RE: Sex Kahani चाचा बड़े जालिम हो तुम
चाचा बड़े जालिम हो तुम--5
गतान्क से आगे......
एक पैर से रज़िया की नंगी टाँगे सहलाते दूसरे का अंगूठा चूत पे रगड़ते अंदर दबाते हरी रज़िया के बाल पकड़के अपनी गंद चाटने वाले रज़िया के होंठ और झीब चूमते उसके मम्मे मसल्ते बोला, "आरे बेटी, तू ऐसी रंडी बाजी इसलिए कर रही है क्योकि तू बहुत दिनो से प्यासी थी और ऐसा लंड देखने के बाद तू अपने आप पे कॉंट्रल नही रख सकी समझी? रज़िया मेरा यह लॉडा देखके तो कितनी औरतो ने चुदवाने से इनकार किया पर तू मेरा लंड चुस्के उसे और ही कड़क कर रही है. बहनचोड़ साली आज तुझे खूब चोदुन्गा मदेर्चोद रंडी."
हरी के मूह से गंदी गलिया सुनके भी रज़िया खुश थी. आज उसे ऐसा लंड मिला था जिसके सामने वो खुद रंडी बनने तय्यार थी तो गालिया कौनसी बड़ी बात थी. रज़िया हरी को बाक़ायदा किस करते उसके लंड से खेलते बोली, "ह्म्म्म्म इस्श चाचा कुछ हो रहा है आपके मसल्ने और गालिया देने से. चाचा मुझे मारे मम्मे और कड़क लगने लगे है और चूत और ही प्यासी लगती है. चाचा, आपको कैसे पता चला कि मैं प्यासी हून?"
नंगी रज़िया को गोद से उठाके खड़ी करके पूरे जिस्म को सहलाते, गंद मसल्ते, मम्मे चूस्ते, चूत मे उंगली करते हरी बोला, "रज़िया, मेरी रंडी बेटी, मैने तेरी नज़र से समझा क़ि तू प्यासी है, अगर प्यासी नही होती तो वो जिस्म दिखानेवाली नाइटी पेहन्के आती क्या मेरे सामने? मेरी रंडी बेटी, इतनी लड़किया चोदि पर तेरी जैसे लड़की नही देखी, शादी के 6 साल बाद भी इतने सख़्त मम्मे, टाइट गोल गांद, ऐसी चॉक्लेट रंग की चूत और यह कसा हुआ जिस्म. आह मस्त माल है तू, मैं बहुत दिनो से तुझे चोदना चाहता था, पर हिम्मत नही हुई, आज पूरी इच्छा पूरी करूँगा. बेटी यह बता तू क्या सोचती थी मेरे बारे मैं?"
हरी का लंड पकड़के खुद अपनी चूत पे रगड़ते रज़िया बोली, "मैं क्या सोचती आपके बारे मे? आप तो मेरे पिता की उमर के थे, पर आपका तना हुआ लंड देखा तो मैने सोचा पचास साल के बूढ़े या पचास साल के जवान. मानने मे ही नही आता..और अभी जब आपने कहा कई लड़कियो को आपने खुश किया है, यह सुनके तो मैं हैरान ही हो गयी हूँ. पता नही मैं भी खुश होके रात को सोयूँगी कि नही. चाचा यह बात रहने दो कि मैं बेचैन थी इसलिए मैने नाइटी पहनी है. यह तो मैं हर रात पहनती हूँ. और मेरी चूत के कलर का मेरी प्यास से क्या लेना देना चाचा?"
हरी रज़िया को टर्न करके उसकी नंगी गांद पे अपना मोटा गर्म लंड रगड़ते, उसकी नेक पर बाइट करते, चूत मैं उंगली करते बोला, " आरे पिता की उमर का हुआ पर बाप नही हूँ ना? बहनचोड़ साली देख खुद कैसे मेरा लंड अपनी चूत पे रगड़ रही थी हरामी? तेरी मा की चूत मदरचोड़, आख़िर मैं भी एक मर्द हूँ, अब तेरे चूतिया मिया का इस उमर मे लॉडा खड़ा नही होता तो मैं क्या कर सकता हूँ? हम जैसे हिंदुओं ने तेरी जैसी मुसलमान लड़की को देखा नही क़ि लॉडा बोलता है चोदो इसे, अब तू देख आज रात भर तुझे कैसे चोद्ता हूँ, तेरी चूत, मूह और गांद मारके तुझे बहाल करूँगा, तुझे वो खुशी दूँगा जो आज तक नही मिली समझी? आज रात भर तेरी चूत मे मेरा लॉडा होगा और तुझे चोद्ता रहूँगा साली हरामी."
अपना हाथ पीछे करके अपनी गांद पे दस्तक दे रहे लंड को पकड़के, गांद पे रगड़ते अब रज़िया बोली, "इस्शह चाचा बोहुत लंबा और मोटा है आपका लॉडा, लेकिन ग़लत जगह पे ग़लत चीज़ क्यों करते हो? आपके इस लॉड की आज रात की सही जगह पीछे नही आगे का छेद है. वैसे अगर अपने लॉड को पीछे घुसाया तो आगे के छेद की क्या आपकी उंगली लेगी? चाचा सच बोलो ऐसा जिस्म आजतक नही देखा ना? मुझे तो पता नही, लेकिन तुम्हारे लंड की सख्ती देखके कहती हूँ कि मैने आजतक आपके लंड जैसा सख़्त लॉडा देखा नही. लगता है इसको मेरा जिस्म बहुत रास आएगा.ये गुलाबी चुचियो के उपर की नौक और यह काली नही हुई चूत, सही मैं चाचा आपकी सख्ती और सहलाना मुझे बेचैन कर रहा है चाचा. देखो मेरे जिस्म मे कही सख्ती और कही नर्मी आ गयी है."
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