RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
गुलबदन के ब्लाउज में हाथ डालते हुए राज बोला- “आह, क्या मस्त माल है तू मेमसाब। आज की रात हमारे साथ आ, ऐसा मजा दूंगा कि ज़िन्दगी भर याद रखेगी हमारे लंड को। मेमसाब, सच बोलता हूँ, पूरी रात तुझे और तेरी कमसिन बेटी को चोदके बेहाल कर दूंगा…”
गुलबदन को यकीं था कि राज जो बोल रहा है, वैसा ही कर भी सकता है और गुलबदन उसी के लिए उसके साथ चल पड़ी थी। दोनो स्टेशन के एग्जिट के एकदम पास थे। अब बाहर जाने का वक़्त आया था तो गुलबदन ने राज को अपने से दूर किया और स्टेशन के बाहर चली गयी। राज उसके पीछे सामान लेकर था ही। गुलनार को वहाँ हैरान खड़ी देख, गुलबदन कुछ समझी नहीं।
गुलनार को टैक्सी नहीं मिली थी पर वहाँ के 3-4 तांगेवाले, गुलनार को अपने में घेरे हुए, उसे घूर-घूर के देख के गन्दी कमेंट्स पास कर रहे थे। गुलबदन ने वो नजारा देखा और जल्दी से गुलनार के पास गयी। अब तो रात को राज के घर रुकने का आईडिया उसने फिक्स ही कर दिया क्यूंकि अगर वो यहां और जरा टाइम रूकतीतो उसकी बेटी
को वो हरामी तांगेवाले ना जाने कैसे-कैसे चोदते।
गुलनार के पास जाके, उसका हाथ पकड़ते हुए हलकी आवाज़ में गुलबदन बोली- “गुलनार, हम ऐसा करते है, आज रात यह राज चाचा के घर रुकेंगे…” यह कहते गुलबदन ने साइड में खड़े राज को देखके स्माइल दिया जिससे राज समझा की गुलबदन आज रात उससे चुदवाने तैयार थी।
अपनी माँ को देखके गुलनार को भी अच्छा लगा और गुलनार ने हाँ में सर हिलाया।
गुलनार के मम्मे को देखते हुए राज बोला- “हाँ… क्यों नहीं मेमसाब, क्या कहती हो गुलनार बेटी…”
अपनी माँ को तैयार देख गुलनार भी हाँ बोली। राज को देखके वहाँ खड़े तांगेवाले वहाँ से निकल गये। गुलनार बैग लेने झुकी तो गुलबदन ने राज को आँख मारते कहा- “क्यों ना हम लोग एक तांगा ले, ताकि चलके जाने में और थक नहीं जायेंगे…”
गुलबदन की मारी आँख का इशारा समझते राज वहीँ एक साइड में खड़े टांगे के पास ले गया और बोला- “हाँ ठीक है मेमसाब, चलो ताँगे से चलते है हमारे घर। हमारे दोस्त जय का है तांगा है। अरे जय भाई, तांगा खली है क्या… सवारी है हमारे घर तक की…”
जय ने उन सेक्सी माँ बेटी को अच्छे से देखते कहा- “हाँ मेमसाब, तैयार हूँ ना मैं। आओ, आराम से चढ़ो ऊपर आप दोनों । चलो बैठो तो हमारे ताँगे में…” जय ने देखा की राज उससे गुलनार को दिखा के इशारा कर रहा था। राज का इशारा समझते जय बोला- “राज, छोटी मेमसाब को हमारे पास बैठा दे और तुम पीछे बैठो बड़ी मेमसाब के पास, ताकि हमारे घोड़े पे लोड ना आये, ठीक है…”
गुलबदन और राज ने हाँ में सर हलाया और गुलबदन बोली,- “गुलनार, तुम आगे बैठो, मैं यह समान ले के इसके साथ पीछे बैठती हूँ…”
गुलनार अपनी माँ की बात मान गयी और ताँगे में चढ़ने झुकी। इस झुकने से जय को गुलनार का पूरा क्लीवेज साफ दिख गया गुलनार को चढ़ने में मदद करने के बहाने, जय ने उसका एक हाथ पकड़ते हुए कहा- “राज, भाड़ा कौन देगा और यह लोग तुम्हारे घर कैसे आ रहे हैं…”
राज गुलनार के पीछे आके खड़े रहते बोला- “अरे जय, मैं भाड़ा दूंगा और यह मेमसाब से टिप भी मिलेगी तुझे। चल तो सही तू…”
गुलनार चढ़ नहीं पा रही यह देख के राज उसे मदद करने के बहाने, उसकी कमर पकड़ते हुए ऊपर चढ़ाते कहा- “आओ गुलनार, मैं तुमको जय के ऊपर चढ़ने में मदद करता
राज की डबल मीनिंग की बात गुलनार को छोड़के सब समझे पर कुछ नहीं बोले। गुलनार को चढ़ने में मदद करने के बहाने, जय ने उसके मम्मे मसल डाले तो गुलनार जरा अनकम्फर्टबल हुई यह देख के राज बोला- “अरे बेबी, क्या हुआ… तुमको तकलीफ हो रही है क्या मेरी मदद से… देख तेरी मम्मी को, कैसे मेरी मदद से अब ऊपर चढ़ जाएंगी…”
गुलनार जय के साथ बैठ गयी तो गुलबदन के पीछे खड़े होके, उसकी गांड मसलते राज बोला- “चलो मेमसाब, आपकी बेटी को आगे की तरफ जय के साथ चढ़ा दिया, अब आप हमारे साथ, ऊपर चढ़ जाओ, मेरी मदद से…”
राज की बात पे खुश होके, उसे आँखे मारते और उससे गांड मसलवाते, गुलबदन भी ऊपर आई। जब राज उसके पास बैठा तो गुलबदन ने हलके से उसका लंड दबाया। राज के बैठने के बाद गुलबदन ने देखा कि गुलनार आगे की तरफ देख रही थी और यह मौका देखके उसने राज के लंड को पकड़ा और राज ने एक हाथ गुलबदन की कमर में डालके, उसे पास खींचते दूसरे हाथ से उसकी चूची पकड़ते बोला- “चलो जय, आराम से चलना रोड खराब है…”
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