RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
अजीत ने जब दुनिया की तमाम सुंदरता, मासूमियत और कशिश से भारी उन्न जवान लड़कियों को देखा तो बस देखता ही रह गया. जब वो चाय देकर चली गयी तो अजीत शमशेर से बोला," भईई! तू तो जन्नत में आ गया है... मैं भी कहूँ, तू कभी फोन ही नही करता... तेरे तो घर में दीवाली है दीवाली..."
शमशेर: प्लीज़ यार, इनके बारे में ऐसा कुच्छ मत बोल!
अजीत: क्यूँ, तूने बहन बनानी शुरू कर दी क्या 'भाई!'?
शमशेर ने एक धौल अजीत की पीठ पर जमाया और उसकी आँखों की नमी देखकर अजीत सब समझ गया," कौनसी है उस्ताद... तेरे वाली?"
शमशेर ने चाय का कप अजीत को दिया," बड़ी! वो मुझसे बहुत प्यार करती है!"
अजीत: और तू?... उसने गौर से शमशेर की आँखों में देखा...
शमशेर: पता नही! चाय पी ले ठडी हो जाएगी!
अजीत: और छ्होटे वाली, उसको भी कुच्छ ना बोलूं; वो भी तो कयामत है...
शमशेर: छ्चोड़ ना यार, कितनी छ्होटी है!
अजीत: छ्होटी है!..... चल भाई तू कहता है तो छ्होटी ही होगी... पर मेरी समझ में नही आता वो छ्होटी है कहाँ से!...... अजीत के सामने उस्स बाला की सुंदर युवती का चेहरा घूम गया!
शमशेर: यार तू तो बस बॉल की खाल निकाल लेता है... तू उसकी बातें सुन के देखना! चल इश्स टॉपिक को छ्चोड़.... तुझे दिशा कैसी लगी?
अजीत: दिशा? ये दिशा कौन है... तूने प्यारी का नाम प्यार से दिशा तो नही.....
शमशेर: बड़े वाली... ये जो अभी आई थी... वाणी के साथ!
अजीत गंभीर होकर शमशेर की और देखने लगा, दिशा का नाम आते ही उसको शमा याद आ गयी, शमशेर की शमा... जिसके लिए शमशेर ने अपना नाम दीपक से शमशेर कर लिया.... शमा;शमशेर.... अजीत अतीत में खो गया!
बात कॉलेज के दिनों की थी... आज से करीब 13 साल पहले की; अजीत का भाई सुमित और 'दीपक' साथ साथ पढ़ते थे.. तब 'दीपक' ऐसा नही था. ना तो इतना तगड़ा और ना ही इतना शांत;निसचिंत वो एक लड़की के प्यार में ऐसा दीवाना हुआ की क्या रात को नींद और क्या दिन को चैन... "शमा" यही नाम था उसका... शमशेर उसको पागलों की तरह से चाहता था... और शायद शमा भी... चाहती क्यूँ नही होगी.. एक आइ.पी.एस. ऑफीसर का बेटा था शमशेर; निहायत ही शरीफ और इंटेलिजेंट... शमा भी मॉडर्न परिवार की लड़की थी... कॉलेज में हर कोई उसका दीवाना था.. एक लड़के का तो 'दीपक' से काई बार झगड़ा भी हुआ था, शमा के लिए... और बात 'दीपक' के बाप तक पहुँच गयी थी... समाज में इज़्ज़त के झॅंड गाड़े हुए लोग रात को चाहे कितनी ही होली खेल ले; पर दिन में अपने कपड़ों को सॉफ ही रखना चाहते हैं... बेदाग!
दीपक के पिताजी ने दीपक को वॉर्निंग दे रखी थी... रोज़ रोज़ की बदनामी अगर यूँ ही होती रही तो उसको वो घर से निकाल देंगे!
पर प्यार का ज़हरीला बिच्छू जिसको डस लेता है वो समाज से बग़ावत कर लेता है... और बदले में मिलने वाली जलालत को अपनी मोहब्बत का इनाम...
शमशेर ने भी यही किया... उसके शमा से प्यार को देखकर उसके दोस्त उसको शेर कहने लगे; शमा का शेर! और वो दीपक से शमशेर हो गया; शमा का शमशेर!
उस्स पागल ने डॉक्युमेंट्स में भी अपना नाम बदल लिया... इश्स बात से खफा उसके पिता जी ने उसको धक्के दे दिए; 'अपने घर से' और तभी से वो अजीत के घर रहने लगा... उनके भाई की तरह!
कुच्छ दिनों बाद की बात है... शमशेर की क्लास के एक लड़के ने सबको अपनी बर्थडे पार्टी के लिए इन्वाइट किया, शमशेर को भी; अपने फार्म हाउस पर;
ये वही लड़का था जिसके साथ पहले झगड़ा हो चुका था, शमा के लिए.... शमशेर जाना नही चाहता था... पर शमा उसको ज़बरदस्ती ले गयी, अपने साथ; फार्महाउस पर....
वो ही वो कयामत की रात थी.. जिसने शमशेर को ऐसा बना दिया... बिल्कुल शांत... बिल्कुल निसचिंत!
दिनेश ने केक काटा और सबसे पहले शमा को खिलाया, फिर उसके होंटो को चूम लिया; शमा ने भी उसको अपनी बाहों में भर लिया और एक लुंबी फ्रेंच किस दी... ये किस दिनेश की केवल वेल विशेज़ नही थी; दोनों के चेहरों से वासना टपक पड़ी रही थी... शमशेर को एक पल तो जैसे यकीन नही हुआ... फिर खून का घूँट पीकर रह गया; आख़िर उस्स किस में शमा की मर्ज़ी शामिल थी.
हद तो जब हो गयी, जब कुच्छ देर बाद दिनेश उसको अपने कंधे पर उठा कर जाने लगा...शमा ने शमशेर को बाइ किया, मुस्कुराते हुए!
"दिनेश!" शमशेर की आँखों में खून उतार गया... सभी की आँखों में उतर जाता... बेवफ़ाई का ऐसा नंगा पारदर्शन देखकर.
दिनेश ने शमा को अपने कंधे से उतारा," क्या है बे! अभी तेरी 'बहन को चोदुन्गा साले! आजा देखना हो तो!"... शमा अब भी मुश्कुरा रही थी
शमशेर उसकी और भागा... पर दिनेश के दोस्तों ने मिलकर उसको पहले ही लपक लिया... नही तो एक खून और हो जाता... दिनेश का या शमा का... एक खून तो पहले ही हो चुका था... 'शमशेर' के अरमानों का..
"साले को अंदर ले आओ!" दिनेश दाहदा.... और वो उसको एक बेडरूम में ले गये... आलीशान बेडरूम में; और शमशेर को वहाँ घुटनों में लाठी देकर बाँध दिया... शमशेर ज़मीन पर पड़ा था... असहाय और लाचार!
शमा और दिनेश कमरे में आ गये. दिनेश ने इशारा किया और शमा अपने शरीर का एक एक कपड़ा उतार कर शमशेर की और फांकति गयी... आख़िर में अपनी पनटी भी.... शमशेर का चेहरा भीग गया था...उसके लचर आँसू फर्श पर बह रहे थे... उसने आँख खोल कर शमा को देखा... शमा दिनेश के अंग को मुँह में ले कर चूस रही थी... शमशेर की आँखे बंद हो गयी... उसके बाद कमरे में करीब 30 मिनिट तक शमा की आँहे गूँजती रही... सिसकियाँ गूँजती रही... जो शमशेर के कानो में पिघले हुए लावे की तरह जा रही थी! शमशेर लाख कोशिश करने के बाद भी अपने कान बंद नही कर पाया... उसको सब कुच्छ सुन-ना पड़ा; सब कुच्छ.
अंत में जब सिसकिया बंद हो गयी तब शमशेर ने आँखें खोली... दिनेश उसकी नंगी छतियो पर पड़ा था... शमा ने बोला," आइ लव यू दिनेश!" उसी लहजे में जिस लहजे में उसने हज़ारों बार बोला था... आइ लव यू दीपक.... आइ लव यू माइ शमशेर!
शमशेर ने कपड़े पहनकर बाहर जाती हुई शमा से पूचछा," तुमने..... ऐसा क्यूँ किया, शमा! "
"क्यूंकी तुम्हारे पास अब पैसा नही है... जान!" और वो मुश्कूराती हुई चली गयी...
दिनेश ने अपने दोस्तों को बुलाया," खोल दो साले को; अगर ज़रा भी गैरत होगी तो खुद ही मर जाएगा... बहन का....!"
उसके दोस्तों ने शमशेर को खोल दिया; पर शमशेर नही उठा... अब उठने को रहा ही क्या था!
उसके दोस्तों ने शमशेर को फार्म हाउस से बाहर फैंक कर अजीत के भाई को फोन कर
दिया. वो अपने दोस्तों के साथ आया और शमशेर को ले गया. कॉलेज में जिसको भी पता चला; वो खूब रोया, पर शमशेर के आँसू नही निकले... उसके सारे आँसू निकल चुके थे; शमा के सामने!
शमशेर के पिता को पता चला तो भागा हुआ आया, लंबी लंबी लाल्बत्ति वाली गाड़ियों में. और अपने वंश को ले गया...
उसके दो दिन बाद ही शमा और दिनेश मरे पाए गये! पोलीस ने अपनी केस डाइयरी में लिखा," वो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, पर समाज ने उनको मिलने ही नही दिया... इसीलिए दोनों ने सुसाइड कर लिया!
कहते हैं समय सब कुच्छ भुला देता है... शमशेर भी बदल गया... पर दो चीज़े उसने नही बदली... एक तो अपना नाम... और दूसरा उस्स रात के बाद वाला अपना नेचर;..... बिल्कुल शांत.... बिल्कुल निसचिंत...
वो प्यार से नफ़रत करने लगा... उसको तब के बाद लड़कियों से एक ही मतलब रहता था... सेक्स... सेक्स और सेक्स....
शमशेर ने अजीत को देखा... वो आँखे बंद किए रो रहा था.... बिना बोले.... लगातार...!
शमशेर ने अजीत के हाथ से कप ले लिया... चाय तो कब की ठंडी हो चुकी थी. वो कुच्छ ना बोला. उसके दोस्त जब भी उससे मिलते थे तो शमशेर के अतीत को याद करके ऐसे ही सुबक्ते थे... भीतर ही भीतर...
शमशेर उसके लिए पानी ले आया," लो, टफ! मुँह धो लो!... कुच्छ देर बाद सब नॉर्मल हो गया और वो फिर से मस्ती भारी बातें करने लगे
"शमशेर भाई! ये तो बता ये सरिता क्या बाला है?"
"कौन सरिता?", शमशेर को याद नही आया!
अरे वो मेरी 'प्यारी' गाड़ी में कह नही रही थी!" मुझसे तो सरिता भी जलती है."
"ओह अच्च्छा! सरिता! वो उसी की तो बेटी है...
"मस्त है क्या?"
"देखेगा, तो खुद ही समझ जाएगा!"
"भाई! वो भी दिख जाएगी क्या?"
"हां, हां; क्यूँ नही दिखेगी?"
"लगता है खानदान ही धंधे में है, भाई!"
तभी दिशा उपर आई," खाना लगाना है क्या.... सर". दिशा दरवाजे की साइड में खड़ी थी, शरमैई सी, और वाणी उसकी साइड में..... जासूस!
अजीत: एक बार अंदर आना!.... वो शमशेर के नये प्यार को अपनी आँखों से परखना चाहता था.....
दिशा अंदर आ गयी... नज़रें झुकाए.... और वाणी ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था... वो इश्स नये मेहमान को घूर रही थी!
"अच्च्छा! एक बात तो बताओ; तुम्हारा फॅवुरेट टीचर कौन है....." अजीत ने कहा
दिशा निशब्द खड़ी रही... वो उसके सर थोड़े ही थे! पर वाणी ने एक भी सेकेंड नही गवाई, और बेड पर चढ़कर सर से लिपट गयी," शमशेर सर!"
अजीत ने उसकी और हाथ बढ़ाया," हाई! आइ एम अजीत आंड यू"
वाणी ने दोनों हाथ जोड़ दिए," नमस्ते! और हाथ नही मिलवँगी; दीदी कहती हैं, बाहर वाले लड़कों को ज़्यादा मुँह नही लगाते!"
ऐसा सुनते ही तीनों की ज़ोर से हँसी छुट गयी! वाणी को लगा कुच्छ ग़लत कह दिया, दीदी से पूच्छ लो; इन्होने ही बोला था!
दिशा शर्मकार नीचे भाग गयी... और वाणी उसके पीछे पीछे... ये पूच्छने के लिए की उसने क्या ग़लत कह दिया!
नीचे जाते ही दिशा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी... वाणी ने पूचछा," क्या हुआ दीदी! बताओ ना!"
दिशा हंसते हुए बोली," कुच्छ नही तू भी कितनी उल्लू है, कोई किसी के सामने ऐसे ही थोड़े बोलता है!.... और फिर वे इनके दोस्त हैं!"
वाणी: सॉरी दीदी! मैं उपर सॉरी बोलकर आऊँ?
दिशा: नही रहने दे! ...... फिर कुच्छ सोच कर बोली," वाणी! एक बात पूच्छून तो बताएगी!
वाणी: पूच्छो दीदी!
दिशा: मान लो तेरी किसी के साथ शादी हो जाती है...
वाणी: मैं तो सर से ही शादी करूँगी दीदी....
दिशा सिहर गयी... वाणी के प्यार का रंग बदलता जा रहा था...
दिशा: वाणी!........... शमशेर से मैं प्यार करती हूँ;( वो भावुक हो गयी थी) मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ... क्या तू मेरे और उसके बीच में आएगी? क्या तू कभी अपनी दीदी का दिल तोड़ सकती है...
वाणी ने उसका हाथ पकड़ लिया .... ," क्या ऐसा नही हो सकता की सर हम दोनों से शादी कर लें, दीदी! मेरी एक सहेली की दो मुम्मिया हैं"
दिशा ने उसके गालों को सहलाते हुए कहा," हम हिंदू हैं, वाणी! हमारे धरम में ऐसा नही होता....
"पर दीदी; हम कह देंगे हम तो मुसलमान बन गये!"
"ऐसे नही होता वाणी! और मान भी लो; ऐसा हो जाए तो क्या हम एक दूसरे को शमशेर और अपने बीच एक दूसरी को सहन कर लेंगे...."
"बीच में कहाँ दीदी; एक तरफ में और एक तरफ तुम..."
दिशा: तू तो है ना; बिल्कुल पागल है; एक बात बता, ये जो सर के दोस्त हैं..... कैसे लगते हैं तुझे..?
वाणी: बहुत सुंदर है दीदी... सर से भी सुंदर!
दिशा: तू उनसे शादी कर ले ना! में शमशेर से बात कर लूँगी!
अगले दिन सुबह सुभह जब दिशा शमशेर और अजीत के लिए चाय देने आई तो अजीत को वहाँ ना पाकर वो बहुत खुश हुई, क्यूंकी वो अकेली थी; वाणी सोई हुई थी... पुर 24 घंटे से शमशेर ने उसको च्छुआ नही था," आपके दोस्त कहाँ गये?"
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