RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर उठ कर बाहर आया और वाणी के पास जाकर झुकक कर बोला," आइ लव यू टू
बेबी!
वाणी ने अपनी कोमल बाहें 'सर, के गले में डाल दी और दो आँसू टपका दिए.... उसकी गर्दन के पास! शमशेर ने उसको अपनी बाहों में भीच लिया.... अब उसको वाणी के तन से नही केवल मन से लगाव था......
दिन बीत गया... दिशा का इंतज़ार ख़तम होने वाला था. दिशा और वाणी ने खाना खाया और शमशेर का खाना लेकर उपर चली गयी... वाणी की झिझक अभी भी दूर नही हुई थी... उसके दिमाग़ में कल वाली बात ज्यों की त्यों थी... वो जाते ही सीधी अंदर वाले कमरे में जाकर लेट गयी. उसका मुँह दीवार की और था....वह चाह रही थी.... सर आकर उसको कहें," तू मेरे पास क्यूँ नही आती वाणी...." पर शमशेर का ध्यान तो आज दिशा पर था...सिर्फ़ दिशा पर!
दिशा ने खाना टेबल पर रख दिया... उसका मॅन था वो सर के पास ही बैठ जाए... उससे बात करे... पर बिना वाणी उसको शमशेर के पास बैठना अजीब सा लगा... वो जाकर वाणी की खाट पर ही लेट गयी... उसका चेहरा वाणी के चेहरे की और था... और आँखें लगातार शमशेर को देख रही थी... खाना खाते हुए...
अजीब सी कसंकस थी उसके दिल में, कल कैसे उसने शमशेर का गला पकड़ लिया था... फिर भी वो कुच्छ ना बोला... पर उसकी शांत आँखें शायद सब कह रही थी... शायद शमशेर को मुझसे पहले ही दिन प्यार हो गया था... मुझसे तो किसी को भी प्यार हो सकता है' उसको खुद पर नाज़ हो रहा था! पर उसको कभी किसी से प्यार नही हुआ... शमशेर से पहले! वो खुद ही सोच सोच कर शर्मा रही थी... उसने कल शमशेर को किस बिंदास तरीके से बोल दिया था..."यस आइ लव यू!"... उसकी आँखों में शमशेर के लिए अथाह प्यार था.... क्या शमशेर भी आज उसके शरीर पर अपने प्यार की मोहर लगा देगा? वा सोचकर ही पिघल गयी... उसने वाणी की टाँग उठा कर अपनी जांघों के बीच रख ली और ज़ोर से दबा दी.... वाणी ने आँखें खोल कर दिशा को देखा और फिर से आँखें बंद कर ली... वो सो नही सकती थी... वो भी शमशेर का इंतज़ार कर रही थी... की वो आकर उसको उठा ले जाए और बेड पर अपने साथ सुला ले... अपनी छति से लगाकर...!
शमशेर ने खाना खाकर दिशा को देखा वो रात हो सकने तक इंतज़ार नही कर सकता था... उसने दिशा की तरफ एक 'किस' उच्छल दी.. दिशा ने भी जवाब दिया अपने तरीके से... उसने शमशेर की आँखों में आँखें डाली... उसको कसक से देखा... जैसे उसके पास पहुँच गयी हो और वाणी के गालों पर एक चुंबन जड़ दिया!
दिव्या चौंकी; उस्स चुंबन में वो बात नही थी जो दिशा अक्सर उसको लड़ते हुए करती थी... इश्स चुंबन में तो कोई और ही बात थी!
होती भी क्यूँ ना; ये चुंबन उसके लिए नही था... ये चुंबन तो शमशेर के लिए था... उसकी 'फ्लाइयिंग किस का जवाब'....
जैसे जैसे रात अपने पाँव पसारती रही, दिशा का दिल बैठता गया... आज शमशेर उसको.... सोचने मात्रा से ही उसके बदन में लहर सी दौड़ जाती. उसको अपने जिस्म की कीमत का अहसास होने के बाद किसी लड़के ने 'उस्स नज़र' से कभी हाथ तक नही लगाया था... उसकी जवानी एक दम फ्रेश थी... फार्म फ्रेश! ऐसी बातों से वा इतनी चिढ़ती थी की उसकी सहेलियाँ तक उसके सामने 'ऐसी' बातें करने से डरती थी. पर शमशेर ने जिस दिन से स्कूल में कदम रखे थे, वा बदलती जा रही थी... उसको अब लड़कों का घूर्ना भी इतना बुरा नही लगता था... वो ये सोचकर खुश हो जाती थी की उसके सर को भी मैं इतनी ही सुंदर और सेक्सी लगती होंगी!
दिशा का दिल बुरी तरह धड़कने लगा था; उसने वाणी को टोका,"वाणी!"
वाणी: हूंम्म?
वाणी तो जाग रही है... दिशा की बेशबरी बढ़ती जा रही थी," कुच्छ नही सो जा!"
वाणी धीरे से दिशा के कान में बोली,"दीदी, क्या सर सो गये?"
दिशा की नज़रें शमशेर की नज़रों से टकराई; वो बार बार उसको अपने पास आने का इशारा कर रहा था,"हुम्म!" दिशा ने वाणी को झहूठ बोल दिया ताकि वो सो जाए और वो जान सके की... 'ये प्यार कैसे होता है'
वाणी के दिल में ये बात अंदर तक चुभ गयी... फिर तो सर ने मुझे माफ़ नही किया... वरना वो उसके बगैर कैसे सो जाते....या सो भी जाते तो एक बार उसका दुलार तो करते.... सोचकर उसकी आँखें दबदबा गयी!
दिशा ने फिर टोका," वाणी!"
वाणी नही बोली; वो नाराज़ हो गयी थी... दिशा से भी.... सबसे!
दिशा ने उसको हिलाकर कहा," वाणी".... वो ना उठी... वो बोलना ही ना चाहती थी..
दिशा ने सोचा वो सो गयी है.. मिलन की घड़ी करीब आ गयी... दिशा का गला सूख गया...
शमशेर ने उसको फिर इशारा किया, आने का.... आज वो बहुत सुंदर लग रहा था.... उसके सपनों के राजकुमार जैसा!
वो धीरे से उठी ताकि वाणी जाग ना जाए... दरवाजे की और बढ़ी; पर उसके कदमों ने जवाब दे दिया... जैसे किसी ने बाँध दिए हों... शरम और डर की बेड़ियों से!
वा आगे ना चल पाई और अपनी खाट पर लेट गयी... उसकी तो अब आँखें भी हिम्मत हार गयी... वो मारे शरम के बंद हो गयी... पहले शमशेर को वो तो छ्छू रही थी... उसकी आँखें....!
शमशेर से अब और सहन नही हो रहा था. वो धीरे से उठा और दिशा की चारपाई के पास जा पहुँचा... दिशा आहट सुनकर चारपाई से चिपक गयी... पता नही अब क्या होगा... उसने आँखें बंद कर ली थी... उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था... वा समर्पण को तैयार थी; पूरी तरह... उसने तंन मॅन से शमशेर को अपना मान चुकी थी सिर्फ़ अपना.
शमशेर उसकी चारपाई के पास बैठ गया, दिशा उल्टी लेटी हुई थी. उसके बदन की पिच्छली गोलाई और उसका मच्हली जैसा बदन कहर ढ़हा रहा था; वा उसको भोगने को लालायित था... जो उसका ही हो जाना चाहता था... जिंदगी भर के लिए... शमशेर का ये कोई पहला अनुभव नही था, फिर भी उसके हाथ काँप रहे थे उस्स को छ्छूते हुए!
शमशेर ने अपना एक हाथ दिशा की कमर पर टीका दिया और झुक कर उसकी गर्दन से उसके रॅश्मी लंबे बॉल हटाए और वहाँ अपने होंट रख दिए; दिशा शर्म के मारे मरी जा रही थी... उसके मुँह से निकला,"इस्शह!" शमशेर कपड़ों के उपर से ही उसको महसूस करने लगा... उसकी नाज़ुक कमर... कमर से नीचे सूरमाई कटाव...
कटाव से नीचे... उस्स अद्भुत प्रतिमा की गोलाइया... या हमारी भाषा में......
उसकी गांद... जैसे वहाँ आकर सब कुच्छ ख़तम हो जाएगा... जैसे उन्न गोलाइयों पर 'जीनीन पार्ट' की मोहर लगी हो... शमशेर तप गया... उनकी आँच में!
शमशेर ने दिशा को अपने हाथ से पलट दिया... और वो पलट गयी...जैसे पलटना ही चाहती थी... शमशेर की नज़र वाणी पर गयी... वो सो रही थी... चेहरा दूसरी तरफ किए.. शमशेर उसके अगले हिस्सों पर अपनी कामपति अँगुलियन चलाने लगा... जैसे वीना के तार च्छेद रहा हो... उस्स वीना में से निकली धुन अद्भुत थी... "आहह...आहह...आहह....!" दिशा के जिस्म पर जिस अंग पर शमशेर का हाथ
चलता... दिशा को महसूस होता जैसे वो कट कर गिर जाएगा... शमशेर के साथ जाने के लिए... उससे जुदा होकर! दिशा के लबों की लरज अत्यंत कमनीया थी... वो फेडक रहे थे... दिशा चाहती थी शमशेर उनको काबू में कर ले... और शमशेर ने काबू कर लिए... अपने होंटो से... दिशा के होंट... दिशा में से मादक महक निकल कर शमशेर में समाती जा रही थी.. उसने अपने दोनों हाथ शमशेर के चेहरे पर लगा दिए... ये दिखाते हुए की हां... वो तैयार है... उसकी दुल्हन बन-ने के लिए.... आज ही... आज नही; अभी, इसी वक़्त! शमशेर ने अपनी बाहें दिशा की कमर और उसकी चिकनी जांघों के नीचे लगा दी... और सीधा खड़ा हो गया... वो उसकी बाहों में समर्पण कर चुकी थी... वो दूसरे कमरे में चले गये... और वाणी को दूसरे कमरे में क़ैद कर दिया... अकेलापन पाने के लिए...
शमशेर दिशा को बाहों में उठाए उठाए ही देखता रहा; उपर से नीचे तक... उसकी आँखें बंद थी... उसका चेहरा गुलाबी हो चुका था... उसके सुर्ख लाल होंट प्यासे लग रहे थे... उसकी छातिया ज़ोर ज़ोर से धड़क रही थी उसके दिल के साथ... कुल मिलकर दिशा का हर अंग गवाही दे रहा था... वो समर्पण कर चुकी थी...
शमशेर ने धीरे से उसको बेड पर लिटा दिया... और आखरी बार उसको निहारने लगा... अब उन्हें लंबी उड़ान पर निकलना था... प्यार की उड़ान पर...
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