजलि ने ओमप्रकाश को खुश करने के लिए उसको अपने हॉथो से पूरा नंगा कर दिया और उमर के साथ ही कुच्छ कुच्छ बूढ़ा सा गया लंड अपने होंटो के बीच दबा लिया...."
"आ.. अंजलि!! जब तुम इश्को मुँह में लेती हो तो मैं सब कुच्छ भूल जाता हूँ... क्या कमाल का चूस्ति हो तुम!
अंजलि को शमशेर का तना हुआ लंड याद आ गया... उसी ने तो सिखाया था उसको... चूसना!
उसने पूरा मुँह खोलकर ओमपरकास का सारा लंड अंदर ले लिया, पर वो गले की उस्स गहराई तक नही उतर पाया जहाँ वो शमशेर का पहुँचा लेती थी... लाख कोशिश करने पर भी...
राज अंजलि के होंटो की 'पुच्छ पुच्छ' सुन कर गरम होता जा रहा था..
अंजलि ने लंड मुँह से निकल लिया और अपना पेटीकोत उतार कर लाते गयी... "आ जाओ"!
"अब सहन नही होता"
ओमपारकश अंजलि के मुँह से अपनी ज़रूरत जान कर बहुत खुश हुआ. उसने अपना लंड अंजलि की चूत में घुसा दिया... अंजलि ने आँखें बंद कर ली और शमशेर को याद करने लगी... उसकी आहें बढ़ती गयी... उसको याद आया आखरी बार शमशेर ने उसकी गांद को कितना मज़ा दिया था...
अंजलि ने ओमपारकश को जैसे धक्का सा दिया और उलट गयी... चार पैरों पर... कुतिया बन गयी... इश्स आस में की ओमपारकश उसकी प्यासी गांद पर रहम करे!
पर ओमपारकश ने तो फिर से उसकी चूत को ही चुना... गांद पर उंगली तक नही लगाई...
अंजलि ने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और सिसक कर बोली," पीच्चे करिए ना!" उसको कहते हुए शरम आ रही थी, पर वह अपने आप को रोक ना सकी!
"क्या?" ओमपारकश तो जैसे जानता ही नही था की वहाँ भी मज़ा आता है.. गांद में... चूत से भी ज़्यादा... मर्दों को औरतों से ज़्यादा!"
"यहाँ" अंजलि ने अपनी उंगली के नाख़ून से अपनी गांद के च्छेद को कुरेदते हुए इशारा किया...
राज सब सुन रहा था... सब समझ रहा था!
"छ्चीए! ये भी कोई प्यार करने की चीज़ है" और वो लुढ़क गया... अंजलि के उपर... अंजलि की गांद तड़प उठी... अपने शमशेर के लिए!"
राज अपने बेडरूम में चला गया और शिवानी के ऊपर गिर कर उसको चूम लिया ... वो तो गांद का रसिया था.. पर शिवानी ने कभी उस्स खास जगह पर उंगली तक कभी रखने नही दी.........
" क्या बात है; इतनी देर तक बाथरूम में क्या कर रहे तहे.." शिवानी ने राज से शरारत से कहा
"मूठ मार रहा था!" राज के जवाब हमेशा ही कड़े होते थे.
"फिर मैं किसलिए हूँ..?" शिवानी ने राज के होंटो को चूम कर कहा...!
"इससलिए!" और उसने शिवानी की नाइटी उपर खींच दी...
शिवानी की मस्त तनी चूचियाँ और उसस्की मांसल जांघें; उनके बीच खिले हुए फूल जैसी शेव की हुई उसकी चूत सब कुच्छ बेपर्दा हो गयी...! राज ने अपने कपड़े उतार फैंके और अपना लंड लगभग ज़बरदस्ती शिवानी के मुँह में ठुस दिया... शिवानी ने एक बार तने हुए उसके लंड को बाहर निकाला," तुम ये जो मुँह में डाल देते हो ना... मुझे बहुत गुस्सा आता है; ये इसकी जगह थोड़े ही है!" और वापस मुँह में डाल कर अनमने मॅन से आँखे खोले ही चूसने लगी... उसके हाथ अपनी चूत को समझा रहे थे... थोड़ा इंतज़ार करने के लिए..!
"तुम जो इतने क़ानून छांट-ती हो ना; ये नही वो नही... किसी दिन बेवफा हो गया तो मुझे दोष मत देना! अरे सेक्स की भी कोई लिमिट होती है क्या!" राज ने उत्तेजित आवाज़ में कहा.."
शिवानी ने उसके लंड को हल्के से काट लिया... उसको बेवफा होने की सोचने के लिए सज़ा दे डाली....
राज ने शिवानी के मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी चूत पर जीभ रख दी... शिवानी सिसक उठी पर उसको ये भी अजीब लगता था... घिनौना! पर उसको मज़ा पूरा आ रहा था!
"अब जल्दी करो सहन नही होता!" शिवानी ने कसमसाते हुए राज से प्रार्थना की...
राज ने देर ना करता हुए अपना लंड उसकी जड़ों में घुसा दिया और उसकी चूचियों से लिपट गया... उसको पता था अगर शिवानी का पानी निकल गया तो वा बुरा मुँह बना लेगी.. आगे करते हुए!
पता नही कैसी औरत थी शिवानी... सेक्स कोई ऐसे होता है क्या भला... चूत में डाला.. धक्के मार कर निकाला और निकाल लिया... बाहर... पर वो तो वन डे में ही यकीन रखती थी... 2-2 परियों वाले टेस्ट मॅच में नही.... गौरी में सेक्स कूट कूट कर भरा हुआ था.. पर उसके रुतबे और शानदार शख्सियत को देखकर कोई उसके करीब आने की हिम्मत नही कर पाता था.. बस दूर से ही सब तड़प कर रह जाते... गौरी को भी उनको तड़पने में आनंद आता था... सुबह सुबह ही वह ट्रॅक पॅंट और टाइट टी- शर्ट पहन कर बाहर बाल्कनी में खड़ी हो जाती. उस्स ड्रेस में उसकी बाहर को निकली चूचियाँ और मांसल जांघों से चिपकी पॅंट गजब ढाती थी. उसके चूतदों और उसकी चूत के सही सही आकर का पता लगाया जा सकता था.....
और मकान के बाहर मनचलों की भीड़ लग जाती... जैसे बच्चन साहब की बीमारी के दौरान 'प्रतीक्षा' पर लगती थी; उसके बंगले पर
बेडरूम 2 ही होने के कारण वा लिविंग रूम में ही सोती थी... वो उठी और च्छूपा कर रखी गयी एक ब्लू सी.डी. जाकर प्लेयर में डाल दी... मियू ट करके...
गौरी का हाथ उसकी चूत के दाने पर चला गया... जैसे जैसे मूवी चलती गयी... उसकी उत्तेजना बढ़ती गयी और वो अपने दाने को मसल्ने लगी; आज तक उसने अपनी चूत में उंगली नही डाली थी... शी वाज़ ए वर्जिन... टेक्निकली!
गौरी सिसक पड़ी.. उसका शरीर अकड़ गया और उसने अपने आपको ही पकड़ लिया कस कर; चूचियों से... उसकी चूत का रस निकलते ही उसको असीम शांति मिली... वह सो गयी... कभी भी वा बिना झड़े नही सो पाती थी...
सुबह मुजिक चलाने के लिए राज ने अपनी फॅवुरेट सी.डी. ली और प्लेयर में डाल दी. निकली हुई सी.डी. को देखकर वा चौंका; इंग्लीश नो. 8!
रात को तो उसने ग़ज़नी देखते हुए ही टी.वी. ऑफ कर दिया था.. तब अंजलि भी बेडरूम में जा चुकी थी..
उसने बाल्कनी में खड़ी अपने फॅन्स को तड़पा रही गौरी को गौर से देखा... और वही सी.डी. वापस प्लेयर में डालकर नहाने चला गया.. प्लेयर को ऑफ करके!
राकेश; सरपंच का बेटा, गौरी के मतवलों की यूनियन का लीडर था.... क्या बरसात, क्या ध्हूप; और कोई आए ना आए... राकेश ज़रूर सुबह शाम हाजरी लगाता था... गौरी को उसका नाम तो नही मालूम था... हां शकल अच्छि तरह से याद हो गयी थी...
एक दिन जब सुबह गौरी स्कूल जा रही थी, राकेश उसके साथ साथ चलने लगा..," आप बहुत सुंदर हैं!
गौरी ने अपने स्टेप कट किए बलों को पिच्चे झटका, राकेश को नज़र भर देखा और बोली," थॅंक्स!" और चलती रही....
राकेश उसके पीछे पीछे था.... राकेश ने देखा... पॅरलेल सूट में से उसकी गांद बाहर को निकली दिखाई दे रही थी.... बिकुल गोल... फुटबॉल की तरह..... एक बटा तीन फुटबॉल...
उसके चूतदों में गजब की लरज थी... चलते हुए जब वो दायें बायें हिलते तो सबकी नज़रें भी ताल से दायें बायें होती थी....
गौरी स्कूल में घुस गयी... और राकेश दरवाजे पर खड़ा होकर अपना सिर खुजने लगा....
राज ऑफीस में बैठा हुआ था, जैसे ही अजलि ऑफीस में आई राज ने अपना दाँव चला," मेडम! पीछे करूँ!"
अंजलि को जैसे झटका सा लगा. उसको रात की बात याद आ गयी... वो अक्सर अपने पति को लंड पीछे घुसाने को; पीछे करने को कहती थी," व्हाट?"
राज ने मुस्कुराते हुए अपनी कुर्सी पीछे करके अंजलि के अंदर जाने का रास्ता छ्चोड़ दिया," मेडम, कुर्सी की पूच्छ रहा था... अंदर आना हो तो पीछे करूँ क्या?"
"ओह थॅंक्स!", अंजलि ने अपने माथे का पसीना पूच्छा.
राज ने 10थ का रेजिस्टर लिया और क्लास में चला गया!
राज ने क्लास में जाते ही सभी लड़कियों को एक एक करके देखा... लड़किया खड़ी हो गयी थी....
"नीचे रख लो!" सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा.
राज की 'नीचे रख लो' का मतलब समझ कर केयी लड़कियों की तो नीचे सीटी सी बज गयी... नीचे तो उनको एक ही चीज़ रखनी थी... अपनी गांद!
राज ने एक सबसे सेक्सी चूचियों वाली लड़की को उठा... ," तुम किससे प्यार करती हो?"
लड़की सकपका गयी... उसने नज़र झुका ली...
"अरे मैं पूच्छ रहा हूँ कि तुम स्कूल में किस टीचर से सबसे ज़्यादा प्यार करती हो! तुम्हारा फेव रेट टीचर कौन है".....
लड़की की जान में जान आई... उसके समेत काई लड़कियाँ एक साथ बोल उठी," सर...शमशेर सर!"
राज: वा भाई वा!
राज ने शमशेर के पास फोन मिलाया...," भाई साहब! यहाँ कौनसा मंतरा पढ़कर गये हो... लड़कियाँ तो आपको भूलना ही नही चाहती.."
शमशेर के हँसने की आवाज़ आई...
"और सब कैसा चल रहा है भाई साहब! दिशा भाभी ठीक हैं..."
दिशा के साथ भाभी सुनकर लड़कियों को जलन सी हुई..
"हां! बहुत खुश है... अभी तो वो स्कूल गयी हैं... नही तो बात करा देता... और मैं भी तो स्कूल में ही हूँ!"
"बहुत अच्च्छा भाई साहब! फिर कभी बात कर लूँगा! अच्च्छा रखूं"
"ओके डियर! बाइ"
राज ने फोन जेब में रखकर अपना परवाचन शुरू किया," देखो साली साहिबाओ...!"
लड़कियाँ उसको हैरत से देखने लगी...
"अरे दिशा तुम्हारी बेहन थी की नही..."
लड़कियों की आवाज़ आई.." जी सर"
"और भाई शमशेर की पत्नी होने के नाते वो मेरी क्या लगी...?"
"जी भाभी..!"
"तो मेरी भाभी की बहने मेरी क्या लगी...?"
लड़कियों की तरफ से कोई जवाब नही आया... सभी लड़कियाँ शर्मा गयी.... " तो इसका मत लब ये हमारा' सर जी' नही 'जीजा सर' हैं.... काई लड़कियाँ ये सोचकर ही हँसने लगी....
"बिल्कुल ठीक समझ रही हो... देखो जी... मैं तो सारे रिस्ते निभाने वाला सामाजिक प्राणी हूँ.... जीजा साली का रिस्ता बड़ा मस्त रिश्ता होता है... कोई शर्म मत करना... जब दिल करे.. जहाँ दिल करे... दे देना..... 'राम राम' और कभी कुच्छ करवाना हो तो लॅब में आ जाना... जब में अकेला बैठा हो उ... 'कोई भी काम'
चलो अब कॉपी निकाल लो.. और राज उनको प्रजनन( रिप्रोडक्षन ) समझने लगा..
कुँवारी लड़कियों को रिप्रोडक्षन( प्रजनन) सीखते हुए राज ने ब्लॅकबोर्ड पर पेनिस( लंड) का डाइयग्रॅम बनाया... नॉर्मल लंड का नही बल्कि सीधे तने हुए मोटे लंड का... इसको बनाते हुए राज ने अपनी सीखी हुई तमाम चित्रकला ही प्रद्राशित कर दी...
पर लड़कियों का ध्यान उसकी कला पर नही... उसकी पॅंट के उभर पर टिक गया... राज ने भी कोई कोशिश नही की उसको च्छुपाने की... उसने एक्सप्लेन करना शुरू किया: "तुमने तो अभी पेनिस देखा ही नही होगा.... कुँवारी हो ना.... और देखा भी होगा तो छ्होटे बच्चे का; छ्होटा मोटा नूनी... पर बड़े होने पर जब ये खड़ा होता है... घुसने के लिए तो ऐसा हो जाता है...."
उसके बाद उसने पेनिस की टिप के सामने वेजाइना (चूत) बना दी.. वैसी ही सुंदर ... मोटी मोटी फाँकें... बीच में पतली सी झिर्री... और उपर छ्होटा सा क्लाइटॉरिस( दाना)...
लड़कियों का हाथ अपने अपने दानों पर चला गया... कैसी शानदार क्लास चल रही थी...
राज ने बोलना शुरू किया... " इसका ज्ञान आपको हम बेचारे लोगों से ज़्यादा होता है... इन दोनों के मिलने से बच्चा आता है... इश्स च्छेद में से... तुम ये सोच रही होगी की इश्स छ्होटे से च्छेद में से बच्चा कैसे आता होगा... पर चिंता मत करो... जब ये... (उसने अपनी पॅंट की और इशारा किया... डाइयग्रॅम की और नही) इश्स में घुसता है तो शुरू शुरू में तो इतना दर्द होता है की पूच्छो मत... ये फट जाती है ना... पर इश्स दाने में इतना आनंद होता है की लड़कियाँ सब शर्म छ्चोड़ कर मज़े लेती हैं शादी से पहले ही.....
लड़कियों के हाथ अपनी सलवार में घुसकर चूत को रगड़ने लगे.
उनके चेहरे लाल होते जा रहे तहे... उनकी आँखें बार बार बंद हो रही थी...
राज बोलता गया... ये जब इसके अंदर घुसता है तो इसकी दीवारें खुल जाती हैं.. और पेनिस को इश्स मजबूती से पकड़ लेती हैं की कहीं निकल ना जाए.. जब ये एक बार अंदर और एक बार बाहर होता है... तो लड़कियों की सिसकारी निकल जाती है.....
और सभी लड़कियों की सिसकारी निकल गयी... एक साथ... वो बेंच को कस कर पकड़ कर आ कर उठी... एक साथ 44 लड़कियाँ.... सुनील ने अंजाने में ही वर्ल्ड रेकॉर्ड बना दिया... काइयोंन का तो पहली बार निकला था...
राज समझ गया की अब कोई फ़ायडा नही... अब ये नही सुनेंगी... उसने बोर्ड को सॉफ किया और कहते हुए बाहर निकल गया," गर्ल्स! मौका मिले तो प्रॅक्टिकल करके देख लेना!"
छुट्टी के बाद जब गौरी निकली तो देखा; राकेश सामने ही खड़ा था.... गौरी ने उसको देखा और चल दी... और लड़कियाँ भी जा रही थी... गौरी ने अपनी स्पीड तेज कर दी और तेज़ चलने लगी.... वो अकेली सी हो गयी... तभी पीछे से राकेश ने कहा," मैं तुमसे 'फ्रेंडशिप' करना चाहता हूं"..... गाँव में लड़की से फ्रेंडशिप का मतलब चूत माँगना ही होता है... गौरी इटराई और बिना कुच्छ बोले घर में घुस गयी... राकेश टूटे हुए कदमों से वापस चला गया....
गौरी ने अंदर आते ही अपना बॅग रखा और सोफे पर लुढ़क गयी.... उसके पापा बाहर गये थे..
उसने टीवी और प्लेयर ऑन कर दिया... इंग्लीश..नो. 8 शुरू हो गयी!
गौरी भाग कर उठी और हड़बड़ाहट में टीवी ऑफ किया... तभी राज और अंजलि आ पहुँचे... गौरी की हालत खराब हो गयी थी... उसने सी.डी. निकाल ली...
राज बोला," कोई नयी सीडी है क्या? दिखना..... उसको पता था ये ब्लू सीडी है..
गौरी... ," न्न्न्न.. नही सर... ये तो ... वो मेरी सहेली की मम्मी की शादी है..."
राज," अच्च्छा ... कब हुई शादी?
गौरी: सर अभी हुई थी... 5-7 दिन पहले.....
राज ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा... अंजलि ने पूचछा क्या हुआ..
किसी ने कोई जवाब नही दिया... गौरी सोच रही थी... मेरी सहेली की मम्मी की शादी 5-7 दिन पहले कैसे हो सकती है.... वो सोचती हुई बाथरूम में चली गयी और नहाने लगी.....
गौरी ने नाहकार बाहर निकली तो उसने देखा राज उसको घूर रहा है. वा मुश्कुराइ और कहने लगी," क्या बात है सर? ऐसे क्यूँ देख रहे हैं?"
राज: कुच्छ नही! तेरी उमर कितनी है? गौरी: 18 साल! राज: पूरी या कुच्छ कम है? गौरी: 1 महीना उपर... क्यूँ? राज: नही! कुच्छ नही; अपनी जनरल नालेज बढ़ा रहा था. गौरी ने उसकी बाँह पकड़ ली, वह उससे कुच्छ ही इंच की दूरी पर थी," नही सर! प्लीज़ बताइए ना! क्यूँ पूच्छ रहे हैं... राज ने धीरे से बोल कर उसके शरीर में चीटिया सी चला दी," वो मैने तेरी सहेली की मा की शादी की वीडियो देखी थी... उसपे वॉर्निंग थी; नोट फॉर माइनर्स" गौरी को जैसे साँप सूंघ गया...वो वहीं जड़ होकर खड़ी रही... राज भी कुच्छ देर उसका इंतज़ार करता रहा और फिर उसके हाथ को धीरे से दबा कर चलता बना," तुम्हारी सहेली की शादी का हनिमून बहुत अच्च्छा लगा.
लंच के लिए चारों एक साथ आ बैठहे... गौरी उठी और सबके लिए खाना लगाने चली गयी.. अंजलि: राज जी; मैं सोच रही हूँ की स्कूल का एक तीन दिन का एजुकेशनल टूर अरेंज किया जाए... कैसा आइडिया है...! राज: अच्च्छा है, बुल्की बहुत अच्च्छा है.... वा क्या आइडिया है मॅ'म ! आपने तो मेरे मुँह की बात छ्चीन ली...
वो तब तक बोलता ही गया जबतक की शिवानी ने उसके मुँह को अपने हाथों से बंद ना कर दिया... ये देखकर अंजलि हँसने लगी... गौरी आई और आकर खाना टेबल पर लगा दिया.... वो राज के सामने कुर्सी पर बैठही थी पर उससे नज़रें नही मिला पा रही थी... अंजलि: क्या बात है, गौरी! तुम कुच्छ नर्वस दिखाई दे रही हो! गौरी उसको मम्मी नही दीदी बुलाती थी... उसके पापा ने काई बार बोला था उसको ढंग से बोलने के लिए पर उसके मुँह से दीदी ही निकलता था...
गौरी: नही दीदी! ऐसी तो कोई बात नही है? राज ने उसके पैर को टेबल के नीचे से दबा दिया और कहने लगा," नही नही! कोई तो बात ज़रूर है.... बताओ ना हमसे क्या शरमाना!
गौरी की हँसी छ्छूट गयी और वो अपना खाना उठा कर भाग गयी, अंजलि के बेडरूम में!
वो खाना खा ही रहे थे की शिवानी का फोन बज गया.
शिवानी खाना छ्चोड़ कर उठ गयी और फोन सुन-ने लगी. फोन उसके मायके से था.
शिवानी: हेलो; हां मम्मी जी! ठीक हो आप लोग. मम्मी जी: बेटी तू आ सकती है क्या 3-4 दिन के लिए. शिवानी: क्या हुआ मम्मी? सब ठीक तो है ना.. मम्मी जी: वो तो मैं तुझे आने पर ही बतावुँगी. शिवानी को चिंता हो गयी," मम्मी बताओ ना! सब ठीक तो है... मम्मी जी: बस तू आ जा बेटी एक बार! शिवानी ने राज की और इशारे से पूचछा... राज ने सिर हिला दिया," ठीक है मम्मी मैं कल ही आ जाती हूँ. मम्मी: कल नही बेटी; तू आज ही आ जा... राज ने शिवानी से फोन ले लिया," नमस्ते मम्मी जी!" मम्मी जी: नमस्ते बेटा! राज: क्या हुआ, यूँ अचानक.. मम्मी जी: बस बेटा कुच्छ ज़रूरी काम ही समझ ले... हो सके तो इसको आज ही भेज दे. राज: ठीक है मम्मी जी... मैं इसको भेज देता हूँ... वैसे तो सब ठीक है ना.. मम्मी जी: हां बेटा! ये आ जाए तो चिंता की कोई बात नही है. राज: ओ.के. मम्मी जी; बाइ... ये 3 घंटे में पहुँच जाएगी...
अंजलि ने शिवानी से कहा," शिवानी तुम निसचिंत होकर जाओ! यहाँ हम हैं राज की देखभाल के लिए... तुम वहाँ जाकर ज़रूर बताना बात क्या हो गयी... यूँ अचानक...
शिवानी अपने कपड़े पॅक करने लगी... उसने सुनील को कुच्छ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन्स दी और तैयार होकर राज के साथ निकल गयी...
बाहर जाकर उसने राज से पूचछा, ये टूर कब जा रहा है? राज: मुझे क्या मालूम! मैने तो अभी तुम्हारे आगे ही सुना है. शिवानी: हो सके तो तौर पोस्टपोन करवा लेना... मेरा भी बहुत मॅन है...
राज ने उसको बस में बैठाया और आज़ाद पन्छि की तरह झूमता हुआ घर पहुँच गया...
अंजलि, गौरी और राज; तीनो लिविंग रूम में बैठे टी.वी. देख रहे थी... टी.वी. का तो जैसे बहाना था.... अंजलि को बार बार स्कूल में कही गयी लाइन ' पेछे करू क्या?' याद आ रही थी.. क्यूंकी आज उसके हज़्बेंड घर पर नही थे, इसीलिए उसको शमशेर और उससे जुड़ी तमाम यादें और भी अधिक विचलित कर रही थी.. वो रह रह कर सुनील को देख लेती... गौरी सी.डी. वाली बात से अंदर ही अंदर शर्मिंदा थी. सर उसके बारे में पता नही क्या क्या सोचते होंगे...उसकी नज़र बार बार राज पर जा रही थी... और राज का तो जैसे दोनो पर ही ध्यान था... क्या अंजलि उसकी उस्स इच्च्छा को पूरा कर सकती है जिसको शिवानी ने आज तक एक इच्च्छा ही रखा है बस... राज अछी तरह जानता था की कोई भी औरत अपने आप अपनी गांद मरवाने को कह ही नही सकती. ऐसा सिर्फ़ तभी हो सकता है जब एक- दो बार कोई आदमी उसकी गांद मार कर उसको अहसास करा दे की यहाँ का मज़ा चूत के मज़े से कम नही होता.... पर ओमपारकश ने तो इश्स तरह से रिक्ट किया था जैसे उसको तो गांद का च्छेद देखने से ही नफ़रत हो. इसका मतलब अंजलि पहले अपनी गांद मरवा चुकी है... क्या वो उसको चान्स दे सकती है... उन्न दोनों की गांद की भूख को शांत करने का.... वह अंजलि की और रह रह कर देख लेता...
और गौरी..! ऐसी सुंदर कन्या को अगर भोगने का; भोगना छ्चोड़ो सिर्फ़ देखने का ही मौका मिल जाए तो फिर तो जैसे जिंदगी में कुच्छ करने को रहे ही ना.... वो रह रह कर गौरी की मादक छातिया के उभारों को देखकर ही तसल्ली कर लेता... लूज पॅंट डाले हुए होने की वजह से उसका ध्यान उसकी जांघों पर नही जा रहा था...
अचानक सिलसिला अंजलि ने तोड़ा," गौरी! आज तुम्हारे पापा नही आएँगे.. तुम मेरे पास ही सो जाना" लेकिन गौरी को तो रात को अपनी चूत को गीला करके सोने की आदत थी और बेडरूम में वो पूरी हो ही नही सकती थी..," नही दीदी! मैं तो यहीं सो जवँगी... आप ही सो जाना बेडरूम में...
अंजलि उसकी बात सुनकर मॅन ही मॅन खुश हुई. क्या पता राज उसके बारे में कुच्छ सोचता हो. और अपने हाथ आ सकने वाला मौका वा गँवाना ही नही चाहती थी.
"तो राज! आपने बताया नही... टूर के बारे में..." राज: मेडम जैसी आपकी इच्च्छा! मैं तो अपने काम में कसर छ्चोड़ता ही नही... अंजलि: मैने स्टाफ मेंबर्ज़ से भी बात की थी... वो तो सब मनाली का प्रोग्राम बनाने को कह रही है... राज: ठीक है मॅ'म! कर देजिये फाइनल... चलो मनाली...
तभी दरवाजे पर बेल हुई. वो निशा थी," हे गोरी!" गाँव भर के लड़कों को अपना दीवाना करने वाली लड़कियाँ अब दोस्त बन चुकी थी... एक दूसरी की. गौरी ने उसको उपर से नीचे तक देखा," क्या बात है निशा! कहाँ बिजली गिराने का इरादा है...आओ!" निशा: यहीं तेरे घर पर. वो अंदर आई और अपने नये सर और अंजलि मेडम को विश किया... फिर दोनों अंदर चली गयी. निशा: यार, तुझे एक बात बतानी थी. गौरी: बोलो ना... निशा: तुझे पता है. राज सर से पहले शमशेर यहाँ थे... गौरी: हां... तो! निशा: तुझे पता है... वो एक नो. के अय्याश थे... फिर पता नही क्यूँ.... उसने दिशा से शादी कर ली और चले गये... मैने तो उनकी नज़रों में आना शुरू ही किया था बस... इनका क्या सीन है.. गौरी: पता नही... पर इन्होने मेरे पास एक ब्लू फिल्म देख ली... वैसे कुच्छ खास कहा नही.. निशा: फिर तो लालू ही होगा! वरना ऐसा सीक्रेट पकड़ने पर तो वो तुझको जैसे चाहे नाचा सकते थे.... वैसे तुमने कभी किसी लड़के को दी है.. गौरी: क्या बात कर रही है तू. मैं तो बस कपड़ों में से ही दिखा दिखा कर लड़कों को तड़पाती हूँ... मुझे इसमें मज़ा आता है.. निशा: वो तुझको एक लड़के का मसेज देना था... इसीलिए आई थी मैं... गौरी: किस लड़के का? ... कौनसा म्स्ग..? निशा: देख बुरा मत मान-ना..! गौरी: अरे इसमें बुरा मान-ने वाली क्या बात है... कुच्छ दे ही तो रहा है... ले तो नही रहा.. निशा: मेरा भाई संजय का! वो तुझसे बहुत प्यार करता है... वो..
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