RE: Sex Kahani चाचा बड़े जालिम हो तुम
चाचा बड़े जालिम हो तुम--3
गतान्क से आगे......
यह बोलते स्माइल करके हरी रूपा की टाँग पकड़के जाँघ खाने का एक्शन करता है. डरने की आक्टिंग करके फिर रज़िया अपने पैर छुड़ाते बोली, "हां हां बाबा, परोसती हूँ आपको खाना. क्या पता सच मे मेरी जाँघ खा जाओगे तुम." अब रज़िया बारी - बारी 1-1 चीज़ प्लॅटफॉर्म से उतार कर हरी की थाली मे परोसने लगी. नीचे झुकने और कपड़ा ढीला होने की वजह से हरी को अंदर का काफ़ी हिस्सा दिखाई देता है.
हरी रज़िया की जाँघ सहलाते बोला, "आरे रज़िया, सब नीचे ले, बार - बार झुकेगी तो थक जाएगी. यही नीचे बैठके परोस मुझे खाना, तो तुझे देखते खाना खा सकता हूँ और बात भी कर सकता हूँ तुमसे.थक जाएगी तो इलाज कैसे लोगि?"
अपनी जाँघ बिना छुड़ाए रज़िया बोली, "नही - नही चाचा नीचे फर्श गंदा होगा. और मुझे प्लॅटफॉर्म सॉफ करना बाकी है. चाचा खाते हुए आप मेरे को क्यूँ छूते हो? खाना खाओ ना आप इतमीनान से. और अब मुझे इस लिबास और आपके इलाज़ के बीच का रीलेशन समझाओ."
इस बार हरी रज़िया का हाथ पकड़के खिचता है, रज़िया आधी झुकी जिससे उसके ओपन नेक से मम्मे साफ दिखते है. रज़िया हाथ हरी के नंगे सीने पे रखती है. फिर कमर मे हाथ डालके हरी उसे पास खिचता है जिससे अब रज़िया का सीना एकदम उसके मूह के पास आता है. होंठो पे जीब फेरते हरी बोला, “आरे रज़िया, क्यों हर बात को मना करती है? चाचा की बात मान और नीचे बैठ मेरे साथ, तेरा काम करने और दूध पीने के बाद हम पूरा किचन सॉफ करंगे." हरी झुकी रज़िया को और ज़रा खिचता है जिससे रज़िया एकदम हरी की गोदी मे आके बैठती है. हरी की इस हरकत से उसके मम्मे उछलते है. रज़िया की कमर मे हाथ डालते हरी बोला, "हां यह ठीक है बेटी, तू मेरी गोदी मे बैठ के मुझे खाना खिला और मैं तुझे बताउन्गा कि तेरे इस लिबास और तेरे इलाज़ का क्या संबंध है."
मस्ती से हरी की गोदी मे बैठने से रज़िया की नाइटी उपर चली जाती है और हरी की गोदी मे उसकी गांद हरी के लंड को छूती है. हरी की गोद से उठने का कोई प्रयास ना करते रज़िया अब ज़रा नखरे से बोली, "अब आपको खाना खिलाना इतना ही तो बाकी था. खा लो ना आप ही आपके हाथ से खाना चाचा. इतने बड़े हो गये हो लेकिन बच्चे जैसे हो, पहले बोला दूध पिलाना और अब बोलते हो खाना खिलाओ."
कमर मे हाथ डालके रज़िया के पेट पे हाथ रखके हरी अपनी उंगली मम्मो तक लाता है. नाइटी उपर होने से आधी गांद नंगी है, दूसरे हाथ से रज़िया का हाथ पकड़के उसमे नीवाला लेके मूह मे डलवाते समय रज़िया की उंगली चाट कर हरी बोला, "आरे बेटी हर मर्द मे एक बच्चा छुपा होता है जो अपना बचपना कभी नही भूलता. मौका आने पे वो दूध और खाना माँगता है. और रज़िया, तू एक भूके को खाना खिलाएगी और दूध पिलाएगी तो तुझे पुण्या भी मिलेगा ना?"
रज़िया बिना कहे मंडी हां मे हिलाते दूसरा नीवाला अपने आप उठाके हरी को खिलाते बोली, "चाचा वो इलाज और यह नाइटी के संबंध के बारे मे बताओ ना अब जो मैने आपकी बात मान के आपको खाना खिलाने लगी हूँ."
हरी अब नाइटी का एक और हुक खोलते हाथ मम्मे पे रखते बोला, "हां बेटी बताता हूँ, पर उसके लिए तुझे बेशरम होके मेरी बातो का जवाब देना होगा, तू तय्यार है ना?"
"बेशर्म मतलब क्या? और कैसी बातो का? कौनसी बातो का जवाब देना पड़ेगा मुझे चाचा?" यह पूछ ते वक़्त रज़िया का ध्यान नही देती कि हरी उसके बूब्स पे हाथ रखा है और रज़िया की इस बेफिक्री का फ़ायदा उठाके हरी बाकी बचा लास्ट हुक भी खोलता है.सब हुक्स खोलके हरी हल्के से एक मम्मे से नाइटी हटा के उसे नंगा करते बोला, ”मैं तेरे पति और तेरे संबंध के बारे मे अब तुझसे पूछूँगा. तूने ठीक जवाब नही दिया तो इलाज़ ठीक नही होगा समझी?"
रज़िया अब ज़रा शरम से अपने मम्मे पे नाइटी ओढ़ते बोली, "हां चाचा ठीक से बिना शरमाये एकदम साफ-साफ लफ्जो मे जवाब दूँगी, पर उसका मेरे कपड़ो से क्या वास्ता चाचा?
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