RE: Sex Kahani चाचा बड़े जालिम हो तुम
अपना हाथ छुड़ाते रज़िया बोली, "ठीक है चाचा, नाइटी का सोचूँगी, अब आप जाओ." यह कहते हरी को घर से रज़िया रवाना करती है. रज़िया को मालूम था हरी कौन्से इलाज की बात कर रहा था, और यह भी पता था कि आज कैसा इलाज होनेवाला है उसका. रज़िया भी हरी से इलाज करवाने तय्यार थी. हरी के जाने के बाद रज़िया 1 घंटा सोई. शाम को उठके हरी के आने से पहले उसने अपना घर एकदम सॉफ सुथरा किया. सॉफ सफाई करते-करते पसीने से रज़िया की हालत काफ़ी खराब हो गयी, मानो पसीने से वो नहा गयी हो. सॉफ सफाई होने के बाद उसने खाना बनाके और ख़ाके हरी की थाली टेबल पे लगाई. इतने गड़बड़ मे 9 कब बजे उससे पता नही चला. रज़िया ने जान बुझ के इतना काम लिया क्योकि आज वो जो करने जा रही थी उसके बारे मे ज़्यादा सोचके उसे अब पीछे नही हटना था. शादी के बाद पहली बार वो पराए मर्द के सामने नंगी होके सोनेवाली थी,सिर्फ़ एक औलाद पाने के लिए और उसे उसके इस फ़ैसले के अच्छे - बुरे के बारे मे ज़्यादा सोचके अब रुकना नही था.
बराबर 9 बजे हरी आया. हरी सॉफ लूँगी बनियान मे था. सामने पसीने से भरी रज़िया की हालत देखके उसे अच्छा लगा. पसीने से ब्लाउस गीला होके निपल दिख रहा था क्योकि रज़िया ने ब्रा जो नही पहनी थी. हरी को देखते ही पल्लू से माथे और सीने का पसीना बिंदास पोछते रज़िया बोली, "अर्रे चाचा आप आ गये? मुझे तो वक़्त का पता तक नहीं चला घर की सॉफ सफाई करते - करते."
स्माइल करते हरी बोला, "हां आ गया बेटी, आरे कितना पसीना पसीना हुई है तू, आओ मैं पोंछ दूं? नही तो जैसा मैं करता हूँ वैसा कर पसीना आने पे, चाहे तो पल्लू नीचे करके हवा ले."
हरी के कहने के मुताबिक रज़िया पल्लू से हवा लेने लगी.इससे उसकी साफ आर्म्पाइट हरी को दिखती है और ब्लाउस मे मम्मो की हल्की हलचल. हवा लेते रज़िया बोली,"आहह चाचा, अब अच्छा लग रहा है.मैं अब आप ही का इंतेज़ार कर रही थी. चाचा मैं अभी नहाने जा रही हूँ कुछ चाहिए तो ले लेना. अपना ही घर समझना चाचा, मैं 10 मिनिट मैं आई नहा के."
"रूको बेटी, पहले पसीना तो पोछने दे मुझे तेरा." इतना कहते हरी रज़िया के पल्लू से उसका पसीना पोछने लगा. पीठ, नेक, फेस और फिर हल्के से सीना पोछते वो बोला, "अब क्यो नहा रही हो? इलाज के बाद मे नहा लेना. तुम सामने रहोगी तो ही खाना खाउन्गा मैं, यह क्या मेहमान को बुला के बोलना कि खाना ख़ालो और खुद नहाने चली जाओ.क्या यह अच्छी बात है?"
हरी के हाथ रज़िया के नंगे सीने पे है और गरम सासे उसके फेस पे छोड़ रहा था.रज़िया कैसे भी करके हरी के हाथ हटा के बाथरूम मे जाते बोली, "रहने दो चाचा, प्लीज़ खा लो जो मैने प्यार से बनाया है.इलाज के बाद चाहो तो फिर नहा लेंगे."
हरी बाथरूम के पास आके बोला, "ठीक है बेटी पर अच्छे से नहा ले, एकदम रगड़ के नहा लेना, बाद मे बहुत पसीना आनेवाला है तुझे बेटी. नहाने के बाद आके मुझे खाना परोसना, आज तेरे हाथ से पहले खाना और बाद मे दूध पियुंगा समझी?"
हरी किचन मे वैसे ही नीचे ज़मीन पे बैठ जाता है, बनियान निकालके लूँगी उप्पर करके. उधर से रज़िया बोली, "ओके चाचा तो रूको, मैं नाहके आके खाना परोसती हूँ आपको. और हां एकदम रगड़ के नहाउंगी, बहुत पसीना है. ये बाद मे क्यों बहुत पसीना आनेवाला है मुझे चाचा?"
बाथरूम की तरफ देखते हरी बोला,"वो तू खुद समझेगी बेटी, हां पर नहाने के बाद अब ज़्यादा टाइट कपड़े मत पहनना, ज़रा नरम और हल्के कपड़े पहनो."
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