RE: Desi Sex Kahani गुलबदन और गुलनार की मस्ती
भले गुलबदन ने राज को देखते मुँह बिगाड़ा था, पर अब उसकी चूत भी गर्म हो रही थी।
गुलबदन को देखते, स्माइल करते हुए राज लुंगी में हाथ डाल के लंड सहलाने लगा। गुलबदन की नजर अपने लंड पे है देख के राज ने अपना लंड इतना बाहर निकला कि गुलबदन को उसके लंड का काला हेड नजर आये और अब राज गुलबदन के सामने अपना आधा नंगा लौड़ा सहलाते बार-बार गुलबदन को ओर झुकी हुई गुलनार की गांड को देखने लगा। गुलबदन समझी कि राज गुलनार को भी देख रहा है, पर वो राज का लंड देखके इतनी बेबस हुई थी कि गुलनार को कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।
राज के आधे नंगे लंड से नजर हटाके गुलबदन ने घड़ी देखी तो रात के 10:30 बज गये थे। उसके पति का फोन भी नहीं लग रहा था। कुछ सोचके गुलबदन ने गुलनार को कहा- “बेटी, उस कुली को बुलाके लाओ। हम लोग तो रात भर यहां रुक नहीं सकते। उसने बोला है तो उसके घर चलेंगे। दिखने में तो भला आदमी लगता है और इस अंजान जगह हम माँ-बेटी कब तक अकेले रुक सकते हैं… वैसे भी तेरे अब्बू तो नहीं आएँगे, परसो सुबह तक। तो तू जाके उस कुली को बुला…”
राज के घर रुकने की असली वजह गुलबदन ने गुलनार को नहीं बताई, पर राज का लंड देखके उससे रहा भी नहीं जा रहा था।
राज को गुलबदन ने क्या कहा यह सुनाई नहीं आया, पर जैसे ही उसने गुलनार को गुलबदन की तरफ टर्न करते देखा, उसने अपना लंड लुंगी में डाला। गुलनार की टाईट गांड, गोरी टांगे और साइड से मम्मे राज देख रहा था और साथ-साथ गुलबदन का पूरा भरा सीना भी दिख रहा था। गुलबदन ने अब अपनी एक टाँग दूसरी टाँग पे ली थी जिससे उसकी गोरी गोरी टांगे उसे दिख रही थी।
गुलनार बाहर आके, राज के पास खड़ी होके उसे आवाज देने लगी।
सोने का नाटक कर रहे राज ने एक बार फिर नीचे से सीने तक गुलनार की जवानी को देखते हुए आँखे खोली। गुलनार बोली- “सुनो, चलो, तुम्हे मम्मी बुला रही हैं…”
गुलनार के सामने आराम से उठते, खड़े होके, लंड एडजस्ट करके राज रूम में गया। गुलनार बाहर ही खड़ी थी। गुलबदन के पास जाके, अपना लंड सहलाते राज बोला- “क्या है मेमसाब… क्यों बुलाया मुझे…” फिर स्माइल करते आगे बोला- “तुम दोनो में से किसको उठाना है, मेरा मतलब किसका सामान उठाना है, या तुम दोनों को एक साथ उठाना है क्या…”
गुलबदन ने राज का इशारा समझा और बोली- “देखो स्टेशन से बाहर तक छोड़ दो, यहां काफी अंधेरा है और अब कोई भी नहीं है यहां…”
गुलनार को बुलाते गुलबदन बोली- “गुलनार, तुम आगे जाके किसी टैक्सी को रोको मैं इस कुली के साथ अपना सामान लेकर आती हूँ…”
गुलनार ने अपनी हैंड बैग उठाई और स्टेशन के बाहर चल पड़ी। अपनी तरफ ऊँगली और जाती हुई गुलनार की तरफ इशारा करते गुलबदन आगे बोली- “कितना किराया लोगे यह सब माल समान उठाने का…” फिर राज की लुंगी की तरफ, उसके लंड को देखते गुलबदन बोली- “मेरा नाम गुलबदन है और यह मेरी बेटी गुलनार है…”
गुलबदन की आँख में चमक और हवस साफ दिख रही थी। गुलबदन की गोरी टाँग और सीने को देखते राज बोला- “मेमसाब, आप अभी इस अंधेरे में कहां जाओगी… गॉव यहां से काफी दूर है और गॉव में कोई लॉज भी नहीं है…” गुलबदन को देखते अपना लंड बेफिक्री से सहलाते राज आगे बोला- “मेमसाब, सब माल समान उठाने का भाड़ा अगर देखो तो आप इतनी बड़ी हैं और आपकी जवान बेटी, मतलब कम-से-कम पूरी रात और एक ज्यादा मर्द लगेगा तुम दोनों को उठाने में …” गुलबदन को आँख मारते राज आगे बोला- “वैसे वो माल सामान उठाना पड़ा तो बहुत मजा आएगा हमको, इतना जवान और कसा माल है। खूब मस्ती से उठाऊँगा उसे पूरी रात। वैसे तुम भी कुछ कम नहीं हो, शादीशुदा हो तो तुम्हारे साथ भी बड़ा मजा आएगा, क्यों सच कह रहा हूँ ना मैं मेमसाब…”
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