RE: College Sex Stories गर्ल्स स्कूल
शमशेर उसका डर समझ रहा था. वा अचानक ही बस से उतार गया और बिना मुड़े
उसकी आँखों से गायब हो गया.
अंजलि ने राहत की साँस ली. पर उसको दुख भी था की उस्स मर्द से दोबारा नही
मिल पाएगी. सोचते सोचते लोहरू आ गया और वो अनमने मंन से स्कूल में दाखिल
हो गयी.
ऑफीस मैं बैठहे बैठे वो शमशेर के बारे मैं ही सोच रही थी, जब दरवाजे पर
अचानक शमशेर प्रकट हुआ,"मे ई कम इन मॅ'म?"
अंजलि अवाक रह गयी, मुश्किल से उसने अपने आप पर कंट्रोल किया और बाकी
स्टाफ लॅडीस को बाहर भेजा.
अंजलि(धीरे से) आप क्या लेने आए हो यहाँ. प्ल्स मुझे माफ़ कर दीजिए और
यहाँ से चले जाइए.
शमशेर: रिलॅक्स मॅ'म! आइ'एम हियर फॉर माइ ड्यूटी. आइ हॅव टू जाय्न हियर
अस साइन्स टीचर. प्लीज़ लेट मे जाय्न आंड ऑब्लाइज.
अंजलि अपनी कुर्सी से उच्छल पड़ी,"वॉट?" ख़ुसी और आसचर्या का मिला जुला
रूप उसके "वॉट" में था. पहले तो उसको यकीन ही नही हुआ पर औतॉरिटी लेटर को
देखकर सारा माजरा उसकी समझ में आ गया. पर अपनी ख़ुसी को दबाते हुए उसने
पेओन को बुलाकर रिजिस्टर निकलवाया और शमशेर को जाय्न करा लिया.
फिर अपनी झेंप च्चिपते हुए बोली, मिस्टर. शमशेर आप 10 क्लास के इंचार्ज
है पर पीरियड्स आपको 6थ से 10थ तक सभी लेने होंगे. हमारे यहाँ पर मथ्स का
टीचर नही है अगर आप 8थ और 10थ की एक्सट्रा क्लास ले सकें तो मेहरबानी
होगी.
शमशेर: थॅंक्स मॅ'म पर एक प्राब्लम है?
अंजलि: जी बोलिए!
शमशेर: जी मैं कुँवारा हूँ....मतलब मैं यहाँ अकेला ही रहूँगा. अगर गाँव
में कहीं रहने का इंतज़ाम हो जाए तो...
अंजलि उसको बीच में ही टोकते हुए बोली. मैं पीयान को बोल देती हूँ. देखते
हैं हम क्या कर सकते हैं.
शमशेर (आँख मरते हुए) थॅंक्स मॅ'म!
अंजलि उसकी इश्स हरकत पर मुस्कुराए बिना नही रह सकी.
शमशेर ने रिजिस्टर उठाए और 10थ क्लास की और चल दिया...
शमशेर क्लास तक पहुँचा ही था की एक लड़की दौड़ती हुई आई और बोली, गुड
मॉर्निंग सर. लड़की 10थ क्लास की लगती थी. शमशेर ने उसको गौर से उपर से
नीचे तक देखा. क्या कोरा माल था हाए! भारी भारी अमरूद जैसी गोल गोल
चुचियाँ, गोल मस्त गंद, रसीले गुलाबी आनच्छुए होंट, लगता था मानो भगवान
से फ़ुर्सत से बनाया है. और बोल भी उतना ही मधुर," सर, आपको बड़ी मॅ'म
बुला रही हैं.
शमशेर," चलो बेटा"
"सिर, क्या आप हमें भी पढ़ाएँगे?"
"कौनसी क्लास में हो बेटा? क्या नाम है?"
"सर मेरा नाम वाणी है और मैं 8वी में हूँ"
"क्या... 8वी में!" मैं तपाक ही गया था जैसे उस्स पर! 8वी का ये हाल है
तो उपर क्या होगा." हां बेटा, तुम्हे मैं साइन्स पढ़ौँगा"
कहकर मैं ऑफीस की तरफ चल पड़ा. वाणी मुझे मूड मूड कर देखती जा रही थी.
ऑफीस में गया तो अंजलि अकेली बैठी थी. मैने जाते ही जुमला फंका,"यस, बड़ी मॅ'म"
अंजलि सीरीयस थी," सॉरी शमशेर...आइ मीन शमशेर जी. मैं भिवानी आपको ग़लत
समझ बैठी थी. पर आपने मुझे बताया क्यूँ नही."
शमशेर: बता देता तो तुम्हे अपना थोड़े ही बना पता.
अंजलि के सामने रात की बात घूम गयी. अब उसको ये भी अहसास हो गया की शमशेर
ने रात को चुदाई में पहल क्यूँ नही की. फिर मीठी आवाज़ में बोली," शमशेर
जी, हम स्कूल में ऐसे ही रहेंगे. मैने आपके रहने खाने का मॅनेज करने को
बोला है. हो सका तो मेरे घर के आसपास ही कोशिश करूँगी.
शमशेर: अपने घर में क्यूँ नही?
अंजलि: अरे मैं भी तो किराए पर ही रहती हूँ. हालाँकि वहाँ नीचे 2 कमरे
खाली हैं. पर गाँव का माहौल देखते हुए ऐसा करना ठीक नही है. लोग तरह तरह
की बातें करेंगे.
शमशेर: बड़ी मॅ'म, प्यार किया तो डरना क्या?
अंजलि: ष्ह..ह! प्लीज़.... खैर मैने आपको कुच्छ ज़रूरी बातों पर डिसकस के
लिए बुलाया है.
शमशेर: जी बोलिए!
अंजलि: आपने देखा भी होगा यहाँ पर कोई भी मेल टीचर या स्टूडेंट नही है.
शमशेर: क्या मैं नही हूँ?
अंजलि: अरे आप अभी आए हो. सुनिए ना!
शमशेर: जी सुनाए!
अंजलि: लड़कियाँ लड़कों के बगैर काफ़ी उद्दंड हो जाती हैं. ज़रा भी ढिलाई
बरतने पर वो अश्लीलता की हदों को पार कर जाती हैं. इसीलिए उनको डिसिप्लिन
में रखने के लिए सखटायी बहुत ज़रूरी है. मैने गाँव वालों को विस्वास में
ले रखा है. आप उन्हे जो भी सज़ा देनी पड़े पर डिसिप्लिन नही टूटना चाहिए.
वैसे भी यहाँ लड़कियाँ उमर में काफ़ी बड़ी हैं. 10+2 में तो एक लड़की
मुझसे 5 साल छ्होटी है बस.
शमशेर मॅन ही मॅन उच्छल रहा था. पर अपनी ख़ुसी च्छुपाकर बोला, ओक बड़ी
मॅ'म ! मैं संभाल लूँगा!
अंजलि: प्लीज़ आप ऐसे ना बोलिए!
शमशेर: ओक अंजू! सॉरी मॅ'म!
अंजलि मुस्कुरा दी!
"आप एक बार स्कूल का राउंड लगा लीजिए!"
"ओक"
कहकर शमशेर राउंड लगाने के लिए निकल गया. अंजलि भी उसके साथ थी. एक क्लास
में उसने देखा, 2 लड़कियाँ मुर्गा सॉरी मुर्गी बनी हुई थी. गॅंड उपर उठाए
दोनो ने शमशेर को देखा तो शर्मा कर नीचे हो गयी. नीचे होते ही मेडम ने
गॅंड पर ऐसी बेंट जमाई किबेचारी दोहरी हो गयी. एक की जाँघो से सलवार फटी
पड़ी थी. शमशेर के जी में आया जैसे वो अपना लंड उस्स फटी सलवार में से ही
लड़की की गन्ड में घुसा दे. सोचते ही उसका लंड पॅंट के अंदर ही फुफ्करने
लगा.
उसने अंजलि से पूचछा," मॅ'म, किस बात की सज़ा मिल रही है इन्हे?"
अंदर से मॅ'म ने आकर बताया," अजी, दोनु आपस मे लेडन लग री थी भैरोइ. सारा
दिन कोए काम नही करना, गॅंड मटकंडी हांडे जा से"
उसकी बात सुनकर शमशेर हक्का बक्का रह गया.उसने अंजलि की और देखा लेकिन वो
आगे बढ़ गयी.
आगे चल कर उसने बताया ये इसी गाँव की है. सरपंच की बहू है. बहुत बदला पर
ये नही सुधरी. बाकी टीचर्स अच्च्ची हैं."
स्कूल का राउंड लगाकर शमशेर वापस ऑफीस में आ गया. लंच हो चुका था और चाय
बनकर आ गयी थी. अंजलि ने सभी टीचर्स से शमशेर का परिचय करवाया पर उसको तो
लड़कियों से मिलने की जल्दी थी. जल्दी जल्दी चाय पीकर स्कूल देखने के
बहाने बाहर चला आया...
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