RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
नानाजी ने ऐसा बोलके मा की पैंटी भी निकाल दी. अब मा की गोरी गान्ड और उसके नीचे उसकी गुलाबी कुँवारी चूत नानाजी और मुनीम जी के सामने थी. मा को अब समझ में आया कि नानाजी किस तरह की सज़ा की बात कर रहें थे. मा टेबल पे झुकी हुई बिल्कुल लाचार थी. नानाजी अब जो चाहे उसके साथ कर सकते थे.
फिर नानाजी ने अपने हाथ की छड़ी को उठा की मा की गान्ड पे कस के मार दिया.
मुझे आज भी याद हैं छड़ी के पहले वार पे मा ज़ोर से चीख पड़ी और उसकी गोरी गान्ड पे एक लाल लकीर लग गयी. नानाजी का चेहरा देख मुझे सॉफ दिख रहा था कि उनको मा को छड़ी से मारने में मज़ा आ रहा था. वो अब लगातार मा को छड़ी से मारने लगे.
‘हहहे’ करके नानाजी अपनी बेटी को छड़ी से मारते हुए हंस रहें थे. मा की गान्ड अब पूरी लाल हो गयी थी. उसकी आँखों से दर्द और शरम के आँसू निकल रहें थे.
मुनीम जी साइड पे खड़े हो कर नज़ारा देख रहे थे. उनके होंठो पे हल्की मुस्कान थी और वो अपना हाथ अपनी पतलून के उपर से अपने लंड पे रगड़ रहें थे. सावित्री बेबी की गोरी चिकनी गान्ड और उसके नीचे उसकी चिकनी चूत को देख उनके लौडे में हलचल हो रही थी. उनका लॉडा टाइट हो कर खड़ा हो गया था. बचपन में जिस सावित्री बेबी के साथ वो खेला करते थे वो अब एक खूबसूरत जवान लड़की बन चुकी थी और उसके गोरे जवान जिस्म के बारे में सोच सोच के कई बार मुनींजी अपना लंड हिला चुके थे.
आख़िर नानाजी ने मा को मारना बंद किया.
नानाजी ने मुनीम जी को देख के कहा ‘मज़ा आ रहा हैं मुनीम जी हहहे’
‘जी हुकुम ? ये आप क्या कह रहे हो.’
‘तुझे क्या लगता हैं में बेवकूफ़ हूँ ? मैने देखा है तू सावित्री को किस नज़र से देखा करता हैं साले हरामी’
‘जी ऐसा कुछ नही हैं हुकुम’
‘तो क्या तेरा लंड मुझे देख के खड़ा हुआ हैं ?’
‘जी हुकुम वो बीवी को मरे कई साल हो गये हैं इसलिए…’
‘तूने मुझे जायदाद अपने नाम करने में अच्छी मदद की हैं मुनीम, ये ले तेरी वफ़ादारी का इनाम’ नानाजी ने मा की ओर इशारा करते हुए कहा.
‘ये आप क्या कह रहें हो हुकुम ? भला हम नौकर की इतनी मज़ाल कैसे हो सकती हैं’
‘क्यूँ तुझे इसको देख के कुछ करने का मन नही होता हैं क्या ?’
‘जी होता तो हैं हुकुम लेकिन ….’
‘चल, जल्दी पतलून उतार वरना में इसका स्कर्ट नीचे करता हूँ’
मुनीम जी ने झट से अपनी पतलून निकाल दी. पतलून ज़मीन पर जा गिरी. उनका 8 इंच का काला लॉडा पूरा खड़ा हो चुका था. मा ने घूम के पीछे देखा. मुनीम जी अपना मोटा लॉडा धीरे धीरे सहलाते हुए मा की तरफ़ जा रहे थे.
‘मुनीम अंकल ये आप क्या कर रहे हो’ मा ने ज़िंदगी में कभी किसी मर्द का लंड नही देखा था. मुनीम जी का मोटा 8 इंच का लॉडा देख वो घबरा गयी थी.
मुनीम जी ने आगे बढ़ के अपने दोनो हाथ मा की गान्ड पे रख दिए. 16 साल के मखमल जैसे गोरे बदन पे अपना हाथ पा कर मुनीम जी पागल हो रहें थे. उन्होने दोनो हाथो से मा की गान्ड को ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया.
मा ने हमेशा मुनीम अंकल को अपने पिता का दर्जा दिया था और अब उनके हाथो इस तरह इस्तेमाल हो कर उसको घिन आ रही थी.
‘प्लीज़ मुनीम अंकल में आप की बेटी जैसी हूँ’
मुनीम जी को अब कुछ सुनाई नही दे रहा था, जबसे मा की जवानी उभरने लगी थी तबसे हर रोज़ मुनीम जी उसके बारे में सोच सोच के मूठ मार रहें थे. अब मा की सोलाह साल की जवान चूत को चोदने का मौका वो किसी भी हाल में गवाना नही चाहते थे. उनसे अब रहा नही जा रहा था. उन्होने गान्ड मसल्ते हुए अपने लंड के उपर का हिस्सा मा की चूत के छेद के आस पास घिसना शुरू कर दिया. में कोने के टेबल के नीचे बैठ के सब कुछ देख रही थी.
‘नही प्लीज़ मुनीम अंकल, में कुँवारी हूँ’
ये बात सुन के मुनीम जी ने झिझकति नज़र से नानाजी को देखा.
‘रुक मत साले मुनीम, अपना काम कर’
सावित्री बेबी की कुँवारी चूत को चोदने का नसीब पा कर तो मुनीम बिल्कुल पागल हो गया.
‘हहहे हुकुम आप बहुत दयावान हो हहहे’ मुनींजी की साँसें अब बहुत तेज़ हो गयी थी. उनसे रहा नही जा रहा था.
मा रोते हुए उनसे भीक मांगती रही
‘प्लीज़ मुनीम अंकल जाने दो मुझे’
‘हहहे सावित्री बेबी, फिकर मत करो, में बहुत धीरे से डालूँगा…’
लेकिन उन्होने किया बिल्कुल उल्टा और अपना पूरा ज़ोर लगा के लंड मा की चूत में धकेला. लंड के उपर का हिस्सा मा की चूत में घुस गया.
मा ज़ोर से चीख पड़ी. ‘आाआऐययईईईईईईईईईईईई नहियीईईईई’
मुनीम जी तो इतना उत्तेजित हो गये थे कि अपना लंड अंदर डालते ही उनका झरना शुरू हो गया. झरना शुरू हो जाने के कारण उन्होने अपना लंड और ज़ोर से मा की कुँवारी चूत मे आगे घुसेड़ा.
इतनी टाइट चूत में अपना लंड डालने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था उनको. उनके लंड से अब वीर्य निकलना शुरू हो गया था, मा की टाइट चूत ने उनके लंड को एकदम कस के जाकड़ लिया था. आख़िर पूरा लंड अंदर घुस ही गया.
‘नहियीईईईई आाआआईयईईईईईईईई’ मा चिल्लाति रही
पूरा लंड मा की चूत में डालने के बाद उन्होने झरते झरते बहुत ही ज़ोरदार धक्के लगाना जारी रखा.
‘आआहह सावित्री बेबी आआआअहह ये लो बेबी आआआआआआअहह ये लो’
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