RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
एक हाथ से गुलबदन की गांड पे थप्पड मारते, दूसरे से उसकि चूत मसलते हँसते राज बोला- “अच्छा सालि चल अब खड़ी रहते हुए हमारे सामने अपनी पैंटी उतार। सालि रंडी, बोल ना स्टेशन पे क्या देख रही थी तू… और हाँ, सालि यह बता यह बेटी तुम्हारे पती की ही है या किसी दूसरे की पैदाइश है सालि छीनाल… सालि ने अभी सलवार कमीज पहनी है, नहीं तो वो टाईट स्कर्ट मे ही थी ना… वैसे भी रंडी की बेटी रंडी ही दिखेगी ना…”
हँसते हुए राज ने पैंटी के ऊपर से एक उंगलि गुलबदन की मुस्लिम चूत मे घुसाई। अपनी चूत पे उंगलि रगड़ने से अच्छा लगा गुलबदन को और वो बोलि- “आआआः आह बताती हूँ, स्टेशन पे तेरी लुंगी से तेरा लंड दिख रहा था उसे देखके मै गरम हुई और इसलिए तुम्हारे साथ आके, तुझसे चुदवाने का फैसला किया मैने राज। और क्या मतलब है तेरा कि, मेरी बेटी किसी दूसरे की पैदाइश है… क्या गुलनार मेरी जैसी नहीं दिखती राज…”
अब दो उंगलि से गुलबदन की चूत रगड़ते राज आगे बोला- “लुंगी के नीचे मेरा लंड देखके तुम्हारे दिल मे इच्छा हुई सालि मुझसे चुदवाने की, पर मैने जब तुझे ट्रेन से उतरते देखा तभी से मेरा लौड़ा तेरी मुस्लिम चूत चोदने को खड़ा हुआ रंडी… कैसे आँखे फाड़-फाड़ के देख रही थी हमारे लंड को तू हरामी मुस्लिम चूत, है ना… पहले बोली गंदा कुली है और अब मुझसे ही चुदवाने आई ना रंडी औरत… रही तेरी बेटी की बात, तो हाँ तुम्हारे जैसे दिखती तो है लेकिन तुम्हारे पति की तुम्हारे नंगे बदन की मेहनत का नतीजा नही लगती है वो…”
अपनी चूत पे बढ़ रहा राज की उंगलियो के जोर से गुलबदन सिसकारियाँ भरते बोली- “क्या इच्छा और क्या बकते हो… तुम क्या समझते हो… मै कौन हूँ और मेहनत वेहनत क्या बकते हो… और तू कैसे बोल रहा है कि गुलनार हमारे पती की बेटी नहीं बल्की किसी दूसरे मर्द की बेटी है राज…”
राज ने जब पैंटी के नीचे हाथ डालके गुलबदन की मुस्लिम चूत मे उंगलि डालि,, तब उसे ऐसा लगा कि गुलबदन की चूत उसकि उमर के हिसाब से बहुत टाईट थी। राज के खीलवाड़ से गुलबदन के निप्पल टाईट हो गये और उसके होंठ थोड़े खुल गये थे। खटिया पे गुलबदन को बिठा कर, उसके सामने खड़ा रहके अपना लंड उसके मुँह पे घुमाते राज बोला- “सालि चल यह ले मेरा लौड़ा और अब चूसना शु रु कर रंडी। उफफफ़ सालि क्या टाईट चूत है तेरी। लगता है तेरा पती ज्यादा नहीं चोदता तुझे … इसलिए मुझे लगा कि यह गुलनार तुम्हारे पती ने तुझे चोदके निकाली हुई बेटी नहीं है समझी… ऐसे ही अंदाजा लगाया मैने… वैसे किस की बेटी है यह असल मे… और यह बता तू मुझसे चुदवाने क्यो तैयार हुई। चल अब बोल क्या करेगी हमारे इस लंड से…”
गुलबदन ने जीभ धीरे से बाहर निकालके, राज का लंड पकड़ते, उसकि टोपी चाटके कहा- “गुलनार मेरी बेटी है राज, मै सच कह रहि हूँ। रही बात तुझसे चुदवा लेने की, तो एक तो मैं बहुत दिन से प्यासी हूँ, तेरा यह मस्त लौड़ा देखा तो तुझसे चुदवाने की इच्छा हुई। तू भी जिस हिसाब से मुझसे बात कर रहा था, मुझे अच्छा लगा। तूने मेरे मम्मे दबाए, डबल मिनिंग की बात की और गुलनार के बाहर जाने के बाद जो सीधे-सीधे हम माँ बेटी को चोदने की बात की उससे मै और ज़्यादा फीदा हुई तुझपे और इसलिए मै तुझसे चुदवाने को तैयार हुई। अच्छा यह बता- जय को मेरी गुलनार के बदन मे क्या पसंद आया…”
राज बोला- “अरे रंडी, बोल ना क्या करेगी हमारे खड़े लंड का… यह पता है कि गुलनार तेरी बेटी है, लेकिन किसको चढ़ाया था अपने नंगे बदन पे और किसका लौड़ा अपनी मुस्लिम चूत मे लेके चुदाई की तो यह बेटी पैदा हुई यह तो बोल। किसका बिस्तर गरम किया था इस लड़की को जनम देने के लिये… गुलबदन, जय को गुलनार की गांड पसंद आई है बहुत और आज रात मे तेरी बेटी को पीछे से पकड़ के गुलनार की गांड पहले मारने वाला है जय। वैसे भी जय के लौड़े को लड़की की गांड चोदने में बड़ा मजा आता है। गुलबदन क्या तेरी बेटी चुदाई है किसी से… मुझे लगता है कोई लौड़ा उसकि मुस्लिम चूत चोदता होगा जरूर नहीं तो ताँगे मे जय से इतना मसल के ना लेती तेरी रंडी बेटी, है ना…”
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