RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरी छोटी सी टाइट गान्ड में अपने लंड का उपर का हिस्सा डालसुभाष को इतना मज़ा आया कि वो बिल्कुल बेकाबू हो गया और पूरे ज़ोर से अपना लंड आगे धकेलने लगा, उसका मोटा लॉडा अब धीरे धीरे मेरी गान्ड कोचीरते हुए आगे जा रहा था.
‘नहियीई सुभाष आाआऐययईईईईई…..’
‘आआआअहह मम्मी आआआहह’ सुभाष ने अपना पूरा लंड मेरी गान्ड में घुसेड दिया और अपने मोटे लंड से मेरी गान्ड की चुदाई शुरू कर दी.
‘प्लीज़ सुभाष इसको अंदर से निकालो, दूसरे छेद में डालने से भी मज़ा आएगा’ मैने अपने बेटे को मनाने की कोशिश की.
‘नही मम्मी आआआअहह…. बहुत मज़ाआआआआहह आ रहा हैं’सुभाष को ज़िंदगी में इतना मज़ा नही आया था.
‘प्लीज़ सुभाष थोड़ा धीरे से करो, इतनी ज़ोर से नही’ मेरी ये बात सुभाष ने मान ली और अपने धक्के की रफ़्तार कम करदी और मुझे थोड़ी शांति मिली. मेरे ससुरजी के हाथो मेरा रेप देखते हुए सुभाष दो बार झरचुक्का था और वो आसानी से झरने वाला नही था. सुभाष का लंड एक्दम्गरम और तगड़ा था, में उस लंड को अपनी चूत में महसूस करना चाहती थी और सुभाष को ऐसा करने की मिन्नत कर रही थी, पर उसको मेरी गान्ड मार केबहुत मज़ा आ रहा था और वो ऐसे ही करता रहा. मेरा दर्द धीरे धीरेकम हो गया था.
‘आअहह आआआअहह सुभाष प्लीज़ दूसरे छेद में कम से कम अपनी उंगली तो डालो, तुम्हारी मम्मी को भी थोड़ा मज़ा दो’. बाहर सासुरजी सब देख रहे थे ‘हहहे साली रंडी अपने बेटे से गान्ड मरवा के मज़ा ले रही है और अपने ससुर के सामने नखरे करती हैं’
सुभाष ने अपना हाथ आगे ले कर दो उंगलिया मेरी चूत में डाल दी.
‘आआआअहह सुभाष आआआआहह बहुत अच्छे बेटॅयायात्त्त…थोड़ा अंदर बाहर करूऊऊओह..’
सुभाष ने अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अंदर बाहर करना शुरूकिया और साथ ही मेरी गान्ड मारना जारी रखा. अब मुझे गान्ड में सुभाष के लंड के एहसास से भी मज़ा आ रहा था. अपने सौतेले बेटे के साथ इतनाबड़ा पाप कर रही थी लेकिन मेरे बदन की भूक और सुभाष के तगड़े लंड ने मुझे पागल कर दिया था. में अब अपनी गान्ड पीछे धकेल के सुभाष से चुदवा रही थी. हम दोनों अब झरने के बहुत करीब आ गये थे. सुभाषबिल्कुल पागल की तरह बहुत ही बहरहमी से मेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड रहा था और एक आग्याकारी बेटा बन के मेरी चूत में भी उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था.
मुझसे अब रहा नही गया ‘आआआहह और ज़ोर से सुभाष आआआहह और ज़ोर से’मेरा झरना शुरू हो गया. झरते हुए मेरी गान्ड का छेद सुभाष के लंड पे सिकुड रहा था और इसी सुभाष का झरना शुरू हो गया.
‘आआआहह मुम्मय्ययययययययी आआआआआआहह………’
सुभाष के लंड से ढेर सारा गाढ़ा वीर्य छूटने लगा. उसका गरम गरम पानी मेरी गान्ड में निकल रहा था और हरेक्धक्के पे पच पच की आवाज़ आ रही थी. सुभाष ज़िंदगी में इतनी ज़ोर सेकभी नही झरा था, झरते हुए उसका मोटा लंड झटके मार रहा था और इससे मुझे और मज़ा आ रहा था. तीन चार मिनिट बाद हम दोनो का झरना आख़िर बंद हुआ. बाहर ससुरजी भी हमे देख कर अपना लंड हिला चुके थे.
में थकान सेचुर चूर हो गयी थी. मेरे बदन की भूक मिटने पे मुझे अब अपनी ग़लती काएहसास हो रहा था. मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे और मेरा रोना शुरूहो गया. अपने खुद के सौतेले बेटे और पिता समान ससुरजी के साथ मैने एक रंडी के जैसे सेक्स किया था. मुझे अपने आप पे घिन आ रही थी. अपने सीधे साधे पति के बारे में सोच मुझे बहुत दुख हो रहा था.
‘क्या हुआ मम्मी बहुत दर्द हो रहा हैं’ सुभाष ने मुझे रोते हुए देख कर के पूछा.
‘नही बेटे,प्लीज़ अब मेरे हाथ खोल दो’ सुभाष ने मेरे हाथ खोल दिया. में अपने कपड़े जल्दी से पहेन के वहाँ से अपने कमरे में चली गयी. उस रात मैनेबहुत सोचा और फ़ैसला किया कि मैं सुभाष को संजा दूँगी कि हमारे सेक्स की बात वो किसी से ना कहें और साथ ही में उसको मुझे ससुरजी से सुरक्षितरखने के लिए कहूँगी. वो दिमाग़ से बच्चा था लेकिन उसका शरीर तो किसी हट्टे कट्टे मर्द जैसा था. उसके शरीर के बारे में सोच के मेरे बदन्में हलचल होने लगी. में यहाँ अपना प्लान बना रही थी लेकिन मुझे पता नही था कि ससुरजी भी अपना एक और गंदा प्लान बना चुके थे.
अगले दिन रोज़ की तरह मेरे पति मेरे उठने से पहले ही काम पे चले गये. कुछ देर बादमें उठी और सोचने लगी कि किस तरह से में सुभाष को अपने दादाजी के खिलाफ कर सकु ताकि वो मुझे उनसे बचा के रखे. में ये सोच ही रही थी कि मेरे बेडरूम का दरवाज़ा किसी ने खटखटाया.
मैने दरवाजा खोला और बाहर देखा तो मैं दंग रह गयी. बाहर ससुरजी और सुभाष खड़े थे. दोनो बिल्कुल नंगे थे और उनके मोटे लंड पूरे शान से खड़े थे.ससुरजी के चेहरे पे हँसी थी. ‘ये तुम दोनो क्या कर रहे हो?’ मैने डरते हुए पूछा. ‘कल मैने तुमको और सुभाष को खेलते हुए देखा तो मैने सोचा क्यू ना हम तीनो एक साथ खेले हहेहहे’
में कुछ औरकहु उससे पहले ही दोनो अंदर आ गये और ससुरजी ने दरवाज़ा अंदर से बंदकरके मुझे जाकड़ लिया, में उनके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी.‘हहेहहे आज तो मज़ा आजाएगा हहहे’ ससुरजी ने हस्ते हुए मुझे हवा मे उठा लिया और बिस्तर की ओर ले जाने लगे
‘नही जाने दो मुझे पिताजी ये क्या कर रहे हो’ मैं अपने पैर हवा में मार रही थी परससुरजी के सामने मेरी ताक़त नही चल रही थी. ससुरजी ने मुझे ले जाकरबीस्तर पे फेक दिया. मेरे बिस्तर पे गिरते ही वो दोनो ने पागलो की तरहमेरे कपड़ो को फाड़ना शुरू कर दिया. मैने वैसे भी ब्रा और पैंटी नहीपेहनी थी. एक मिनिट मैं ही में पूरी नंगी हो गयी थी. मेरे छटपटाने सेससुरजी को बड़ा मज़ा आ रहा था. उन्होने अब मुझे मेरी पीठ पे लेटा दिया और अपने दोनों हाथ मेरी जाँघो पे रख कर अपना सर मेरी चूत के नज़दीकला दिया. में अब अपने पैर हिला नही पा रही, मुझे ससुरजी की गरम साँसे मेरी चूत पे महसूस हो रही थी. सुभाष मुझे नंगी देख बहुत ही उत्तेजित हो गया था. ‘अब हिलना बंद भी करदो मानसी, देखो तुम्हारा बेटातूमसे कितना प्यार करता हैं’ ससुरजी ने सुभाष के लंड पे इशारा करते हुए कहा.
‘जाओ सुभाष अपनी मम्मी को दिखाओ तुम उससे कितना प्यार करते हो’ ये बात सुनकर सुभाषमेरे नज़दीक आ गया, वो मेरे उपर आ कर बैठ गया, उसने मेरे हाथ अपने पैरों के नीचे दबा दिए और अपना लंबा लंड मेरे दोनो बूब्स के बीच रख दिया. मुझे पता चल गया कि ज़रूर ससुरजी ने उसको ऐसा करने को कहा होगा.
‘आआआहह…मम्मी आआआआआहह….’ करते हुए सुभाष अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स मसल्ने लगा और मेरे बूब्स से अपने लंड को घेर दिया. उसी वक़्त ससुरजी ने अपना मूह मेरी चूत पे लगा दिया और उसको उपर उपर से चाटनाशुरू कर दिया. सुभाष का काला लंड बहुत ही गरम था और उसका एहसास मेरे बूब्स पे मुझे अच्छा लग रहा था, साथ ही ससुरजी की जीब मेरी चूत पे तेज़ी से मेरे बदन में गर्मी बढ़ रही थी. एक बार फिर मेरे बदन की गर्मीमेरे दिमाग़ को चलने से रोक रही थी. ससुरजी मेरी चूत चाटते हुए अपने लंड को ज़ोर से हिला रहें थे.
सुभाष ने अब अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसका लंड इतना बड़ा था कि उसका उपर का हिस्सा मेरे होंठो पे टकरा रहा था. मेरी आँखों के इतने नज़दीक उसका 10 इंच का लंड मुझे और भी बड़ा लग रहा था, हरेक धक्के पे उसका लंड मेरे बंद होंठो पे टकरा रहा था. ससुरजी ने आप अपनी जीब निकालकेमेरी चूत के अंदर डाल दी, उनकी गीली मोटी जीब के एहसास से तो में पागल होगयि, ‘म्म्म्ममममममम…… एम्म्म’ मेरे मूह से आवाज़ निकल पड़ी.
मेरे बदन मे अब आग लग गयी थी. सुभाष का मोटा लंड मेरे होंठो पे लगातार टकरा रहा था और मुझे पागल बना रहा था. मैने फ़ैसला कर दिया कि मेरे माना करने पर भी ये दोनो मुझे छोड़ने वाले नही तो क्यूँ ना मैं मज़ा ही लेलू. ये सोच के मैने छटपटाना बंद कर्दिया. मेरे ऐसे करने पे तुरंत ससुरजी ने मेरी चूत से अपनी जीब निकाल दी और मेरे पैरो के बीच आके अपना लंबा लंड मेरी चूत पे रख दिया. मैने अपने पैर पूरे फैला दिए, मुझे उनका मोटा लंड चाहिए था. ससुरजी मेरी हालत समझ गये और ‘हहेहहे ये लो मेरी प्यारी बहू’ कहते हुए अपना लंड धीरे से मेरिचूत में घुसेड़ने लगे.
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