RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
राज का हाथ अपनी कमर से हटाके, गुलबदन ने अब कीचड़ से बचने के लिए अपनी साड़ी घुटनों के ऊपर उठाई। इससे अब राज को गुलबदन के घुटनो के ऊपर तक के नंगे पैर साफ दिखने लगे। अपना लंड सहलाते राज आगे बोला- “यकीं नहीं आता कि वो 20 साल की है, 16-17 साल का मस्त तैयार माल लगती है तेरी बेटी। वैसे मेमसाब, अगर आप बुरा ना मानो तो हमारे घर रुक सकती हो रात भर। बोलो क्या आप तैयार हो पूरी रात हमारे घर में गुजारने के लिए… पूरी रात तुम माँ-बेटी को आराम से रखूँगा मैं। आपकी बेटी अकेली गयी है, यहां के लोग बहुत हरामी है, कोई उठाके ले गया उस माल को और रात भर ऐश की आपकी बेटी के साथ तो… आपकी बेटी मस्त है, एकदम गरम माल है और उसका बदन भरा हुआ है, तो कोई हरामी मर्द अपनी गर्मी उतारने को ले जा सकता है उसे। चलो जल्दी मेमसाब…” यह कहते राज ने गुलबदन की गांड पे हाथ घुमाया।
गुलनार के बारे में कह गयी बात सुनके गुलबदन को अच्छा लगा। राज सच ही बोल रहा था। उसकी बेटी थी ही इतनी मस्त कि मर्द का दिल आ ही जाता उसपे और गुलनार ने जो कपड़े पहने थे उसमे तो किसी भी मर्द को उसे चोदने की इच्छा ज़रूर होती आज की रात तो राज के साथ गुजारनी थी, पर पहली बार उसका हाथ एकदम ओपन्ली अपनी गांड पे लगते ही गुलबदन को अच्छा लगा। कितना मादक और गर्म हाथ था उसका। गुलबदन ने अपनी गांड पे घूम रहे राज के हाथ को बिना हटाए कहा- “क्या मतलब है तेरा… तुम्हारी बेटी जैसी है वो राज, 21 की उमर है उसकी पर तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो…”
गुलबदन की तरफ से कोई रुकावट ना देखते, राज ने अब बिंदास उसकी गांड मसलते कहा- “बस ऐसी ही पूछ रहा हूँ तेरी बेटी के बारे में। माँ कसम मेमसाब, आपकी बेटी एकदम मस्त लगती है इसलिए पूछा मैंने यह सब। क्या आपकी बेटी को कोई मसलता है क्या … नहीं उसका सीना तुम्हारे इतना ही उभरा हुआ और तुम्हारे इतने ही बड़े मम्मे हैं इसलिए पूछा मैंने। और मेमसाब, मुझे तो बेटी है ही नहीं और अगर ऐसी बेटी होती तो ना जाने मैं क्या करता, इसमें क्या बेशर्मी मेमसाब… अब मेरी बात छोड़ो, यह बोलो, तुम मेरी पैंट की ओर खास कर मेरी कमर के नीचे की तरफ क्या देख रही थी स्टेशन पे…”
एक तो अपनी बेटी और अपने बारे में राज के खयाल सुनके, अपनी गांड पे इतने बेफिक्री से हाथ घुमाने और अब उसके इस सवाल से गुलबदन एकदम हक्का बक्का रह गयी।
पहले उसने कुछ समझा नहीं कि क्या जवाब दे पर वो बोली- “तूने पैंट कहाँ पहनी है… यह तो लुंगी पहनी है तूने। हमारे यहां कुली लोग नार्मल पेंट या लहँगा पहनते है और उनके कपड़े काफी साफ सुथरे होते है, तुम्हारे जैसे गंदे नहीं…” यह कहते गुलबदन का ध्यान फिर राज के लंड पे गया।
गुलबदन के देखने पे राज दूसरे हाथ से अपना लंड मसलने लगा। चलते-चलते एक छोटे से पत्थर की वजह से गुलबदन आफ बैलेंस हो गयी और करीब करीब गिर ही गयी, पर राज ने पीछे से दोनों हाथ उसकी कमर में डालके उसे संभाला। गुलबदन को संभालते-संभालते, राज के हाथ उसके सीने तक गये और गुलबदन के दोनो मम्मे उसके हाथ में थे। गिरने से बचने के लिए
गुलबदन ने सपोर्ट के लिए हाथ पीछे लिया और राज की कमर पकड़ी। जब तक राज के हाथ उसके मम्मे पे गये, गुलबदन सम्भल चुकी थी, पर अब राज को अपनी तरफ से ग्रीन सिग्नल दिखाने के बहाने उसने बैलेंस के सपोर्ट ढूँढ़ते-ढूँढ़ते राज का लंड पकड़ा। लुंगी में बिना अंडरवेअर के राज के लंड को पकड़ते ही गुलबदन को अहसास हुआ कि राज का लंड एकदम कड़क और गर्म है जैसे कोई लोहे का रोड हो। “अरे-अरे मेमसाब संभाल के चलो…” गुलबदन के मम्मे जरा मस्ती से मसलते राज ने उसे खड़ी किया।
गुलबदन ने खड़ी होने के बाद राज का लंड छोड़ दिया पर राज ने अभी अपना हाथ मम्मे से बिना हटाए कहा- “आप ठीक हो ना मेमसाब…”
गुलबदन ने बिना बोले हाँ में सर हिलाया। राज अब उसके मम्मे बहुत मस्ती से दबाते, गांड पे लंड रगड़ने लगा। कुछ पल राज ने उसे ऐसे खड़े-खड़े ही रगड़ लिया। गुलबदन को भी बड़ा अच्छा लग रहा था राज के हाथ से मम्मे और लंड से गांड रगड़ने का स्वाद लेना चाहती थी इसलिए उसने राज को रोका नहीं।
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