RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मैने अपना मुँह खोल के, अपनी जीब बाहर कर दी. सुभाष के लंड का उपर का हिस्सा अब मेरी जीब पे रगड़ने लगा, मेरी गीली जीब का एहसास उसको पागल कर रहा था. उसने अपने लंड की रफ़्तार और बढ़ा दी और मेरे बूब्स को और ज़ोर सेमसल्ने लगा. ससुरजी का अब पूरा लंड मेरे अंदर था और उन्होने मुझेलगातार धक्के लगाना शुरू कर दिया.
मैने अपने हाथ सुभाष के पैरों के नीचे से निकाल दिए और अपने बूब्स को खुद ही मसल्मसल के अपने निपल्स को खीचने लगी. में झरने के बहुत करीब थी.
सुभाष का भी ये ही हाल था ‘आआहह…. मम्मी प्लीज़ अपने मूह में लो आआआआहह’ मैने अपने प्यारे बेटे को खुश करने के लिए अपना मूह खोल दिया. अगले ही सेकेंड शुभाष के मोटे लंड का उपर का हिस्सा मेरे मूह के अंदर बाहर होने लगा.मैं ज़ोर लगा के उसके लंड को चूस रही थी और अपनी उंगलियों से अपने निप्पल्स को खीच रही थी. हम तीनो अब बहुत ही उत्तेजित हो गये थे और आख़िर हमारा झरना शुरू हो गया. ससुरजी ने मुझे चोदने की रफ़्तार तेज़कर्दी और मेरी चूत में अपना वीर्य निकालना शुरू कर दिया. सुभाष के लंड से भी अब वीर्य निकलना शुरू हो गया.
‘आआआआआआआहह…. बहू आआआआहह….’
‘आआआआआआआहह…. मम्मी आआअहह….’
ससुरजी के लंड का गरम पानी मुझे अपने चूत में निकलते हुए महसूस हो रहा था. सुभाष के लंड से तो ऐसे लगातार पानी निकल रहा था जैसे नल मे से पानी. दोनो के तगड़े लंड झरते हुए झटके खा रहे थे. सुभाष का लंड चूस्ते चूस्ते में उसका गाढ़ा वीर्य निगलने लगी. ऐसी गंदी हरकत करने से मेरा झरना और तीव्र हो गया. मेरे मूह के अंदर इतना वीर्य निकल रहा था कि मुझसे सारा निगला नही जा रहा था और काफ़ी सारा वीर्य बह के बाहर निकल रहा था. कुछ देर झरने के बाद आख़िर हम तीनो का झरना बंद हुआ.
ससुरजी औरसूभाष ने अपना लंड बाहर निकाला और बिस्तर के साइड पे खड़े हो गये, दोनोके लंड धीरे धीरे छोटे हो रहें थे. में बिस्तर पे थकि हुई लेटिरही. इतनी ज़ोर से झर के में बहुत थक गयी थी और मेरे बदन पे पसीना छा गया था. मेरे गोरे नंगे जिस्म को ससुरजी भूके कुत्ते की तरह देख रहे थे. मुझे लगा कि शायद वो दोनो अब वहाँ से चले जाएँगे, लेकिनससुरजी का प्लान कुछ और ही था. उन्होने आगे झुक के मुझे मेरे बाल सेपकड़ लिया और मेरे बाल खीच मुझे बैठने पे मजबूर कर दिया.
ससुरजी और सुभाष के बैठे हुए लंड अब मेरे सामने थे. दोनो पूरे गीले थे.ससुरजी ने सुभाष से कहा ‘सुभाष बेटे ज़रा अपनी मम्मी का मूह खोलो,हमने उसको सिखाना हैं कि लंड को कैसे ठीक तरह से सॉफ करते हैं’
सुभाष नेनीचे झुक के मेरे गालों को अपनी मोटी उंगलिया से दबा के मुझे मेरा मूह खोले पे मजबूर कर दिया. मेरा मूह खोलते ही ससुरजी ने अपना गंदा लंड मेरे मूह में ठूंस दिया. उनका बैठा हुआ लंड भी बहुत ही मोटा था और मुश्किल से मेरे मूह में समा रहा था.
‘हहेहहे थोड़ा चूसो बहू, अपने बहू होने का फ़र्ज़ अदा करो हहहे’ ससरजी अपने बैठे हुए लंड से मेरे मूह को चोद रहे थे. सुभाष को ये सब देख बहुत मज़ा आरहा था.
अचानक उसने मेरे बाल पकड़ पीछे खीच लिए और इससे ससुरजी का लंड मेरे मूह सेनिकल गया. लंड निकलने से मुझे राहत मिली और में खाँसने लगी. लेकिन अगले ही पल सुभाष ने अपना मोटा लॉडा मेरे होंठो के बीच ठूंस दिया ‘मुझेभी खेलना हैं’ सुभाष का वीर्य और थूक से गीला लंड मेरे मूह में पूरा समा गया. उसने अब दोनो हाथो से मेरे बाल पकड़के रखें थे ओरबेरहमी से मेरे मूह के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. उसका लंड धीरे धीरे मेरे मूह के अंदर मुझे खड़ा होता महसूस हो रहा था.मेने कैसे भी करके अपना मूह मोडके उसका लंड बाहर निकाला.
‘प्लीज़ सुभाष इतना ज़ोर से मत करो, तुम चाहते हो तो में धीरे धीरे इसको किस करती हूँ’
‘ठीक हैं मम्मी तुम कहती हो तो में मान जाता हूँ, पर दादाजी ने कहा था कि जब हम तुम्हारे मुहमें डाले तो पूरे ज़ोर से अंदर बाहर करे’ में समझ गयी कि ये सारीचाल ससुरजी की हैं.
मैने सुभाषका आधा खड़ा लंड हाथ में पकड़ उसके लंड के उपर का हिस्सा अपने मुहमें ले कर प्यार से चूसने लगी. इतना तगड़ा और जवान लंड मूह में ले करमुझे मज़ा आने लगा. ससुरजी साइड पे खड़े हो कर अपना बैठा हुआ लंड मेरे गालों पे घिस रहे थे. सुभाष का लंड एक ही मिनिट में पूरा टाइट हो के खड़ा हो गया. मैं पूरा ज़ोर लगा के 6 इंच तक उसका लंड ज़ोर से चूस चूस के मज़ा ले रही थी. मेरे बदन में भी फिर से गर्मी छा गयी थी.
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