RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर ने उसको देखते ही अपनी बाहों में उठा लिया... दिशा उससे लिपट गयी... उसके साथ के बिना दिशा को एक एक पल अधूरा सा लगता था...
जी भर कर उसके चेहरे को चूमने के बाद बोला," उसको भी ड्यूटी करनी है भाई! वैसे कोई काम था क्या? ... और वाणी नही आई उपर तेरे साथ!"
वाणी: आपका उसके बिना, और उसका आपके बिना दिल ही नही लगता. मैं तो बस ऐसे ही काँटा बनी हुई हूँ!...... वो सोई हुई है...
शमशेर: सोई हुई है... स्कूल नही जाना क्या?
दिशा: नही!
शमशेर: क्यूँ?
दिशा सकुचती हुई सी...," बस... ऐसे ही!"
शमशेर: ऐसे ही का क्या मतलब है? आज तो स्कूल में बेस्ट ड्रेस कॉंपिटेशन भी है ना!
दिशा: हां........ इसीलिए तो...
शमशेर: तो तुम्हारे बिना क्या वहाँ भूत अवॉर्ड लेंगे? चलो उसको उठा कर जल्दी तैयार होने को कहो!
दिशा, अपना सिर नीचा करके.... " वो.... हमारे पास ड्रेस नही है!" उसके चेहरे से कॉंपिटेशन में भाग ना ले सकने की मजबूरी सॉफ झलक रही थी...
शमशेर: तो ये बात है... मुझे क्यूँ नही बोला... मैं क्या कुच्छ लगता नही हूँ... तुम्हारा किरायेदार हूँ आख़िर!
दिशा ने अपने हाथ का मुक्का बना कर उसको दिखाया और उसकी छति पर सिर टीका दिया...
शमशेर: चलो, अकेलेपन का फयडा उठाओ; कपड़े निकल दो आज तो!
दिशा: अभी!.... मॅन तो उसका भी मचल रहा था!
शमशेर: हां अभी!
दिशा आँखें बंद करके बेड पर लेट गयी... खुले कमीज़ में भी उसकी छतियो का कसाव गजब ढा रहा था... शमशेर अंदर गया और एक डिब्बा उसके पेट पर रख दिया!
दिशा ने आँखें खोल दी," क्या है ये?"
शमशेर: चलो तैयार हो जाओ! स्कूल चलना है... वाइट जीन्स टॉप तुम्हारे लिए
है और वाणी के लिए वाइट स्कर्ट टॉप!
दिशा शमशेर से लिपट गयी... उसकी आँखों से निकले आँसू शमशेर को "आइ लव यू" बोल रहे थे; उसकी केअर करने के लिए.....
दिशा और वाणी जब नयी ड्रेस में स्कूल पहुँची तो मानो स्कूल का हर कोना उनकी तरफ खींचा आया था.. दोनों स्वर्ग से उतरी अप्सरायें लग रही थी.... लड़कियाँ उनको हैरत से देख रही थी, जैसे उनको पहचाना ही ना हो! इश्स तरह सबको अपनी और देखता पाकर दोनों फूली नही समा रही थी...
दिशा तो पहले ही लड़कों के लिए कयामत ही थी... आज तो लड़किययाँ भी जैसे उसको दिल दे बैठी हों! सफेद टाइट टॉप में उसकी छतिया इश्स कदर सपस्ट दिखाई दे रही थी... कि बाहर से गेस्ट आए बूढो तक की आँखें बाहर निकालने को हो गयी! चारों और से सीटियाँ ही सीटियाँ कॉंटेस्ट शुरू होने से पहले ही ये एलान कर रही
थी की आज का विन्नर कौन होगा. उसका टॉप उसकी कमर को पूरा नही ढक पा रहा था... उसकी नाभि के कटाव पर सभी "भूखे कुत्तों की भी ... और छके हुए "बूढ़े कुत्तों" की भी जीभ लपलपा रही थी.. वह जिधर भी जाती... सभी आँखें वही मूड जाती... दिशा से सब सहन नही हो रहा था... अपनी खुशी पर काबू पाना उसके वश में नही था... उसके पिच्छवाड़े की गोलाइयाँ इतनी गोल थी मानो उन्हे किसी किसी ड्रॉयिंग एक्विपमेंट की सहायता से निशान लगाकर तराशा गया हो... सब कुच्छ सही सही..... शी वाज़ जस्ट ए पर्फेक्ट लेडी ऑन अर्थ; आइ बिलीव!
उधर वाणी भी कम कहर नही ढा रही थी... सब कुच्छ दिशा जैसा ही, नपा तुला! पर दिशा के मुक़ाबले उतनी 'जवान' नही होने की वजह से वो आँखों को अपने से लपेट नही पा रही थी... फिर भी वो बहुत खुश थी... उसके सर जो उसको देख रहे थे...! और उस्स नादान दीवानी को क्या चाहिए था...
कॉंपिटेशन शुरू हो गया... बहुत सी लड़कियाँ तो दिशा और वाणी को देखकर स्टेज पर ही नही चढ़ि... और जो चढ़ि वो भी दर्शकों की हँसी का पात्रा बनकर रह गयी.
अंत में दो ही नाम मैदान में रहे.......बताने की ज़रूरत नही है.
मिस्टर जज मंच पर चढ़े और उन्होने बोलना शुरू किया... दोनों की ख़्ूबसूरती का नशा उस्स पर से अभी उतरा नही था...
" प्यारे बच्चो; टीचर्स और इश्स कॉंपिटेशन की शोभा बढ़ने आए मेहमानो," कहते हैं की सुंदरता मॅन की होती है; तंन की नही, पर आज के.. ...... वग़ैरा वग़ैरा......!
अंत में मैं इश्स नतीजे पर पहुँचा हूँ कि 2 बच्चियों को किसी भी तरह से तंन और उनके द्वारा पहनी गयी ख़्ूबसूरत ड्रेसस के आधार पर कहीं से भी एक दूसरी से कम या ज़्यादा नही ठहराया जा सकता... और जब ये दोनों चीज़े बराबर हैं तो हमें चाहिए हम उनके मॅन की सुंदरता से उन्हे तोले! अब क्यूंकी मैं इनको जानता नही हूँ इसीलिए दिशा और वाणी में से विजेता चुन-ने के लिए में प्रिन्सिपल को मंच पर इन्वाइट करना चाहूँगा...
प्रिन्सिपल तो छुट्टी पर थी; स्टाफ वालों ने टीचर इन चार्ज शमशेर को मंच पर धकेल ही दिया... हां धकेलना ही कहेंगे क्यूंकी एक भंवरे को अपने दो फूलों में से एक को छाती में लगाना था और दूसरे को पैरों पर गिराना था.....
कैसी घड़ी आ गयी... इससे अच्च्छा तो वो ड्रेसस का सर्प्राइज़ ना ही देने की सोचता तो अच्च्छा था... शमशेर बहके कदमों से स्टेज पर चढ़ा.......
शमशेर ने स्टेज पर चढ़कर दोनों परियों को देखा... दोनों इतरा रही थी... अपने आप पर... उसी के कारण... ना वो ड्रेस लेकर आता ना ही वो स्कूल आती! ये सब उसका खुद का किया धरा है.... दोनो को ही अपनी अपनी जीत का विश्वास था... दोनों को यकीन था की शमशेर सिर्फ़ उसी से प्यार करता है.... दोनो ही बस भागने को तैयार बैठी थी... अपना नाम बोलते ही भाग कर स्टेज पर जाने के लिए... जब सीटियों का शोर तेज हो गया तो शमशेर को होश आया..... उससे और कुच्छ ना बोला गया..... उसने 'वाणी!' कहा और स्टेज से उतर गया.... वाणी भागती हुई आई और सर से लिपट गयी... उसकी आँखों में चमक थी, जीत की; अपनी दीदी से जीत की... पर शमशेर
का ध्यान दिशा पर गया... वो क्लास की और जा रही थी... आँसू पूछ्ते हुए!
इनाम लेकर वाणी किसी गुड़िया की तरह उच्छल रही थी... सबको दिखा रही थी... शमशेर सीधा ऑफीस में चला गया... उसने मॅन देखा था... तंन नही!
वाणी भागती हुई ऑफीस में आई और अपना इनाम सर को दे दिया," लो सर!"
शमशेर ने वाणी से कहा," तुम्हारा इनाम है, तुम्ही रखो!"
वाणी ने शमशेर को उसी की बात याद दिला दी," नही सर, मेरा नही है..... अपना है!"
शमशेर का गला रुंध गया... वो कुच्छ भी ना बोल पाया!
"एक बात कहूँ सर जी!"
"हुम्म..."
"आप मुझसे ही शादी करोगे ना....."
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