RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर उसके साथ लेट गया, उसके कान के पास अपने होंट ले गया और धीरे से बोला," दिशा"... उसकी आवाज़ में वासना और प्यार दोनो थे!
दिशा जैसे तड़प रही थी इश्स तरह शमशेर के मुँह से अपना नाम सुनने को; वो पलट कर उससे लिपट गयी... वाणी की तरह नही; दिशा की तरह!
पर शमशेर इश्स खेल को लंबा खींचने का इच्च्छुक था... उसने प्यार से दिशा को अपने से अलग किया और फिर से दिशा के कान में बोला," क्या मैं तुम्हे छ्छू सकता हूँ".... आवाज़ अब की बार भी वैसी ही थी.. प्यार और वासना से भारी... पर अब की बार दिशा की हिम्मत ना हुई; अपना जवाब उससे लिपट कर देने की, वो खामोश रही... मानो कहना चाहती हो... बात मत करो... जल्दी से मुझे छ्छू दो... मुझे अमर कर दो!
शमशेर ने उसके पेट पर हाथ रख दिया... उसमें कयामत की कोमलता थी... कयामत की लचक... कयामत का कंपन!
दिशा कराह उठी... उससे इंतज़ार नही हो रहा था... पता नही उसका यार उसको क्यूँ तड़पा रहा है!
शमशेर ने उसके पाते पर से उसका कमीज़ हटा दिया... फिर उसका समीज़... शमशेर जन्नत की सुंदरता देख रहा था... उसके सामने... उसके लिए.... सिर्फ़ उसके लिए!
दिशा की नाभि का सौंदर्या शमशेर के होंटो को अपने पास बुला रहा था... चखने के लिए... और वे चले गये... दिशा सिसक उठी... वा अपने हान्थो से चदडार को नोच रही थी... मचल रही थी... आगे बढ़ने के लिए.....!
शमशेर ने उसको अपने हाथ का सहारा देकर बैठा दिया... उसका हाथ दिशा की कमर में था... समीज़ के नीचे! दिशा हर पल मरी जा रही थी... आगे बढ़ने के लिए! उसकी आँखें अब भी बंद थी; पर होंट खुल गये थे... खेल सुरू होने से पहले ही वह हार गयी... उसकी योनि द्रवित हो उठी! उसने शमशेर को कसकर पकड़ लिया... वा उसी पल उसमें समा जाना चाहती थी...! शमशेर ने अपने गले से लगाकर उसका कमीज़ निकल दिया और समीज़ भी... वो इसी का इंतज़ार कर रही थी!
फिर से शमशेर ने उसको सीधा लिटा दिया... उसकी छातिय मचल रही थी.. वो शमशेर के हाथों का इंतज़ार कर रही थी... पर शमशेर ने उनको कुच्छ ज़्यादा ही दे दिया.... उसने दिशा के दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ा और उसकी एक छति पर अपने होंट टीका दिए! "हाइयी, ऐसा पहले क्यूँ नही हुआ... इतना आनंद आता है क्या कभी किसी बात में... शमशेर उसकी छति पर लगे अद्भुत, गुलाबी सख़्त हो चुके मोटी से दूध पीने की कोशिश करने लगा... दिशा छ्टपटा रही थी बुरी तरह; उसकी टाँगों के ठीक बीच में एक भट्टी सुलग रही थी... दिशा को सब और स्वर्ग दिखने लगा... उसकी आँखें आधी खुली आधी बंद... वो नशे में लग रही थी प्यार के नशे में... उससे रहा ना गया, बिलख उठी, " मुझे मार डालो जान! शमशेर ने अपनी पॅंट उतार दी... अपने अंडरवेर की साइड से अपना अचूक हथियार निकाल और दिशा को दे दिया; उसके हाथ में...
"ये इतना बड़ा हो जाता है क्या, बड़ा होने पर," वो सोच रही थी.... उसकी सखटायी, लंबाई और मोटाई को अपने हाथों से सहलाकर महसूस करने लगी! शमशेर के होंट अभी भी उसका दूध पी रहे थे; जो उन्न मादक छातियो में था ही नही...
दोस्तो आप किसी के प्यार मॅ खोए हुए हो ओर अचानक कोई तीसरा आकर खड़ा हो जाए तो आपका क्या हाल होगा ऐसा ही कुछ हमारे
हीरो के साथ भी गया क्योकि दोनो को ही पता नही था की वाणी अभी सोई नही थी अरे यार मॅ क्यू आपका मज़ा खराब कर रहा हूँ
ठीक है भाई गुस्सा क्यो होते हो यार मैं चला आप लोग कहानी का मज़ा लो लकिन फिर याद दिला रहा हूँ कमेंट देनामत भूलना
अचानक दोनों पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा... दरवाजे के उस्स तरफ से आवाज़ आई," दीदी; सरजी; मुझे भी खेलना है... मुझे नींद नही आ रही... दरवाजा खोलो....
वो दोनों जैसे पत्थर हो गये... खेल उल्टा पड़ गया था.......दोनों कभी एक दूसरे को कभी दरवाजे के पार झिर्री में से दिख रही वाणी की आँख को देखते रहे!
शमशेर और दिशा वाणी को जगा देख सुन्न हो गये. एक पल को तो उन्हे कोई होश ही नही रहा. दिशा को अपने नंगे बदन का अहसास होते ही वो दीवार की तरफ भागी.. उसने दोनों हाथो से अपने को धक लिया और फर्श की और देखने लगी.... 'ये क्या हुआ!'
शमशेर दिशा के मुक़ाबले शांत था. उसने अपने को ठीक किया और दिशा के कपड़े लेकर उसके पास गया... दोनों हाथो से उसके कंधों को थाम लिया,"कपड़े पहन लो जान. कुच्छ नही होगा!"... दिशा को इश्स बात से सहारा मिला! उसने जल्दी से कपड़े पहन लिए और दरवाजा खोल कर वाणी की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी... पहली बार जिंदगी में वो किसी से नज़रें चुरा रही थी... वो भी अपनी बेहन वाणी से!
वाणी ने कमरे में आते ही कहा," दीदी मुझे भी खिलाओ ना अपने साथ.... उस्स कातिल पर मासूम हसीना को ये मालूम नही था की.... ये खेल अच्च्चे घरों में छुप्कर खेला जाता है... किसी तीसरे के सामने यूँ खुले-आम नही!
दिशा कुच्छ ना बोली... कोई जवाब ना मिलते देख उसने इंतजार करना ठीक नही लगा... झट से बिना शरम अपना कमीज़ उतार दिया... जो खेल उसकी इतनी अच्च्ची दीदी खेल सकती है, उस्स खेल में शरम कैसी; फिर मज़ा भी तो बहुत था. उस्स खेल में...
वाणी उस्स रूप में सेक्स की देवी लग रही थी.. उसका यौवन समीज़ में से ही कहर ढा रहा था... उसकी छतियो के बीच की घाटी जानलेवा थी... दिल थाम देने वाली... 'कातिल घाटी'
जैसे ही दिशा को अपनी 'जवान' हो चुकी बेहन की स्थिति का पता चला; उसने मूड कर उसको बाहों में भर लिया... उसके मदमस्त यौवन को च्छूपा लिया... अपने यार की नज़रों से... और अपने से साटा उसको दूसरे कमरे में ले गयी... शमशेर मूक बना रहा... सिर्फ़ दर्शक और फिर दर्शक भी नही रहा... दरवाजा बंद हो गया....
"दीदी, तुम मुझे यहाँ क्यूँ ले आई!" चलो ना खेलते हैं"
दिशा को कुच्छ बोलते ही ना बना.. वो नज़रें झुकाए रही.
वाणी बेकरार थी शमशेर के साथ 'खेलने' को," मैं खेल आऊँ दीदी!"
दिशा ने मुश्किल से ज़बान हिलाई,"ये........ ये कोई खेल नही है वाणी" अब वाणी च्छुटकी नही रही!
वाणी: खेल क्यूँ नही है दीदी... कितना मज़ा आता है इसमें...!
दिशा: वाणी; ये ऐसा खेल नही है जो कोई भी किसी के साथ खेल ले!.... वो भावुक हो गयी.
वाणी के पास इश्स बात की भी काट थी," पर तुम भी तो खेल रही थी दीदी.... सर के साथ! मैं सोई नही थी... मैने सब देखा है!
दिशा: मैं उनसे प्यार करती हूँ वाणी..... ये बात उसने गर्व के साथ कही!
वाणी: तो क्या मैं सर से प्यार नही करती .... मैं सबसे ज़्यादा सर को प्यार करती हूँ... तुमसे भी ज़्यादा... और सर भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं... बेशक उनसे पूच्छ लो.
उस्स को ये भी मालूम नही था की प्यार... प्यार के अनेक रंग होते हैं... और ये रंग सबसे जुड़ा है... ये रोशनी से डरता है... और शादी से पहले... इश्स समाज से भी.
दिशा: वाणी, मैं उनसे शादी करना चाहती हूँ!
दिशा ने आखरी तीर छ्चोड़ा!
वाणी ने एक पल के लिए कुच्छ सोचा," दीदी मैं भी उनसे शादी कर लूँगी!
दिशा उसकी बात पर मुस्कुराए बिना ना रही... कितनी नादान और पवित्र है वाणी!
दिशा: पागल; तू अभी बहुत छ्होटी है
वाणी: आप कौनसा बहुत बड़ी हैं दीदी, मुझसे 1 साल ही तो बड़ी हैं!
दिशा के पास अब बोलने के लिए कुच्छ नही बचा, सिवाय उसको बिना वजह बतायें ढँकने के लिए," चुप हो जा वाणी, तू बहुत बोलने लगी है... देख ऐसा कुच्छ नही हो सकता; कुच्छ नही होगा!"
वाणी जैसे कामतूर होकर बागी हो गयी," ठीक है दीदी मत खिलवाओ.... मैं कल राकेश के साथ खेलूँगी.."
दिशा क्या करती," ठीक है वाणी... मैं तुम्हारे साथ खेलूँगी... आ जाओ!"
वाणी थोड़ी नरम पड़ी," पर दीदी पूरा खेल तो लड़के के साथ ही खेला जाता है ना....
दिशा ने उसको आगे बोलने का मौका ही नही दिया.... उसके जालिम होंटो पर अपने रसीले होंट टीका दिया.... जैसे दो बिजलियाँ आसमान में टकराई हों........
दोनों एक दूसरे से चिपक गयी... दिशा सिर्फ़ उसको खुश कर रही थी. पर वाणी का जोश देखने लायक था... वो इश्स तरह दिशा को चूम रही थी जैसे वो बरसों से ही अपनी दीदी को भोगने का सपना देख रही हो... दिशा भी गरम होती जा रही थी... उसने वाणी को अपने उपर लिटा लिया और समीज़ के नीचे से अपने हाथ वाणी की कमर में पहुँचा दिए... वाणी भी पीछे नही थी... अपने होंटो की दिशा के बदन पर जगह जगह छाप छ्चोड़ रही थी.. हर छाप के साथ दिशा की सिसकिया बढ़ती गयी... उसके सामने लगातार शमशेर का चेहरा घूम रहा था... वो भी उत्तेजित होती गयी... दिशा ने वाणी के कमाल के चिकने चूतदों को अपने हाथों में पकड़ कर दबा दिया... दिशा की आँखें बंद हो गयी... उसने रेएक्ट करना बंद कर दिया... और नीचे लुढ़क गयी और वाणी को अपने उपर खींचने लगी... दिशा और वाणी को इश्स खेल का आगे का ज्ञान अपने आप होता गया..
उन्होने अपने अपने कपड़े उतार फैंके... शरम और झिझक वासना की गोद में जाकर कहाँ टिकती.
दिशा ने वाणी की चूची पर एक हाथ रखकर उसके होंटो में जीभ घुसा दी. एक युद्ध सा चल रहा था; दो वासनाओ का... दो सग़ी वासनाओ का...
वाणी ने भी दिशा की चूचियों को सहलाना, दबाना और मसलाना शुरू कर दिया... दिशा ने अपना हाथ नीचे ले जाकर वाणी की चिर यौवन चूत की फांकों मे दस्तक दी... वाणी की आँखें पथारा गयी... ऐसा अहसास वाणी को पहले भी हो चुका था... सर की 'टाँग' पर...
उसने दिशा की जीभ से अपने होंटो को आज़ाद किया और अपने दाँत दिशा की चूचियों पर गाड़ा दिए... जैसे वो पिएगी नही... खा जाएगी उनको...
ऐसा करते ही दिशा की 'शमशेर प्यासी' चूत फिर फेडक उठी... उसने वाणी का मुँह पीछे कर दिया, अपनी चूत के सामने... और उसकी निराली, अद्वितीया चूत पर किस करने लगी, बेतहासा!.... 1 साल पहले उसकी भी तो वैसी ही थी... अब थोड़ा रंग बदल गया... अब थोड़े बॉल आ गये..
वाणी को भी अपनी चूत पर हमला होते देख... बदला लेने में वक़्त ना लगा... उसने दिशा की चूत के दाने को होंटो में लेकर सुसका दिया. अब दोनों के हाथ एक दूसरे की गंदों पर रेंग रहे थे... दोनों के होंट एक दूसरे की चूत को चूस रहे थे... जो एक कर रही थी दूसरी भी वही कर रही थी... इसको
कहते हैं... 'पर्फेक्ट 69'.... कयामत की रात थी... बार बार योनि में रस की बरसात होने पर भी वो लगी रहती... जब तक एक का काम तमाम होता... दूसरी भड़क जाती और सिलसिला करीब आधा घंटा चलता रहा...
उधर शमशेर उसी च्छेद से आँख लगाए, अपनी बरी की प्रतीक्षा करता रहा... इश्स रासलीला में शामिल होने के लिए... वो बिल्कुल शांत था... बिल्कुल......निसचिंत!
दिशा के बदन की प्यास शमशेर को अपने में सामने के लिए बढ़ती जा रही थी... पर वाणी के लिए तो यह सब सिर्फ़ एक खेल था... सबसे ज़्यादा मज़ा देने वाला खेल....
दिशा ने सिसकती हुई आवाज़ में अपने यार को पुकारा," शमशेर्र्ररर!"
वाणी ने दिशा को सर का नाम लेने पर एक बार हैरत से देखा और फिर से 'खेल' में जुट गयी!
शमशेर ने अंजान बन'ने का नाटक किया," वाणी सो गयी क्या; दिशा!"
"कुच्छ नही होता; तुम जल्दी आ जाओ!" दिशा की आवाज़ में तड़प थी.
शमशेर ने दरवाजा खोला," मानो स्वर्ग पहुँच गया हो... स्वर्ग की दो अप्सराए उसके सामने कहर ढा रही थी... एक दूसरी पर...
दिशा शमशेर के सामने जाते ही वाणी को भूल गयी, वा उठी और शमशेर से चिपक गयी... वाणी इंतज़ार कर रही थी... देख रही थी... आगे कैसे खेला जाता है... फिर उसको भी खेलना था... वो भी नंगी ही शमशेर को निहार रही थी.... उसको दोनों का ये मिलन बड़ी खुशी दे रहा था..
शमशेर ने फिर से दिशा को उठा लिया और बेड पर लिटा दिया... वाणी बोली, मुझे भी लेकर जाओ सर जी; ऐसे ही... शमशेर ने एक पल दिशा को देखा... उसकी आँखों में कोई शिकायत नही थी... थी तो बस... जल्दी से औरत बन-ने की तमन्ना..
शमशेर ने वाणी को ऐसे ही गोद में उठा लिया... दिशा मुस्कुरा रही थी... आँखें बंद किए!
दिशा से इंतजार नही हो रहा था; उसने शमशेर की पॅंट पर हाथ लगा दिया.. अपने यार के हथियार को मसालने लगी!
शमशेर ने देर नही की... वो भी कब से तड़प रहा था... आख़िर कंट्रोल की भी हद होती है...
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