RE: Desi Kahani ग्रेट गोल्डन जिम
अगर यह आनी, राई साहेब की बेटी ना होती तो शाएद कब का चोद चुका होता. मैं बड़ी मुश्किल से अपने आप पे काबू रख रहा था के कही कुछ उल्टा सीधा ना हो जाए नही तो लेने के देने पड़ जाएगे, बड़े बाप की बेटी जो है.
अनिता राइ जैसी खूबसूरत
अनिता राइ की जैसे सेक्सी मुस्कान
मैं उसका शॉर्ट निकाल के फिर से बाहर जा रहा था तो उसने बोला के एक मिनिट राज मुझे भी सहारा दे के ले चलो और उसने चादर उठाई और अपनी शर्ट को दोनो हाथ क्रॉस कर के नीचे से ऊपेर तक उठाया और सर के ऊपेर से निकाल दिया. बॅस एक ही सेकेंड के लिए उसके गोल गोल बूब्स दिखाई दिए. उफ्फ क्या बताऊ दोस्तो ऐसे किल्लर बूब्स थे के बॅस चूस डालु यही सोच आई मेरे
दिमाग़ मे. गोल्फ बॉल जीतने होगे. पूरी तरह से नही दिखाई दिए बॅस एक झलक मे ही मेरे होश उड़ गये. मेरा शक सही था. आनी ने अंदर ब्रस्सिएर नही पहनी थी. उसने चादर ओढ़ ली और खड़ी हो गई तो मैं उसको फिर से उसकी कमर मे हाथ डाल के सहारा दे के बाहर ले आया. ऐसी पोज़िशन मे मेरे हाथो को उसके बूब्स भी टच कर रहे थे जिसकी वजह से मेरे बदन मे बिजलिया कडकने लगी. .
आनी को टेबल के पास खड़ा किया और लीवर से टेबल को ऑलमोस्ट ऐसे हाइट पे ला के रोका के वो इतमीनान से उस टेबल पे लेट सके. मैं ने उसको सहारा दे के टेबल पे उल्टा लिटा दिया क्यॉंके कमर पे ज़ियादा प्राब्लम थी. उसके टेबल पे लिटा ने के बाद मैं ने टेबल को अपने थाइ लेवेल तक ऊँचा उठाया और फिर टाँगो वाले पोर्षन के लीवर से टाँगो के पोर्षन को अलग किया ऐसी पोज़िशन मे उसके पैर ऑलमोस्ट 45 डिग्रीस तक खुले हुए थे, ऐसे जैसे कॉंपस बॉक्स का डिवाइडर खुला हुआ हो और उसको सामने से थोड़ा सा ऊपेर उठाया हुआ था. ऐसी पोज़िशन मे उसके पैर अलग अलग थे और वो स्ट्रेट नही लेटी थी बलके सर के पास से थोड़ा सा ऊपेर उठी हुई थी. दोस्तो टेबल की पोज़िशन को इमॅजिन करे तो समझ मे आएगा. उसके पैरो के पास एक फुट रेस्ट था जिस पे उसके पैर फिट बैठे थे. अब तो नही गिर सकती थी. जैसे एरोप्लेन के टेक ऑफ के टाइम पे पोज़िशन होती है या हॉस्पिटल मे पेशेंट को खाना खिलाने के टाइम पे सर के पास से जो थोड़ा सा बेड उठाया जाता है बॅस वोही पोज़िशन आनी की भी थी. आइ होप के आप की समझ मे आ गया होगा.
हा तो आनी मेरे सामने टेबल पे लेटी थी. जैसे वो टेबल पे लेटी थी मैं खुली टेबल से चल कर उसकी टाँगो के बीच चूत तक चला जा सकता था और उसको जहा भी मसाज की ज़रूरत हो कर सकता था. और अगर मैं उसकी टाँगो और चूत तक चला जाता तो मेरा लंड उसकी चूत से टकरा सकता था ऐसी हाइट और पोज़िशन थी टेबल की और उसके लेटने की. टेबल किसी उल्टे “Y” की शकल का हो गया था.
मुश्किल यह आ गई थी के आनी ने जिस स्टाइल से चादर ओधी थी, चादर उसके पेट के नीचे और टाँगो तक लिपट गई थी. बड़े साइज़ के टवल जैसा था वो कपड़ा जिसे वो ओढ़ कर लेटी थी. खैर मैं ने वो कपड़ा उसके बदन के नीचे से हाथ डाल के निकाल लिया और उसके ऊपेर डाल दिया. कपड़े को उसकी कमर से नीचे रोल कर के उसके चूतदो पे रख दिया. वो ऊपेर से नंगी थी और उल्टी पेट के बल लेटी थी. उसका बदन एक दम से मक्खन की तरह से चिकना और दूध की तरह से सफेद था. मैं कुछ देर तक ऐसे ही उसके बदन को देखता और निहारता रहा. मेरा लंड मेरे टवल के अंदर कब का टेंट बना चुका था. फिर मैं ने टेबल से जुड़ी बॉटल के सॉकेट से आयिल की बॉटल निकाली और आनी के नंगी पीठ पे एक धार लगा दी शोल्डर्स से नीचे कमर तक. मैं उसकी दोनो टाँगो के बीचे इतना करीब खड़ा था के कभी कभी तो मेरा लंड उसकी खुली टाँगो के बीचे उसकी चूत से टकरा रहा था. टेबल के ऐसे जॉइंट पे एक “डब्ल्यू” के शेप की ट्रे जैसे थी. अगर पीठ के बल सीधा लेटा जाए तो वो “डब्ल्यू” शेप की ट्रे को लीवर के थ्रू बाहर निकाला जा सकता था जहा पे गंद एक दम से फिट बैठ ती थी. और जब उल्टा लेट ते यानी पेट के बल तो चूत जॉइंट पे खुली ही रहती थी. आनी के लेट जाने के बाद मैं ने दोनो हाथो से आयिल को स्प्रेड किया और फिर धीरे धीरे मसाज करने लगा. उसका चिकना बदन किसी मक्खन की याद दिला रहा था. मैं तो जैसे दीवाना हो रहा था. अपने दोनो अंगूठो से ऊपेर नीचे कर के मालिश कर रहा था और उंगलियाँ सपोर्ट का काम दे रही थी. उसकी पीठ पे डोर तक मालिश करता तो मेरा हाथ उसके बदन के साइड्स से उसके बूब्स से भी टकरा जाता जो के एक नॅचुरल सी बात है. कंप्लीट बूब हाथ मे नही आ रहा था बॅस बूब्स के साइड का गोल वाला हिस्सा ही उंगलिओ से लग रहा था. एक दो टाइम जब तेल की वजा से हाथ स्लिप हुआ तो उसके बूब्स पे चला गया था जिसे मैं ने फॉरन ही निकाल लिया था. मैं ने पूछा आनी कुछ आराम दिख रहा है तो उसने बड़ी सेक्सी आवाज़ मे जवाब दिया के हा बोहोत अछा लग रहा है राज ऐसे ही करो. थोडा और नीचे भी करो शाएद डिस्क मे भी मार लगी है तो मैं ने कपड़े को उसकी चूतदो पे और नीचे रोल किया और बोला के आनी यहा तो तुम्हारी पॅंटी है इस्पे आयिल के धब्बा लग जाएगा तो उसने बोला के
राज उसे निकाल दो ना प्लीज़. उसने बोला के अब यहा और कोई है भी तो नही ना और तुम तो एक डॉक्टर के समान हो और पता है डॉक्टर से पेशेंट की कोई चीज़ ना छुपी रहती है और ना ही छुपाई जा सकती है. मैं धीरे से मुस्कुराया जिसे वो देख नही सकी और बोला के ओके आनी और फिर उसकी वाइट सिल्की पॅंटी जिसपे बोहोत खूबसूरत छोटे छोटे डिफरेंट कलर के फूल बने थे, उसकी फूलो से भरी पॅंटी किसी गार्डन से कम नही लग रही थी, उसकी पॅंटी के साइड से एलास्टिक मे उंगलियाँ डाल के नीचे खेचने लगा तो उसने अपना नवल थोड़ा ऊपेर उठा लिया ता के मुझे पॅंटी निकालने मे आसानी हो. आनी की पॅंटी भी निकल चुकी थी और अब वो मेरे सामने टेबल पे एक दम से नंगी लेटी किसी संग – ए – मरमर से तराशि हुई मूर्ति लग रही थी.
क्रमशः........
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