RE: Sex Kahani चाचा बड़े जालिम हो तुम
जैसे हर दोपहर हरी राज़ी के बंगल के वारंडे मे खाना खाने आता था, आज भी आया पर आज सिर्फ़ खाने का मक़सद नही था. आज से रज़िया को पटाने की कोशिश भी करनी थी. रज़िया को पटाके चोद्के उसकी सास को पोता भी देना था हरी को. उस दिन से हरी रज़िया से ज़्यादा बाते करने लगा. बाते करते-करते वो रज़िया का बदन भी देखता.28 साल की रज़िया का बदन कसा हुआ था, गोल चहेरा, बड़ी आँखे, सीने के हिसाब से पतली कमर, पीछे काफ़ी टाइट गांद और सीने पे सबका ध्यान आकर्षित करते मम्मे. रज़िया का रूप निखारते थे. जब हरी रज़िया को घूरते देखता पहले तो रज़िया को अजीब लगता था पर हर्दिन उसे ठंडा पानी देने का काम करना पड़ता. 3-4 दिन नाखुशी से पानी देने के बाद अब रज़िया की शर्म कम हुई. उसने सोचा मर्द औरत को नही देखेगा तो कौन देखेगा? वैसे भी हरी सिर्फ़ उसे देखता था तो देखने दो. उसे अपने रूप पे नाज़ भी था. अब तो पानी देने के बाद रज़िया हॉल मे बैठके हरी से यहा-वाहा की बाते भी करने लगी. ऐसा करते 10-15 दिन बीत गये और अब उन दोनो मे काफ़ी फ्रीनेस आया था. यहाँ तक कि अब हरी से बात करते वक़्त रज़िया के कपड़े कैसे भी होते तो वो शरमाती नही.कई बार पानी देते वक़्त पल्लू ढलता उसका. पहले-पहले जब पल्लू ढलता तो रज़िया शरमाती थी पर अब पानी की बॉटल रखने के बाद टर्न किए बिना, हरी के सामने रज़िया अपना पल्लू ठीक करती. उसे डर इस बात का रहता कि कही रेहानाबी उसे यह सब करते ना देखे. पर अब रेहानाबी खाना खाने के बाद सोने जाती तो रूम से शाम को ही बाहर आती. हरी का घूर्ना रज़िया को अच्छा लगने लगा था. जब हरी उसके पूरे जिस्म पे नज़र घुमाता तो एक बिजली से दौड़ जाती रज़िया के जिस्म मे. अब तो बात यहा तक पहुँच चुकी थी कि रज़िया जब घर मे काम ना हो तो आके बाल्कनी मे खड़ी होके हरी को देखती. हरी भी उसे देखके स्माइल करता. कई बार दोनो मे हसी मज़ाक होती थी और 1-2 बार तो किसी बात पे दोनो ने एक दूसरे को ताली भी दी थी. अपने मुलायम हाथ पे हरी का बड़ा कड़क हाथ एक अजीब से फीलिंग छोड़ जाता रज़िया के. हरी अब ओपन्ली रज़िया की गांद, सीना और चूत देखता और इस बात से रज़िया किसी भी तरह उसे नही रोकती थी सब चलता था. इन सब बातो की रिपोर्ट हरी रेहानाबी को देता और हरी की बात सुनके रेहानाबी को अच्छा भी लगता.
अब 20-25 दिन हो गये इस बात को. एक हिसाब से रज़िया हर दोपहर को हरी के लिए रुकती. यह सब अब तो हरी को भी साँझ आ गया और उसने रेहाना को बेटी के घर जाने कोबोला. उस शाम को रेहाना ने हरी को और 5000 रुपये दिए और रात को खाने के वक़्त अपना बेटी के घर जाने का प्लान रहमान को बताया. प्लान सुनके रज़िया को अच्छा लगा क्योंकि अब वो हरी के साथ और फ्रीली बात कर सकती थी. रज़िया की खुशी रेहाना की आँखो से नही छुपी और उसे अपना प्लान क़यमाब होता नज़र आया. रहमान के सामने हरी तो ग़रीब ज़रूर था पर शायद जिस बात मे मर्द अच्छा होना चाहिए उस बात मे वो अच्छा होगा ऐसा अंदाज़ा रज़िया ने लगाया. दूसरे दिन रेहाना बेटी के घर चली गये. रेहाना बी के जाने के बाद हरी ने 1-2 दिन ऐसे ही जाने दिए. उसके बाद की एक दोपहर को जब तो खाना खाने गया उस्दिन रज़िया ने सिंपल पिंक कलर की कॉटन की सारी और स्लीवेलेस्स ब्लाउस पहना था,ब्लाउस डीप नेकड था, गले मे मंगलसूत्र और पैरो मे पायल थी. यह उसका हर्दिन का पहनावा था पर आज ना जाने क्यों वो हरी को ज़्यादा अच्छी लग रही थी.
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