RE: Sex Kahani चाचा बड़े जालिम हो तुम
"मतलब कैसे चाचा? समझाओ तो सही. नही तो ऐसा करो, बेडरूम मे अलमारी मे जो कपड़े है उनमे से जैसे कपड़े चाहते हो निकालके रखो मेरे लिए, ठीक है चाचा."
रज़िया ने जानबूझके 1-2 ही नाइटी रखी थी अलमारी मे जो उसके हिसाब से सेक्सी थी. हरी रज़िया के बेडरूम जाके, उसका कपबोर्ड खोलता है. उसमे से 2-3 नाइटी देख के एक निकालता है जो घुटनो तक है और एकदम ट्रॅन्स्परेंट है, उसकी नेक बड़े नही यह देखके हरी उसके 2 हुक्स तोड़ कर बिस्तर पे वो नाइटी रख कर बाहर आके बोला, "बेटी मैने तेरे बिस्तर पे नाइटी रखी है, वो पहन लेना, इससे तुझे आराम पड़ेगा और पसीना भी नही आएगा समझी?"
रज़िया हां बोलती है. हरी जाके किचन मे बैठता है. बाथरूम से टवल लपेटे रज़िया बाहर आके हरी के सामने से बेडरूम मे आके हरी से निकलवा कर रखी काली नाइटी पहनती है जो ट्रॅन्स्परेंट है. लेकिन काली है इसके अंदर कुछ पहना है या नही उसका पता नही चलता. अपने आपको आईने मे रज़िया देखती है. पहली बार ऐसी नाइटी पहनने से उसे ज़रा शर्म आती है. उप्पर से बटन भी टूटे देखके वो समझ जाती है कि यह हरी का ही कारनामा है. जब वो नाइटी पहनती है तो आधे से ज़्यादा नंगा सीना खुला देखके वो थोड़ा झिझकति है पर फिर सारी शर्म छोड़ कर वैसे ही गीले बालो से वो किचन मे आके हरी के सामने खड़ी होती है. एक बार उप्पर से नीचे तक रज़िया को देखते हरी बोला, "आहा बेटी, अब तो एकदम मस्त लगती है. देखा यह नाइटी कैसे जच रही है तुझे? लगता है चाचा की बात मान कर एकदम रगड़ रगड़ कर नहाई हो इसलिए तुम्हारा बदन इतना चमक रहा है." हरी नीचे बैठा है इसलिए नाइटी के अंदर तक नज़र जाती है उसकी. उप्पर की तरफ देखते वो बोला, "रज़िया, चल अब खाना परोस मुझे, बड़ी भूक लगी है, अब खाना नही परोसा तो तुझे ही खा डालूँगा मैं समझी?"
क्रमशः.......
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