RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर ने जल्दी से अपनी पॅंट उतरी और अपना ताना हुआ 8" लंड उसको दे दिया...
वाणी की आँखें फट गयी," सर जी का नूनी... इतना लंबा! ... इतना मोटा! और उसका मुँह खुला का खुला रह गया... अभी तो उसको उसका प्रयोग भी नही पता था...!
दिशा के मॅन की झिझक अब आसपास भी नही थी... उसने शमशेर के लंड को अपने हाथ से उपर नीचे किया और उसके होंटो को खाने लगी!
वाणी ने भी उसको छ्छू कर देखा... बहुत गरम था!
शमशेर ने देर ना करते हुए; अपना लंड दिशा के होंटो पर रख दिया... पर दिशा इशारा ना समझी... बस उसको चूम लिया
शमशेर ने अपने कसमसाते लंड को देखा और बोला," इसको मुँह में लो, इसको चूसो, इसको चॅटो!
"क्या?" दिशा शमशेर को देखती कभी उसके लंड को!
"प्ल्स दिशा और मत तड़पाव!"
दिशा ने अपने यार की लाज रख ली... उसने उसको मुँह में लेने की कोशिश की... पर वा कहाँ घुसता... वो उसको उपर से नीचे तक चाटने लगी!
वाणी को हँसी आ रही थी... ये कोई कुलफी है क्या...
पर जैसे ही उसने दिशा की आँखों को बंद होते देखा वो भी बीच में कूद पड़ी..."मैं भी चूसूंगई!" दिशा कुच्छ ना बोली...
वाणी ने शमशेर के लंड पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की... एक तरफ दिशा... दूसरी
तरफ वाणी... दोनों आनंद में पागल थी... और तीसरा तो सेक्स का ये रूप देखकर अपने आपे में ही नही था... उन्न दोनों के हाथ अपनी अपनी चूतो पर थे और शमशेर उनकी चूचियों से खेल रहा था.
दिशा ने कोशिश करके शमशेर के सुपारे को अपने मुँह में भर लिया... उसके निकलते ही वाणी ने भी कोशिश की पर बीच में ही हार मान ली... हां मज़ा उसको भी दिशा जितना आया था!
अब सहना शमशेर को ग्वारा ना था.. उसने दिशा की टाँगों को फैलाया और उनमे अपना मुँह घुसा दिया... वाणी सर की टाँगो के बीच मुँह ले गयी... और अपनी कुलफी चूस्ति रही.. मदमस्त बड़ी कुलफी..
दिशा की आँखे बंद होने लगी... एक बार फिर उसका वक़्त आ गया... उसने शमशेर का सर अपने हाथो में पकड़ा और उसको अपनी चूत पर दबा दिया.. उसने पानी फिर छ्चोड़ दिया...
शमशेर को लगा सही वक़्त है और उसने जल्दी से वाणी को दूर हटाकर दिशा की मस्त जांघों को फैलाया और वाणी की कुलफी दिशा की योनि में ठेल दी.. "एयाया!" दिशा की आवाज़ उसके गले में ही रह गयी जब शमशेर ने उसके मुँह को सख्ती से दबा दिया...
दिशा की आँखों से आँसू बह निकले... वो फिर से चीखना चाहती थी पर चीख ना सकी.... शमशेर ने चीखने ना दिया... अभी तो सिर्फ़ सूपड़ा ही अंदर फँसा था... बाकी तो इंतज़ार कर रहा था... दिशा के शांत होने का...
वाणी दिशा को देखकर डर गयी..." दीदी ठीक कह रही थी मैं तो अभी छ्होटी हूँ! खेल का दूसरा भाग मेरे लिए नही है... उसका गला सूख गया था... अचानक उसकी नज़र अपनी दीदी की चूत पर पड़ी... वो घायल हो चुकी थी... अंदर से!
सर दीदी को छ्चोड़ दो... बाहर निकल लो! वो मर जाएगी... प्लीज़ सर... मेरी दीदी को छ्चोड़ दो... हमें नही खेलना खेल... हमें माफ़ कर दो सर! उसकी आँखों में भय था...
शमशेर ने उसको अपने से सटा लिया... पर उसको अब मज़ा नही आ रहा था... हां दिशा ज़रूर शांत हो गयी थी.. शमशेर का एक हाथ दिशा की मस्त जवानियों से खेल रहा था और दूसरा हाथ वाणी की कमर से लिपटा हुआ था...
दिशा अपनी गांद को उचकाने लगी... और शमशेर ने भी मौका देखकर दबाव बढ़ा दिया... और दिशा तृप्त होती चली गयी... सखलन के बाद वो और भी रसीली हो गयी... अब धक्के लगाए जा सकते थे और शमशेर ने धक्के शुरू कर दिए... दिशा का बुरा हाल था... वो हर धक्के के साथ मानो स्वर्ग की सैर कर रही थी... वो चीख चीख कर कहना चाहती थी... और ज़ोर से ... और ज़ोर से.. पर उसने अपनी पागल भावनाओ को काबू में रखा...
वाणी ने देखा... दीदी के चेहरे पर अब शांति है... उसके चेहरे को देखकर सॉफ दिख रहा था की उसको दर्द नही मज़ा आ रहा है... अपनी दीदी से निसचिंत होकर वाणी ने अपने सर के होंटो को अपने लाल सुर्ख होंटो से चूमने लगी.... उत्तेजना की हद हो चुकी थी... ऐसा लगता था जैसे तीनों के तीनों सेक्स के लिए ही बनाए गये थे... जो बात दिशा में नही थी वो वाणी में थी और जो बात वाणी में नही थी वो दिशा में थी... शमशेर झटके खाने लगा और हांफता हुआ दिशा के उपर गिर गया... दिशा औरत बन चुकी थी...
वाणी ने दोनों को प्यार से एक दूसरे की और देखा और शमशेर के उपर गिर पड़ी... उसको भी शमशेर से प्यार था... जिसका रूप बदल रहा था!
शमशेर उठा और साइड में सीधा होकर गिर पड़ा... ऐसी संतुष्टि की उसने कल्पना भी नही की थी कभी... उसके दोनों और दो दुनिया की सबसे हसीन नियामते लेटी थी.... एक शमशेर की औरत बन चुकी थी दूसरी बन-ना चाहती थी....
वो ऐसे ही सो गयी..... शमशेर की बाहों में...! शमशेर की आँखों में आँसू आ गये... मारे खुशी के या फिर पासचताप के...... ये वो क्या कर रहा है!
करीब 5:00 बजे शमशेर की आँख खुली... उसके दोनो और यौवन से लदी 2 हसीन कयामतें उससे चिपकी पड़ी थी... बिल्कुल शांत; बिल्कुल निसचिंत और एक तो.... बिल्कुल निर्वस्त्रा... मानो अभी अभी जानम लिया हो; सीधे जवान ही पैदा हुई हो.... सीधे उसकी की गोद में आकर गिरी हो;.....ऐसा नयापन था उसके चेहरे में
उसने दूसरी और देखा, वो अभी भी कुँवारी थी... शमशेर के कंधे पर सिर टिकाए, उसके शरीर से खुद को सताए मानो अभी जनम लेने को तैयार है.... एक नया जनम.... शमशेर के हाथो!
शमशेर ने उसका माथा चूम लिया... और उसने नींद में ही... अपने हुष्ण को और ज़्यादा सटा लिया... वह शमशेर की छति पर हाथ रखे, ऐसे पकड़े हुई थी की सर कहीं भाग ना जायें, उसको पूरा किए बगैर; उसको औरत बनाए बगैर...
शमशेर ने कुच्छ सोचा और उससे दूसरी तरफ मुँह कर लिया... उसकी 'औरत की तरफ....
शमशेर ने उसको खींच कर अपने से सटा लिया और उसके होंटो
... शमशेर ने दिशा को खींच कर उसकी छतियो को अपनी छति से सटा दिया... और उसके होंटो को अपने होंटो से 'थॅंक्स' कह दिया... उसकी हो जाने के लिए... दिशा ने तुरंत आँखें खोल दी.... नज़रों से नज़रें मिली और 'औरत' की नज़र शर्मा गयी... रात को याद करके. दिशा ने खुद को शमशेर में छिपा लिया... और उसके अंदर घुसती ही चली गयी... शमशेर भी उसमें समा गया 'पूरा' का 'पूरा'... इश्स दौर में दिशा को इतना आनंद आया की उसकी सारी थकान दूर हो गयी...
कुच्छ देर शमशेर के उपर पड़े रहने के बाद वह उठी और उसने कपड़े पहन लिए... वह बिना बात ही मुस्कुरा रही थी... रह रह कर; बिना बात ही शर्मा रही थी... रह रह कर... वह वापस अपने यार के पास आ लेटी... उसको समझ नही आ रहा था शमशेर को क्या कह कर संबोधित करे; सर या शमशेर... इसी कसंकश में उसने दोनो को ही छ्चोड़ दिया," कल रात को मैं कभी नही भूल पाउन्गि... जी!" जैसे सुहग्रात के बाद शायद पत्नी कहती है!..."लेकिन इश्स शैतान का क्या करें... ये मानेगी नही इतनी आसानी से... बहुत जिद्दी है... मुझे डर है... कहीं ये बहक ना जाए..." और शमशेर किस्मत की देन उसकी नादान प्रेमिका को देखने लगा...!
सुबह स्कूल जाने से पहले नहाते हुए दोनो को अपने अंगों में परिवर्तन महसूस कर रही थी. दिशा को अपने पूर्ण होने का अहसास रोमांचित कर रहा था तो वाणी को उसके बदन की तड़प विचलित कर रही थी.... वाणी के मॅन में दुनिया की सबसे अच्च्ची दीदी से ईर्ष्या होने लगी... उसके बाद उसने कभी दिशा और शमशेर को कभी अकेला नही छ्चोड़ा... सोते हुए वो शमशेर को अपने हाथ और पैर से इश्स तरह कब्जा लेती की जैसे कहना चाहती हो... ये किसी और का नही हो सकता; 'सर' मेरा है... सिर्फ़ मेरा.... 'अपने' सर वाणी को 'सिर्फ़ अपने' लगने लगे....
ऐसा नही था की शमशेर की दूसरी बाजू अकेली हो, वो दिशा को समेटे रहती, पर जब भी कभी वाणी को लगता की सर उससे मुँह घुमा रहे हैं... तो नींद में ही उठ बैठती और शमशेर के उपर चढ़ कर लेट जाती.... दिशा और वाणी में दूरियाँ बढ़ने लगी.... शमशेर के कारण! ऐसे ही 5-7 दिन बीत गये.... अगले दिन अंजलि की शादी थी... वो घर चली गयी... शमशेर को टीचर -इन चार्ज बना कर! कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त
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