RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल'स स्कूल --३
शमशेर को वापस भी जाना था। अगर किसी ने उसको यहा देख लिया तो अंजलि के लिए प्राब्लम हो सकती थी। वो दोनों बाथरूम गये और नहाने लगे. अंजलि प्यार से उसकी छाती और कमर को मसल रही थी. वा बार बार उसको किस कर रही थी...पर शमशेर का ध्यान कहीं और था. वो दिशा के बारे में सोच रहा था. कस्स! वो लड़की हाथ आ जाए. अगर उसे उनके घर में रहने को मिल जाए तो काम बन सकता है. दिशा जैसी सेक्सी लड़की उसने आज तक नही देखी थी तौलिए से शरीर पौछ्ते हुए वो अंजलि से बोला," मकान का क्या रहा?" "वो हो जाएगा, तुम चिंता मत करो!" अंजलि ने पूरा अपनापन दिखाते हुए कहा. फिर बोली, ये गाड़ी किसकी लाए!" "अपनी ही है और किसकी होगी?" "तो फिर उस्स दिन बस में क्यूँ आए.?" "अरे वो भिवानी मेरा दोस्त है ना. वो लेकर आया था किसी काम के लिए, फिर मुझे भिवानी आना ही था तो मैने उसको बोल दिया की अभी अपने पास ही रखे" कौनसी है?अंजलि ने पूचछा! "स्कोडा ओक्टिवा!" क्यूँ? अंजलि: कुच्छ नही, बस ऐसे ही. शमशेर ने अंजलि को अपने सीने से लगाया और दोनों हाथों से उसकी गांद को दबाकर एक लंबी फ्रेंच किस दी और बोला," सॉरी जान, अब जाना पड़ेगा. सुबह स्कूल में मिलते हैं" अंजलि ने भी पूरा साथ दिया,"हां पता है! शमशेर ने कपड़े पहने और निकल गया! उधर छुट्टी के बाद घर जाते ही दिशा ने वाणी को उपर बुलाया. वहाँ 2 कमरे बने हुए थे जिनका कोई यूज़ नही होता था. एक रूम की खिड़की से जीना पूरा दिखाई देता था. दूसरा कमरा उससे अटॅच था जो बाहर की और भी खुलता था. वाणी ने उपर आते ही बोला,"हां दीदी?" दिशा: यहीं रहेंगे ना अपने सर. वाणी: हां, पर पापा से पूच्छ तो ले. दिशा: तू पूच्छ लेना ना. वाणी: पूच्छ लूँगी, पर तुझे क्या प्राब्लम है. दिशा: कुच्छ नही, पर तू ही पूच्छ लेना. जाने दिशा के मॅन में क्या चोर था. वो वाणी को समझाने लगी की क्या और कैसे कहना है. वाणी: मैं ये भी बोल दूँगी की बहुत स्मार्ट हैं. दिशा: धात पगली, इसीलिए तो तेरे को समझा रही हूँ! स्मार्ट होने से पापा के मान जाने का क्या कनेक्शन. उल्टा मना कर देंगे. वाणी: क्यूँ दीदी? दिशा: अब तू ज़्यादा स्वाल जवाब ना कर. जा बात कर ले पापा से. ध्यान रखना मैने क्या कहा है. वाणी: ठीक है दीदी. वाणी नीचे गयी अपने पापा के पास. उसके पापा की उमर 50 के पार ही लगती थी. खेती करते थे. घर का काम ठीक ठाक चल रहा था. मम्मी की उमर 40 के आसपास होगी. उसके पिता की ये दूसरी शादी थी. वाणी जाकर पापा की गोद में सिर रखकर लेट गयी. कुच्छ देर बाद बोली," पापा, बड़ी मॅ'म पूच्छ रही थी अगर हमारा उपर वाला मकान खाली हो किराए के लिए तो... पापा: लेकिन बेटा उनके पास तो काफ़ी अच्च्छा घर है अभी. वो खाली करवा रहे हैं क्या. वाणी: नही, अभी साइन्स के नये सर आए हैं. उनके लिए चाहिए. वाणी ने उनके चेहरे की और देखा. कुच्छ दिन पहले एक डॉक्टर उनके पास किराए पर रहने की पूच्छ रहा था. लेकिन अनमॅरीड होने की वजह से पापा ने मना कर दिया था. पापा: बेटी, क्या वो शादी- शुदा हैं? वाणी: पता नही, पर उससे क्या होता है. पापा: मैं कल स्कूल आउन्गा. फिर सोचकर बता दूँगा. वाणी: दे दीजिए ना पापा, हमें टूवुशन के लिए इतनी दूर नही जाना पड़ेगा. बहुत अच्च्छा पढ़ाते हैं.(दिशा ने उसको यही सिखाया था) प्लीज़ पापा मान जाइए ना. उसके पापा दोनों लड़कियों से बहुत प्यार करते थे. फिर उन्हे अपनी बेटियों पर भरोसा भी था. वो बोले,"ठीक है, तू ज़रा पढ़ाई कर ले मैं थोड़ी देर मैं बताता हूँ. उसके जाने के बाद वो अपनी पत्नी से बोला,"निर्मला, अगर वो कुँवारा हुआ तो!" निर्मला: आप तो हमेशा उल्टा ही सोचते हैं. क्या आपको दिशा पर यकीन नही है. आज तक उसने कोई ग़लती नही की. हर बात आकर मुझे बता देती है. वाणी को तो वो बच्ची ही समझती थी. पापा: वो तो ठीक है मगर... निर्मला: मगर क्या, बेचारियों को ट्यूशन पढ़ने के लिए कितनी दूर जाना पड़ता है. आप क्या हरदम उनकी रखवाली करते हैं. षर्दियो मैं तो अंधेरे हो जाता है आते आते. उपर से 1500 रुपए मिलेंगे वो अलग. क्या सोच रहे हैं जी, हां कर दीजिए. अनमने मॅन से दया चंद बोला," ठीक है फिर हां कर दो." निर्मला ने दिशा को आवाज़ लगाई. दिशा तो जैसे इंतज़ार में ही खड़ी थी. "हां मामी जी!अभी आई." निर्मला: बेटी एक बात तो बता. ये तुम्हारे जो नये सर हैं, कैसे हैं. दिशा: आपको कैसे पता मामी जी? निर्मला: अरे वो वाणी को उसकी बड़ी मॅ'म उपर वाले कमरों के लिए कह रही थी, तुम्हारे मास्टर के लिए; दे दें क्या? दिशा: देख लीजिए मामी जी. निर्मला: इसीलिए तो बेटी पूच्छ रही हूँ, कैसे हैं? दिशा: कैसे हैं का क्या मतलब; टीचर हैं, अच्च्छा पढ़ाते हैं, और क्या. निर्मला: बेटी, मैं सोच रही थी अगर उनको यहाँ रख लें, तो तुम्हे ट्यूशन की भी प्राब्लम नही रहेगी. दिशा: हां ये बात तो है मामी जी. ठीक है बेटी, जा पढ़ाई कर ले! दिशा जाने लगी. बेटी के लचकदार जिस्म को देखकर मामी जाने क्या सोचने लगी. उपर जाते ही दिशा ने वाणी को अपनी बाहों में भर लिया. वाणी ने खुश होकर पूचछा की क्या हुआ? दिशा: मामी ने हां कर दी, सर के लिए. वाणी ने चुटकी ली, "तुम तो बहुत खुश हो! कुच्छ चक्कर है क्या?" दिशा:धात! तू बड़ी शैतान होती जा रही है. वो मैने सिर को आज स्कूल में उल्टा सीधा कह दिया था ना. अब शायद वो मुझे माफ़ कर देंगे. आ चल सफाई करते हैं." दोनों ने मिलकर उपर वाले कमरों को अपनी तरफ से दुल्हन की तरह सज़ा कर तैयार कर दिया. दिशा बोली," आज हम उपर ही सोएंगे" "ठीक है दीदी" अगले दिन सुबह स्कूल जाते हुए दिशा और वाणी बहुत खुश थी. वाणी ने तो स्कूल जाते ही एलान कर दिया की सर हमारे घर रहेंगे. तभी स्कूल के बाहर एक चमचमाती स्कोडा रुकी. बच्चों ने ज़्यादा ऐसी कार देखी नही तो उसके चारों और इकट्ठे हो गये. जब उसमें से शमशेर उतरा तो वो पहले दिन से ज़्यादा स्मार्ट और सेक्सी लग रहा था. वाणी उसको देखते ही भाग कर आई और बोली, सर मम्मी ने बोला है आप हमारे घर में ही रहना! शमशेर: अच्च्छा! वाणी: हां सर, रहेंगे ना! शमशेर ने उसकी और देखते हुए कहा,"क्यूँ नही, वाणी" वाणी: सर, ये इतनी अच्छि गाड़ी आपकी है? शमशेर ने उसके कंधे को हल्का से दबाया," मेरी नही अपनी है" वाणी शमशेर को देखती रह गयी! इश्स छ्होटे से डाइयलोग ने उसपे जाने क्या जादू किया की उसको सर सिर्फ़ अपने से लगने लगे. वाणी दौड़ती हुई दिशा के पास गयी और बोली चल देख क्या दिखाती हूँ दीदी. स्कूल के बाहर लेजाकार उसने दिखाई, देख गाड़ी! गाँव में सच में ही वो गाड़ी अद्भुत लग रही थी. दिशा पहले तो उसको एकटक देखती रही फिर बोली, क्या देखूं इसका! वाणी: सर जी ने कहा है ये अपनी गाड़ी है. दिशा के दिमाग़ में भी इश्स बात का असर हुआ फिर संभाल कर बोली," चल पागल!" वाणी पर इसका कोई असर नही हुआ. वो उच्छलती कूदती वहाँ से चली गयी. बहुत खुश थी वो. शमशेर ऑफीस में दाखिल हुआ,"गुड मॉर्निंग मॅ'म" अंजलि की आँखो में कशिश थी, अपनापन था. लेकिन कॉंटरोल्ल करके बोली," गुड मॉर्निंग मिस्टर. शमशेर! कहिए कैसे हैं! शमशेर: जी अच्च्छा हूँ, आपकी दया से! हां वो मेरे रूम का अरेंज्मेंट हो गया है. अंजलि: कहाँ? शमशेर: वहीं...वाणी के घर, अभी बताया है. अंजलि: ये तो बहुत अच्च्छा हुआ.(मॅन में वो इसके उलट सोच रही थी) तो आपका समान रखवा दूं? शमशेर: अरे नही! मेरा सारा समान गाड़ी में है. छुट्टी के बाद सीधे वही उतरवा दूँगा. मैं पीरियड ले लेता हूँ. कहकर वो ऑफीस से बाहर चला गया और 10थ क्लास में एंट्री की. सभी लड़कियाँ सहमी हुई थी. एक तो मर्द टीचर, दूसरा शकल से ही राईश दिखाई देता था. बड़ी गाड़ी, गले में 4-5 तौले की चैन. उसका रौब ही अलग था. साइकल पर आने वाले मास्टर जियों से बिल्कुल अलग. क्लास में सन्नाटा छाया हुया था. शमशेर ने पूरी क्लास को देखा. सभी की निगाह उसस्पर थी, सिवाय दिशा को छ्चोड़कर. वो नीचे चेहरा किए बैठी थी. शमशेर: गुड मॉर्निंग गॅल्स! मुझे नही लगता की आपको डिसिप्लिन में रखने के लिए डंडे की ज़रूरत पड़ेगी. या है! कोई कुच्छ नही बोली! शमशेर: आप सभी जवान हैं...... नेहा ने उसके चेहरे की और देखा शमशेर: ...मतलब समझदार हैं. मुझे उम्मीद है आप कुच्छ ऐसा नही करेंगी जिससे मुझे डंडे का यूज़ करना पड़े... जिनकी समझ में बात आई, उनकी चूत गीली हो गयी. शमशेर: आप लोग समझ रहे होंगे ना मेरा मतलब. जिसको पढ़ाई करनी है वो पढ़ाइई करें. जिनको डंडा खाने का शौक है वो बता दें, वो भी मेरे पास है. मतलब मैं डंडे का यूज़ भी करना जनता हूँ. इसीलिए कोशिश करें स्कूल टाइम में पढ़ाई पर ही ध्यान दें. अन्या बातों पर नही. तभी क्लास में पीयान आई और बोली, सर दिशा को प्यारी मेडम बुला रही हैं! शमशेर: दिशा जी, आप जा सकती हैं. दिशा स्टाफ्फरूम में गयी. वाणी भी वही खड़ी थी. प्यारी मेडम काफ़ी गुस्से में लग रही थी. "मे आइ कम इन, मॅ'म?" प्यारी: आजा, राजकुमारी! वहाँ खड़ी हो जा दीवार के साथ. दिशा चुपचाप जाकर वाणी के साथ खड़ी हो गयी. वाणी रो रही थी. प्यारी: मैं तो तुम दोनों को अच्च्ची लड़की समझती थी. पर तुम तो... दिशा: सीसी॥क्या हो गया मेडम जी! प्यारी: चुप कर बहन की..., तुम्हे अपने मास्टर पर डोरे डालते हुए शरम नही आई. इतनी ही ज़्यादा खुजली हो रही थी तो गाँव के किसी लड़के को ख़सम बना लेती अपना. इतने पीच्चे पड़े रहते हैं तेरे. सो जाती किसी के साथ... मास्टर पर ही दिल बड़ा आया तेरा. गाड़ी में बैठकर करवाएगी क्या. दिशा की आँखो से पानी टपक रहा था. पहली बार किसी ने इतना जॅलील किया था उसे. "मेडम आप ऐसा क्यूँ कह रही हैं. क्या किया है मैने" "क्या किया है मैने! उसको घर जौंवाई बना के रखोगे तुम. क्या दे दिया बदले में उस्स सांड ने. दिशा से रहा ना गया और बोली," मेडम प्लीज़ बकवास बंद कीजिए. मुझे कुच्छ समझ नही आ रहा." इतना सुनना था की प्यारी के गुस्से का ठिकाना ना रहा. वा उठी और जाकर दिशा के चूतदों पर खींच कर डंडा मारा. वो दर्द से दोहरी हो गयी. यहीं पर वो नही रुकी. उसने दिशा के रेशमी बालों को पकड़कर खींचा तो वो घुटनों के बल आ गयी. प्यारी ने उसके निचले होंट को पकड़ कर खींच लिया. और एक और डंडा मारा जो उसकी बाईं चूची पर लगा. वो बिलख पड़ी. प्यारी: कान पकड़ ले साली कुतिया. मैं बकवाद करती हूँ हाँ. दिशा ने कान पकड़ लिए और मुर्गी बन गयी.
|