RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
गर्ल्स स्कूल पार्ट --2
घूमता फिरता वा 10थ क्लास में पहुँच गया. लंच होने की वजह से वहाँ सिर्फ़
2 लड़कियाँ बैठी थी और कुच्छ याद कर रही थी एक तो बहुत ही सुंदर थी. जैसे
यौवन ने अभी दस्तक दी ही हो. चेहरे पर लाली, गोलचेहरा और... ज़्यादा क्या
कहें कुल मिलकर सेक्स किपरतिमा थी. शमशेर को देखते ही नमस्ते करना तो दूर
उल्टा सवाल करने लगी," हां, क्या काम है?" शमशेर ने मुस्कुराते हुए
पूचछा, क्या नाम है तुम्हारा?" वह तुनक गयी, "क्यूँ सगाई लेवेगा के?"
तेरे जैसे शहरा के बहुत हीरो देख रखे हैं. आगया लाइन मारन" जाउ के मेडम
के पास" शमशेर को इश्स तीखे जवाब की आशा ना थी. फिर भी वो मुस्कुराते हुए
ही बोला," हां जाओ, चलो मैं भी चलता हूं." ये सुनते ही वो गुस्से से लाल
हो गयी और प्रिन्सिपल के पास जाने के लिए निकली ही थी कि सामनेसे वाणी और
उसकी दोस्त सामने से आ गयी. दूसरी लड़की ने कहा," गुड मॉर्निंग
सर.""सस्स...सर? कौन सर?" वाणी ने जवाब दिया,"अरे दीदी ये हमारे नये सर
हैं, हमें साइन्स पढ़ाएँगे." इतना सुनते ही उस्स लड़की का रंग सफेद पड़
गया. उसकी शमशेर की और मुँह करने की हिम्मत ही ना हुई और वो खड़ी खड़ी
काँपने लगी. वो रो रही थी. शमशेर ने पूचछा," क्या नाम है तुम्हारा?" वो
बोली," सस्स..सॉरी स..सर." शमशेर ने मज़ाक में कहा," सॉरी सर... बड़ा
अच्च्छा नाम है. तभी बेल हुई और शमशेर हंसते हुए वहाँ से चला गया.
दिशा को समझ नही आ रहा तहा वो क्या करे. अंजाने में ही सही उसने सर के
साथ बहुत बुरा सलूक किया था. वैसे वो बहुत इंटेलिजेंट लड़की थी, पर ज़रा
सी तुनक मिज़ाज थी. गाँव के सारे लड़के उसके दीवाने थे. पर उसने कभी अपनी
नाक पर मखी तक नही बैठने दी. गलियों से गुज़रते हुए लड़के उस्स पर फ़िकरे
कसते थे. उसका जवानी से लबरेज एक एक अंग इसके लिए ज़िम्मेदार था. उसका
रंग एकदम गोरा था. छातिया इतनी कसी हुई थी की उनको थामने के लिए ब्लाउस
की ज़रूरत ही ना पड़े. लड़के उस्स पर फ़िकरे कसते थे की जिस दिन इसने
अपना नंगा जिस्म किसी को दिखा दिया वो तो हार्ड अटेक से ही मर जाएगा. जब
वा चलती थी तो उसके अंग अंग की गति अलग अलग दिखाई पड़ती थी. गॅंड को उसके
कमीज़ से इतना प्यार था की जब भी वो उठती थी उसकी गॅंड कमीज़ को अपनी
दरार में खींच लेती. आए हाए... लड़के भी क्या ग़लत कहते थे, बस ऐसा लगता
था की जैसे उसके बाद तो दुनिया ही ख़तम हो जाएगी. पिच्छले हफ्ते ही उसने
18 पुर किए था.
लड़कों से तंग दिशा ने अपना गुस्सा बेचारे सिर पर निकल दिया. इसी बात को
सोच सोच कर वो मारी जा रही थी. अब क्या होगा? क्या सिर उसको माफ़ कर
देंगे?
तभी नेहा ने उसको टोका," अरे क्या हो गया. तूने जान बुझ कर थोड़े ही किया
है ऐसा! सर भी तो इश्स बात को समझते होंगे! चल छ्चोड़, अब तू इतनी फिकर
ना कर!"
दिशा ने बुरा सा मुँह बना कर कहा," ठीक है!"
नेहा: तू एक बात बता, अपने सिर बिल्कुल फिल्मों के हीरो की तरह दिखाई
देते हैं ना. क्या सलमान जैसी बॉडी है उनकी. मुझे तो बहुत बुरा लगा जब
तूने उसको उल्टा पुल्टा बोला. हाए; मेरा तो दिल किया उसको देखते ही की
मैं दुनिया की शर्म छ्चोड़ कर उससे लिपट जाउ. सच्ची दिशा.
दिशा: चल बेशर्म. सर के बारे में भी....
नेहा: अरे मुझे थोड़े ही पता था की वो सर हैं... ये तो मैने तब सोचा था
जब वो क्लास में आए थे.
दिशा: देख मेरे पास बैठकर... य..ये लड़को की बातें मत किया कर. दुनिया के
सारे मर्द एक जैसे घटिया होते हैं.
नेहा: सर से पूच्छ के देखूं?
दिशा: नेहा! तुझे पता है मैं सर की बात नही कर रही.
नेहा: तो तू मानती है ना सर बहुत प्यारे हैं.
दिशा: तू भी ना बस. और उसने अपनी कॉपी नेहा के सिर पर दे मारी.
दिशा का ध्यान बार बार सर की और जा रहा था. कैसे वो उसको माफ़ करंगे. या
शायद ना भी करें. तभी क्लास में हिस्टरी वाली मेडम आ गयी, सरपंच की
बाहू...उसका नाम प्यारी था...
प्यारी: हां रे छ्होरियो; कॉपिया निकल लो कल के काम वाली...
एक एक करके लड़कियाँ अपनी कॉपी लेकर उसके पास जाती रही. उससे सबको डर
लगता था. इसीलिए कोई भी कभी उसका काम अधूरा नही छ्चोड़ती थी. कभी ग़लती
से रह जाए तो उसकी खैर नही. और आज दिव्या की खैर नही थी. वो कॉपी घर भूल
आई थी.
प्यारी घुरते हुए) हां! तेरी कापी कहाँ है रंडी.
दिव्या: जी... सॉरी मॅ'म घर पर रह गयी.
प्यारी: चल पीच्चे, और मुर्गी बन जा.
दिव्या की कुच्छ बोलने की हिम्मत ही ना हुई. वो पीच्चे जाकर मुर्गी बन गयी
प्यारी दूसरी लड़कियों की कॉपीस चेक करने लगी. जब दिव्या से और ना सहा
गया तो हिम्मत करके बोली: मॅ'म मैं अभी ले आती हूँ भागकर!
प्यारी: (घूरते हुए) अच्च्छा अब ले आएगी तू भाग कर. ठहर अभी आती हूँ तेरे पास.
ये सुनते ही दिव्या काँप गयी!प्यारी देवी उसके पास गयी, उसको खड़ा किया
और उसकी चूची के निप्पल को उमेट दिया. दिव्या दर्द से कराह उठी. " साली,
वेश्या, जान बुझ कर कॉपी छ्चोड़ कर आती है, ताकि बाद में अकेली जाए, और
अपने यार से मिलकर आ सके. हां. बता.. कौन मदारचोड़ तेरी चो.. कहते कहते
अचानक उसको रुकना पड़ा. पीयान ने मेडम से अंदर आने की पर्मिशन माँगी और
बोली," बड़ी मॅ'म ने कहा है जिस किसी के घर में कमरा रहने के लिए किराए
पर खाली हो. वो जाकर बड़ी मॅ'म से मिल ले. नये सर के लिए चाहिए है.
प्यारी देवी: अरे, हमारी हवेली के होते हुए मास्टर जी को किराए पर रहने
की कोई ज़रूरत ना से. जाकर कह दे उनसे, मैं छ्हॉकरों को बुला कर समान
रखवा देती हूं. रुक मैं आती ही हूँ.
प्यारी देवी 40 के आसपास की महिला थी. एक दम घटिया नेचर की महिला. उस्स
पर ये की उसका पति गाँव का सरपंच था. ऐसा नही था की गाँव में किसी को
उसके लड़कियों के साथ अश्लील हरकतों का पता नही था. गाँव में अपने
कॅरक्टर को लेकर वो पहले ही बदनाम थी. पर इकलौते बड़े ज़मींदार होने के
नाते किसी की उनसे कुच्छ कहने की हिम्मत ही नही होती तही. उसकी लड़की भी
उसके ही पदचिन्हों पर चल रही थी. सरिता; वो नोवी में थी. पर लड़कों से
चुद्व चुद्व कर औरत हो चुकी थी.
मेडम के जाने के बाद नेहा ने दिशा से कहा," अरे यार, तुम्हारे मामा का भी
तो सारा मकान खाली है. तुम क्यूँ नही कह देती वहाँ रहने को.
दिशा: हां...पर!
नेहा: पर क्या, क्या इतने अच्च्चे सर इतने घटिया लोगों के यहाँ रुकेंगे.
देख मॅ'म पूरी चालू है. अगर हमने अभी उनको नही बोला तो वो इश्स चुड़ैल के
जाल में फँस जाएँगे.
दिशा: तुझे भी इन्न बातों के सिवा कुच्छ नही आता. पर मामा से भी तो
पूच्छना पड़ेगा.
नेहा: अरे, उनको मैं माना लूँगी, चल सर को ढूँढते हैं. चल जल्दी चल. तेरी
माफी भी हो जाएगी.
दिशा चल तो पड़ी पर उसको यकीन नही हो रहा था की सर उसको माफ़ कर देंगे.
फिर क्या पता मामा मना ही ना कर दें. मना करने पर जो बे-इज़्ज़ती होगी सो
अलग. पर नेहा उसको लगभग खींचती सी 8वी क्लास में ले गयी, जहाँ शमशेर पढ़ा
रहा तहा.
उनको देखकर शमशेर कुर्सी से उठा और मुस्कुराता हुआ बाहर आया,". हां तो
क्या नाम है आपका." शमशेर उसको छ्चोड़ने के मूड में नही था.
दिशा ने लाख कोशिश की पर उसके होंट लराजकर रह गये. गर्दन झुकाए हुए वा
कयामत ढा रही थी.
नेहा: सर, ये कहना चाहती है आप इनके घर में रह लीजिए. यह सुनते ही वाणी
भी बाहर आ गयी," हां सर, आप हमारे घर में रह लीजिए"
शमशेर ने सोचते हुए कहा," अब तुम्हारा क्या कनेक्षन है?
वाणी: सर, मैं दिशा दीदी के मामा की लड़की हूँ.
शमशेर: तो?
वाणी चुप हो गयी. इश्स पर नेहा एक्सप्लेन करने के लिए आगे आई," सर,
आक्च्युयली दिशा यहाँ अपने मामा के यहाँ रहती है. वाणी अपने मम्मी पापा
की इकलौती संतान है, और बचपन से ही उन्होने दिशा को खुद ही पाला है.
इसीलिए....
शमशेर: बस बस... मैं भी सोच रहा था एक ही नेज़ल लगती है दोनों की. ओक
गॅल्स, मैं च्छुतटी के बाद तुम्हारे घर चलूँगा.
दिशा: पर... स.. सर!
शमशेर: पर क्या
दिशा: वो मामा से पूच्छना पड़ेगा!
वाणी बीच में ही कूद पड़ी," नही सर, आप आज ही चलिए. मैं पापा को अपने आप
बोल दूँगी."
शमशेर वाणी के गालों पर हाथ फेरता हुआ बोला, नही बेटा! पहले मम्मी पापा
से पूच्छ लो. अगर वो खुश हैं तो में तेरे पास ही रहूँगा, प्रोमिसे.
वाणी: ओक, थॅंक यू सर.
इसके बाद च्छुतटी का टाइम होने वाला था, सो शमशेर सीधा ऑफीस ही चला गया.
वहाँ अंजलि बैठी कुच्छ सोच रही थी
"मे आइ केम इन मॅ'म", शमशेर ने उसके विचारों को भंग किया.
अंजलि: आओ शमशेर जी
शमशेर: किस बात की टेन्षन है अंजलि, शमशेर ने धीरे से कहा.
अंजलि: प्यारी मेडम आई थी, कह रही थी तुम्हे उनकी हवेली मैं रहना पड़ेगा.
पर मैं नही चाहती. वो निहायत ही वाहयात औरत है.
शमशेर: तो माना कर देते हैं. प्राब्लम क्या है?
अंजलि: प्राब्लम ये है की और कोई अरेंज्मेंट अभी हुआ नही है.
शमशेर: तो मैं तुम्हारे साथ रहूँगा ना जान.
अंजलि: मैने तुम्हे बताया तो था ये नही हो सकता. मैं वैसे भी अकेली रहती
हूँ. कोई फॅमिली साथ होती तो भी अलग बात थी.
शमशेर: वैसे तुम रहती कहाँ हो.
अंजलि: यही उस्स सामने वाले मकान में. अंजलि ने खिड़की से इसरा करते हुए
कहा. मकान स्कूल के पास ही गाँव से बाहर ही था.
शमशेर: कोई बात नही! मकान तो शायद कल तक मिल जाएगा. आज मैं भिवानी अपने
दोस्त के पास चला जाता हूँ.
अंजलि: कौनसा मकान?
शमशेर: कुच्छ सोचने की आक्टिंग करते हुए) वो कोई दिशा के मामा का घर है.
बच्चे कह रहे थे, कल घर से पूच्छ के आएँगे. हालाँकि वो उनके बदन की एक एक
हड्डी तक का आइडिया लगा चुका था.
अंजलि: अरे हां. वो बहुत अच्च्छा रहेगा. बहुत ही अच्च्चे लोग हैं. उनका
मकान भी काफ़ी बड़ा है. फिर वो 4 ही तो जान हैं घर में. मुझे भी अपने साथ
रखने की काफ़ी ज़िद की थी उन्होने. मुझे यकीन है वो ज़रूर मान जाएँगे.
शमशेर: कितना अच्च्छा होता, अगर हम...
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