College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
11-26-2017, 12:52 PM,
#20
RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर को भी पता नही क्यूँ पहली बार किसी के उससे प्यार के बारे में इतनी देर से पता चला... शायद पहले'प्यार'...'प्यार' नही सिर्फ़ वासना थी... " लगता है तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है?" "यस, आइ लव यू!" दिशा ने एलान कर दिया.... इश्स बार उसके होंट नही कांपे, सच्चाई पर जो अडिग थे! शमशेर ने अपने होंटो से उसके होंटो पर ठहरे 'उस्स' आँसू को चखा.... वो सच में ही प्यार का आँसू था. दिशा ने अपने आपको शमशेर के अंदर समाहित कर लिया.... उसको अब कोई डर नही था... कुच्छ देर वो निशब्द एक दूसरे में समाए रहे....फिर शमशेर ने कहा," कल रात को यहीं आ जाना.... सोने के लिए....मेरे साथ" दिशा को उससे अलग होते हुए अजीब सा लग रहा था... एक दिन का इंतज़ार मानो सालों का इंतज़ार था... पर उसका दिल उच्छल रहा था... सीढ़ियों से उतरते हुए... उसकी छतियो के साथ..... अगले दिन जब वाणी उठी..... उसको सच में ही बुखार था... वो स्कूल नही गयी... दिशा भी नही! सोमवार को शमशेर लॅबोवरेटरी में बैठा था. रिसेस से पहले उसके 2 पीरियड 'प्रॅक्टिकल सेशन' थे, 10थ क्लास के लिए. शमशेर ने उनकी क्लास नही ली... क्यूंकी इश्स टाइम पर उसने दिव्या को अपने पास बुलाया था...लॅब में. उसने 10थ वाले बच्चों को उनकी क्लास में ही काम दे दिया था; याद करने के लिए. 4थ पीरियड की बेल लगने के 5 मिनिट बाद दिव्या उसके पास पहुँच गयी. शमशेर वहीं बैठा था, अलमारियों के पीछे, चेअर् पर. दिव्या की जान सूख्ती जा रही थी," ससिररर...आपने मुझे 4थ पीरियड में बुलाया था!" दिव्या सहमी हुई थी! "हां बुलाया था!" शमशेर सीरीयस होने की एकदम सही आक्टिंग कर रहा था.. जबकि उसके मॅन में दिव्या को प्यार का वही खेल; अच्छे तरीके से सीखने की इच्च्छा थी.. जो वो कल वाणी को सीखा रही थी. "ज्ज्जिई; क्या काम है ससररर!" शमशेर: वो कल क्या चल रहा था... मेरे कमरे में दिव्या: क्क्याअ. ..सर! शमशेर: वाणी के साथ! दिव्या: आइ आम सॉरी सर; मैं आइन्दा कभी ऐसा नही करूँगी.. शमशेर: क्यूँ दिव्या कुच्छ ना बोली.. शमशेर ने कड़क आवाज़ में कहा," तुम्हे सुनाई नही दिया!" दिव्या: सीसी..क्योंकि...क्योंकि ज़ीर वो.....ग़लत काम है. वो डर के मारे काँप रही थी. शमशेर: क्या ग़लत काम है! दिव्या फिर कुच्छ ना बोली. शमशेर: देखो अगर अब की बार तुमने मेरे एक भी सवाल का जवाब खुल कर नही दिया तो मैं तुम्हारे मा बाप को बुल्वाउन्गा.. और तुम्हे स्कूल से निकलवा दूँगा; समझी! दिव्या: जी सर! उसने तुरंत जवाब दिया. शमशेर: तो बोलो! दिव्या: क्या सर? शमशेर: कौनसा काम ग़लत है? दिव्या: सर वो जो हम कर रहे थे! उसके जवाब अब जल्दी मिल जाते थे. शमशेर: क्या कर रहे थे तुम? दिव्या: सर... वो खेल रहे थे... शमशेर: अच्च्छा, खेल रहे थे! दिव्या ने नज़रें नीची कर रखी थी शमशेर: किसने सिखाया तुम्हे ये खेल? दिव्या: सर... वो सरिता के भैईई ने; वो जो सरपंच का बेटा है... शमशेर: सरिता को बुलाकर लाओ! दिव्या चली गयी.... थोड़ी देर बाद; सरिता और दिव्या दोनो शमशेर के पास खड़ी थी. शमशेर: सरिता, तुम्हारे भाई ने दिव्या को एक खेल सिखाया है... पूछोगि नही कौनसा? सरिता ने नज़रें नीची कर ली... उसको पता था वो लड़कियों को कौनसा खेल सिखाता है. दिव्या ने मौका ना चूका; अपराध शेर कर लिया, सरिता के साथ," सर उसने इसको भी वो खेल सीखा रखा है! राकेश बता रहा था कल" सरिता सिर झुकाए खड़ी रही, उसको बदनामी का कोई डर नही था...अब कोयले को कोई और कला कैसे करेगा! है ना भाई! शमशेर: तो क्या तुम दोनो को स्कूल से निकाल दें? सरिता: सॉरी सर, आइन्दा ऐसा नही करेंगे! उसकी 'सॉरी' इश्स तरह की थी की जैसे उसको किसी ने नकल करते पकड़ लिया हो! शमसेर: तुम क्लास में जाओ, थोड़ी देर में बुलाता हूँ शमशेर सरिता के जाते हुए उसकी गांद को जैसे माप रहा था... बहुत खुली है... सरिता! शमशेर: हां दिव्या, अब बोलो उसने क्या सिखाया था! दिव्या: सर उसने इनको दबाया था... शमशेर: किनको? तुम्हे नाम नही पता? दिव्या: (अपना सिर झुकते हुए) जी पता है... शमशेर: तो बोलो! दिव्या: जी चूचियाँ.. वा अपने सर के सामने ये नाम बोलते हुए सिहर उठी शमशेर: हां तो उसने क्या किया था? दिव्या: सर उसने मेरी चूचियों को दबाया था... वह सोच रही थी.. सर मुझे ऐसे शर्मिंदा करके मुझे सज़ा दे रहे हैं... शमशेर: कैसे? दिव्या ने अपनी चूचियों को अपने हाथ से दबाया... पर उसको वो मज़ा नही आया. शमशेर: ऐसे ही दबाया था या कमीज़ के अंदर हाथ डालकर... दिव्या हैरान थी... सर को कैसे पता( उसको नही पता था सर इश्स खेल के चॅंपियन हैं) दिव्या: जी अंदर डालकर भी... शमशेर: कैसे? दिव्या अब लाल होती जा रही थी... उसने झिझकते हुए अपना हाथ कमीज़ के अंदर डाल दिया... उसके पेट से कमीज़ उपर उठ गया और उसके पेट का नीचे का हिस्सा नंगा हो गया... उसकी नाभि बहुत सुंदर थी... और पेट से नीचे जाने वाला रास्ता भी. शमशेर: फिर? दिव्या ने सोचा, वाणी से सर ने सबकुच्छ पूच्छ लिया है, च्छुपाने से कोई फायडा नही.... दिव्या: सर फिर उसने इनको चूसा था! शमशेर: नाम लेकर बोलो! दिव्या हर 'कैसे' पर जैसे अपने कपड़े उतारती जा रही थी," जी उसने मेरी चूचियों को चूसा था.... शमशेर का फिर वही सवाल," कैसे" अब दिव्या चूस कर कैसे दिखाती, उसकी जीभ तो उसकी छतियो तक पहुँच ही नही सकती थी, फिर भी उसने एक कोशिश ज़रूर की अपनी जीभ निकाल कर चेहरा नीचे किया अपना कमीज़ उपर उठा कर अपनी चूचियों को सर के सामने नंगी करके उनको छूने की कोशिश करती हुई बोली,"सर, ऐसे!" उसकी चूचियाँ बड़ी मस्त थी, वाणी की छतियो से बड़ी... उनके निप्पल एक अनार के मोटे दाने के बराबर थे. शमशेर उन्हे देखकर मस्त हो गया... ऐसा अनुभव पहली बार था और सूपरहिट भी था... शमशेर ने कल ही ये प्लान तैयार कर लिया था," इन्हें चूस कर तो दिखाओ..." दिव्या भी गरम होती जा रही थी," सर मेरी जीभ नही जाती" शमशेर: तो मैं चूसूं क्या? दिव्या को जैसे करेंट सा लगा; क्या उसके सर उसके साथ गंदा खेल खेलेंगे!.... वा खामोश खड़ी रही... उसकी कच्च्ची गीली हो गयी! शमशेर ने सरिता को बुलाकर लाने को कहा...! 

दिव्या ने अपने आपको ठीक किया और सरिता को बुला लाई.. दोनों आकर खड़ी हो गयी... शमशेर: यही बात सरिता को बताओ और उससे कहो राकेश की तरह वो करके दिखाए. दिव्या: सरिता, राकेश ने मेरी चूचियों को चूसा था. अब तुम चूस कर सर को दिखाओ!.... जब सर के सामने ही बोल चुकी थी तो सरिता से क्या शरमाना!... वो कहते हुए मस्ती से भरी जा रही थी... डरी हुई मस्ती से! सरिता ताड़ गयी, सर रंगीले आदमी हैं, उसने दिव्या का कमीज़ उपर उठाया और उसकी एक चूची को मुँह में ले लिया और आँख बंद करके चूसने लगी... जैसे उनका दूध निकाल रही हो! वो पर्फेक्ट लेज़्बीयन मालूम हो रही थी. दिव्या सिसक उठी... ऐसा करते हुए सरिता की गांद सर के बिल्कुल सामने थी, उसके तने हुए लंड से बस 1 फुट दूर.... शमशेर ने उसके एक चूतड़ पर अपना हाथ रख कर देखा... वो मस्त औरत हो चुकी थी. शमशेर: बस...!.... उसके ऐसा कहते ही सरिता ने अपने होंट हटा लिए.... जैसे शमशेर ने कोई रिमोट दबाया हो...! सरिता इश्स तरह से सर को देखने लगी जैसे बदले में उससे कुच्छ माँग रही हो... दिव्या अब भी डरी हुई थी. शमशेर: ऐसे ही! दिव्या:" जी," उसकी साँसे तेज हो गयी तही..... उसकी छातिया उपर नीचे हो रही थी! शमशेर: इतना ही मज़ा आया था? दिव्या: जी सर सरिता ने विरोध किया," नही सर, जब कोई लड़का चूस्ता है, असली मज़ा तो तभी आता है" उसके हाथ अपनी मोटी मोटी चुचियों पर जा पहुँचे थे; जो ब्रा में क़ैद थी. शमशेर: झहूठ क्यूँ बोला, दिव्या! दिव्या: सॉरी सर!.... उसका डर अब कम होता जा रहा था... और पूरा खेल खेलने की इच्च्छा बढ़ती जा रही थी... शमशेर: तो बताओ, कितना मज़ा आया था? दिव्या: सर कैसे बताओन, यहाँ कोई लड़का थोड़े ही है? शमशेर: मैं क्या 'छक्का' हूँ! दिव्या: पर सर... आप तो 'सर' हैं... शमशेर इश्स बात पर ज़ोर से हंस पड़ा... उसको एक चुटकुला याद आ गया. दो औरतें शाम ढले सड़क किनारे पेशाब कर रही होती है... तभी एक आदमी को साइकल पर आता देख दोनो सलवार उठा कर अपनी चूत ढक लेती हैं... जब वो पास आया तो उनमें से एक बोली," अरी ये तो 'बच्चों का मास्टर था; बिना बात जल्दबाज़ी में अपनी सलवार गीली कर ली पर उसने दिव्या से कहा," मैं चूस के दिखाउ तो बता देगी कितना मज़ा आया था. दिव्या: जी सर! .... उसकी नज़र नीचे हो गयी. शमशेर ने दिव्या को अपनी बाहों में इश्स प्रकार ले लिया की उसके पैर ज़मीन पर ही रहे... शमशेर का दायां हाथ उसकी गांद को संभाल रहा था और बयाँ उसके कंधों को संभाले हुए था... उसने पहले से ही नंगी एक चूची पर अपने होंटो को फैला दिया... दिव्या बहक रही थी... वो पूरा खेल खेलना चाहती थी! सरिता को ये 'ड्रामा' देखते काफ़ी वक़्त हो गया था... वो और वक़्त जाया नही जाने देना चाहती थी... वा शमशेर के पास घुटनो के बल बैठ गयी और शमशेर के आकड़े हुए 8" को आज़ाद कर लिया.. यह शमशेर के लिए अकल्पनिया दृश्या था... थ्रीसम सेक्स! सरिता एक खेली खाई लड़की थी और शमशेर को पहली बार पता चला... सेक्स में एक्षपेरियँसे की अलग ही कीमत होती है... वह तो नयी कलियों को ही खेल सीखने का इच्च्छुक रहता था... और आज तक उसने किया भी ऐसा ही था... पर आज..... सरिता के मुँह में लंड को सर्ररर से जाता देख वा 'सस्स्स्शह' कर उठा. सरिता सच में ही एक वैसया जैसा बर्ताव कर रही थी... सरिता का भी 'बिल्ली के भागों छ्चीका टूटा' वाला हाल था.... वा इश्स वक़्त अपना सारा पैसा वसूल कर लेना चाहती थी... वा कभी सर के सुपारे पर दाँत गाड़ा देती तो शमशेर भी अपने दर्द को अपने दाँत दिव्या के निप्पल पर गाड़ा कर पास कर देता... इश्स तरह से तीनों का एक ही सुर था और एक ही ताल.... अचानक तीनों जैसे प्यासे ही रह गये जब बाहर से पीयान की आवाज़ आई," सर आपको मॅ'म बुला रही हैं... तीनों बदहवास थे... सर ने अपनी पेंट को ठीक किया.... दिव्या ने अपना कमीज़... और.... सरिता अपनी सलवार का नाडा बाँध रही थी... वो अपनी चूत में उंगली डाले हुए थी.... "छुट्टी होते ही यहीं मिलूँगा, लॅब में; दोनो आ जाना, अगर किसी को बताया तो..." .....दोनो ने ना में सिर हिला दिया... शमशेर को पता था वो नही बताएँगी! 

छुट्टी से पहले ही शमशेर ने पीयान को कह दिया था की लॅब की चाबी मैने रख ली है... चोवकिदार 7 बजे से पहले आता नही था... कुल मिलाकर वहाँ 'नंगा नाच' होने का फुल्लप्रूफ प्लान था... छुट्टी होते ही दोनो लड़कियाँ लॅब में पहुँच चुकी थी; अलमारियों के पीछे! सरिता: थॅंक्स; तूने मेरा नाम ले दिया दिव्या; वह कुर्सी के डंडे पर अपनी चूत रखकर बैठी थी... इंतज़ार उसके लिए असहनिया था. दिव्या: दीदी, तुम्हे डर नही लगता. सरिता: अरे डर की मा की गांद साले की; ये तो मैं पहचान गयी थी की ये मास्टर रंगीला है... पर इतना रंगीला है; ये पता होता तो में पहले ही दिन साले से अपनी चूत खुद्वा लेती... बेहन चोद... उसने सलवार के उपर से ही अपनी चूत में उंगली कर दी...हाए! दिव्या: तो क्या दीदी, सर अब कुच्छ नही करेंगे? सरिता: अरे करेंगे क्यो नही! इब्ब तेरी भी मा चोदेन्गे और मेरी भी... देखती जा बस तू अब... पिच्चे हट जाइए. पहले मई करूँगी, फेर तेरा. नंबर लाइए.. इब्बे तो यो मास्टर काई जगह काम आवेगा. बस एक बात का ध्यान राखियो, इश्स बात का किटे बेरा ना पटना चाहिए... ना ते यो म्हारे हाथ से जाता रवेगा. इससके पिच्चे तो पुर गाम की रंडी से... दिव्या: ठीक है दीदी, मैं किसी को नही बतावुँगी! तभी वहाँ सिर आ पहुँचे. पुर 3 पीरियड से उसका लंड ऐसे ही खड़ा था; सरिता ने उसकी ऐसी सकिंग की थी. आते ही कुर्सी पर बैठकर बोला: जो जहाँ था वहीं आ जाओ! सरिता: सर जी सज़ा बाद में दे लेना, पहले एक रौंद मेरे साथ खेल लो! मेरी चूत में खुजली मची हुई है... शमशेर उसके बिंदास अंदाज का दीवाना हो गया, सकिंग का तो रिसेस से पहले ही हो गया था. उसने सरिता को कबूतर की तरह दबोच लिया... ये कबूतर फड़फदा रहा था... 'जीने' के लिए नही....अपनी मरवाने के लिए... सरिता पागल शेरनी की भाँति टेबल पर जा चढ़ि, और कोहनी टेक कर अपना मुँह खोल दिया, सर के लंड को लेने के लिए... शमशेर ने भी सरिता के सिर को ज़ोर से पकड़कर अपना सारा लंड एक ही बार में गले तक उतार दिया..... दिव्या दोनों को आँखें फाडे देख रही थी... दोनों इश्स खेल के चॅंपियन थे, एक पुरुष वर्ग में दूसरी महिला वर्ग में.... सरिता ने अपनी गांद उची उठा रखी थी, शमशेर ने जोश में बिना गीली किए उंगली उसकी गांद में फँसा दी... वा पिच्चे से उच्छल पड़ी... पर वा हारने वाली नही थी... उसने एक हाथ में शमशेर के टेस्टेस पकड़ लिए, के तू दर्द देगा तो में भी दूँगी... सरिता कभी सर के लंड को चाट-ती कभी चूमती और कभी चूस्टी... शमशेर का ध्यान दिव्या पर गया; वह भी तो खेलने आई थी.. उसने दिव्या को टेबल पर चढ़ा दिया; सरिता के सिर के दोनो और टाँग करके... सरिता को कमर से दबाव देकर चौपाया बना दिया..... अब दिव्या का मुँह सरिता की चूत के पास; और दिव्या की चूत ... सर के मुँह के पास... अजीब नज़ारा था...(आँख बंद करके सोचो यारो; दिखाई देगा!), सर की जीभ दिव्या की चूत में कोहराम मचा रही थी, नयी खिलाड़ी होने की वजह से उसको उंगली में ही इतना मज़ा आ रहा था की वो झाड़ गयी... एक ही मिनिट में... पर शमशेर ने उसको उठाने ही नही दिया...वह कभी उंगली चलाता कभी जीभ... कुल मिलकर उसने 2-3 मिनिट में ही उसको खेलने के लिए फिट बना दिया, वो फिर से मैदान में थी... क्या ट्रैनिंग चल रही थी उसकी!... बिंदास! दिव्या का मुँह सरिता की चूत तक नही पहुँच रहा था.. व्याकुलता में उसने सरिता के चूतदों को ही खा डाला... सरिता बदले में सर के लौदे को काट खाती... और सर दिव्या की चूत पर दाँत जमा देते... कभी सिसकियाँ... कभी चीत्कार... कभी खुशी कभी गुम... सरिता को भी पता चल चुका था की सर मैदान का कच्चा खिलाड़ी नही है... वो उसके रूस को पीना चाहती थी पर 20 मिनिट की नूरा कुस्ति के बाद भी वह उसको नही मिला... वह थक चुकी थी... और दिव्या तो हर 5 मिनिट बाद पिचकारी छ्चोड़ देती! टू बी कंटिन्यूड....
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RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल - by sexstories - 11-26-2017, 12:52 PM

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