RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
गुलबदन दिल लगा के राज का लंड चूसने लगी। कमरे मे उन दोनों की ऐयाशी बड़ी मस्ती मे चल रही थी। वो दोनो यह भी भूल गये कि गुलनार बाहर थी और उनकि आवाज गुलनार सुन सकती थी। और हुआ भी वैसे ही था गुलनार ने वाइट सलवार कमीज पहनी थी, नीचे ना ब्रा पहनी थी उसने और ना पैंटी। उसे जब राज के कमरे से उसकी माँ गुलबदन और राज की कुछ अजीब सी आवाज आई तो उसने झांक के अंदर देखा। खीड़कि से गुलनार ने जो नजारा देखा उससे तो उसके होश ही उड़ गये।
गुलनार ने देखा उसकी माँ जिसे वो अब तक सती सावित्री मान रही, थी, वो गुलबदन एकदम रंडी कि तरह एक आवारा कुली का लंड चूस रही थी। उसने यह भी देखा कि कैसे उसकि माँ उस हिंदू राज का लंड और गान्ड चाट रही थी। राज चाहे जितनी भी गालियां क्यो ना दे, कितनी बेरहमी से उसको क्यो ना मसले, कितना भी बेइज़त क्यो ना करे, गुलबदन को और मजा आ रहा था। अपनी माँ की रंडीगिरी, राज की बाते, माँ की चूचीयां, चूत और गांड की टाइटनेस देखकर गुलनार गरम हुई।
अंदर के सीन ने उसे इतना गर्म कर दिया कि उसे इस बात का भी पता नहीं चला कि वो बारीश मे खड़ी थी वाइट सलवार पहन के जीसकि वजह से उसका सारा ड्रेस उसकि बाडी से चीपक गया था और उसकि चूचीयां किसी को भी दिख सकती थीं। वो अंदर का सीन देखकर और अपनी मम्मी का फीगर देखकर अपने आप आह भरने लगी और अपने मम्मे दबाने लगी।
उसे यह भी मालूम पड़ा है कि आज तक वो जिसे अपना बाप समझ रही थी वो उसका बाप नहीं है बल्की वो किसी ड्रायवर की औलाद थी।
गुलबदन का राज के साथ रंडी जैसा बिहेवियर देखके गुलनार भी गरम हुई और वो अपनी दोन टाँगो मे चूत दबाके मम्मो से खेलने लगी। गुलनार जब अपने मम्मे दबा रही थी और अपना जिस्म खुद मसल रही थी तब बिना कोई आवाज किए, उसके अंजाने मे जय पीछे आके खड़ा हुआ। एक कमसीन लड़कि, बारीश मी भीगे कपडो मे खड़ी राज के कमरे मे झाँक के क्या देख रही है यह सोचते जय जब अंदर का नजारा देखता है तो वो भी खुश हो गया। अपनी रंडी माँ को राज का लौड़ा चूसता देख गुलनार भी गरम हो गयी और इससे जय का काम और आसान हो गया।
जय ने अंदर बाहर का नजारा देखके चुपचाप गुलनार के पीछे आके खड़े होते हुए कहा- “गुलनार क्या देख रही हो अंदर… अपनी माँ को राज से चुदवाते देख रही हो… और यह क्या अपना बदन खुद क्यो सहला रही हो, मै हूँ ना गुलनार तेरा यह मस्त जिस्म मसलने, और उसे चोदने के लिये…” यह कहके जय ने गुलनार को पीछे से दबोचते, उसकी गांड पे अपना लंद रगड़ना शु रु करते और उसके मम्मे दबाते हुए कहा- “देख सालि तेरी माँ कैसे राज का लौड़ा और गांड चाट रही है… तू भी चाटेगी ना मेरा लौड़ा ऐसे गुलनार…”
अचानक आई जय की आवाज़ से पहले गुलनार जरा डर गयी पर उसने जय को अपना जिस्म मसलने से रोका नहीं। एक तो ताँगे मे ही उसकि हरकते उसकि माँ का उसके मम्मे छूना और अभी अपनी माँ की ऐयाशी देखके उसका खून गरम हुआ था।
जय की गंदि बाते और उसको मसलने से गुलनार को अच्छा लग रहा था और वो बोलि- “जय, मेरी माँ ऐसी नहीं थी, पर लगता है राज चाचा का ‘वो’ देखके उससे रहा नहीं गया होगा। मै तेरा ‘वो’ नही चूसूंगी, क्योंकी तुम लोगो का बहुत बड़ा होता है, देखो वो अंदर मे राज चाचा का कितना बड़ा है जो माँ बार,-बार, चाट कर मुँह मे ले रही है…”
इधर जय ने गुलनार की कमीज ऊपर की। गुलनार ने ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके नंगे मम्मे जब जय के हाथ लगे तो जय उन्हे दबाने लगा। अपने दूसरे हाथ से जय ने सलवार का नाड़ा खोला। सलवार गीली होने से गुलनार की टांग में चिपक गयी थी। जय ने गुलनार की वो गीली सलवार खींचके पूरी नीचे की।
अंदर उसने पैंटी भी नही पहनी थी, यह देखके जय और खुश होते, गुलनार की नंगी मुस्लिम चूत सहलाते, बोला- “ऐसी नहीं थी मतलब… अरे तूने देखा ना कैसे रंडी जैसी तेरी माँ राज का लंड चूस रही है, उससे गालियां खाके भी खुश होके उसकी गांड तक चाट रही है… मादरचोद, एक नंबर की रंडी है तेरी माँ गुलनार। देख रही हो ना अपने आपको कमरे मे रख कर तुझे क्यों बाहर सुलाया बारिश में उसने… उसे राज से चुदवाना जो था गुलनार…”
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